प्रारंभिक परीक्षा
करनाल का युद्ध
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
फरवरी 1739 में करनाल के युद्ध में फारसी शासक नादिर शाह के हाथों मुगल सम्राट मुहम्मद शाह रंगीला की हार हुई, जो भारतीय इतिहास में एक निर्णायक मोड़ था।
- इसने न केवल नादिर शाह की सैन्य शक्ति को प्रदर्शित किया , बल्कि मुगल साम्राज्य की कमज़ोरियों को भी उजागर किया, जिसके कारण अंततः उसका पतन हो गया।
करनाल का युद्ध से संबंधित मुख्य बिंदु क्या हैं?
- पृष्ठभूमि: फारस में अपने शासन को मज़बूत करने के बाद, नादिर शाह (जिसे फारस का नेपोलियन भी कहा जाता है) ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया (1738) और औरंगजेब की मृत्यु (1707) के बाद साम्राज्य की अस्थिरता का फायदा उठाते हुए खैबर दर्रे के माध्यम से मुगल क्षेत्र में आगे बढ़ा।
- जनवरी 1739 तक नादिर शाह ने काबुल (जून 1738 में) तथा लाहौर पर भी कब्ज़ा कर लिया था।
- सेना: 300,000 सैनिकों के बावजूद, मुगल सेना में समन्वय की कमी थी, जबकि नादिर शाह के 50,000 अनुशासित सैनिकों ने कुंडा बंदूकों के साथ घुड़सवार बंदूकधारियों जैसी उन्नत रणनीतिओं को अपनाया, जिससे मुगलों की पुरानी घुड़सवार सेना पर काबू पा लिया गया।
- दिल्ली की लड़ाई और लूट: नादिर शाह ने मुगल सेना को (3 घंटे के भीतर) पराजित कर, दोवरान और सआदत खान को मार डाला तथा मुहम्मद शाह को बंदी बना लिया।
- इसके बाद उसने दिल्ली (राजधानी शाहजहाँनाबाद) को लूटा तथा मयूर सिंहासन (तख्त-ए-ताऊस ) और कोहिनूर हीरे सहित अपार संपत्ति जब्त कर ली।
- मुगल साम्राज्य पर प्रभाव: आक्रमण ने मुगल साम्राज्य को आर्थिक रूप से चकनाचूर और कमजोर कर दिया, जिससे बंगाल, अवध, हैदराबाद, मराठों और सिखों का उदय हुआ।
- इस आक्रमण के परिणामस्वरूप सिंधु नदी के पश्चिम में स्थित मुगल प्रांतों, अर्थात् अफगानिस्तान, कश्मीर, सिंध और मुल्तान, को फारस में मिला लिया गया।
- इस कमज़ोरियों ने 18वीं और 19वीं शताब्दी में भारत में ब्रिटिश विस्तार को सुगम बना दिया।
- युद्ध के कारण विदेशी आक्रमण: नादिर शाह के सेनापति अहमद शाह अब्दाली ने नादिर शाह की मृत्यु के बाद अफगानिस्तान पर अपना शासन स्थापित किया।
- उन्होंने वर्ष 1748 और 1767 के बीच उत्तर भारत पर कई बार आक्रमण किया। सबसे प्रसिद्ध 1761 में मराठों (पानीपत की तीसरी लड़ाई) पर उनकी जीत थी।
बाद के मुगल जिन्होंने विदेशी आक्रमणों का सामना किया:
- मुहम्मद शाह (1719-48): अपनी विलासितापूर्ण जीवन शैली के कारण इसे 'रंगीला' की उपाधि दी गई।
- निज़ाम-उल-मुल्क की मदद से सैयद बंधुओं की हत्या कर दी गई।
- आक्रमण का सामना: नादिर शाह (1739) - करनाल का युद्ध।
- आलमगीर द्वितीय (1754–59):
- आक्रमण का सामना करना पड़ा: अहमद शाह अब्दाली (जनवरी 1757)।
- प्रमुख युद्ध: प्लासी का युद्ध (जून 1757) उनके शासनकाल के दौरान लड़ा गया था।
- शाह आलम द्वितीय (1760-1806, अंतरकालिक शासन)
- आक्रमणों का सामना करना पड़ा:
- पानीपत का तीसरा युद्ध (1761)- अहमद शाह अब्दाली (नजीब-उद-दौला (एक रोहिल्ला सरदार) और अवध के नवाब शुजा-उद-दौला के मध्य लड़ी गई थी।
- बक्सर का युद्ध (1764) – ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी।
- आक्रमणों का सामना करना पड़ा:
प्रारंभिक परीक्षा
RBI द्वारा NBFC एवं MFI ऋण पर जोखिम भार में कमी करना
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने ऋण प्रवाह को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था के खुदरा क्षेत्र को ऋण देने में वृद्धि करने के लिये NBFC और सूक्ष्म वित्त संस्थानों को दिये जाने वाले बैंक ऋणों के जोखिम भार को कम कर दिया है।
ऋणों पर जोखिम भार क्या है और इसका NBFC और बैंकों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- परिचय: जोखिम भार एक प्रतिशत कारक है जो बैंक की परिसंपत्तियों, जिसमें ऋण भी शामिल हैं, को सौंपा जाता है, ताकि संभावित घाटे को कवर करने के लिये आवश्यक पूंजी की मात्रा निर्धारित की जा सके।
- उच्च जोखिम भार से पूंजी की आवश्यकता बढ़ जाती है, जिससे ऋण महंगा हो जाता है, जबकि कम जोखिम भार से पूंजी की आवश्यकता कम हो जाती है, जिससे अधिक ऋण देना संभव हो जाता है।
- मानदंड: जोखिम भार क्रेडिट रेटिंग, परिसंपत्ति प्रकार और विनियमों पर निर्भर करता है। उच्च रेटिंग वाले उधारकर्त्ताओं को निम्न जोखिम भार मिलता है, जबकि निम्न रेटिंग वाले उधारकर्त्ताओं को उच्च जोखिम भार का सामना करना पड़ता है।
- कम जोखिम भार का प्रभाव:
- NBFC को बैंक ऋण देने को प्रोत्साहित करना: बैंकों को ऋण के लिये कम पूंजी रखने की आवश्यकता है, जिससे NBFC को ऋण देने की उनकी क्षमता बढ़ जाएगी।
- ऋण वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव: तरलता में वृद्धि से आवास, उपभोक्ता वित्त एवं MSMEs क्षेत्र में NBFC ऋण को बढ़ावा मिलता है। ऋण तक बेहतर पहुँच से खुदरा क्षेत्र को लाभ होता है।
- वित्तीय स्थिरता में वृद्धि: ऋण वृद्धि को बढ़ावा देने से रोज़गार, आय स्तर एवं वित्तीय लचीलेपन में वृद्धि होती है।
पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR)
- परिचय: CAR, बैंक की उपलब्ध पूंजी का एक माप है जिसे बैंक के जोखिम-भारित क्रेडिट एक्सपोज़र के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- घटक:
- टियर-1 पूंजी: मुख्य पूंजी (इक्विटी, शेयर पूंजी,रिटेंड अर्निंग) का उपयोग बैंक के परिचालन जारी रहने तक घाटे को वहन करने के लिये किया जाता है।
- टियर-2 पूंजी: द्वितीयक पूंजी (अनऑडिटिड रिज़र्व, अधीनस्थ ऋण) का उपयोग बैंक के बंद होने के समय किया जाता है।
- विनियामक आवश्यकता: इसे बेसल समझौते द्वारा निर्धारित किया जाता है और केंद्रीय बैंकों (जैसे, भारत में RBI) द्वारा लागू किया जाता है।
- बेसल III मानदंडों के अनुसार, बैंकों को वैश्विक स्तर पर न्यूनतम 8% का CAR बनाए रखना आवश्यक होता है जबकि RBI ने भारतीय बैंकों के लिये इसे 9% अनिवार्य किया है।
- महत्त्व: उच्च CAR यह दर्शाता है कि बैंक वित्तीय रूप से स्थिर होने के साथ वित्तीय संकटों से निपटने में सक्षम है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सQ. माइक्रोफाइनेंस कम आय वर्ग के लोगों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना है। इसमें उपभोक्ता और स्वरोज़गार करने वाले दोनों शामिल हैं। माइक्रोफाइनेंस के तहत दी जाने वाली सेवा/सेवाएँ हैं (2011)
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चर्चित स्थान
मन्नार की खाड़ी में हाइड्रोकार्बन अन्वेषण
स्रोत: द हिंदू
भारत सरकार ने अपने नवीनतम हाइड्रोकार्बन अन्वेषण निविदा में तमिलनाडु के मन्नार की खाड़ी के लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर गभीर सागर क्षेत्र को शामिल किया है, जिससे समुद्री जैवविविधता और स्थानीय आजीविका पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।
- अन्वेषण निविदा: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 10वीं ओपन एकरेज लाइसेंसिंग नीति (भारत की हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसीकरण नीति के तहत एक तंत्र जिसके माध्यम से निवेशकों को तेल और गैस अन्वेषण हेतु ब्लॉक चयन करने की अनुमति दी जाती है) के तहत 25 अपतटीय क्षेत्रों को शामिल किया है।
- मन्नार की खाड़ी: यह हिंद महासागर में लक्षद्वीप सागर का एक हिस्सा है, जिसमें 21 द्वीप हैं। यह श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट और भारत के दक्षिण-पूर्वी तट के बीच विस्तृत है।
- इसकी सीमा रामेश्वरम, रामसेतु पुल (जिसे एडम ब्रिज भी कहा जाता है) और मन्नार द्वीप (श्रीलंका) से लगती है।
- इसमें ताम्रपर्णी (भारत) और अरुवी (श्रीलंका) जैसी नदियाँ बहती हैं तथा यहाँ तूतीकोरिन बंदरगाह भी स्थित है।
- यह मन्नार खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान है, जो दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया का पहला समुद्री बायोस्फीयर रिज़र्व है।
- यहाँ 117 प्रवाल प्रजातियाँ, 450 से अधिक मछली प्रजातियाँ, तथा विश्व स्तरीय संकटापन्न प्रजातियाँ जैसे डुगोंग, व्हेल शार्क और समुद्री कछुए पाए जाते हैं।
और पढ़ें: मन्नार की खाड़ी में कोरल ब्रीच
रैपिड फायर
हेग सर्विस कन्वेंशन
स्रोत: TH
अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसी) ने प्रतिभूति एवं वायर धोखाधड़ी मामले में भारतीय अरबपति गौतम अडानी और उनके सहयोगियों पर समन जारी करने के लिये हेग सर्विस कन्वेंशन का आह्वान किया है।
- हेग सर्विस कन्वेंशन (1965): एक बहुपक्षीय संधि जो 84 हस्ताक्षरकर्त्ता राज्यों के बीच नागरिक या वाणिज्यिक मामलों में कानूनी दस्तावेज़ो की सीमा पार सेवा की सुविधा प्रदान करती है, जिसमें भारत (जो वर्ष 2006 में कुछ आरक्षणों के साथ कन्वेंशन में शामिल हुआ) और अमेरिका शामिल हैं।
- SEC का भारत से अनुरोध: SEC ने कन्वेंशन का हवाला देते हुए भारत के विधि एवं न्याय मंत्रालय से अडानी और उनके सहयोगियों पर समन जारी करने का अनुरोध किया।
- प्रक्रिया की सेवा पर भारत का रुख: भारत कन्वेंशन के अनुच्छेद 10 के तहत वैकल्पिक सेवा विधियों को अस्वीकार करता है, जिसमें डाक सेवा, राजनयिक चैनल या विदेशी न्यायालयों द्वारा प्रत्यक्ष सेवा शामिल है।
- सभी अनुरोधों को विधि मंत्रालय के माध्यम से जाना होगा, जो संप्रभुता या सुरक्षा के लिए खतरा होने पर उन्हें अस्वीकार कर सकता है।
- विधि मंत्रालय को ऐसे अनुरोधों की समीक्षा का अधिकार है तथा यदि वे सुरक्षा या संप्रभुता के लिये खतरा उत्पन्न करते हैं तो उन्हें अस्वीकार किया जा सकता है।
- वैकल्पिक सेवा पर न्यायिक प्रावधान: वैकल्पिक सेवा पर न्यायिक मिसालें: समन हेतु सोशल मीडिया और ईमेल के उपयोग पर विश्व के न्यायालयों में चर्चा हुई है।
- अमेरिकी न्यायालय ने फेसबुक और ईमेल के माध्यम से सेवा की अनुमति दी। पंजाब नेशनल बैंक बनाम बोरिस शिपिंग लिमिटेड (2019) में, ब्रिटेन की एक अदालत ने वैकल्पिक माध्यमों से भेजे गए समन को अमान्य करार दिया, जिससे भारत के कन्वेंशन के प्रति सख्ती से पालन की पुष्टि हुई।
