प्रारंभिक परीक्षा
वायुमंडलीय नदियाँ
दिसंबर 2022 से ही कैलिफोर्निया में सर्दी का मौसम काफी नम रहा है और इसका प्रमुख कारण 11 वायुमंडलीय नदियों द्वारा डाला गया प्रभाव है।
वायुमंडलीय नदियाँ:
- परिचय:
- वायुमंडलीय नदियाँ (आकाश में नदियों की भाँति) वायुमंडल में अपेक्षाकृत लंबे, संकरे क्षेत्र हैं जो अधिकांश जल वाष्प को कटिबंधों से बाहर ले जाते हैं।
- "पाइनएप्पल एक्सप्रेस" नामक एक उल्लेखनीय वायुमंडलीय नदी हवाई के पास से ऊष्मा तथा नमी ग्रहण करती है।
- जब पाइनएप्पल एक्सप्रेस पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में बहती है, तो इससे भारी वर्षा और हिमपात होता है। कैलिफोर्निया में एक दिन में 5 इंच तक वर्षा हो सकती है।
- वायुमंडलीय नदियाँ आमतौर पर अत्यधिक उष्णकटिबंधीय उत्तरी प्रशांत/अटलांटिक, दक्षिण-पूर्वी प्रशांत और दक्षिण अटलांटिक महासागरों में पाई जाती हैं, जो अक्सर उत्तर एवं दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तटों पर भूस्खलन का निर्माण करती हैं। अन्य क्षेत्र जो वायुमंडलीय नदी द्वारा भूस्खलन का अनुभव करते हैं, उनमें ग्रीनलैंड, अंटार्कटिका और दक्षिण-मध्य संयुक्त राज्य शामिल हैं।
- वायुमंडलीय नदियाँ (आकाश में नदियों की भाँति) वायुमंडल में अपेक्षाकृत लंबे, संकरे क्षेत्र हैं जो अधिकांश जल वाष्प को कटिबंधों से बाहर ले जाते हैं।
- निर्माण:
- वायुमंडलीय नदियाँ आमतौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में निर्मित होती हैं। गर्म तापमान के कारण समुद्र का जल वाष्पित हो जाता है और वातावरण में ऊपर उठता है। तेज़ हवाएँ जलवाष्प को वायुमंडल में ले जाने में मदद करती हैं।
- जैसे-जैसे वायुमंडलीय नदियाँ भूमि के ऊपर से गुजरती हैं, जल वाष्प वायुमंडल में दूर तक फैल जाता है। कुछ समय पश्चात् ये जल की बूंदें ठंडी हो जाती हैं, जो वर्षा के रूप में प्राप्त होती हैं।
- प्रभाव:
- महत्त्व:
- सभी वायुमंडलीय नदियाँ आपदा का कारण नहीं बनती हैं; अधिकांश नदी प्रणालियाँ कमज़ोर हैं जो अक्सर लाभकारी बारिश करती हैं जो जल की आपूर्ति के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- जलवायु परिवर्तन:
- जलवायु परिवर्तन से विश्व के कुछ क्षेत्रों, विशेष रूप से मध्य अक्षांशों में वायुमंडलीय नदियों की आवृत्ति एवं तीव्रता में वृद्धि होने की उम्मीद है।
- इसके जल संसाधन प्रबंधन, बाढ़ नियंत्रण और सार्वजनिक नीति के अन्य क्षेत्रों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं।
- जलवायु परिवर्तन से विश्व के कुछ क्षेत्रों, विशेष रूप से मध्य अक्षांशों में वायुमंडलीय नदियों की आवृत्ति एवं तीव्रता में वृद्धि होने की उम्मीद है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
भू-चुंबकीय तूफान
राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (National Oceanic and Atmospheric Administration-NOAA) के अनुसार, हाल ही में पृथ्वी एक शक्तिशाली भू-चुंबकीय तूफान से प्रभावित हुई, जिसकी गंभीरता G4 श्रेणी की थी।
- G4 श्रेणी की गंभीरता संभावित रूप से द्वितीय उच्चतम श्रेणी है, यह पावर ग्रिड के लिये व्यापक वोल्टेज नियंत्रण संबंधी समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। सुरक्षा प्रणालियों को गलती से ग्रिड की प्रमुख विद्युत संपत्तियों को ट्रिप करने का कारण भी बन सकता है।
नोट: NOAA, G1 श्रेणी से प्रारंभ होने वाले पैमाने पर भू-चुंबकीय तूफानों को श्रेणीकृत करता है, जो ध्रुवों के आस-पास ऑरोरा गतिविधि में वृद्धि एवं विद्युत की आपूर्ति में मामूली उतार-चढ़ाव का कारण बन सकता है। यह श्रेणी G5 तक हो सकती है, जिसमें कैरिंगटन इवेंट जैसे चरम मामले शामिल हैं- जिसमें एक विशाल सौर तूफान जो सितंबर 1859 में आया था, जिसने पूरे विश्व में टेलीग्राफ सेवाओं को बाधित किया था और औरोरा इतना चमकीला एवं शक्तिशाली था कि वह बहामास के दक्षिण में दिखाई दे रहा था।
