प्रारंभिक परीक्षा
2023 में सर्वोच्च न्यायालय में उल्लेखनीय मामलों के निस्तारण में वृद्धि
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय(SC) ने वर्ष 2023 के दौरान मामलों के निस्तारण में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज़ की है, जो इस अवधि के दौरान दर्ज मामलों की संख्या से अधिक है।
मामलों के निस्तारण में योगदान देने वाले कारक:
- SC ने 1 जनवरी से 15 दिसंबर, 2023 के बीच 52,191 मामलों का निस्तारण किया, जबकि इसी अवधि के दौरान 49,191 मामले भी दर्ज किये गए थे।
- 2017 में लागू इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (ICMIS) ने अधिकतम निस्तारण संख्या प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश ने फाइलिंग-टू-लिस्टिंग समय सीमा को सुव्यवस्थित किया, यह सुनिश्चित करते हुए कि पिछले 10-दिन की आवश्यकता की तुलना में मामलों को पाँच दिनों के भीतर सूचीबद्ध किया गया था।
- ज़मानत, बंदी प्रत्यक्षीकरण, विध्वंस और अग्रिम ज़मानत से संबंधित मामलों को एक दिन के भीतर संसाधित किया गया तथा स्वतंत्रता के अधिकार को प्राथमिकता देते हुए तुरंत अदालतों में सूचीबद्ध किया गया।
- विशेष पीठों का गठन किया गया, जिनमें मृत्युदंड से संबंधित पीठें भी शामिल थीं।
इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (ICMIS) क्या है ?
- ICMIS SC द्वारा अपनाया गया अगली पीढ़ी का हाइब्रिड डेटाबेस है। यह मामलों से संबंधित विभिन्न सूचना स्रोतों को एकीकृत करता है, जैसे मामले की स्थिति, आदेश, निर्णय, अपील आदि।
- ICMIS एक उपयोगकर्त्ता-अनुकूल इंटरफेस के माध्यम से वादियों को ऑनलाइन जानकारी तक पहुँचने और पुनः प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। यह मामलों की प्रगति पर वास्तविक समय अपडेट भी प्रदान करता है।
- ICMIS केस दाखिल करने तथा निस्तारण में हेरफेर और देरी को कम करने में मदद करता है। यह ई-फाइलिंग पोर्टल के माध्यम से मामलों और दस्तावेज़ों को ऑनलाइन दाखिल करने की सुविधा भी प्रदान करता है।
लंबित मामलों को निपटाने से संबंधित अन्य पहल क्या हैं?
- ई-न्यायालय:
- भारत सरकार ने प्रौद्योगिकी के माध्यम से न्याय तक पहुँच बढ़ाने की दिशा में ज़िला और अधीनस्थ न्यायालयों को कम्प्यूटरीकृत करने के लिये ई-न्यायालय एकीकृत मिशन मोड परियोजना परियोजना शुरू की है।
- वर्ष 2007 में इसे राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया, यह भारत की ई-समिति सर्वोच्च न्यायालय और न्याय विभाग के साथ सहयोग करता है।
- परियोजना दो चरणों में आगे बढ़ी, पहला चरण वर्ष 2011-2015 तक और दूसरा चरण वर्ष 2015 में शुरू हुआ, जिसमें ज़िला एवं अधीनस्थ न्यायालयों के कम्प्यूटरीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- भारत सरकार ने प्रौद्योगिकी के माध्यम से न्याय तक पहुँच बढ़ाने की दिशा में ज़िला और अधीनस्थ न्यायालयों को कम्प्यूटरीकृत करने के लिये ई-न्यायालय एकीकृत मिशन मोड परियोजना परियोजना शुरू की है।
- फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (FTSC):
- FTSC की स्थापना यौन अपराधों, विशेष रूप से यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) के तहत मुकदमों की सुनवाई में तेज़ी लाने के लिये की गई थी, ताकि नियमित न्यायालयों में होने वाले विलंब का समाधान किया जा सके।
- आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के माध्यम से अधिनियमित, यह न्यायालय कानून और न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग के तहत संचालित होता है।
