प्रारंभिक परीक्षा
परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022
हाल ही में लोकसभा ने परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया, जो हिमाचल प्रदेश और नगालैंड में पारिवारिक न्यायालयों की स्थापना के लिये परिवार न्यायालय अधिनियम, 1984 में संशोधन करने का प्रयास करता है।
परिवार न्यायालय एक्ट 1984:
- पारिवारिक न्यायालयों की स्थापना:
- पारिवारिक न्यायालय अधिनियम, 1984 को पारिवारिक न्यायालयों की स्थापना के लिये अधिनियमित किया गया था ताकि सुलह को बढ़ावा दिया जा सके और विवाह तथा पारिवारिक मामलों एवं संबंधित विवादों का त्वरित निपटारा सुनिश्चित किया जा सके।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति:
- राज्य सरकार, उच्च न्यायालय की सहमति से एक या अधिक व्यक्तियों को परिवार न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर सकती है।
- समाज कल्याण एजेंसियों का संघ:
- राज्य सरकार निम्नलिखित के लिये पारिवारिक न्यायालय की व्यवस्था कर सकती है:
- समाज कल्याण में लगे संस्थान या संगठन।
- परिवार के कल्याण को बढ़ावा देने में पेशेवर रूप से लगे व्यक्ति।
- समाज कल्याण के क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति।
- कोई अन्य व्यक्ति जिसका परिवार न्यायालय के साथ जुड़ाव इस अधिनियम के उद्देश्यों के अनुसार अपने अधिकार क्षेत्र का अधिक प्रभावी ढंग से प्रयोग करने में सक्षम होगा।
- राज्य सरकार निम्नलिखित के लिये पारिवारिक न्यायालय की व्यवस्था कर सकती है:
परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक:
- यह 15 फरवरी, 2019 से हिमाचल प्रदेश राज्य में और 12 सितंबर, 2008 से नगालैंड राज्य में परिवार न्यायालय की स्थापना के लिये प्रावधान करना चाहता है।
- यह परिवार न्यायालय (संशोधन) अधिनियम, 2022 के प्रारंभ होने से पहले हिमाचल प्रदेश और नगालैंड की राज्य सरकारों और उन राज्यों के परिवार न्यायालय द्वारा किये गए उक्त अधिनियम के तहत सभी कार्यों को पूर्वव्यापी रूप से मान्यता प्रदान करने के लिये एक नई धारा 3ए सम्मिलित करना चाहता है।
- विधेयक के अनुसार, परिवार न्यायालय के जज की नियुक्ति के सभी आदेश और अधिनियम के तहत ऐसे जज की पोस्टिंग, प्रमोशन या ट्रांसफर भी दोनों राज्यों में मान्य होंगे।
संशोधन की आवश्यकता:
- 26 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्थापित और कार्यरत कुल 715 परिवार न्यायालय हैं, जिनमें से हिमाचल प्रदेश राज्य में तीन परिवार न्यायालय और नगालैंड राज्य में दो परिवार न्यायालय शामिल हैं।
- हालाँकि हिमाचल और नगालैंड के लिये इन राज्यों में उक्त अधिनियम को लागू करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी नहीं की गई थी।
- हिमाचल प्रदेश राज्य में पारिवार न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र की कमी के मुद्दे को हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई है।
- यह कहा गया था कि चूँकि केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश राज्य में परिवार न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने के लिये कोई अधिसूचना जारी नहीं की है, ऐसे न्यायालय अधिकार क्षेत्र के बिना कार्य कर रहे हैं और उक्त अधिनियम के तहत किया गया कोई भी कार्य या की गई कोई भी कार्रवाई शुरू से ही शून्य प्रतीत होती है। (स्थापना का कोई कानूनी प्रभाव न होना)।
