दुर्लभ ग्रह संरेखण
पाँच ग्रह- बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और यूरेनस आकाश/अंतरिक्ष में संरेखित होंगे, जिसे प्रायः ग्रहों की परेड या संरेखण कहा जाता है, इस घटना को नग्न आँखों से देखा जा सकता है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- इसे 28 मार्च, 2023 को क्षितिज के नीचे सूर्य के अस्त होने के ठीक बाद देखने का इष्टतम समय होगा।
- शुक्र सबसे अधिक दिखाई देने वाला ग्रह होगा उसके बाद मंगल होगा, जिसका विशेष नारंगी रंग होगा।
- यूरेनस शुक्र के करीब होगा लेकिन इसे विशेष उपकरणों के बिना देखना असंभव होगा, जबकि बुध और बृहस्पति नीचे की ओर होंगे।
- पिछली बार इन पाँच ग्रहों का संरेखण वर्ष 2004 में हुआ था। संरेखण को प्रायः ग्रहों की परेड के रूप में संदर्भित किया जाता है जिसे आकाश में रात्रि के समय देखा जा सकता है।
- ग्रहों की दृश्यता को प्रभावित करने वाले कारक:
- विशेषज्ञों ने बताया है कि संरेखण में कुछ ग्रहों की दृश्यता प्रकाश प्रदूषण और प्रेक्षक का स्थान जैसी कुछ स्थितियों पर निर्भर करती है।
- हाल के ग्रह संरेखण:
- इसी तरह का संरेखण जून 2022 में हुआ था, जहाँ पाँच ग्रह- बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि संरेखित थे।
- हालाँकि यह संरेखण वर्ष 2040 तक दोबारा नहीं होगा।
- इसी तरह का संरेखण जून 2022 में हुआ था, जहाँ पाँच ग्रह- बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि संरेखित थे।
प्रकाश प्रदूषण
- परिचय:
- प्रकाश प्रदूषण कृत्रिम प्रकाश का अत्यधिक उपयोग है जो रात्रि में आकाश को प्रकाशित करता है और प्राकृतिक अंधकार को भंग करता है।
- यह खगोलीय पिंडों की दृश्य क्षमता को प्रभावित करता है।
- अन्य प्रभाव:
- वन्यजीव और पारिस्थितिकी तंत्र में हस्तक्षेप: कृत्रिम प्रकाश पशुओं, पक्षियों और कीड़ों के प्राकृतिक व्यवहार और प्रवासन प्रारूप में हस्तक्षेप कर सकता है।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ: रात्रि में कृत्रिम प्रकाश के संपर्क में आने से मानव की प्राकृतिक लय बाधित हो सकती है, जिससे नींद संबंधी विकार, थकान और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
- आर्थिक लागत: प्रकाश प्रदूषण से ऊर्जा की बर्बादी होती है, जिससे विद्युत लागत अधिक आती है और अनावश्यक कार्बन उत्सर्जन होता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. जून की 21वीं तारीख को सूर्य: (2019) A. उत्तर ध्रुवीय वृत्त पर क्षितिज के नीचे नहीं डूबता है। उत्तर: A |
स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स
विश्व एथलेटिक्स ने ट्रांसजेंडर महिलाओं पर लगाया प्रतिबंध
एथलेटिक्स के लिये शासी निकाय- विश्व एथलेटिक्स ने पौरुषीय यौवन (male puberty) से गुज़र चुकी ट्रांसजेंडर महिलाओं के कुलीन महिला प्रतियोगिताओं में प्रतिस्पर्द्धा करने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
- संबद्ध परिषद ने सेक्स डेवलपमेंट में अंतर (DSD) के माध्यम से एथलीटों के लिये प्लाज़्मा टेस्टोस्टेरोन की अधिकतम मात्रा को आधे से घटाकर 5 से 2.5 नैनोमोल प्रति लीटर करके एथलीटों पर और भी सख्त नियम लागू कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- विश्व एथलेटिक्स के अनुसार, ट्रांसजेंडर महिलाओं को शीर्ष महिला प्रतियोगिताओं में भाग लेने से प्रतिबंधित करने का निर्णय महिला वर्ग की रक्षा करने की आवश्यकता पर आधारित है।
- सख्त नियम DSD एथलीटों जैसे कि कास्टर सेमेन्या, क्रिस्टीन एमबोमा और फ्राँसिन नियोनसाबा को प्रभावित करेंगे।
- वर्ष 2020 के ओलंपिक में सेमेन्या और नियोनसाबा दोनों को 800 मीटर की दौड़ में प्रतिबंधित कर दिया गया था, हालाँकि उन्होंने 5,000 मीटर की दौड़ में भाग लिया, जबकि क्रिस्टीन एमबोमा ने 200 मीटर की दौड़ में रजत पदक जीता।
- तैराकी के विश्व शासी निकाय, वर्ल्ड एक्वेटिक्स ने भी ट्रांसजेंडर महिलाओं को, अगर उन्होंने पुरुष यौवन के किसी भी हिस्से का अनुभव किया है, कुलीन प्रतियोगिता से प्रतिबंधित कर दिया है।
यौन विकास में अंतर (DSD):
- यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति की शारीरिक यौन विशेषताएँ विशिष्ट पुरुष या महिला विकास के साथ संरेखित नहीं होती हैं।
- इसमें विभिन्न आनुवंशिक, हार्मोनल या शारीरिक अंतर शामिल हो सकते हैं, जिससे मध्यलिंगी या अस्पष्ट जननांग जैसी स्थितियाँ हो सकती हैं।
- एथलेटिक्स के संदर्भ में DSD एथलीटों में स्वाभाविक रूप से टेस्टोस्टेरोन का उच्च स्तर हो सकता है, जो खेल में विवाद और नियमन का विषय रहा है।
- उदाहरण के लिये DSD एथलीटों के पास पुरुष वृषण होते हैं किंतु वे पर्याप्त मात्रा में हार्मोन डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन (DHT) का उत्पादन नहीं करते हैं जो पुरुष बाह्य जननांग के गठन के लिये आवश्यक है।
स्रोत: द हिंदू
रेबीज़
हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने रेबीज़ की रोकथाम और नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय रेबीज़ नियंत्रण कार्यक्रम (National Rabies Control Programme- NRCP) शुरू किया है।
उद्देश्य:
- राष्ट्रीय निशुल्क दवा पहल के माध्यम से रेबीज़ वैक्सीन और रेबीज़ इम्युनोग्लोबुलिन का प्रावधान करना।
- रेबीज़ की रोकथाम और नियंत्रण, काटने वाले जानवरों का प्रबंधन, निगरानी एवं अंतर-क्षेत्रीय सहयोग हेतु प्रशिक्षण।
- जानवरों के काटने और रेबीज़ से होने वाली मौतों की रिपोर्टिंग की निगरानी को मज़बूत करना।
- रेबीज़ की रोकथाम के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना।
रेबीज़:
- परिचय:
- रेबीज़ एक वैक्सीन-रोकथाम योग्य ज़ूनोटिक विषाणु जनित बीमारी है।
- यह राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) वायरस के कारण होता है जो पागल जानवर (कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि) की लार में मौजूद होता है।
- यह एक संक्रमित पशु के काटने के बाद अनिवार्य रूप से फैलता है जिससे घाव में लार और वायरस का निक्षेपण होता है।
- नैदानिक लक्षण प्रकट होने के बाद रेबीज़ लगभग 100% घातक है। कार्डियो-श्वसन विफलता के कारण चार दिनों से दो सप्ताह में मृत्यु हो जाती है।
- 99% मामलों में घरेलू कुत्ते मनुष्यों में रैबीज़ वायरस के संचरण के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
- रोगोद्भवन काल 2-3 महीने भिन्न होता है, लेकिन यह 1 सप्ताह से 1 वर्ष तक भिन्न या कभी-कभी उससे भी अधिक हो सकता है।
- उपचार:
- रेबीज़ को पालतू जानवरों का टीकाकरण कर, वन्य जीवन से दूर रहकर और लक्षणों के शुरू होने से पहले संभावित जोखिम को चिकित्सा देखभाल प्राप्त करके रोका जा सकता है।
- लक्षण:
- रेबीज़ के प्राथमिक लक्षण फ्लू के समान हो सकते हैं और कुछ दिनों तक रह सकते हैं, जिसमें शामिल हैं:
- बुखार, सिरदर्द, मतली, उल्टी, चिंता, भ्रम, अति सक्रियता, निगलने में कठिनाई, अत्यधिक लार, मतिभ्रम, अनिद्रा।
- रेबीज़ के प्राथमिक लक्षण फ्लू के समान हो सकते हैं और कुछ दिनों तक रह सकते हैं, जिसमें शामिल हैं:
भारत में रेबीज़ की स्थिति:
- भारत रेबीज़ के लिये स्थानिक है एवं विश्व में रेबीज़ से होने वाली कुल मौतों में 36% मौतें भारत से संबंधित हैं।
- रेबीज़ से प्रत्येक वर्ष 18000-20000 मृत्यु हो जाती है। भारत में रिपोर्ट किये गए रेबीज़ के लगभग 30-60% मामले एवं मौतों में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, क्योंकि बच्चों में काटने के निशान को अक्सर पहचाना नहीं जाता एवं रिपोर्ट नहीं किया जाता है।
- भारत में मानव रेबीज़ के लगभग 97% मामलों के लिये कुत्ते ज़िम्मेदार हैं, इसके बाद बिल्लियाँ (2%), गीदड़, नेवले एवं अन्य (1%) हैं। यह रोग पूरे देश में स्थानिक है।
रेबीज़ के उन्मूलन के लिये पहलें:
- केंद्र सरकार ने पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2023 प्रस्तावित किया है, जिसे आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिये स्थानीय प्राधिकरण द्वारा लागू किया जाना है। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य जनसंख्या स्थिरीकरण के साधन के रूप में आवारा कुत्तों का एंटी-रेबीज़ टीकाकरण और नसबंदी है।
- सरकार ने 'वर्ष 2030 तक भारत में कुत्तों से होने वाले रेबीज़ के उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय कार्ययोजना (National Action Plan For Dog Mediated Rabies Elimination- NAPRE)' शुरू की है। आवारा कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण और उनका प्रबंधन करना स्थानीय निकायों का कार्य है।
स्रोत: पी.आई.बी.
मोरे ईल की नई प्रजाति
शोधकर्त्ताओं ने हाल ही में कुड्डालोर तट (तमिलनाडु) से दूर मोरे ईल की एक नई प्रजाति की खोज की है और राज्य के नाम पर इसका नाम जिमनोथोरैक्स तमिलनाडुएंसिस रखा गया है।
अन्वेषण की मुख्य विशेषताएँ:
- यह जीनस, जिम्नोथोरैक्स का पहला रिकॉर्ड है, जिसे कुड्डालोर के तटीय जल के साथ किये गए एक अन्वेषण सर्वेक्षण के माध्यम से एकत्र किया गया है।
- इसके 4 नमूने (कुल लंबाई 272-487 मिमी.) एकत्र किये गए थे और यह प्रजाति जीनस जिम्नोथोरैक्स की अन्य प्रजातियों से विशेष रूप से अलग है।
- इसकी पहचान इसके सिर पर मौजूद छोटे काले धब्बों की रेखाओं की एक शृंखला से होती है एवं शरीर की मध्य रेखा पर काले धब्बों की एक एकल रेखा विद्यमान होती है।
- इन प्रजातियों का नाम ज़ूबैंक में पंजीकृत किया गया है, जो इंटरनेशनल कमीशन ऑन ज़ूलॉजिकल नाॅमेनक्लेचर (ICZN) के लिये ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली है।
मोरे ईल:
- मोरे ईल सभी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय समुद्रों में पाए जाते हैं, वे चट्टानों एवं भित्तियों के बीच उथले पानी में रहते हैं।
- वे विशेषकर दो प्रकार के जबड़ों के लिये जाने जाते हैं: एक बड़े दाँतों वाला नियमित जबड़ा होता है और दूसरे जबड़े को ग्रसनी जबड़ा कहा जाता है (जिसकी सहायता से ईल शिकार को पेट के अंदर खींच लेता है)।
- IUCN की रेड लिस्ट में इसकी स्थिति कम चिंतनीय (Least Concern- LC) है।
- जिमनोथोरैक्स की वर्तमान में 29 प्रजातियाँ भारतीय जल निकायों में मौजूद हैं, जिनमें हाल ही में पाई गई प्रजातियाँ भी शामिल हैं।
इंटरनेशनल कमीशन ऑन ज़ूलॉजिकल नाॅमेनक्लेचर:
- वर्ष 1895 में स्थापित ICZN को नियमित आधार पर प्राणि विज्ञान नामकरण के अंतर्राष्ट्रीय कोड को विकसित, प्रकाशित और संशोधित करने का काम सौंपा गया है।
- यह प्राणि विज्ञान नामकरण की एक समान प्रणाली प्रदान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक जानवर का एक अद्वितीय एवं सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत वैज्ञानिक नाम हो।
- ICZN जीवों के वैज्ञानिक नामों के सही उपयोग पर जानकारी उत्पन्न और प्रसारित करके प्राणी समुदाय के लिये सलाहकार एवं मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है।
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 मार्च, 2023
स्टेट ऑफ स्कूल फीडिंग वर्ल्डवाइड 2022
विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Programme- WFP) की रिपोर्ट स्टेट ऑफ स्कूल फीडिंग वर्ल्डवाइड 2022 के अनुसार, कम आय वाले देशों में स्कूली भोजन खाने वाले बच्चों की संख्या में लगभग 4% की गिरावट आई है, जिसमें सबसे गंभीर गिरावट अफ्रीका में देखी गई है। यह विश्लेषण वर्ष 2020 में 163 देशों की तुलना में 176 देशों के सर्वेक्षण आँकड़ों पर आधारित है। अध्ययन के अनुसार, उच्च आय, उच्च-मध्य आय और निम्न-मध्य आय वाले देशों ने क्रमशः 4%, 4% और 12% की निरंतर मामूली वृद्धि प्रदर्शित की है। इस रिपोर्ट ने विशेष रूप से कम आय वाले देशों में समर्थन को लक्षित करने हेतु बाह्य विकास भागीदारों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। कम आय वाले देशों ने महामारी के बाद की अन्य मांगों और नकदी की कमी के बावजूद वर्ष 2020 में स्कूली भोजन हेतु अपने घरेलू वित्तपोषण को 30% से बढ़ाकर वर्ष 2022 में 45% कर दिया है। पाँच देशों- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने वर्ष 2020 और 2022 के बीच स्कूली भोजन प्राप्त करने वाले बच्चों की संख्या में 30 मिलियन की वृद्धि में 19 मिलियन का योगदान दिया।
और पढ़ें…विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP), स्कूल फीडिंग प्रोग्राम
भारत का पहला केबल स्टे रेलवे ब्रिज
जम्मू और कश्मीर में अंजी नदी (चिनाब नदी की एक सहायक नदी) पर भारत के पहले केबल आधारित रेलवे पुल के मई 2023 तक तैयार होने की उम्मीद है। कटरा और रियासी स्टेशनों के बीच अंजी पुल जम्मू और कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के रियासी ज़िले में पड़ता है। यह महत्त्वाकांक्षी उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला-रेल लिंक (USBRL) परियोजना का हिस्सा है। इस परियोजना को मार्च 2002 में राष्ट्रीय महत्त्व की परियोजना घोषित किया गया था। यह स्वतंत्रता के बाद की सबसे बड़ी पर्वतीय रेलवे परियोजना भी है। इस पुल में एक एकीकृत निगरानी प्रणाली भी होगी जिसमें विभिन्न स्थानों पर कई सेंसर स्थापित किये जाएंगे।
और पढ़ें… जम्मू और कश्मीर
एरिज़ोना में पवित्र होपी स्थल
एरिज़ोना, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक स्थल और अमेरिकी राष्ट्र के होपी मूल के नागरिकों के लिये पवित्र स्मारक और स्थल को इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान समिति (ICOMOS ISC) द्वारा ' वाटर एंड हेरिटेज़ शील्ड' से सम्मानित किया गया है। शील्ड को ब्लैक मेसा ट्रस्ट (BMT) को प्रदान किया गया, जो होपी मूल के लोगों का एक संगठन है। शील्ड का उद्देश्य विश्व भर में जनता को जल और स्वदेशी पवित्र स्थलों के महत्त्व तथा सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक स्मृति के अधिकार के बारे में जागरूक करने में मदद करना है। होपी पर्यावरण के प्रति अपनी अनूठी श्रद्धा के लिये जाने जाते हैं। होपी सिपापू को वह स्थान मानते हैं जहाँ से उनके पूर्वज दूसरी दुनिया से निकलकर इस दुनिया में आए थे। सिपापू एक चट्टानी गुंबद है जो चूना पत्थर से बना है और साथ ही कोलोराडो की एक सहायक नदी लिटिल कोलोराडो नदी पर स्थित एक झरना है। लिटिल कोलोराडो ग्रैंड कैन्यन, यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में मुख्य नदी में मिलती है। ICOMOS ISC एक गैर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो विश्व के स्मारकों और स्थलों के संरक्षण के लिये समर्पित है। यह विश्व स्तर पर विरासत की पहचान करने में संयुक्त राष्ट्र को मदद करता है।
और पढ़े… इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS)
महिला विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप
हाल ही में निखत ज़रीन (दूसरा विश्व खिताब) एवं लवलीना बोरगोहेन (पहला विश्व खिताब) ने महिला विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप में भारत के लिये दो स्वर्ण पदक जीते। महिला विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज़ी संघ (IBA) ने किया था। IBA का मिशन ओलंपिक चार्टर की आवश्यकताओं और भावना के अनुसार विश्व भर में मुक्केबाज़ी के खेल को बढ़ावा देना, समर्थन करना एवं नियंत्रित करना है। ओलंपिक चार्टर ओलंपिज़्म के मौलिक सिद्धांतों एवं अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा अपनाए गए नियमों तथा उप-नियमों (एक संगठन या समुदाय द्वारा स्थापित नियमों या कानूनों का एक सेट ताकि खुद को विनियमित किया जा सके) का संहिताकरण है।
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