पद्म पुरस्कार 2022
जनरल बिपिन रावत (पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ), जिनकी हाल ही में एक हवाई दुर्घटना में मृत्यु हो गई और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, जिन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान राज्य का नेतृत्व किया, को गणतंत्र दिवस (73वें) की पूर्व संध्या पर मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
पद्म शृंखला का हिस्सा, पद्म विभूषण दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
प्रमुख बिंदु
- पृष्ठभूमि:
- पद्म पुरस्कारों की घोषणा प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) को की जाती है।
- वर्ष 1954 में स्थापित यह भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक है।
- उद्देश्य:
- यह ऐसी सभी विषयों/गतिविधियों के क्षेत्रों में उपलब्धियों की पहचान करता है, जिनमें सार्वजनिक सेवा का तत्त्व शामिल हो।
- श्रेणियाँ:
- ये पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिये जाते हैं:
- पद्म विभूषण (असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिये)
- पद्म भूषण (उच्च क्रम की विशिष्ट सेवा)
- पद्म श्री (प्रतिष्ठित सेवा)
- पद्म भूषण और पद्म श्री के बाद पद्म पुरस्कारों के पदानुक्रम में पद्म विभूषण सर्वोच्च है।
- ये पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिये जाते हैं:
- संबंधित क्षेत्र:
- ये पुरस्कार विभिन्न विषयों/गतिविधियों के क्षेत्रों में दिये जाते हैं, जैसे- कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार व उद्योग, चिकित्सा, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, सिविल सेवा आदि।
- चयन प्रक्रिया:
- पद्म पुरस्कार समिति: ये पुरस्कार ‘पद्म पुरस्कार समिति’ द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर प्रदान किये जाते हैं, जिसका गठन प्रतिवर्ष प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है।
- राष्ट्रपति द्वारा प्रदत: ये पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा आमतौर पर प्रतिवर्ष मार्च/अप्रैल के महीने में प्रदान किये जाते हैं।
भारत रत्न:
- भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
- यह मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा/उच्चतम प्रदर्शन के सम्मान में प्रदान किया जाता है।
- इसकी घोषणा पद्म पुरस्कार से अलग स्तर पर की जाती है। भारत रत्न की सिफारिशें प्रधानमंत्री द्वारा भारत के राष्ट्रपति को की जाती हैं।
- भारत रत्न पुरस्कारों की संख्या एक विशेष वर्ष में अधिकतम तीन तक हो सकती है।
स्रोत: द हिंदू
हिमाचल प्रदेश का स्थापना दिवस
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने हिमाचल प्रदेश के राज्य स्थापना दिवस (25 जनवरी) पर लोगों को बधाई दी।
प्रमुख बिंदु
ब्रिटिश शासन के दौरान का इतिहास:
- वर्ष 1858 में रानी विक्टोरिया की घोषणा के बाद पहाड़ी ब्रिटिश क्षेत्र ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गए।
- ब्रिटिश शासन के दौरान चंबा, मंडी और बिलासपुर राज्यों ने कई क्षेत्रों में अच्छी प्रगति की।
- प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के दौरान पहाड़ी राज्यों के लगभग सभी शासक वफादार रहे और उन्होंने सैनिकों एवं आवश्यक सामग्रियों दोनों के रूप में ब्रिटिश युद्ध के प्रयासों में योगदान दिया।
स्वतंत्रता के बाद का इतिहास:
- स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद वर्तमान हिमाचल प्रदेश के इतिहास की रूपरेखा नीचे दी गई है:
- हिमाचल प्रदेश मुख्य आयुक्त प्रांत के रूप में 15 अप्रैल, 1948 को अस्तित्व में आया था।
- हिमाचल प्रदेश 26 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान के कार्यान्वयन के साथ ‘भाग C’ राज्य (भाग VII के तहत) बन गया।