- नगालैंड में भी परिवार न्यायालय का संचालन वर्ष 2008 से बिना किसी कानूनी अधिकार के किया जा रहा था।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
निर्यात हेतु व्यापार अवसंरचना योजना (TIES)
हाल ही में केंद्र सरकार ने निर्यात हेतु व्यापार अवसंरचना योजना (TIES) पहल के तहत निर्यात को बढ़ावा देने के लिये राज्यों को 206 करोड़ रुपए जारी किये हैं।
- TIES के तहत वित्त वर्ष 2019-20 से 2022-23 के दौरान 27 निर्यात बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये वित्तीय सहायता को मंज़ूरी दी गई है।
निर्यात हेतु व्यापार अवसंरचना योजना (TIES):
- परिचय:
- केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने वर्ष 2017 में निर्यात योजना (TIES) के लिये व्यापार बुनियादी ढाँचा शुरू किया।
- वर्ष 2015 में निर्यात और विकास के लिये बुनियादी ढाँचा तैयार करने तथा सहायता (ASIDE) योजना से राज्यों के अलग होने के बाद राज्य सरकारें लगातार निर्यात बुनियादी ढाँचे के निर्माण हेतु केंद्र से समर्थन का अनुरोध कर रही थीं।
- केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने वर्ष 2017 में निर्यात योजना (TIES) के लिये व्यापार बुनियादी ढाँचा शुरू किया।
- उद्देश्य:
- निर्यात की वृद्धि के लिये उपयुक्त बुनियादी ढाँचे के निर्माण में केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों की सहायता करना।
- कार्य क्षेत्र:
- इस योजना का लाभ राज्यों द्वारा अपनी कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से महत्त्वपूर्ण निर्यात लिंकेज जैसे- सीमा बाज़ार, भूमि, सीमा शुल्क केंद्र, गुणवत्ता परीक्षण और प्रमाणन प्रयोगशाला, कोल्ड चेन, व्यापार संवर्द्धन केंद्र, निर्यात वेयरहाउसिंग तथा पैकेजिंग, SEZ एवं बंदरगाहों/हवाई अड्डे, कार्गो टर्मिनल के साथ बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये लिया जा सकता है।
- वित्तीय सहायता की सीमा:
- बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिये केंद्र सरकार की सहायता अनुदान सहायता के रूप में होगी, आमतौर पर कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा लगाई जा रही इक्विटी या परियोजना में यह कुल इक्विटी के 50% से अधिक नहीं होगी।
- उत्तर-पूर्वी राज्यों, हिमालयी राज्यों में स्थित परियोजनाओं के मामले में (जम्मू-कश्मीर, लद्दाख संघ शासित प्रदेशों सहित) यह अनुदान कुल इक्विटी का 80% तक हो सकता है।
- बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिये केंद्र सरकार की सहायता अनुदान सहायता के रूप में होगी, आमतौर पर कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा लगाई जा रही इक्विटी या परियोजना में यह कुल इक्विटी के 50% से अधिक नहीं होगी।
- उन परियोजनाओं की नकारात्मक सूची जिन पर इस योजना के तहत विचार नहीं किया जाएगा:
- ऐसी परियोजनाएँ जो टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, IT जैसी क्षेत्र विशिष्ट योजनाओं के अंतर्गत आती हैं।
- सामान्य बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ जैसे राजमार्ग, बिजली आदि।
- सामान्य बुनियादी ढाँचागत परियोजनाएँ जैसे राजमार्ग, बिजली आदि।
- ऐसी परियोजनाएँ जहाँ अत्यधिक निर्यात लिंकेज स्थापित नहीं किया जा सकता है।
स्रोत:पी.आई.बी.
