प्रारंभिक परीक्षा
स्वायत्तता का संवैधानिक वचन: अनुच्छेद 244(A)
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में असम के दिफू लोकसभा क्षेत्र, जो मुख्य रूप से आदिवासी क्षेत्र है, में सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों ने संविधान के अनुच्छेद 244 (A) को लागू करने का संकल्प लिया है, जिसका लक्ष्य एक स्वायत्त 'राज्य के भीतर राज्य' स्थापित करना है।
- इस क्षेत्र में स्वायत्तता की मांग एक अलग पहाड़ी राज्य के लिये 1950 के दशक के आंदोलन से चली आ रही है।'
- 1972 में मेघालय के निर्माण के बावजूद, कार्बी आंगलोंग क्षेत्र के नेताओं ने अनुच्छेद 244 (A) के माध्यम से स्वायत्तता की उम्मीद करते हुए असम के साथ रहने का विकल्प चुना।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 244(A) क्या है?
- संविधान के भाग X में अनुच्छेद 244 'अनुसूचित क्षेत्रों' और 'आदिवासी क्षेत्रों' के रूप में नामित कुछ क्षेत्रों के लिये प्रशासन की एक विशेष प्रणाली की परिकल्पना करता है।
- अनुच्छेद 244(A) को बाईसवें संशोधन अधिनियम,1969 के माध्यम से संविधान में जोड़ा गया था।
- यह संसद को असम राज्य के भीतर छठी अनुसूची में निर्दिष्ट सभी या कुछ आदिवासी क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक स्वायत्त राज्य स्थापित करने के लिये एक कानून बनाने की अनुमति देता है।
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची क्या है?
- परिचय: छठी अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों में आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
- स्वायत्त ज़िले: असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त ज़िलों के रूप में शासित होते हैं लेकिन राज्य के कार्यकारी प्राधिकरण के अधीन रहते हैं।
- राज्यपाल के पास इन ज़िलों को पुनर्गठित करने की शक्ति है, जिसमें उनकी सीमाओं, नामों को समायोजित करना और यहाँ तक कि विविध आदिवासी जनसंख्या होने पर उन्हें कई स्वायत्त क्षेत्रों में विभाजित करना भी शामिल है।
- संसद या राज्य विधायिका के अधिनियम प्रत्यक्ष रूप से इन ज़िलों पर लागू नहीं हो सकते हैं जब तक कि निर्दिष्ट संशोधनों के साथ अनुकूलित न किये गए हो।
- स्वायत्त ज़िला परिषदें: प्रत्येक स्वायत्त ज़िले में एक ज़िला परिषद होती है जिसमें 30 सदस्य होते हैं, जिनमें से 4 राज्यपाल द्वारा नामित होते हैं तथा शेष 26 वयस्क मताधिकार के माध्यम से 5 वर्ष के लिये चुने जाते हैं, जब तक कि इसे भंग न किया गया हो।
- वे कुछ निर्दिष्ट मामलों जैसे भूमि, वन, नहर का जल, झूम कृषि, ग्राम प्रशासन, संपत्ति की विरासत, विवाह और तलाक, सामाजिक रीति-रिवाज़ आदि पर कानून बना सकते हैं।
- लेकिन ऐसे सभी कानूनों के लिये राज्यपाल की सहमति की आवश्यकता होती है।
- वे जनजातियों के बीच मुकदमों की सुनवाई के लिये ग्राम परिषदों या न्यायालयों का गठन के साथ उनकी अपील भी सुनते हैं।
- इन मुकदमों तथा मामलों पर उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र राज्यपाल द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है।
- राज्यपाल के पास ज़िला प्रशासन मामलों की समीक्षा के लिये एक आयोग को नियुक्त करने का भी अधिकार है और उनकी सिफारिशों के आधार पर परिषदों को भंग कर सकते हैं।
- वे कुछ निर्दिष्ट मामलों जैसे भूमि, वन, नहर का जल, झूम कृषि, ग्राम प्रशासन, संपत्ति की विरासत, विवाह और तलाक, सामाजिक रीति-रिवाज़ आदि पर कानून बना सकते हैं।
भारत में स्वायत्तता के लिये अन्य मांगें क्या हैं?