- 1 जुलाई, 1954 को बिलासपुर को हिमाचल प्रदेश में मिला दिया गया।
- राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश के बाद 1 नवंबर, 1956 को हिमाचल प्रदेश केंद्रशासित प्रदेश बना।
- कांगड़ा और पंजाब के अधिकांश अन्य पहाड़ी क्षेत्रों को 1 नवंबर, 1966 को हिमाचल प्रदेश में मिला दिया गया, हालाँकि तब भी यह एक केंद्रशासित प्रदेश ही रहा।
- 18 दिसंबर, 1970 को हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम संसद द्वारा पारित किया गया और 25 जनवरी, 1971 को नया राज्य अस्तित्व में आया। इस प्रकार हिमाचल प्रदेश भारतीय संघ के अठारहवें राज्य के रूप में सामने आया। तब से हिमाचल प्रदेश ने एक लंबा सफर तय किया है। इसने कई पूर्ण सरकारों का कार्यकाल देखा है जिन्होंने राज्य को आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया है।
राज्य पुनर्गठन आयोग
- ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत के लिये 500 से अधिक रियासतों को प्रभावी प्रांतीय इकाइयों में पुनर्गठित करना सबसे बड़े कार्यों में से एक था।
- इसी क्रम में एस. के. धर आयोग (1948) और जेवीपी समिति (1948) ने भौगोलिक निकटता, प्रशासनिक सुविधा, वित्तीय आत्मनिर्भरता तथा विकास की क्षमता के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की बात की।
- हालाँकि आंध्र राज्य की मांग को लेकर भूख हड़ताल के बाद पोट्टी श्रीरामालू (Potti Srirammalu) की अचानक मौत के कारण एक अस्थिर स्थिति पैदा हो गई थी।
- वर्ष 1953 में फज़ल अली आयोग की स्थापना की गई और भाषायी मानदंडों (अन्य मानदंड भी शामिल थे) के आधार पर राज्य के पुनर्गठन हेतु इसकी सिफारिश को स्वीकार कर लिया गया था।
स्रोत: पी.आई.बी
यूएस फेडरल रिज़र्व और भारतीय बाज़ार
हाल ही में यूएस फेडरल रिज़र्व (अमेरिका का केंद्रीय बैंक) ने ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी का संकेत दिया है। इससे भारतीय बाज़ारों में घबराहट की स्थिति पैदा हो गई है।
फेडरल रिज़र्व द्वारा दरों में परिवर्तन या अन्य फैसलों से न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है, बल्कि यह अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक नीतियों पर एक निश्चित प्रभाव डालता है।
प्रमुख बिंदु
- फेडरल रिज़र्व और भारतीय बाज़ारों का सह-संबंध:
- भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में विकसित देशों जैसे- अमेरिका और कई (मुख्य रूप से पश्चिमी) यूरोपीय देशों की तुलना में उच्च मुद्रास्फीति तथा उच्च ब्याज दरें होती हैं।
- अत: वित्तीय संस्थान, विशेष रूप से विदेशी संस्थागत निवेशक (Foreign Institutional Investors- FIIs), कम ब्याज दरों पर अमेरिका से पैसा उधार लेकर उस पैसे को अधिक ब्याज दर पर उभरते देशों के सरकारी बॉण्ड में निवेश करते हैं।
- जब फेडरल रिज़र्व अपनी घरेलू ब्याज दरों को बढ़ाता है तो दोनों देशों की ब्याज दरों के बीच अंतर कम हो जाता है, इस प्रकार भारतीय मुद्रा बाज़ार के लिये कम आकर्षक रह जाता है।
- यह भारत को करेंसी कैरी ट्रेड (Currency Carry Trade) हेतु कम आकर्षक बनाता है जिसके परिणामस्वरूप कुछ धन के भारतीय बाज़ारों से बाहर निकलने और अमेरिका में वापस आने की उम्मीद की जा सकती है।
- करेंसी कैरी ट्रेड एक ऐसी रणनीति है जिसके तहत अधिक उपज वाली मुद्रा में निवेश के लिये कम उपज वाली मुद्रा का कम ब्याज दर के साथ व्यापार किया जाता है।
- इसलिये अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा के मूल्य में गिरावट आ रही है।
- भारत पर बढ़ी हुई ब्याज दरों का प्रभाव:
- इक्विटी मार्केट पर प्रभाव:
- वैश्विक बाज़ार में डॉलर की बढ़ती कमी से बॉण्ड यील्ड (Bond Yields) में बढ़ोतरी होगी।
