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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 27 Jan, 2022
  • 14 min read
प्रारंभिक परीक्षा

लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान

हाल ही में ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (इसरो) के अध्यक्ष ने अप्रैल 2022 में ‘SSLV-D1 माइक्रो सैट’ के प्रक्षेपण का उल्लेख किया है।

  • SSLV (स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) का उद्देश्य छोटे उपग्रहों को पृथ्वी की निम्न कक्षा में लॉन्च करना है। हाल के वर्षों में विकासशील देशों, विश्वविद्यालयों के छोटे उपग्रहों और निजी निगमों की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु ‘स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल’ काफी महत्त्वपूर्ण हो गया है।

प्रमुख बिंदु

  • स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल:
    • यह अपेक्षाकृत छोटे वाहन होते हैं, जिनका वजन मात्र 110 टन होता है। इन्हें एकीकृत होने में केवल 72 घंटे लगते हैं, जबकि एक प्रक्षेपण यान के लिये यह अवधि लगभग 70 दिन के आसपास होती है।
    • यह 500 किलोग्राम वजन के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जा सकता है, जबकि ‘ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान’ (PSLV) 1000 किलोग्राम वज़न के उपग्रहों को प्रक्षेपित कर सकता है।
      • SSLV एक तीन चरणों वाला ठोस वाहन है और इसमें 500 किलोग्राम के उपग्रह को ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ (LEO) और ‘सन सिंक्रोनस ऑर्बिट’ (SSO) में लॉन्च करने की क्षमता है।
    • यह एक समय में कई माइक्रोसेटेलाइट लॉन्च करने हेतु पूरी तरह से अनुकूल है और कई प्रकार की ‘ऑर्बिटल ड्रॉप-ऑफ’ का समर्थन करता है।
    • SSLV की प्रमुख विशेषताओं में कम लागत, लो टर्न-अराउंड टाइम, कई उपग्रहों को समायोजित करने में लचीलापन, मांग व्यवहार्यता और न्यूनतम लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर (launch on demand feasibility) इत्यादि शामिल हैं।
    • सरकार ने तीन उड़ानों (एसएसएलवी-डी1, एसएसएलवी-डी2 और एसएसएलवी-डी3) के माध्यम से वाहन प्रणालियों के विकास, योग्यता और उड़ान प्रदर्शन सहित विकास परियोजना के लिये कुल 169 करोड़ रुपए की मंज़ूरी दी है।
    • इसरो के अध्यक्ष डॉ. सोमनाथ को वर्ष 2018 से तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान एसएसएलवी (SSLV) को डिज़ाइन और विकसित करने का श्रेय दिया जाता है।
      • SSLV की पहली उड़ान जुलाई 2019 में शुरू होने वाली थी, लेकिन कोविड-19 और अन्य मुद्दों के कारण इसकी उड़न में देरी हो रही है।
  • SSLV का महत्त्व:
    • SSLV के विकास और निर्माण से अंतरिक्ष क्षेत्र एवं निजी भारतीय उद्योगों के बीच अधिक तालमेल बनाने की उम्मीद है जो अंतरिक्ष मंत्रालय का एक प्रमुख उद्देश्य है।
      • भारतीय उद्योग के पास पीएसएलवी (PSLV) के उत्पादन हेतु एक सहायता संघ है और एक बार परीक्षण के बाद एसएसएलवी (SSLV) का उत्पादन करने के लिये इन्हें एक साथ आना चाहिये।
    • नव-निर्मित इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के जनादेशों में से एक है- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से भारत में निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में SSLV और अधिक शक्तिशाली PSLV का बड़े पैमाने पर उत्पादन और निर्माण करना।
      • इसका उद्देश्य भारतीय उद्योग भागीदारों के माध्यम से वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिये इसरो द्वारा वर्षों से किये गए अनुसंधान और विकास कार्यों का उपयोग करना है।
    • अब तक छोटे उपग्रहों को ‘ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान’ (PSLV) जो कि 50 से अधिक सफल प्रक्षेपणों की उडान के साथ इसरो का वर्क-हॉर्स (ISRO’s Work-Horse) है, के माध्यम से बड़े उपग्रहों के साथ ही लॉन्च किया जाता था, जिसके कारण छोटे उपग्रहों का प्रक्षेपण, बड़े उपग्रहों के प्रक्षेपण पर निर्भर रहता था।