भू-चुंबकीय तूफान:
- भू-चुंबकीय तूफान सौर उत्सर्जन के कारण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में व्यवधान को संदर्भित करता है।
- कोरोनल मास इजेक्शन (CME) या उच्च गति वाली सौर पवन पृथ्वी ग्रह पर आते ही मैग्नेटोस्फीयर से टकरा जाती है।
- पृथ्वी का मैग्नेटोस्फीयर इसके चुंबकीय क्षेत्र द्वारा निर्मित है और यह सामान्यतः सूर्य द्वारा उत्सर्जित कणों से हमारी रक्षा करता है।
- एक CME या उच्च गति वाली सौर धारा जब पृथ्वी पर आती है तो पृथ्वी ग्रह के मैग्नेटोस्फीयर में प्रवेश करती है। नतीजतन अत्यधिक ऊर्जावान सौर पवन के कण नीचे प्रवाहित हो सकते हैं एवं ध्रुवों के ऊपर हमारे वातावरण से टकरा सकते हैं।
- इस तरह के सौर मौसमी घटनाएँ ऑरोरा को भी सुपरचार्ज कर सकती हैं, जिससे वे कभी-कभार उन स्थानों पर दिखाई दे सकते हैं जहाँ वे पहले नहीं बनते थे।
ऐसे तूफान का प्रभाव:
- अंतरिक्ष मौसम:
- सभी सौर प्रज्वाल पृथ्वी तक नहीं पहुँचते हैं लेकिन सौर प्रज्वाल/तूफान, सौर ऊर्जावान कण (Solar Energetic Particles- SEP), उच्च गति वाली सौर पवन और CME जो पृथ्वी तक आते हैं, पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष एवं ऊपरी वायुमंडल के मौसम को प्रभावित कर सकते हैं।
- अंतरिक्ष यान संचालन में समस्याएँ:
- सौर तूफान ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS), रेडियो और उपग्रह संचार जैसी अंतरिक्ष-निर्भर सेवाओं के संचालन को प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही विमान उड़ान एवं अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम इस संदर्भ में ज़्यादा संवेदनशील हैं।
- मैग्नेटोस्फीयर में गड़बड़ी:
- यह संभावित रूप से पृथ्वी के चारों ओर फैले सुरक्षा कवच, मैग्नेटोस्फीयर में गड़बड़ी पैदा कर सकता है।
- इससे स्पेसवॉक के समय अंतरिक्ष यात्रियों को वातावरण के परिरक्षण तंत्र के बाहर सौर विकिरण के संपर्क में आने का ज़ोखिम बना रहता है।
सौर तूफान की भविष्यवाणी:
- सौर भौतिक विज्ञानी और अन्य वैज्ञानिक सामान्य रूप से सौर तूफानों तथा सौर गतिविधियों की भविष्यवाणी करने के लिये कंप्यूटर मॉडल का उपयोग करते हैं।
- वर्तमान मॉडल तूफान के आगमन का समय और उसकी गति की भविष्यवाणी करने में सक्षम हैं।
- हालाँकि तूफान की संरचना अथवा अभिविन्यास का अब भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
- मैग्नेटोस्फीयर से अधिक तीव्र प्रतिक्रियाएँ और अधिक तीव्र चुंबकीय तूफान विशिष्ट चुंबकीय क्षेत्र दिशाओं के परिणामस्वरूप हो सकते हैं।
- लगभग हर गतिविधि के लिये उपग्रहों पर बढ़ती वैश्विक निर्भरता को देखते हुए बेहतर अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान और उपग्रहों की सुरक्षा के अधिक प्रभावी तरीकों की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न: यदि कोई मुख्य सौर तूफान (सौर प्रज्वाल) पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पृथ्वी पर निम्नलिखित में से कौन-से संभव प्रभाव होंगे? (2022)
नीचे दिये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (c) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
अर्थ ऑवर
अर्थ ऑवर एक विश्वव्यापी आंदोलन है जो व्यक्तियों, समुदायों और व्यवसायों को एक घंटे के लिये गैर-आवश्यक विद्युत लाइट्स बंद करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये आयोजित किया जाता है।
