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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 28 Jul, 2023
  • 25 min read
प्रारंभिक परीक्षा

स्टारफायर एल्गोरिथम

हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (Raman Research Institute- RRI) के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में अवांछित रेडियो फ्रीक्वेंसी इंटरफेरेंस (Radio Frequency Interference- RFI) से निपटने के लिये स्टारफायर नाम से एक एल्गोरिदम विकसित किया है जो अंतरिक्ष-आधारित खगोल विज्ञान मिशनों से प्राप्त डेटा को समृद्ध करता है।

स्टारफायर: 

  • परिचय: 
    • पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा में टेरेस्ट्रियल रेडियो फ्रीक्वेंसी इंटरफेरेंस का अनुकरण (Simulation of TerrestriAl Radio Frequency Interference in oRbits around Earth- STARFIRE) एक उन्नत एल्गोरिदम है जिसे अंतरिक्ष में अवांछित RFI संकेतों का अनुमान लगाने और मानचित्रण के लिये विकसित किया गया है।
      • STARFIRE एल्गोरिदम FM रेडियो स्टेशनों, Wi-Fi नेटवर्क, मोबाइल टावरों, रडार, उपग्रहों एवं संचार उपकरणों सहित विभिन्न स्रोतों द्वारा उत्सर्जित RFI का अनुमान और पहचान कर सकता है।
    • इस नवोन्मेषी एल्गोरिदम में अंतरिक्ष-आधारित खगोल विज्ञान मिशनों में क्रांति लाने और भविष्य में ऐसे मिशनों से प्राप्त डेटा को समृद्ध करने की क्षमता है।
    • इस एल्गोरिदम को विकसित करने के लिये वैज्ञानिकों ने कनाडा, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और दक्षिण अफ्रीका सहित छह देशों के FM ट्रांसमीटर स्टेशनों पर डेटा का उपयोग किया।
  • अनुप्रयोग: 
    • रेडियो खगोल विज्ञान को बढ़ावा:  
      • स्टारफायर अंतरिक्ष में अवांछित RFI संकेतों का अनुमान और मानचित्रण करके खगोलविदों को प्रारंभिक ब्रह्मांड का अध्ययन करने में मदद करता है।
      • यह ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने वाली 21-cm हाइड्रोजन रेखा का पता लगाने के लिये 40 से 200 मेगाहर्ट्ज़ रेंज के भीतर रेडियो एंटेना की ट्यूनिंग को सक्षम बनाता है।
    • इष्टतम उपकरण डिज़ाइन:  
      • एल्गोरिदम अंतरिक्ष-आधारित खगोल विज्ञान मिशनों के लिये उपकरणों को डिज़ाइन करने में सहायता करता है जो RFI की उपस्थिति में भी बेहतर ढंग से काम कर सकते हैं।
      • इससे भविष्य के मिशनों के लिये डेटा संग्रह करने और विश्लेषण में सुधार होता है।
    • PRATUSH मिशन का समर्थन:
      • स्टारफायर का उपयोग हाइड्रोजन से सिग्नल का उपयोग करके ब्रह्मांड के पुन: आयनीकरण की जाँच (Probing ReionizATion of the Universe using Signal from Hydrogen- PRATUSH) जैसे मिशनों में किया जाता है, इसका उद्देश्य चंद्रमा के सुदूर भाग से 21 सेमी हाइड्रोजन रेखा का उपयोग करके ब्रह्मांड में सितारों और आकाशगंगाओं की उत्पत्ति के बारे में अध्ययन करना है।
      • एल्गोरिदम सफल डेटा संग्रहण के लिये एंटेना और उपकरण घटकों को ठीक करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • कक्षा चयन:
      • यह अल्गोरिद्म आगामी अंतरिक्ष अभियानों के लिये कक्षा चयन में भी मदद कर सकती है।
      • यह न्यूनतम RFI कक्षाओं (मूल रूप से ~100 मेगाहर्ट्ज़ फ्रीक्वेंसी रेंज में) की पहचान करता है, जो उन्हें विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों के लिये उपयुक्त बनाता है।
    • नम्यता और अस्थिरता:
      • STARFIRE एंटेना संचारित एवं अधिगृहीत करने के गुणों को समायोजित करने हेतु नम्यता प्रदान करता है।
      • यह हमारी आकाशगंगा और ब्रह्मांड से खगोल भौतिकीय रेडियो संकेतों को शामिल करने में सक्षम बनाता है, जिससे अधिक सार्थक परिणाम प्राप्त होते हैं।
    • अनुप्रयोगों की विस्तृत शृंखला के लिये क्षमता:
      • STARFIRE कोड का सामान्य गणितीय सूत्रीकरण इसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिये अनुकूल बनाता है, जिससे न्यूनतम RFI कक्षाओं वाले मिशनों को लाभ होता है।

