नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 29 Apr, 2022
  • 14 min read
प्रारंभिक परीक्षा

ब्रह्मोस मिसाइल का पोत-रोधी संस्करण

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय नौसेना एवं अंडमान और निकोबार कमान द्वारा संयुक्त रूप से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के पोत-रोधी संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।

  • अंडमान और निकोबार कमान भारतीय सशस्त्र बलों की एकमात्र त्रि-सेवा कमान है।

Brahmos

ब्रह्मोस के बारे में:

  • ब्रह्मोस रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (The Defence Research and Development Organisation) तथा रूस के NPOM का एक संयुक्त उद्यम है।
    • इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। 
  • यह दो चरणों वाली (पहले चरण में ठोस प्रणोदक इंजन और दूसरे में तरल रैमजेट) मिसाइल है। 
  • यह एक मल्टीप्लेटफॉर्म मिसाइल है जिसे ज़मीन, हवा और समुद्र में बहुक्षमता वाली मिसाइल से     सटीकता के साथ लॉन्च किया जा सकता है जो खराब मौसम के बावजूद दिन और रात दोनों में काम कर सकती है।
  • यह "दागो और भूल जाओ" के सिद्धांत पर काम करती है, यानी लॉन्च के बाद इसे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं रहती है।
  • ब्रह्मोस सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइलों में से एक है जो वर्तमान में 2.8 मैक की गति (ध्वनि की गति से लगभग 3 गुना) के साथ सक्रिय रूप से तैनात है।
  • इससे पहले भारतीय वायु सेना (IAF) ने सुखोई फाइटर जेट से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
  • हाल ही में भारतीय नौसेना ने भी हिंद महासागर में स्टील्थ डिस्ट्रॉयर से ब्रह्मोस मिसाइल के एक उन्नत संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
    • जून 2016 में मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (Missile Technology Control Regime- MTCR) क्लब में भारत के शामिल होने के बाद मिसाइल की रेंज को बाद के चरण में 450 किमी. और 600 किमी. तक विस्तारित करने की योजना है।
    • ब्रह्मोस मिसाइल को शुरू में 290 किमी. की सीमा के साथ विकसित किया गया था।

भारत द्वारा रूस से खरीदे गए रक्षा उपकरण:

  • पनडुब्बियांँ: पी75-आई परियोजना (P75-I Project) के तहत छह एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (Air Independent Propulsion-AIP-powered) पारंपरिक पनडुब्बियांँ।
    • भारत द्वारा दो परमाणु बैलिस्टिक पनडुब्बियों को लीज पर देने हेतु बातचीत चल रही है । 
  • फ्रिगेट और गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर: नौसेना के 10 गाइडेड-मिसाइल विध्वंसकों में से चार रूसी काशीन श्रेणी के हैं और इसके 17 युद्धपोतों में से छह रूसी तलवार श्रेणी के हैं।
  • विमान वाहक: भारत की सेवा में एकमात्र विमान वाहक आईएनएस विक्रमादित्य एक सोवियत निर्मित कीव-श्रेणी का पोत है जो वर्ष 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
  • लड़ाकू विमान: रूस भी भारत को लड़ाकू विमानों के मुख्य निर्यातकों में से एक रहा है, जिसमें सैकड़ों सुखोई (Sukhoi) और मिग जेट (MiG jets) शामिल हैं। 
    • सेवा में शामिल सभी छह एयर टैंक रूस निर्मित IL-78s हैं।
  • टैंक: भारतीय सेना का प्रमुख युद्धक टैंक बल मुख्य रूप से रूसी T-72M1 (66%) और T-90S (30%) से बना है।
  • मिसाइल डिफेंस सिस्टम: S-400 एंटी-मिसाइल सिस्टम

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

संग्रहालय अनुदान योजना

संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय (Ministry of Culture and Tourism) ने संग्रहालय अनुदान योजना (Museums Grant Scheme) के एक हिस्से के रूप में 'संग्रहालयों के उन्नयन की योजना' के तहत आंध्र प्रदेश के एलुरु शहर में 5 करोड़ रुपए की लागत वाली एक परियोजना हेतु 3.75 करोड़ रुपए का अनुदान जारी किया है।

संग्रहालय अनुदान योजना: 

  • परिचय: 
    • यह योजना वर्ष 2013 में शुरू की गई थी।
    • संस्कृति मंत्रालय नए संग्रहालयों की स्थापना के लिये राज्य सरकारों और सोसायटी अधिनियम,1860 के अन्तर्गत पंजीकृत समितियों, स्वायत्त निकायों, स्थानीय निकायों तथा ट्रस्ट्स को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। 
    • इसका उद्देश्य क्षेत्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर मौजूदा संग्रहालयों के सुदृढ़ीकरण और आधुनिकीकरण को प्रोत्‍साहित करना है।
    • इस योजना का उद्देश्य प्रत्येक वर्ष राज्य की राजधानी में कम-से-कम एक केंद्रीय/राज्य संग्रहालय विकसित करना है।  
  • मुख्य घटक: 
    • ज़िला और क्षेत्रीय संग्रहालयों की स्थापना एवं विकास: 