SSLV

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

अमेरिका प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम

संयुक्त राज्य अमेरिका ने महत्त्वाकांक्षी अमेरिका क्रिएटिंग अपॉर्चुनिटीज़ फॉर मैन्युफैक्चरिंग, प्री-एमिनेंस इन टेक्नोलॉजी एवं इकोनॉमिक स्ट्रेंथ (COMPETES) एक्ट, 2022 का अनावरण किया है जो एक नए स्टार्ट-अप वीज़ा के साथ दुनिया भर के प्रतिभाशाली व्यक्तियों के लिये नए रास्ते खोलने का प्रस्ताव करता है। .

  • इसका उद्देश्य आपूर्ति शृंखलाओं को मज़बूत बनाना और आने वाले दशकों में चीन तथा बाकी दुनिया को पछाड़ने हेतु देश की अर्थव्यवस्था के नवाचार को फिर से मज़बूत करना है।

प्रमुख बिंदु

  • प्रावधान:
    • यूएस में सेमीकंडक्टर उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये 52 बिलियन अमेरिकी डॉलर और अन्य कार्यक्रमों के बीच आपूर्ति शृंखला में लचीलापन, विनिर्माण में सुधार के लिये अनुदान तथा ऋण हेतु 45 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रवधान है।
    • सामाजिक एवं आर्थिक असमानता, जलवायु परिवर्तन और आप्रवासन को संबोधित करने हेतु वित्तपोषण। उदाहरण के लिये यह एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग या गणित) पीएचडी के लिये ग्रीन कार्ड सीमा से छूट प्रदान करता है तथा उद्यमियों के लिये एक नया ग्रीन कार्ड बनाता है।
      • ग्रीन कार्ड धारक (स्थायी निवासी) वह व्यक्ति होता है जिसे स्थायी आधार पर संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने और कार्य करने का अधिकार दिया गया है।
    • यह विधेयक/बिल चीन के शिनजियांग में निर्मित सौर घटकों पर संयुक्त राज्य अमेरिका की निर्भरता को कम करने हेतु विनिर्माण सुविधाओं के निर्माण के लिये प्रतिवर्ष 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर जारी करता है।
    • यह किसी स्टार्ट-अप इकाई में एक स्वामित्व हित वाले उद्यमियों, एक स्टार्ट-अप इकाई के आवश्यक कर्मचारियों और उनके जीवनसाथी और बच्चों के लिये गैर-आप्रवासियों की एक नई श्रेणी- ‘W’ बनाता है।
  • महत्त्व:
    • इसका अर्थ यह है कि अमेरिका में भारतीय प्रतिभाओं और कुशल कामगारों के लिये अधिक अवसर उपलब्ध होंगे।
    • ज्ञात हो कि प्रतिवर्ष कई भारतीय और भारतीय कंपनियाँ, उस वर्ष जारी किये गए एच-1बी ‘वर्क परमिट’ का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त करती हैं। इस नई श्रेणी के साथ भारतीय पेशेवरों द्वारा उन अवसरों को प्राप्त करने की भी संभावना है, जो अधिनियम द्वारा प्रदान किये जाएंगे।

वर्क वीज़ा:

  • परिचय:
    • भारत जैसे विकासशील देशों में आईटी क्रांति, इंटरनेट और कम लागत वाले कंप्यूटरों के आगमन ने अमेरिका में अपेक्षाकृत कम लागत पर काम करने के इच्छुक लोगों की संख्या को जन्म दिया है जो नियोक्ता और कर्मियों दोनों के लिये एक बेहतरीन स्थिति है। 
    • अमेरिकी प्रशासन आईटी और अन्य संबंधित क्षेत्रों में अत्यधिक कुशल कम लागत वाले कर्मचारियों के रिक्त स्थान भरने हेतु प्रत्येक वर्ष एक निश्चित संख्या में वीज़ा जारी करता है।
    • ये वीज़ा अमेरिका के बाहर की कंपनियों को क्लाइंट साइटों पर काम करने के लिये कर्मचारियों को भेजने की अनुमति देते हैं।
  • वीज़ा के विभिन्न प्रकार:
    • H1-B वीज़ा::
      • संयुक्त राज्य अमेरिका में रोज़गार के इच्छुक लोगों को H1-B वीज़ा प्राप्त करना आवश्यक होता है। H1-B वीज़ा वस्तुतः ‘इमीग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट’ (Immigration and Nationality Act) की धारा 101(a) और 15(h) के अंतर्गत संयुक्त राज्य अमेरिका में रोज़गार के इच्छुक गैर-अप्रवासी (Non-immigrants) नागरिकों को दिया जाने वाला वीज़ा है। 
      • यह अमेरिकी नियोक्ताओं को विशेषज्ञतापूर्ण व्यवसायों में अस्थायी तौर पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है।
    • H2-B वीज़ा: 
      • इस तरह के वीज़ा का आवेदन करने के लिये आवेदन पत्र को श्रम विभाग से प्रमाणित होना चाहिये। यह अस्थायी रोज़गार के लिये जारी किया जाता है। 
    • L-1 वीज़ा: 
      • यह एक गैर-प्रवासी वीज़ा है जिसके तहत कंपनियाँ विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में मौजूद अपनी सहायक कंपनियों या फिर मूल कंपनी में रख सकती हैं।
    • H-4 वीज़ा:
      • H1-B वीज़ा धारकों के आश्रित परिवार के सदस्यों (पति/पत्नी) को एक H-4 वीज़ा जारी किया जाता है जो कि H1-B वीज़ा धारक के साथ उनके प्रवास के दौरान अमेरिका में ही रहना चाहते हैं। H-4 वीज़ा के तहत मुख्य आवेदक H1-B वीज़ा धारक ही होता है। H-4 वीज़ा के लिये परिवार के सदस्य जैसे पति/पत्नी, 21 वर्ष से कम आयु के बच्चे अर्हता प्राप्त हैं और अपने देश के ही अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में आवेदन कर सकते हैं।
    • J-1 वीज़ा: 
      • यह कार्य-अध्ययन से संबंधित ग्रीष्मकालीन कार्यक्रमों पर छात्रों हेतु है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 जनवरी, 2022

असम वैभव पुरस्कार 

हाल ही में असम सरकार द्वारा देश के सबसे प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में से एक श्री रतन टाटा को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘असम वैभव पुरस्कार’ (Assam Baibhav Award) प्रदान किया गया है। यह असम राज्य का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। यह पुरस्कार आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा “असम दिवस” ​ के अवसर पर घोषित किया गया था। इस पुरस्कार के तहत 5 लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाता है। इसके अलावा पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता अपने पूरे जीवन में सरकारी खर्च पर चिकित्सा उपचार का लाभ प्राप्त कर सकता है। पुरस्कार के ऊपर जापी की एक छवि बनी हुई होती है तथा होलोंग पेड़ के पत्ते पर “असम वैभव” शब्द असमिया लिपि में अंकित होता है। रतन टाटा देश के एक जाने-माने उद्योगपति और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष हैं। वर्ष 2008 में उन्हें पद्म विभूषण और वर्ष 2000 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है।

 स्पाइस एक्सचेंज पोर्टल

हाल ही में भारतीय मसाला बोर्ड (Spice Board of India) द्वारा स्पाइस एक्सचेंज पोर्टल (Spice Xchange India) लॉन्च किया गया है। यह पोर्टल वैश्विक स्तर पर भारतीय मसाला निर्यातकों और खरीदारों के मध्य एक मीटिंग पॉइंट के रूप में कार्य करेगा जो देश में अपनी तरह का पहला प्लेटफाॅर्म है। इस प्लेटफाॅर्म को केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया है। इस  पोर्टल में खरीदारों व विक्रेताओं को जोड़ने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया गया है। यह मसाला निर्यात बढ़ाने के सरकारी प्रयासों में मूल्यवर्द्धन को बढ़ावा देगा। स्पाइस बोर्ड की स्थापना स्पाइसेस बोर्ड एक्ट, 1986 के तहत की गई थी। यह बोर्ड वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत कार्य करता है। भारत के कुल बागवानी निर्यात में मसालों का योगदान 41% है। भारतीय कृषि वस्तुओं में मसाले चौथे स्थान पर हैं। पहले तीन स्थानों पर क्रमशः समुद्री उत्पाद, गैर बासमती चावल और बासमती चावल हैं।


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