रेडियो फ्रीक्वेंसी इंटरफेस (RFI): 

  • RFI एक प्रकार का विद्युत चुंबकीय व्यतिकरण (EMI) है जो रेडियो फ्रीक्वेंसी के साथ संचालित होने वाले उपकरणों या सर्किट को प्रभावित करता है।
  • RFI अंतरिक्ष में उपग्रह संचार, नेविगेशन और रिमोट सेंसिंग सिस्टम की गुणवत्ता एवं विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकता है।
  • RFI, रेडियो टेलीस्कोप और रडार जैसे अंतरिक्ष-आधारित उपकरणों के वैज्ञानिक प्रेक्षण एवं मापन में भी हस्तक्षेप कर सकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

फेम इंडिया का दूसरा चरण

हाल ही में भारी उद्योग राज्य मंत्रालय ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में भारत में (हाइब्रिड और) इलेक्ट्रिक वाहनों को तेज़ी से अपनाने एवं विनिर्माण (फेम इंडिया) योजना चरण/फेज-II के विकास पर प्रकाश डाला।

  • देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles- EVs) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फेम इंडिया योजना ने इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करने और इलेक्ट्रिक गतिशीलता बुनियादी ढाँचे के विस्तार में महत्वपूर्ण प्रगति की है। 

फेम इंडिया फेज-II:

  • पृष्ठभूमि: 
    • ‘फेम इंडिया’ नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन (NEMM) का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। ‘फेम’ का मुख्य ज़ोर सब्सिडी प्रदान करके इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करना है।
    • योजना के दो चरण:
      • चरण-I: यह वर्ष 2015 में शुरू हुआ और 31 मार्च, 2019 को पूरा हो गया।
    • इस योजना में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक तकनीक जैसे- माइल्ड हाइब्रिड, स्ट्रांग हाइब्रिड, प्लग इन हाइब्रिड और बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं।
  • चरण-II:
    • अवधि: 1 अप्रैल, 2019 से पाँच वर्ष।
      • बजटीय सहायता: 10,000 करोड़ रुपए।
      • लक्ष्य: 7,090 e-बस, 5 लाख e-3 व्हीलर, 55,000 e-4 व्हीलर पैसेंजर कार और 10 लाख e-2 व्हीलर को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करना।
      • फोकस: सार्वजनिक और साझा परिवहन का विद्युतीकरण।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिये उठाए गए कदम:
    • EV चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार:
      • चरण-I के तहत: 520 चार्जिंग स्टेशन/बुनियादी ढाँचे को मंज़ूरी।
      • चरण-II: 25 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 68 शहरों में 2,877 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों तथा 9 एक्सप्रेस-वे और 16 राजमार्गों पर 1,576 चार्जिंग स्टेशनों को मंज़ूरी।
      • OMC के लिये पूंजीगत सब्सिडी: 7,432 इलेक्ट्रिक वाहनों के सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिये 800 करोड़ रुपए स्वीकृत।

फेम इंडिया योजना चरण-II के तहत बेचे गए इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का विवरण 21.07.2023 तक इस प्रकार है:

क्रमसं.