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 28 जुलाई, 2022
इंदरमीत गिल
हाल ही में भारतीय अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल को विश्व बैंक (World Bank) का मुख्य अर्थशास्त्री (World Bank Chief Economist) घोषित गया है। वह इस पद पर अमेरिकी अर्थशास्त्री कारमेन रेनहार्ट (Carmen Reinhart) का स्थान लेंगे। इंदरमीत गिल की नियुक्ति 1 सितंबर, 2022 को होगी। मुख्य अर्थशास्त्री के पद पर वे व्यापक आर्थिक असंतुलन, ग्रोथ, गरीबी, इंस्टीट्यूशंस, कनफ्लिक्ट और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दों पर सरकारों के साथ काम करेंगे। वर्तमान समय में गिल वर्ल्ड बैंक में इक्विटेबल ग्रोथ (Equitable Growth), फाइनेंस और इंस्टीट्यूशंस के वाइस-प्रेसिडेंट(Finance and Institutions Vice President) हैं। वह विश्व बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में सेवा देने वाले दूसरे भारतीय होंगे। उनसे पहले कौशिक बसु ने वर्ष 2012 से वर्ष 2016 तक मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में काम किया था। विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इसकेे वरिष्ठ अर्थशास्त्री होते हैं। उन्हें विश्व बैंक की समग्र अंतर्राष्ट्रीय विकास रणनीति और आर्थिक अनुसंधान एजेंडे को बौद्धिक नेतृत्व एवं दिशा प्रदान करने का काम सौंपा गया है, यह कार्य देश, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रदान किया जाता है। वह विश्व बैंक की वरिष्ठ प्रबंधन टीम के सदस्य होते हैं तथा आर्थिक मुद्दों पर अध्यक्ष एवं प्रबंधन को सलाह देते हैं। विश्व बैंक एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान है, जो कम आय और मध्यम आय वाले देशों की सरकारों को परियोजनाएँ शुरू करने के लिये ऋण एवं अनुदान प्रदान करता है। पुनर्निर्माण तथा विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक (IBRD) और अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA) को सामूहिक रूप से विश्व बैंक कहा जाता है।
राष्ट्रमंडल खेल 2022
28 जुलाई, 2022 से राष्ट्रमंडल खेल 2022 ब्रिटेन में शुरू हो रहे हैं। इसका उद्घाटन समारोह बर्मिघम में होगा। 72 देशों के पाँच हज़ार से अधिक एथलीट 19 प्रतिस्पर्द्धाओं में 280 पदकों के लिये मुकाबला करेंगे। भारत के दल में 215 सदस्य हैं और वे 16 प्रतिस्पर्द्धाओं में हिस्सा लेंगे। भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु भारतीय दल का नेतृत्व करेंगी। पहले राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन वर्ष 1930 में हैमिल्टन, कनाडा में किया गया था, जहाँ 11 देशों ने छह खेलों और 59 कार्यक्रमों में भाग लेने के लिये 400 एथलीटों को भेजा था। वर्ष 1930 से हर चार वर्ष बाद (द्वितीय विश्व युद्ध के कारण वर्ष 1942 और वर्ष 1946 को छोड़कर) इन खेलों का आयोजन किया जाता है।
आईसीसी महिला एकदिवसीय विश्व कप 2025
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के अनुसार, भारत वर्ष 2025 के ICC महिला एकदिवसीय विश्व कप की मेज़बानी करेगा। परिषद ने 26 जुलाई, 2022 को वर्ष 2024 से वर्ष 2027 तक ICC महिला विश्व कप की मेज़बानी के लिये चार देशों का चयन किया है। ये देश भारत, बांगलादेश, इंग्लैंड और श्रीलंका हैं। बांगलादेश वर्ष 2024 में महिला टी-20 विश्व कप प्रतियोगिता का मेज़बान होगा, जबकि इसका वर्ष 2026 का संस्करण इंग्लैंड में आयोजित किया जाएगा। वहीं श्रीलंका वर्ष 2027 के महिला टी-20 चैंपियंस ट्रॉफी की मेज़बानी करेगा लेकिन यह इस पर निर्भर करेगा कि वह प्रतियोगिता के लिये क्वालीफाई करे। मेज़बान देशों का चयन ICC बोर्ड की उपसमिति की देखरेख में संचालित बोली प्रक्रिया के ज़रिये किया गया। समिति में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष सौरव गांगुली भी शामिल थे। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) देश में क्रिकेट के लिये राष्ट्रीय शासकीय निकाय है। बोर्ड तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत है और इसका गठन दिसंबर 1928 में किया गया था। यह राज्य क्रिकेट संघों का संघ है तथा राज्य संघों के प्रतिनिधि निर्धारित समय पर BCCI के अधिकारियों का चुनाव करते हैं। BCCI भारतीय क्रिकेट को पोषित करता है एवं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट की भागीदारी सुनिश्चित करता है। बोर्ड का मुख्यालय मुंबई में है।