- गोरखालैंड: पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग और आसपास के गोरखा-बहुल क्षेत्रों में सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक कारणों से एक अलग राज्य गोरखालैंड की मांग देखी गई है।
- बोडोलैंड: असम में बोडो-बहुल क्षेत्रों में जातीय पहचान एवं सामाजिक-आर्थिक विकास के मुद्दों का हवाला देते हुए एक अलग राज्य बोडोलैंड के लिये आंदोलन देखा गया है।
- विदर्भ: महाराष्ट्र में विदर्भ क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा क्षेत्रीय अविकसितता और उपेक्षा के मुद्दों का हवाला देते हुए समय-समय पर राज्य की मांग की जाती रही है।
- बुंदेलखंड: उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में, जिनमें बुंदेलखंड क्षेत्र शामिल है, राज्य सरकारों द्वारा कथित आर्थिक पिछड़ेपन और उपेक्षा के कारण एक अलग राज्य की मांग देखी गई है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय संविधान के निम्नलिखित में कौन-से प्रावधान शिक्षा पर प्रभाव डालते हैं? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर- (d) मेन्स:प्रश्न. भारत में आदिवासियों को 'अनुसूचित जनजाति' क्यों कहा जाता है? उनके उत्थान के लिये भारत के संविधान में निहित प्रमुख प्रावधानों को इंगित करें। (2016) |
प्रारंभिक परीक्षा
सूजन संबंधी आंत्र रोग
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में सूजन संबंधी आंत्र रोग (Inflammatory Bowel Disease- IBD) जिसमें मुख्य रूप से अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग शामिल है, वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है।
सूजन संबंधी आंत्र रोग (IBD) क्या है?
- परिचय: IBD, जठरांत्र (gastrointestinal- GI) पथ को प्रभावित करने वाली पुरानी सूजन संबंधी स्थितियों के लिये एक व्यापक शब्द है।
- IBD के दो मुख्य प्रकार:
- क्रोहन रोग (Crohn's disease): यह मुँह से लेकर गुदा तक पाचन तंत्र के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकता है। सूजन चकतीदार (patchy) हो सकती है, जिसका अर्थ है कि स्वस्थ ऊतक के क्षेत्र सूजन वाले क्षेत्रों से जुड़े हो सकते हैं। यह अक्सर आंतों की दीवार की परतों को प्रभावित करता है।
- व्रणयुक्त बृहदांत्रशोथ (Ulcerative colitis): बड़ी आंत (कोलन) और मलाशय की आंतरिक परत (म्यूकोसा) तक सीमित। सूजन लगातार बनी रहती है, गंभीर मामलों में पूरे बृहदान्त्र को प्रभावित करती है।
- IBD के दो मुख्य प्रकार:
- कारण: IBD का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन शोध आनुवंशिकी, प्रतिरक्षा प्रणाली और पर्यावरणीय कारकों जैसे कारकों की एक जटिल परस्पर क्रिया का सुझाव देता है।
- लक्षण: पेट में दर्द और ऐंठन, दस्त, खूनी मल, मल त्याग करने की तत्काल आवश्यकता, वज़न कम होना तथा थकान।
- उपचार: IBD का कोई वैधानिक उपचार नहीं है, लेकिन उपचार का उद्देश्य लक्षणों को प्रबंधित करना और राहत प्रदान करना है। इनमें दवाएँ, आहार में परिवर्तन और सर्जरी शामिल हैं।
- भारत में चुनौतियाँ:
- भारत में वर्ष 1990 से वर्ष 2019 तक IBD की घटना लगभग दोगुनी हो गई है, जिससे बेहतर उपचार परिणामों की सुविधा के लिये शीघ्र पता लगाने की तत्काल आवश्यकता पर बल मिलता है।
- भारत में IBD का निदान अद्वितीय चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है, विशेष रूप से समान नैदानिक लक्षणों के कारण क्रोहन रोग और आंत्र तपेदिक के बीच अंतर स्पष्ट करने में।
- जीवनशैली में बदलाव, जिसमें पश्चिमी आहार की ओर बदलाव भी शामिल है, को भारत में IBD की बढ़ती घटनाओं में योगदान देने वाले कारकों के रूप में उद्धृत किया गया है।