रैपिड फायर
असामान्य पदार्थ
स्रोत: द हिंदू
गैलियम (Ga): यह एक गैर-रेडियोधर्मी धातु है जो कमरे के तापमान में पिघल (सीज़ियम, रुबिडियम और पारे के समान) जाती है।
- यह सिलिकॉन, जर्मेनियम, बिस्मथ और प्लूटोनियम की तरह ठोस की अपेक्षा द्रव अवस्था में अधिक सघन होने का दुर्लभ गुण प्रदर्शित करता है।
- एरोजेल: एरोजेल अधिकांशतः वायु से बना एक अत्यंत हल्का ठोस पदार्थ है (इसमें 99% हवा होती है)।
- इसे जेल को अत्यधिक सुखाकर उसके तरल घटक को अलग करके (जबकि इसकी छिद्रपूर्ण संरचना को बरकरार रखा जाता है) बनाया जाता है।
- कंक्रीट: कंक्रीट पानी के बाद दूसरी सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ है। संपीड़न में मज़बूत होने के बावजूद, इसकी तन्य शक्ति कम होती है, जिसके कारण यह भंगुर गुण प्रदर्शित करता है।
- शोधकर्त्ताओं ने बैक्टीरियल सेल्फ-हीलिंग कंक्रीट की खोज की, जो पानी के संपर्क में आने पर कैल्शियम कार्बोनेट में परिवर्तित होकर दरारों को भरता है तथा स्थायित्व को बढ़ता है। इस प्रक्रिया में बैक्टीरिया की बैसिलस प्रजाति का उपयोग किया जाता है।
- एल्युमिनियम ऑक्सीनाइट्राइड (ALON): ALON एक पारदर्शी सिरेमिक यौगिक है जो नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और एल्युमीनियम से मिलकर बना होता है। यह कवच को भेदने वाली गोलियों का सामना करने में सक्षम है, इसकी अविश्वसनीय मज़बूती को दर्शाता है।
- टिन (Sn): ग्रेफीन की तरह, स्टैनिन (Sn) टिन परमाणुओं की एक हनीकॉम (honeycomb) संरचना है जो वन एटम-थिक लेयर होती है।
- यह एक टोपोलॉजिकल इन्सुलेटर है, जो न्यूनतम ऊर्जा हानि के साथ अपने किनारों पर विद्युत् का संचालन करता है, जबकि इसका आंतरिक भाग निष्क्रिय रहता है।
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रैपिड फायर
डेनमार्क का 4,000 वर्ष पुराना वुडन सर्कल
स्रोत: द हिंदू
डेनमार्क में पुरातत्वविदों द्वारा इंग्लैंड के स्टोनहेंज (3100-1600 ईसा पूर्व) जैसे दिखने वाले 4,000 वर्ष पुराने नियोलिथिक वुडन सर्कल की खोज की गई है।
मुख्य निष्कर्ष:
- इस संरचना में 30 मीटर व्यास में व्यवस्थित 45 वुडन पाइल्स शामिल हैं जिनका उपयोग संभवतः अनुष्ठानों या सूर्य पूजा में किया जाता था।
- इसके पास में ही एक कांस्य युगीन (1700-1500 ईसा पूर्व) बस्ती मिली है, जिसमें एक कब्र और एक कांस्य तलवार भी शामिल है।
- कांस्य युग 2,000 ईसा पूर्व से 700 ईसा पूर्व तक का समय था जब लोग कांस्य का उपयोग करते थे।
- यह खोज मृदभांडों और कब्रों जैसी साझा कलाकृतियों के माध्यम से डेनमार्क के नवपाषाणकालीन अनुष्ठानों और ब्रिटेन के साथ संभावित सांस्कृतिक संबंधों के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
स्टोनहेंज:
- स्टोनहेंज इंग्लैंड के विल्टशायर में स्थित एक प्रागैतिहासिक महापाषाण स्मारक है (3100-1600 ईसा पूर्व), जिसमें संकेंद्रित वृत्तों में विशाल खड़े पत्थर हैं, जिनका उपयोग संभवतः खगोलीय, अनुष्ठानिक या दफन प्रयोजनों के लिये किया जाता था।
- इसका निर्माण सरसेन बलुआ पत्थर और ब्लूस्टोन से किया गया था, तथा इससे संबंधित एवेन्यू और कर्स्यूज़ जैसे स्मारक भी जुड़े हुए थे।
- इसे वर्ष 1986 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई।
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