- यह पृथ्वी ग्रह के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में मार्च महीने के आखिरी शनिवार को आयोजित किया जाता है।
अर्थ आवर/पृथ्वी काल:
- परिचय:
- ‘अर्थ आवर’ वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड फॉर नेचर (WWF) की वार्षिक पहल है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2007 में हुई थी।
- यह 180 से अधिक देशों के लोगों को उनके स्थानीय समय के अनुसार रात 8.30 बजे से रात 9.30 बजे तक लाइट बंद करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- विचार यह है कि पर्यावरण संरक्षण के लिये एक प्रतीकात्मक आह्वान में ऊर्जा बचाने हेतु गैर-आवश्यक प्रकाश व्यवस्था के उपयोग से परहेज किया जाए।
- थीम: हमारे ग्रह में निवेश (Invest in Our Planet)।
- महत्त्व:
- अर्थ ऑवर का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और प्रकृति की रक्षा, जलवायु संकट से निपटने और मनुष्यों के लिये एक उज्जवल भविष्य को आकार देने के लिये मिलकर काम करना है।
- जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने और एक स्थायी, उज्जवल भविष्य का आश्वासन देने के लिये प्रतीकात्मक लाइट-आउट अर्थ ऑवर विश्व का सबसे बड़ा ज़मीनी स्तर का आंदोलन बन गया है।
विश्व वन्यजीव कोष (WWF):
- परिचय:
- यह विश्व का अग्रणी संरक्षण संगठन है और 100 से अधिक देशों में कार्य करता है।
- यह वर्ष 1961 में स्थापित किया गया था और इसका मुख्यालय ग्लैंड, स्विट्ज़रलैंड में है
- उद्देश्य:
- प्रकृति के संरक्षण और पृथ्वी पर जीवन की विविधता के लिये सबसे अधिक दबाव वाले खतरों को कम करना।
- WWF की अन्य पहलें:
- TX2 लक्ष्य (वर्ष 2022 तक विश्व के जंगली बाघों को दोगुना करने की वैश्विक प्रतिबद्धता)
- TRAFFIC (WWF और प्रकृति के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) का एक संयुक्त कार्यक्रम)।
- लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. 'पृथ्वी काल' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (c) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
पैरोल एवं फर्लो
हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि कोविड-19 महामारी के दौरान कारागारों में भीड़भाड़ को रोकने और संक्रमण के प्रसार के जोखिम से बचने के लिये दोषियों को दी गई पैरोल की अवधि को उनकी वास्तविक सज़ा-अवधि के हिस्से के रूप में नहीं गिना जा सकता है।
पैरोल एवं फर्लो:
- पैरोल:
- यह एक कैदी को सज़ा के निलंबन के साथ रिहा करने की व्यवस्था है।
- इसमें कैदी की रिहाई सशर्त होती है जो आमतौर पर कैदी के व्यवहार पर निर्भर करती है, जिसमें समय-समय पर अधिकारियों को रिपोर्टिंग की आवश्यकता होती है।
- पैरोल अधिकार नहीं है और यह कैदी को विशिष्ट परिस्थितियों में दिया जाता है, जैसे कि परिवार में मृत्यु या सगे संबंधी का विवाह।
- किसी कैदी के खिलाफ पर्याप्त वाद की स्थिति में भी उसे मना किया जा सकता है, यदि सक्षम प्राधिकारी यह मानता है कि दोषी को रिहा करना समाज के हित में नहीं होगा।
- यह एक कैदी को सज़ा के निलंबन के साथ रिहा करने की व्यवस्था है।
- फर्लो (थोड़े दिन का अवकाश):
- यह कुछ महत्त्वपूर्ण अंतरों के साथ पैरोल के समान है। फर्लो लंबी अवधि के कारावास के मामलों में दिया जाता है।
- एक कैदी की फर्लो की अवधि को उसकी सज़ा की छूट के रूप में माना जाता है।
- फर्लो कैदी का अधिकार होता है और उसे समय-समय पर प्रदान किया जाता है। कभी-कभी यह बिना किसी कारण के उसके परिवार के साथ संपर्क बनाए रखने एवं लंबी सज़ा के नकारात्मक परिणामों को कम करने के आधार पर भी प्रदान किया जाता है।
नोट:
- पैरोल और फर्लो दोनों को सुधारात्मक प्रक्रिया माना जाता है। ये प्रावधान जेल प्रणाली को मानवीय बनाने की दृष्टि से संदर्भित किये गए थे।
- पैरोल और फर्लो वर्ष 1894 के कारागार अधिनियम के अंतर्गत आते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
CAMPA नीति और IPCC रिपोर्ट
हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change- IPCC) ने अपनी आकलन रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत की वनीकरण की नीति पर चिंता व्यक्त की गई है जो वनों को काटने एवं परिवर्तित करने की अनुमति देती है।
पृष्ठभूमि:
- वनीकरण भारत की जलवायु लक्ष्यों का हिस्सा है। साथ ही सरकार "वर्ष 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्षों के आवरण के माध्यम से 2.5-3 GtCO2e का एक अतिरिक्त कार्बन संचय" करने हेतु प्रतिबद्ध है।
- GtCO2e कार्बन-डाइऑक्साइड-समतुल्य गीगाटन को संदर्भित करता है।
- वर्ष 2002 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर गठित एक निकाय प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority- CAMPA) में वनीकरण को भी संहिताबद्ध किया गया है।
- CAMPA प्रतिपूरक वनीकरण गतिविधियों की निगरानी, तकनीकी सहायता एवं मूल्यांकन हेतु केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के रूप में काम करता है।
- CAMPA का कार्य गैर-वन उपयोगों के लिये निर्दिष्ट की गई वन भूमि की भरपाई के एक तरीके के रूप में वनीकरण और सुधार गतिविधियों को बढ़ावा देना है।
- जब वन भूमि को गैर-वन उपयोग के लिये उपलब्ध कराया जाता है, जैसे कि बाँध निर्माण अथवा खदान के लिये, तो ऐसे में वह भूमि न तो अपनी ऐतिहासिक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान कर सकती है और न ही जैवविविधता को बनाए रख सकती है।
- वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 के अनुसार, भूमि को उपलब्ध कराये जाने के संदर्भ में इस परियोजना के प्रस्तावको को वनीकरण के लिये कहीं और भूमि की पहचान करनी चाहिये तथा भूमि मूल्य एवं वनीकरण अभ्यास हेतु भुगतान करना चाहिये। इसके बाद उस ज़मीन को वन विभाग द्वारा कब्ज़े में ले लिया जाएगा।
CAMPA से संबंधित विवाद:
- वर्ष 2006-2012 में यह कोष 1,200 करोड़ रुपए से बढ़कर 23,600 करोड़ रुपए हो गया, किंतु नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने वर्ष 2013 में पाया कि इसमें से अधिकांश पैसा खर्च नहीं किया गया था।
- अन्य स्थानों पर वनों की स्थापना के बदले प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के उन्मूलन को प्रोत्साहित करने के मामले में CAMPA की आलोचना भी हुई है।
- अक्तूबर 2022 में हरियाणा सरकार ने कहा कि वह 2,400 किमी. दूर और बहुत अलग स्थलाकृति वाली विकास परियोजनाओं के लिये ग्रेट निकोबार में वनों की कटाई से प्राप्त CAMPA फंड का उपयोग करके "विश्व की सबसे बड़ी क्यूरेटेड सफारी" विकसित करेगी।
- CAMPA द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं ने लैंडस्केप कनेक्टिविटी और जैवविविधता गलियारों को खतरे में डाल दिया तथा वन क्षेत्र पर इसके "दूरगामी प्रभावों" से अवगत कराया।
- गैर-देशी प्रजातियों या कृत्रिम वृक्षारोपण से पारिस्थितिकी तंत्र के नुकसान की भरपाई नहीं होगी और साथ ही यह मौजूदा पारिस्थितिकी तंत्र के लिये खतरनाक होगा।
IPCC की सिफारिशें:
- चूँकि प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र जैव विविधता, स्थानीय आजीविका, जल विज्ञान संबंधी सेवाएँ और कार्बन को अनुक्रमित करते हैं।