      • इस घटक के तहत संग्रहालयों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
        • श्रेणी-I: सरकार के स्वामित्व वाले राज्य स्तरीय संग्रहालय और उत्कृष्ट संग्रह के साथ प्रसिद्ध संग्रहालय।
        • श्रेणी- II: अन्य सभी संग्रहालय।
      • इस घटक के तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता की अधिकतम राशि 10 करोड़ रुपए है।
    • राज्यों की राजधानियों में संग्रहालयों का विकास: 
      • इस घटक के तहत राजधानी शहरों में स्थित केंद्र या राज्य सरकार के मौजूदा प्रसिद्ध संग्रहालयों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
      • इस घटक के तहत प्रति संग्रहालय अधिकतम 15 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है। 
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के अंतर्गत बड़े पैमाने पर संग्रहालयों की स्थापना और विकास:
      • इस घटक के तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड में राज्य सरकारों और नागरिक समाज के साथ संयुक्त उद्यम के रूप में बड़े पैमाने पर संग्रहालय स्थापित करने का प्रस्ताव है। 
      • इस घटक के तहत प्रदान की जाने वाली अधिकतम वित्तीय सहायता परियोजना लागत का 40% है जो अधिकतम 20 करोड़ रुपए प्रति संग्रहालय होगी।

संग्रहालय के बारे में:

  • संग्रहालय ऐसी संस्था है जिसमें ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, कलात्मक या सांस्कृतिक रुचि की वस्तुओं को संग्रहीत और प्रदर्शित किया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (ICOM), संग्रहालय को परिभाषित करता है, इसके अनुसार “संग्रहालय एक गैर-लाभकारी संस्था है, यह समाज की सेवा और विकास की स्थायी संस्था है, जो सभी के लिये खुला है, यह शिक्षा, अध्ययन व मनोरंजन के प्रयोजनों के साथ मानवता और उसके पर्यावरण की मूर्त एवं अमूर्त विरासत का संरक्षण, शोध, संचार तथा प्रदर्शन को बढ़ावा देता है"।

संग्रहालय से संबंधित अन्य योजनाएंँ:

  • भारतीय संग्रहालयों के लिये राष्ट्रीय पोर्टल और डिजिटल रिपोजिटरी (संस्कृति मंत्रालय के तहत) को संग्रहालयों के डिजिटलीकरण के लिये शुरू किया गया है।
  • जतन: आभासी संग्रहालय सॉफ्टवेयर: जतन (JATAN) एक आभासी संग्रहालय निर्माता सॉफ्टवेयर है, जो भारतीय संग्रहालयों को डिजिटल संग्रह प्रबंधन प्रणाली के निर्माण में सक्षम बनाता है तथा यह पूरे भारत में कई राष्ट्रीय संग्रहालयों में तैनात है।

स्रोत: द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 अप्रैल, 2022

नीति आयोग की राष्ट्रीय कार्यशाला 

हाल ही में नीति आयोग द्वारा विज्ञान भवन, नई दिल्ली में “अभिनव कृषि” पर एक राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य भारत में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु भारतीय शोधकर्त्ताओं, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं की क्षमता निर्माण में सहायता के लिये कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के अनुसंधान अनुभव, ज्ञान व विशेषज्ञता का उपयोग करना है। विभिन्न राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों, किसानों, उद्योग, अनुसंधान एवं शैक्षणिक संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों, कृषि व संबद्ध क्षेत्रों के अंतर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों और ऑस्ट्रेलिया, फ्रांँस एवं जर्मनी के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के 1250 से अधिक प्रतिभागी इस कार्यशाला में शामिल हुए। 1 जनवरी, 2015 को योजना आयोग के स्थान पर केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक संकल्प पर नीति आयोग का गठन किया गया। इसमें सहकारी संघवाद की भावना को केंद्र में रखते हुए अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार के दृष्टिकोण की परिकल्पना को स्थान दिया गया।

उन्नत भारत अभियान 2.0 

हाल ही में (25 अप्रैल 2022) उन्नत भारत अभियान 2.0 ((Unnat Bharat Abhiyan-UBA 2.0) ने सफलतापूर्वक चार वर्ष पूरे कर लिये हैं। वर्ष 2018 में UBA 2.0 को ग्रामीण विकास प्रक्रियाओं में आमूलचूल परिवर्तन लाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था। इस अभियान (उन्नत भारत अभियान) की औपचारिक शुरुआत वर्ष 2014 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य पाँच गाँवों के एक समूह के साथ उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) को जोड़ना है, ताकि ये संस्थान अपने ज्ञान के आधार पर इन ग्रामीण समुदायों की आर्थिक और सामाजिक बेहतरी में योगदान दे सकें। इसमें गाँवों के समग्र विकास के लिये दो प्रमुख डोमेन शामिल हैं- मानव विकास और वस्तुगत (आर्थिक) विकास। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT, Delhi) को UBA योजना के लिये राष्ट्रीय समन्वय संस्थान (National Coordinating Institute- NCI) के रूप में नामित किया गया है।

जम्‍मू संभाग का सांबा ज़िला

केंद्रशासित प्रदेश जम्‍मू-कश्‍मीर में जम्‍मू संभाग का सांबा ज़िला प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य योजना के तहत शत-प्रतिशत परिवारों को शामिल करने वाला देश का पहला ज़िला बन गया है। सांबा ज़िले में 11 अप्रैल से 21 अप्रैल तक राज्‍य स्‍वास्‍थ्‍य एजेंसी के विशेष पंजीकरण अभियान के बाद यह उपलब्धि हासिल हुई। सांबा ज़िले में कुल 62,641 परिवार आयुष्‍मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य योजना गोल्‍डन कार्ड के लिये पात्र हैं। इस कार्ड पर सभी सरकारी और सूचीबद्ध निजी अस्‍पतालों में 5,00,000 रुपए तक का उपचार निशुल्‍क कराया जा सकता है। प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य योजना विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जो पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित है। इसके तहत प्रत्येक लाभार्थी परिवार को सार्वजनिक व निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में माध्यमिक तथा तृतीयक स्वास्थ्य उपचार के लिये प्रतिवर्ष 5,00,000 रुपए का बीमा कवर प्रदान किया जाता है। इस योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने और बाद के खर्च (जैसे- चिकित्सीय जाँच एवं दवाएँ) को भी शामिल किया गया है।


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow