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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 29 Jul, 2022
  • 8 min read
प्रारंभिक परीक्षा

स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर अभियान

हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर अभियान के तहत देश भर में 75 समुद्र तटों को 75 दिनों में साफ करने के लिये तटीय सफाई अभियान शुरू किया है।

स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर अभियान:

  • परिचय:
    • यह दुनिया में अपनी तरह का पहला और सबसे लंबे समय तक चलने वाला तटीय सफाई अभियान है, जिसमें सबसे अधिक संख्या में लोग भाग ले रहे हैं।
    • अभियान का समापन "अंतर्राष्ट्रीय तटीय सफाई दिवस" (17 सितंबर 2022) पर होगा।
      • इस दिवस का उद्देश्य महासागरों, समुद्र तटों पर कूड़े के संचय तथा इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है।
    • विश्व स्तर पर "अंतर्राष्ट्रीय तटीय सफाई दिवस" प्रत्येक वर्ष सितंबर के तीसरे शनिवार को मनाया जाता है।
    • इस अभियान के माध्यम से, लोगों के बीच बड़े पैमाने पर व्यवहार परिवर्तन का उद्देश्य इस बारे में जागरूकता बढ़ाना है कि कैसे प्लास्टिक का उपयोग समुद्री जीवन को नष्ट कर रहा है।
    • इस अभियान के बारे में जागरूकता फैलाने और समुद्र तट की सफाई गतिविधि में स्वैच्छिक भागीदारी हेतु आम लोगों को पंजीकरण करने हेतु एक मोबाइल एप "इको मित्रम" लॉन्च किया गया है।
  • उद्देश्य:
    • भारत के पूरे समुद्र तट पर स्वच्छता अभियान चलाना।
    • समुद्री कूड़े में कमी लाना।
    • प्लास्टिक का प्रयोग कम-से-कम करना।
    • स्रोत पर कचरे के पृथक्करण और अपशिष्ट प्रबंधन को प्रोत्साहित करना।

स्वच्छ महासागर का महत्त्व:

  • महासागर पोषण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है, विशेषकर दुनिया के सबसे गरीब देशों के लोगों के लिये।
  • बड़ी संख्या में लोग प्रोटीन के लिये मछली जैसे प्राथमिक खाद्य स्रोतों पर निर्भर हैं, मत्स्य पालन और जलीय कृषि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 540 मिलियन लोगों (दुनिया की आबादी का 8%) की आजीविका का समर्थन करती है।
  • अत्यधिक मछली पकड़ने, जैव विविधता की हानि और प्रजातियों की संभावित विलुप्ति ने इन सीमित संसाधनों पर दबाव डाला है। इसकी वजह से अकाल, गरीबी बढ़ने और युद्ध एवं संघर्ष की स्थिति उत्पन्न   हो सकती है।
  • महासागर का स्थायी प्रबंधन वैश्विक समृद्धि और शांति का एकमात्र उपाय है।

संबंधित पहल:

स्रोत: पीआईबी


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 जुलाई, 2022

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस   

प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनिया के बाघों की आबादी के समक्ष  आने वाले खतरों के बारे में जागरूकता का प्रसार करने हेतु मनाया जाता है। वे संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र के अति आवश्यक प्राणी है। वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) के अनुसार, जैसा कि बाघ शीर्ष शिकारी है, इसलिये वह पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र  को संतुलित बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता हैरूस के सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में वर्ष 2010 में पहला विश्व बाघ दिवस मनाया गया था जिसमें टाइगर क्षेत्र  वाले कुल 13 देशों ने वर्ष 2022 तक जंगली बाघों की आबादी को दोगुना करने का वैश्विक लक्ष्य तय किया था। बाघ संरक्षण वनों के संरक्षण का प्रतीक है। बाघ एक अनूठा जानवर है जो किसी स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र और उसकी विविधता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक खाद्य शृंखला में उच्च उपभोक्ता है और जंगली जानवरों (मुख्य रूप से बड़े स्तनपायी)  की आबादी को नियंत्रण में रखता है। इस प्रकार बाघ शिकार द्वारा शाकाहारी जंतुओं और उस वनस्पति के मध्य संतुलन बनाए रखने में मदद करता है जिस पर वे भोजन के लिये निर्भर होते हैं। 

हर घर ऊर्जा उत्सव  

हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि राज्य सरकार जनजातीय क्षेत्रों में हर घर ऊर्जा उत्सव आयोजित कर ग्रामीण लोगों के जीवन में प्रकाश लाने के लिये प्रतिबद्ध है। महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले के शाहपुर में आयोजित ऊर्जा उत्सव उज्ज्वल भारत-उज्ज्वल भविष्य-पॉवर@2047 को भेजे संदेश में मुख्यमंत्री ने राज्य भर में कार्यक्रम के विस्तार पर ज़ोर दिया। शाहपुर में ऊर्जा उत्सव भारत की आाज़ादी के 75वें वर्ष के सिलसिले में आयोजित किया गया। हालाँकि महाराष्ट्र देश में ऊर्जा क्षेत्र में सदैव अग्रणी रहा है। इसके साथ ही सरकार ने प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला किया है जिससे एक करोड़ 66 लाख विद्युत उपभोक्ताओं को फायदा होगा, वहीं केंद्र सरकार ने तटीय ज़िलों के लिये भूमिगत केबल लगाने की योजना बनाई है। 

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) परिषद 

भारतीय विदेश मंत्री शंघाई सहयोग संगठन (SCO) परिषद के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिये 28 जुलाई को उज़्बेकिस्तान की दो दिवसीय यात्रा पर गए हैं। इस बैठक में 15 और 16 सितंबर को समरकंद में होने वाली राष्ट्राध्यक्षों की बैठक की तैयारियों पर चर्चा होगी। इस अवसर पर वे SCO संगठन के विस्तार और साझा हितों वाले क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे। SCO में भारत, कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़ गणराज्य, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान तथा उज़्बेकिस्तान शामिल हैं। अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया इसके पर्यवेक्षक देश हैं। SCO एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। यह यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है जिसका लक्ष्य इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता को बनाए रखना है। इसका गठन वर्ष 2001 में किया गया था। SCO चार्टर वर्ष 2002 में हस्ताक्षरित किया गया था तथा यह वर्ष 2003 में लागू हुआ। इस संगठन का उद्देश्य सदस्य देशों के मध्य परस्पर विश्वास तथा सद्भाव को मज़बूत करना, राजनैतिक, व्यापार एवं अर्थव्यवस्था, अनुसंधान प्रौद्योगिकी और संस्कृति के क्षेत्र में प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देना तथा लोकतांत्रिक, निष्पक्ष एवं तर्कसंगत नव-अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक, आर्थिक व्यवस्था की स्थापना करना है


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