नोट: IBD आनुवंशिक, प्रतिरक्षा और पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित पाचन तंत्र की एक पुरानी सूजन की बीमारी (Chronic Inflammatory Disease) है, जबकि इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) एक नॉन-इन्फ्लेमेट्री फंक्शनल बोवेल डिसऑर्डर है, जो संभवतः परिवर्तित आंत्र-मस्तिष्क अंतःक्रिया, आंत्र तंत्रिका का बढ़ने या पाचन तंत्रिका के संकुचन संबंधी मुद्दों से जुड़ा हुआ है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में कौन-सा एक, मानव शरीर में B कोशिकाओं और T कोशिकाओं की भूमिका का सर्वोत्तम वर्णन है? (2022) (a) वे शरीर को पर्यावरणीय प्रत्यूर्जकों (एलर्जनों) से संरक्षित करती हैं। उत्तर: (d) प्रश्न. आनुवंशिक रोगों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c ) |
चर्चित स्थान
इंग्लिश चैनल
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में ब्रिटिश संसद द्वारा इंग्लिश चैनल पार करने से संबंधित ब्रिटिश संसद द्वारा एक विवादास्पद कानून पारित किया गया। यह कानून ब्रिटेन में शरण चाहने वालों को रवांडा में निर्वासित करने की अनुमति देगा। विदित हो कुछ समय पूर्व इंग्लिश चैनल पार करने के प्रयास में 5 लोगों की मृत्यु हो गई थी।
- UK सरकार के अनुसार, प्रवासियों और तस्करी गिरोहों पर रोक लगाने के लिये नए कानून बनाने की ज़रूरत है।
इंग्लिश चैनल:
- यह अटलांटिक महासागर की एक शाखा है जो दक्षिणी इंग्लैंड को उत्तरी फ्राँस से अलग करती है।
- यह अपने उत्तरपूर्वी सिरे पर डोवर जलडमरूमध्य के माध्यम से उत्तरी सागर के दक्षिणी भाग से जुड़ा हुआ है।
- यह लगभग 560 किमी लंबा है और इसकी चौड़ाई 34 किमी से लेकर डोवर जलडमरूमध्य में 240 किमी तक है। यह दुनिया का सबसे व्यस्त शिपिंग क्षेत्र है।
- यह ब्रिटेन के नौसैनिक महाशक्ति बनने में एक महत्त्वपूर्ण कारक था और इसका उपयोग ब्रिटेन ने एक प्राकृतिक रक्षा तंत्र के रूप में किया तथा नेपोलियन युद्धों एवं द्वितीय विश्व युद्ध में एडॉल्फ हिटलर जैसे आक्रमणकारियों के आक्रमणों को रोका।
- दो प्रमुख संस्कृतियाँ हैं, उत्तरी चैनल तट पर अंग्रेज़ी और दक्षिण में फ्रेंच।
- समुद्र के अंदर 50.46-किलोमीटर लंबी एक रेलवे सुरंग है जिसे चैनल टनल के नाम से जाना जाता है।
- इसे वर्ष 1994 में शुरू किया गया था। यह इंग्लिश चैनल के नीचे डोवर जलडमरूमध्य में फोकस्टोन (इंग्लैंड) को कोक्वेल्स (फ्राँस) से जोड़ता है।
और पढ़ें: UK की उत्तरी सागर ड्रिलिंग
रैपिड फायर
C-कैंप BFI-बायोम वर्चुअल नेटवर्क कार्यक्रम में शामिल हुआ
स्रोत: द हिंदू
सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर प्लेटफॉर्म्स (C-कैंप) ने बायोमेडिकल इनोवेशन के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल समाधानों को आगे बढ़ाने के लिये ब्लॉकचेन फॉर इम्पैक्ट (BFI) बायोम वर्चुअल नेटवर्क प्रोग्राम के साथ साझेदारी की है।
- BFI-बायोम वर्चुअल नेटवर्क प्रोग्राम, सहयोग (Collaboration) को बढ़ावा देने के लिये अनुसंधान संस्थानों और इनक्यूबेटरों को साथ लाने के लिये एक पहल है।
- इस कार्यक्रम के माध्यम से, BFI C-कैंप की विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए सुलभ और किफायती स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिये तीन वर्षों में 2,00,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक आवंटित करेगा।
- C-कैंप विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की एक पहल है, जिसका उद्देश्य अत्याधुनिक जीव विज्ञान अनुसंधान और नवाचार को सक्षम बनाना है।
- C-कैंप संक्रामक रोगों के निदान, रोगाणुरोधी प्रतिरोध, सेल थेरेपी, इम्यूनो-ऑन्कोलॉजी, पुनर्योजी ऊतक (Regenerative Tissue) और डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में बायोमेडिकल नवाचारों को संचालित करता है।