व्हीलर टाइप

पंजीकृत एवं पुनर्वैध मॉडल

पंजीकृत OEM

21.07.2023 तक FAME-II के तहत बेचे गए वाहनों की कुल संख्या 

1

2 व्हीलर 

45

25

7,40,722

2

3 व्हीलर 

96

28

83,420

3

4 व्हीलर 

34

3

8,982

कुल

175

56

8,32,824

  • इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये सरकारी प्रोत्साहन और सब्सिडी:
    • फेम इंडिया योजना चरण-II:
      • क्रेताओं के लिये EV की खरीद कीमत में अग्रिम कटौती।
    • ऑटोमोटिव क्षेत्र के लिये उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन (Production Linked Incentive Scheme- PLI Scheme) योजना:
      • इलेक्ट्रिक वाहनों सहित वाहनों के घरेलू विनिर्माण को समर्थन देने के लिये 25,938 करोड़ रुपए का बजटीय परिव्यय।
    • उन्नत रसायन विज्ञान सेल (Advanced Chemistry Cell- ACC) के लिये PLI योजना:
      • देश में प्रतिस्पर्द्धी ACC बैटरी मैन्युफैक्चरिंग सेटअप स्थापित करने के लिये 18,100 करोड़ रुपए का बजटीय परिव्यय।
  • GST और छूट में कमी:  
  • छूट और शुल्क माफ: 
    • बैटरी से चलने वाले वाहनों को परमिट आवश्यकताओं में छूट दी जाती है, उन्हें हरे रंग की लाइसेंस प्लेट प्रदान की जाती है। 
    • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने राज्यों को प्रारंभिक लागत कम करने के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों पर रोड शुल्क माफ करने की सलाह दी। 
  • ई-गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिये जागरूकता पहल: 
    • भारत के कॉलेजों/विश्वविद्यालयों और संस्थानों में इलेक्ट्रिक वाहनों के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु विभिन्न पहलें। 
    • इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित जागरूकता कार्यक्रमों के लिये इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (ICAT) के साथ सहयोग। 

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

व्हाइट लेबल एटीएम

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने गैर-बैंक कंपनियों को व्हाइट लेबल एटीएम (White Label ATM- WLA) स्थापित करने, स्वामित्व तथा संचालन की अनुमति देकर विशेष रूप से टियर III से VI केंद्रों में ATM पहुँच को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है।

  • ये WLA बैंकों द्वारा जारी किये गए कार्डों के आधार पर ग्राहकों को विभिन्न बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करते हैं तथा RBI ने उनकी व्यवहार्यता और कार्यप्रणाली में सुधार के लिये उपाय लागू किये हैं।
  • अब तक चार अधिकृत गैर-बैंक संस्थाएँ देश में व्हाइट लेबल एटीएम का संचालन कर रही हैं।

व्हाइट लेबल एटीएम:

  • परिचय: 
    • गैर-बैंकों द्वारा स्थापित, स्वामित्व और संचालित ATM को WLA कहा जाता है।
    • गैर-बैंक ATM ऑपरेटर RBI द्वारा भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत अधिकृत हैं।
    • वे बैंकों द्वारा जारी डेबिट/क्रेडिट/प्रीपेड कार्ड का उपयोग करके ग्राहकों को बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करते हैं।
    • नकद वितरण के अलावा WLAs खाता जानकारी, नकद जमा, बिल भुगतान, मिनी स्टेटमेंट, पिन चेंज और चेक बुक अनुरोध जैसी सेवाएँ प्रदान करते हैं।
  • WLA की उपस्थिति और व्यवहार्यता बढ़ाने के लिये कदम:
    • कैश सोर्सिंग फ्लेक्सिबिलिटी:
      • नकदी सोर्सिंग की बाधाओं को दूर करने के लिये WLA को खुदरा दुकानों से नकदी प्राप्त करने की अनुमति है।
        • विमुद्रीकरण (500 रुपए और 1000 रुपए के बैंक नोट) के पश्चात् WLA को अपने प्रायोजक बैंकों से नकदी जुटाने में कठिनाई हो रही है।
      • WLA संचालक सीधे रिज़र्व बैंक और मुद्रा तिजोरी से थोक नकदी क्रय कर सकते हैं।
      • वे सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अतिरिक्त किसी भी अनुसूचित बैंक से नकदी प्राप्त कर सकते हैं।
    • विस्तारित सेवाएँ और साझेदारी:
      • WLA को बिल भुगतान एवं अंतर-संचालित नकद जमा सेवाएँ प्रदान करने की अनुमति है।
      • वे राजस्व प्रवाह को बढ़ाने वाले गैर-वित्तीय उत्पादों/सेवाओं हेतु विज्ञापन प्रदर्शित कर सकते हैं।
      • बैंक अधिकृत WLA संचालकों के साथ साझेदारी में सह-ब्रांडेड एटीएम कार्ड जारी कर सकते हैं।
      • इससे WLA को 'ऑन-अस (on-us)' लेन-देन की सुविधा मिलती है, जिससे ग्राहकों में उनका आकर्षण बढ़ता है।
    • सदा-सुलभ प्राधिकार: 
      • RBI ने गैर-बैंक अभिकर्ताओं को एटीएम उद्योग के प्रति अधिक प्रोत्साहित करने के लिये WLA के सदा-सुलभ (ऑन-टैप) प्राधिकरण की शुरुआत की।
      • यह सुव्यवस्थित अनुमोदन प्रक्रिया WLA की स्थापना को सरल बनाता है एवं अधिक प्रतिस्पर्द्धा को भी बढ़ावा देता है।
    • एटीएम पहुँच बढ़ाने पर केंद्रित:
      • अल्प सेवा वाले क्षेत्रों में बैंकिंग पहुँच में सुधार हेतु टियर III से VI केंद्रों में एटीएम पहुँच बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
      • WLA व्यापक ग्राहक आधार को सुविधाजनक बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करके इस उद्देश्य को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • उपभोक्ता शिकायतों और संरक्षण को सुविधाजनक बनाना:
      • RBI का उपभोक्ता शिक्षा एवं संरक्षण विभाग WLA के विरुद्ध शिकायतों का समाधान करता है।
        • अप्रैल 2022 से जून 2023 तक RBI के उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण सेल (Consumer Education and Protection Cells- CEPC) द्वारा 98 शिकायतें प्राप्त हुईं और उनका निपटारा किया गया।
      • RBI ने शिक्षा और वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के लिये कई कदम उठाए हैं, जिनमें से एक पहल वित्तीय शिक्षा हेतु राष्ट्रीय रणनीति (NSFE) 2020-2025 है। 