- इससे पहले, भारत में ऋण और इक्विटी बाज़ारों में 40,000 करोड़ रुपए से अधिक का बहिर्वाह देखा गया था जो कि मज़बूत डॉलर एवं अमेरिका, चीन, यूरोपीय संघ तथा अन्य प्रमुख देशों के बीच व्यापार युद्ध से उत्पन्न अनिश्चितताओं का प्रतिफल था।
- निर्यात और विदेशी मुद्रा पर प्रभाव:
- भारत विश्व के सबसे बड़े कच्चे तेल आयातक देशों में से एक है।
- डॉलर की तुलना में कमज़ोर रुपए के परिणामस्वरूप कच्चे तेल का अधिक महंँगा आयात होता है जो पूरी अर्थव्यवस्था में और विशेष रूप से उन क्षेत्रों में लागत-संचालित मुद्रास्फीति (Cost-Driven Inflationary) को बढा सकता है जो कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।
- दूसरी ओर भारत के निर्यात विशेष रूप से आईटी और आईटी-सक्षम सेवाओं को रुपए के संबंध में मज़बूत डॉलर से कुछ हद तक लाभ होगा।
- हालांँकि निर्यात बाज़ार में मजबूत प्रतिस्पर्द्धा के कारण निर्यातकों को पूरी तरह से एक समान लाभ प्राप्त नहीं हो सकता है।
- इक्विटी मार्केट पर प्रभाव:
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
धार्मिक तीर्थयात्राओं पर भारत-पाकिस्तान संयुक्त प्रोटोकॉल, 1974
हाल ही में विदेश मंत्रालय (MEA) ने घोषणा की है कि भारत धार्मिक तीर्थयात्रा पर वर्ष 1974 के संयुक्त प्रोटोकॉल के उन्नयन पर पाकिस्तान के साथ बातचीत में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और संलग्न होने के लिये तैयार है।
- यह हवाई यात्रा की अनुमति देगा और साथ ही दोनों देशों के तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि कर सकता है।
- भारत सरकार करीब 20 महीने बाद पाकिस्तान में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा कॉरिडोर (Kartarpur Sahib Gurudwara Corridor) को फिर से खोलने पर विचार कर रही है ताकि सिख तीर्थयात्रियों को वहाँ से गुज़रने की अनुमति मिल सके। इसे कोविड -19 महामारी के कारण बंद कर दिया गया था।
- इससे पहले भारत तथा पाकिस्तान ने अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान किया था।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- प्रोटोकॉल के तहत दोनों देश ऐसे तीर्थस्थलों की यात्रा की सुविधा हेतु निम्नलिखित सिद्धांतों पर सहमत हुए हैं:
- धर्म या संप्रदाय के आधार पर भेदभाव के बिना एक देश से दूसरे देश में तीर्थ यात्रा की अनुमति दी जाएगी। जल्द ही पत्राचार के माध्यम से दर्शन किये जाने वाले तीर्थस्थलों की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा।
- सहमत सूची को समय-समय पर आपसी सहमति से बढ़ाया जा सकता है।
- प्रोटोकॉल में वर्तमान में भारतीय पक्ष में पाँच मुस्लिम तीर्थस्थल और पाकिस्तानी पक्ष में 15 तीर्थस्थल शामिल हैं, जिनमें से अधिकांश गुरुद्वारे हैं।
- प्रतिवर्ष एक देश से दूसरे देश में 20 दलों को यात्रा की अनुमति दी जा सकती है। इस संख्या को समय-समय पर संशोधित किया जा सकता है।
- यह सुनिश्चित करने के लिये हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिये कि सहमत सूची में उल्लिखित धार्मिक पूजा स्थलों का उचित रखरखाव हो और उनकी पवित्रता बनी रहे।
- ऐसे आगंतुकों/विज़िटर्स को विज़िटर कैटेगरी (Visitor Category) का वीजा दिया जाएगा।
- धर्म या संप्रदाय के आधार पर भेदभाव के बिना एक देश से दूसरे देश में तीर्थ यात्रा की अनुमति दी जाएगी। जल्द ही पत्राचार के माध्यम से दर्शन किये जाने वाले तीर्थस्थलों की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा।
- प्रोटोकॉल के तहत दोनों देश ऐसे तीर्थस्थलों की यात्रा की सुविधा हेतु निम्नलिखित सिद्धांतों पर सहमत हुए हैं:
- करतारपुर कॉरिडोर:
- करतारपुर कॉरिडोर पाकिस्तान के नारोवाल ज़िले में दरबार साहिब गुरुद्वारा को भारत के पंजाब प्रांत के गुरदासपुर ज़िले में डेरा बाबा नानक साहिब से जोड़ता है।.