- यह सीड फंडिंग योजनाओं, मेंटरशिप कार्यक्रमों और बायो-इंक्यूबेशन सुविधाओं के माध्यम से उद्यमिता एवं नवाचार को भी बढ़ावा देता है।
और पढ़ें: आयुष और आधुनिक चिकित्सा का समन्वय, डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल
रैपिड फायर
भूजल पुनर्भरण चुनौतियाँ
स्रोत: डाउन टू अर्थ
एक हालिया अध्ययन में क्लोराइड मास बैलेंस (Chloride Mass Balance- CMB) पद्धति का उपयोग करके ऑस्ट्रेलिया में भूजल पुनर्भरण दरों (Groundwater Recharge Rates) का अनुमान लगाया गया है, जो दर्शाता है कि जलवायु और वनस्पति पुनर्भरण दरों को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं।
- CMB एक ट्रेसर तकनीक है जिसका उपयोग वर्षा और भूजल दोनों की क्लोराइड सामग्री का उपयोग करके शुष्क वातावरण में भूजल कुओं के लिये पुनर्भरण दरों को मापने के लिये किया जाता है।
- शोधकर्ताओं का कहना है कि भूजल पुनर्भरण दर जलवायु और वनस्पति कारकों से प्रभावित होती है।
- जलवायु-संबंधित चर में वर्षा वितरण और वाष्पीकरण-उत्सर्जन शामिल हैं, जबकि वनस्पति-संबंधी कारकों में वनस्पति का स्वास्थ्य व घनत्व शामिल है।
- मिट्टी के गुण और भौगोलिक विविधता भी भूजल पुनर्भरण की दर को प्रभावित करते हैं।
- अध्ययन में भूजल पुनर्भरण दरों को बढ़ाने के लिये विशेष रूप से तेज़ी से शहरीकरण से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में भूमि-उपयोग प्रतिरूप में बदलाव पर विचार करने के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया।
- भारत के संदर्भ में, बंगलुरु के तेज़ी से हो रहे शहरीकरण के कारण हरित स्थानों एवं जल निकायों में अत्यधिक कमी आई है और निर्मित क्षेत्र 1973 में 8% से बढ़कर 2020 में 93% हो गए हैं। इसके परिणामस्वरूप भूजल का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है और हर वर्ष स्तर में गिरावट आ रही है।
- भारत में, कुछ अध्ययनों में CMB का उपयोग करके भूजल पुनर्भरण दरों का अनुमान लगाया गया है और क्लोराइड जमाव के बड़े पैमाने पर विश्लेषण का प्रयास अभी तक नहीं किया गया है।
- भारत में जलस्तर में उतार-चढ़ाव (Water Table Fluctuation- WTF) विधि सामान्य है, जो कुओं के जलस्तर में परिवर्तन की माप करके भूजल पुनर्भरण का अनुमान लगाती है।
- भारतीय शहरों के लिये भूजल पुनर्भरण दरों का सटीक अनुमान लगाना और वैज्ञानिक माप विधियों का पता लगाना महत्त्वपूर्ण है।
और पढ़ें: भूजल की सुरक्षा: एक सतत भविष्य के लिये एक प्राथमिकता, बेंगलुरु जल संकट: भारत के लिये चेतावनी
रैपिड फायर
अंटार्कटिक का स्वर्ण उद्गार वाला ज्वालामुखी
स्रोत: एन. वाई. पी.
हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि अंटार्कटिका में माउंट एरेबस प्रतिदिन लगभग 80 ग्राम क्रिस्टलीकृत सोने से युक्त गैस को बाहर निकालता है, जिसकी कीमत लगभग 6,000 अमेरिकी डॉलर है।
- अंटार्कटिक में मौजूद कुल 138 में से माउंट एरेबस और डिसेप्शन आइलैंड केवल दो सक्रिय ज्वालामुखी हैं।
- वायु इस चमचमाते खजाने को सैकड़ों मील तक ले जाती है, जिसके निशान 621 मील दूर तक पाए जाते हैं।
- यह कम-से-कम वर्ष 1972 से जमे हुए महाद्वीप के बीच एक ज्वलंत विसंगति, लगातार विस्फोट की स्थिति में है।
- माउंट एरेबस एक विशेष विस्फोट शैली को प्रदर्शित करता है जिसे स्ट्रोमबोलियन विस्फोट के रूप में जाना जाता है। ये विस्फोट मध्यम तीव्रता के होते हैं, जिनमें गैस और राख का विस्फोट आसमान की ओर होता है।
- माउंट एरेबस अपने शिखर क्रेटर पर एक ‘लावा लेक’ निकालता है जोकि एक दुर्लभ घटना है। ज्वालामुखी के भीतर विशिष्ट परिस्थितियों के कारण यह पिघला हुआ चट्टान पूल सतह पर स्थिर रहता है।
और पढ़ें: अंटार्कटिका में भारत का नया डाकघर