- IPCC ने सिफारिश की है कि प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के विचलन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिये पवन एवं सौर संयंत्रों जैसी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र का रूपांतरण कम करना पवन ऊर्जा की तुलना में अधिक महँगा हो सकता है, फिर भी प्रत्येक GtCO2e के लिये "पारिस्थितिकी तंत्र बहाली, वनीकरण, बहाली" से कम खर्चीला है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (A) केवल 1 उत्तर: (A) |
स्रोत: द हिंदू
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 28 मार्च, 2023
आत्मीयता परीक्षण कभी निर्णायक नहीं हो सकता: सर्वोच्च न्यायालय
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, जाति या जनजाति के दावे को तय करने हेतु आत्मीयता परीक्षण (Affinity Test) एक प्रभावी और निश्चित तरीका नहीं हो सकता है। आत्मीयता परीक्षण में जाति/जनजाति के विशिष्ट मानवशास्त्रीय और जातीय लक्षणों, देवताओं, अनुष्ठानों, रीति-रिवाज़ों, विवाह के तरीके, मृत्यु संस्कार, शवों को दफनाने के तरीकों आदि के आधार पर जाति/जनजाति के दावों पर अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट का अध्ययन और तैयारी को अनिवार्य करता है।
और पढ़ें…सर्वोच्च न्यायालय
वित्त विधेयक, 2023
भारत सरकार ने हाल ही में वर्ष 2023-24 के लिये अपनी बजटीय कार्ययोजना पूर्ण की, जिसमें संसद के दोनों सदनों ने वित्त विधेयक, 2023 को मंज़ूरी दी, साथ ही वित्त मंत्री द्वारा विधेयक के पिछले संस्करण में ऑप्शन अनुबंधों पर प्रतिभूति लेन-देन कर (STT) दरों में त्रुटि को सुधारने के लिये पेश किये गए एक नए संशोधन को भी मंज़ूरी दी। वित्त विधेयक में सरकार के व्यय के वित्तपोषण से संबंधित प्रावधान शामिल हैं, जबकि एक विनियोग विधेयक धन निकालने की मात्रा और उद्देश्य को निर्दिष्ट करता है। विनियोग और वित्त विधेयक दोनों को धन विधेयक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जिसके लिये राज्यसभा की सहमति की आवश्यकता नहीं होती है। राज्यसभा केवल उन पर चर्चा करती है और विधेयकों को लौटा देती है। एक बार जब लोकसभा सरकार के बजट या किसी अन्य धन संबंधी कानून को पारित कर देती है, तो राज्यसभा इसे अस्वीकार नहीं कर सकती है। राज्यसभा इसे केवल 14 दिनों तक रोक सकती है या इसमें बदलाव का सुझाव दे सकती है, हालाँकि लोकसभा इन परिवर्तनों को स्वीकार कर भी सकती है अथवा नहीं भी कर सकती है।
और पढ़ें… राज्यसभा एवं लोकसभा
नई NCERT पाठ्यपुस्तकें और पंचादि मार्ग
लगभग दो दशकों के बाद सभी स्तरों पर स्कूली छात्र 2024-25 शैक्षणिक वर्ष में पेश की जाने वाली अद्यतन राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की पाठ्यपुस्तकों से सीखेंगे। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) के अनुरूप है जिसे अगस्त 2022 में जारी किया गया था। पाठ्यपुस्तकों को 22 भाषाओं में विकसित किया जाएगा। वर्तमान में सरकार ने तीन से आठ वर्ष की आयु के बच्चों के लिये पूर्व-स्कूल से कक्षा 2 तक के लिये NCF जारी किया है। अन्य वर्गों के लिये रूपरेखा अभी तैयार की जानी शेष है। NCF ने अपने दिशा-निर्देशों में इस बात पर ज़ोर दिया है कि भारतीय परंपरा को ध्यान में रखते हुए छात्रों के सीखने की योजना बनाई जानी चाहिये और पूर्व-स्कूली या मूलभूत स्तर पर बच्चों के लिये पाँच चरणों वाली सीखने की प्रक्रिया या पंचादि का प्रस्ताव दिया है। पंचादि में अदिति (Introduction of a topic), बोध (Conceptual understanding), अभ्यास (Practice), प्रयोग (Application) और प्रसार (Expansion) शामिल हैं।
और पढ़ें… राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT), राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020