- यह कॉरिडोर 12 नवंबर, 2019 को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती समारोह के अवसर पर बनाया गया था।
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 जनवरी, 2022
डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन
हाल ही में केंद्र सरकार ने ‘डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन’ को मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया है। इससे पहले डॉक्टर नागेश्वरन एक लेखक, शिक्षक और सलाहकार के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने भारत तथा सिंगापुर में कई बिज़नेस स्कूलों एवं प्रबंधन संस्थानों में अध्यापक के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी हैं। डॉक्टर नागेश्वरन ‘आईएफएमआर ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिज़नेस’ के डीन भी रह चुके हैं। इसके साथ ही वे ‘क्रिआ विश्वविद्यालय’ में अर्थशास्त्र के विजिटिंग प्रोफेसर भी हैं। डॉक्टर नागेश्वरन वर्ष 2019 से वर्ष 2021 तक प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अंशकालिक सदस्य के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। उन्होंने भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद से प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा और मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की है। ज्ञात हो कि मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) भारत सरकार में एक पद है, जो कि भारत सरकार के सचिव के पद के बराबर होता है। भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन का प्राथमिक कार्य वित्त मंत्रालय के तहत ‘आर्थिक मामलों के विभाग’ का नेतृत्त्व करना होगा।
नॉर्डिक 'क्लिंकर बोट्स’
संयुक्त राष्ट्र के सांस्कृतिक संगठन- यूनेस्को ने हाल ही में नॉर्डिक 'क्लिंकर बोट्स’ को अपनी विरासत सूची में शामिल कर लिया है। हज़ारों वर्षों तक लकड़ी की इन नावों ने उत्तरी यूरोप के लोगों को अपना व्यापार बढ़ाने और कभी-कभी समुद्र और महाद्वीपों में युद्ध करने में काफी मदद की। इसके ऐतिहासिक महत्त्व को देखते हुए दिसंबर माह में डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और स्वीडन ने संयुक्त रूप से 'क्लिंकर बोट्स’ को यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल करने की मांग की थी। ‘क्लिंकर’ शब्द का प्रयोग नाव की लकड़ी के बोर्डों को एक साथ बाँधे जाने के तरीके को संदर्भित करने हेतु किया जाता है। इतिहासकारों द्वारा एकत्रित साक्ष्यों के मुताबिक, ‘क्लिंकर’ तकनीक का विकास तकरीबन हज़ार वर्ष पूर्व कांस्य युग के दौरान हुआ था। यूनेस्को का यह निर्णय नाव-निर्माण तकनीकों की रक्षा और संरक्षण में मददगार होगा। अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने का यह निर्णय नॉर्डिक देशों को इस लुप्त होती परंपरा के अवशेषों को संरक्षित करने का प्रयास करने हेतु बाध्य करता है।
डिजिटल संसद एप
संसदीय कार्यवाही को न केवल सदस्यों के लिये बल्कि बड़े पैमाने पर जनता के लिये भी सुलभ बनाने के उद्देश्य से हाल ही में लोकसभा सचिवालय द्वारा 'डिजिटल संसद एप' लॉन्च किया गया है। 'डिजिटल संसद' एप के माध्यम से लोकसभा के कामकाज से संबंधित सभी जानकारी देखने की सुविधा प्राप्त होगी। इसे लोकसभा के दैनिक कार्य से संबंधित सभी जानकारी देखने के लिये वन-स्टॉप डेस्टिनेशन प्रदान करने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है। यह एप्लीकेशन आम लोगों को सभी संसद सदस्यों, सत्रों में उनकी भागीदारी और वर्ष 1947 के बाद से सभी बजट भाषणों के बारे में सामान्य जानकारी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा। इसके अलावा 12वीं लोकसभा से 17वीं लोकसभा तक सदन की समग्र कार्यवाही का संग्रह उपलब्ध रहेगा।
अंतर्राष्ट्रीय कस्टम दिवस
26 जनवरी, 2022 को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय कस्टम दिवस का आयोजन किया गया। इस वर्ष यह दिवस ‘डेटा संस्कृति को अपनाकर और डेटा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करके सीमा शुल्क डिजिटल परिवर्तन को बढ़ाना’ थीम के साथ आयोजित किया गया। यह दिवस विश्व भर की सीमाओं पर वस्तु एवं माल के प्रवाह की देखभाल के कार्य के लिये कस्टम अधिकारियों और एजेंसियों को सम्मानित करता है। विश्व सीमा शुल्क संगठन (WCO) द्वारा गठित यह दिवस वर्ष 1953 में बेल्जियम के ब्रुसेल्स में आयोजित सीमा शुल्क सहयोग परिषद (CCC) के उद्घाटन सत्र की शुरुआत को चिह्नित करता है। वर्ष 1994 में सीमा शुल्क सहयोग परिषद का नाम बदलकर विश्व सीमा शुल्क संगठन (WCO) कर दिया गया। यह एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है और वर्तमान में इसके कुल 183 सदस्य हैं।