ATM के विभिन्न प्रकार:

ATM के प्रकार  

विवरण 

  • ब्राउन लेबल ATM  
  • ATM जहाँ हार्डवेयर और मशीन का पट्टा (Lease) एक सेवा प्रदाता के स्वामित्व में होता है, लेकिन नकदी प्रबंधन एवं बैंकिंग नेटवर्क से कनेक्टिविटी एक प्रायोजक बैंक द्वारा प्रदान की जाती है।
  • उनके पास बैंक की ब्रांडिंग है।  
  • ऑरेंज लेबल ATM  
  • शेयर लेन-देन के लिये ATM उपलब्ध कराए गए। 
  • इनका उपयोग मुख्य रूप से निवेशकों और व्यापारियों द्वारा स्टॉक एवं प्रतिभूतियों को खरीदने तथा बेचने के लिये किया जाता है। 
  • येलो लेबल ATM  
  • ATM ई-कॉमर्स के उद्देश्य से स्थापित किये गए हैं।  
  • इनका उपयोग मुख्य रूप से ऑनलाइन शॉपर्स और व्यापारियों द्वारा भुगतान एवं खरीदारी करने के लिये किया जाता है।  
  • पिंक लेबल ATM  
  • ATM की निगरानी गार्ड द्वारा की जाती है जो यह सुनिश्चित करते हैं कि केवल महिलाएँ ही इन ATM तक पहुँचें। इन्हें महिला ग्राहकों को सुरक्षा और सुविधा प्रदान करने हेतु स्थापित किया गया है।
  • ग्रीन लेबल ATM   
  • कृषि लेन-देन के लिये ATM उपलब्ध कराए जाते हैं।   
  • इनका उपयोग मुख्य रूप से किसानों और ग्रामीण ग्राहकों द्वारा विभिन्न बैंकिंग आवश्यकताओं के लिये किया जाता है।   

स्रोत: पी.आई.बी.


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 28 जुलाई, 2023

संसाधन दक्षता चक्रीय अर्थव्यवस्था उद्योग गठबंधन

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने चेन्नई में चौथी G-20 पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह (Environment and Climate Sustainability Working Group- ECSWG) की बैठक के दौरान संसाधन दक्षता चक्रीय अर्थव्यवस्था उद्योग गठबंधन (Resource Efficiency Circular Economy Industry Coalition- RECEIC) का शुभारंभ किया।

  • ECSWG का लक्ष्य स्थायी भविष्य के लिये G20 देशों के बीच सहयोग बढ़ाना है।
  • RECEIC, 39 बहुराष्ट्रीय निगमों के साथ अपशिष्ट से पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिये संसाधन दक्षता और चक्रीय अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को अपनाने का लक्ष्य रखता है।
  • यह प्लास्टिक, माइक्रोप्लास्टिक्स, ई-अपशिष्ट और रासायनिक अपशिष्ट जैसी समस्याओं से निपटने पर केंद्रित है।
  • विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producers’ Responsibility- EPR) दिशा-निर्देशों के माध्यम से प्लास्टिक अपशिष्ट के बोझ को कम करने में भारत के प्रयासों पर ज़ोर दिया गया है।
    • वर्ष 2021-22 में भारत में 41 लाख टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हुआ, जिसमें 30 लाख टन पंजीकृत रिसाइक्लर्स और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रोसेसर को आवंटित किया गया।
    • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रोसेसर्स द्वारा 2.6 मिलियन टन मूल्य के EPR प्रमाणपत्र तैयार किये गए, वर्ष 2022-23 दायित्वों के मुकाबले PIBO द्वारा लगभग 1.51 मिलियन टन की खरीद की गई।

और पढ़ें…भारत की चक्रीय क्रांति

मधुमक्खी आहार पर पराग विविधता का प्रभाव 

टेक्सास ए एंड एम एग्रीलाइफ रिसर्च के शोधकर्ता मधुमक्खी आहार पर पराग विविधता के प्रभाव और पराग संग्रह एवं खपत के विनियमन के बारे में जानकारी एकत्रित कर रहे हैं।

  • इससे वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं, मधुमक्खियाँ अपने प्रोटीन-लिपिड सेवन को संतुलित करती हैं और आवश्यकता से अधिक किसी भी पोषक तत्त्व का उपभोग नहीं करती हैं।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में वार्षिक रूप से 40% से अधिक प्रबंधित मधुमक्खियों की संख्या में गिरावट के लिये अपर्याप्त पोषण और परिदृश्य परिवर्तन ज़िम्मेदार हैं।
    • पोषण संबंधी कमी का मधुमक्खियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  • शोधकर्ताओं की प्राथमिक परिकल्पना यह है कि मधुमक्खियाँ दो-स्तरीय प्रक्रिया का उपयोग करके अपने कई पोषक तत्त्वों के सेवन को अत्यधिक कढ़ाई के साथ नियंत्रित करती हैं।
    • सर्वप्रथम विचरण करने वाली मधुमक्खियाँ विवेकपूर्ण तरीके से पराग को पोषण सामग्री के रूप में एकत्रित करती हैं।
    • इसके पश्चात् नर्स मधुमक्खियाँ अपने पोषक तत्त्वों के सेवन को संतुलित करने के लिये संचित पराग या मक्षिकादन को चुनिंदा रूप से खाती हैं।
  • शोध के निष्कर्ष मधुमक्खी पालकों को मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेंगे, जिससे वे आवश्यक आहार प्रदान करने और स्वास्थ्य में सुधार करने में सक्षम होंगे।

भारत एशियाई युवा और जूनियर भारोत्तोलन चैंपियनशिप 2023 की मेज़बानी 

हाल ही में ग्रेटर नोएडा के गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में एशियन यूथ और जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप 2023 का उद्घाटन किया गया।

  • यह पहली बार है कि भारत इस आयोजन की मेज़बानी कर रहा है। चैंपियनशिप में एशिया से 15 से अधिक देश भागीदारी कर रहे हैं।
  • हाल ही में भारत के वेटलिफ्टरों ने वेटलिफ्टिंग कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में रिकॉर्ड तोड़ 61 पदक जीते।

और पढ़ें… महत्त्वाकांक्षी भारत में खेल की भूमिका

FDA द्वारा ओवर-द-काउंटर जन्म नियंत्रण गोली (Opill) को मंज़ूरी 

संयुक्त राष्ट्र FDA ने हाल ही में पहली ओवर-द-काउंटर जन्म नियंत्रण गोली Opill को मंज़ूरी दे दी है।

  • Opill एक प्रोजेस्टिन गोली है जो गर्भाशय ग्रीवा बलगम को गाढ़ा करने और गर्भाशय की परत को पतला करके गर्भावस्था को रोकने के लिये नॉरगेस्ट्रेल नामक सिंथेटिक हार्मोन का उपयोग करती है।
  • स्तनपान कराने वाली माताओं, एस्ट्रोजेन के प्रति असहिष्णु लोगों और कुछ विशिष्ट स्वास्थ्य समस्याओं वाले व्यक्तियों को Opill की सलाह दी जाती है।
  • Opill का उपयोग आपातकालीन गर्भनिरोधक के रूप में अथवा अन्य हाॅर्मोनल जन्म नियंत्रण विधियों के साथ नहीं किया जाना चाहिये। 

और पढ़ें…गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) अधिनियम 2021


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