- FTSC की स्थापना यौन अपराधों, विशेष रूप से यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) के तहत मुकदमों की सुनवाई में तेज़ी लाने के लिये की गई थी, ताकि नियमित न्यायालयों में होने वाले विलंब का समाधान किया जा सके।
- न्यायालय की दक्षता में सहायता के लिये सर्वोच्च न्यायालय पोर्टल (SUPACE):
- न्यायालय की दक्षता में सहायता के लिये सर्वोच्च न्यायालय पोर्टल (Supreme Court Portal for Assistance in Court’s Efficiency- SUPACE), न्यायाधीशों के लिये तैयार किया गया एक उपकरण, एक तथ्य तथा विधि संग्रह प्रणाली के रूप में कार्य करता है, जो निर्णय लेने के लिये प्रासंगिक जानकारी प्रदान करता है। हालाँकि यह स्वयं निर्णय नहीं लेता है, यह निर्णय लेने में इनपुट मांगने वाले न्यायाधीशों के लिये तथ्यों को संसाधित करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय न्यायपालिका के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
प्रारंभिक परीक्षा
नामदफा उड़ने वाली गिलहरी
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में नामदफा नामक उड़ने वाली गिलहरी (Biswamoyopterus biswasi) 42 वर्षों तक लापता रहने के बाद अरुणाचल प्रदेश में फिर से सामने आई है।
- नामदफा उड़ने वाली गिलहरी का आखिरी बार वर्णन 1981 में अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले में नामदाफा टाइगर रिज़र्व में पाए गए एकल प्रजाति के आधार पर किया गया था।
नामदफा उड़ने वाली गिलहरी क्या है?
- परिचय:
- यह भारत के अरुणाचल प्रदेश में नामदफा टाइगर रिज़र्व में पाई जाने वाली एक दुर्लभ रात्रिकालीन उड़ने वाली गिलहरी प्रजाति है।
- यह लाल विशाल उड़ने वाली गिलहरी (पेटौरिस्टा पेटौरिस्टा) मुख्य रूप से इसके कानों पर बालों के प्रमुख गुच्छे के कारण अलग है, जो उसी पारिस्थितिकी तंत्र की एक अन्य प्रजाति है।
- इस प्रजाति का पता लगाने में कठिनाई के कारण यह चिंता उत्पन्न हो गई कि इसे गलती से लाल रंग की विशाल उड़ने वाली गिलहरी समझ लिया गया होगा या इससे भी बदतर, इसे विलुप्त होने का सामना करना पड़ा होगा।
- खतरा:
- नामदफा, उड़ने वाली गिलहरी को वर्तमान में निवास स्थान के नुकसान और गिरावट का खतरा है, मानव बस्तियों के लिये जंगलों की कटाई, स्थानांतरित कृषि और रुफिंग मटेरियल के रूप में उपयोग हेतु गैर-लकड़ी वन उत्पादों, विशेष रूप से रतन पाम (Rattan Palm), ज़ैलाका सेकुंडा (Zalacca Secunda) की पत्तियों के निष्कर्षण इसका प्रमुख कारण हैं।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: गंभीर रूप से संकटापन्न
- वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022
नामदफा टाइगर रिज़र्व के बारे में मुख्य बातें क्या हैं?
- परिचय:
- नामदाफा टाइगर रिज़र्व को वर्ष 1983 में देश की 15वीं बाघ परियोजना घोषित किया गया था।
- इसे वर्ष 1972 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया, फिर वर्ष 1983 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया और उसी वर्ष प्रोजेक्ट टाइगर योजना के तहत टाइगर रिज़र्व बन गया।
- नामदफा वास्तव में एक नदी का नाम है जो दाफाबम (दाफा पहाड़ी का नाम है, बम का अर्थ पहाड़ी की चोटी है) से निकलती है तथा नोआ-देहिंग नदी से मिलती है। यह नदी राष्ट्रीय उद्यान के ठीक उत्तर-दक्षिण दिशा में बहती है और इसलिये इसे नामदफा नाम दिया गया है।
- यह अरुणाचल प्रदेश में स्थित है। यह उद्यान मिश्मी पहाड़ियों की दाफा बम रेंज तथा पटकाई रेंज के मध्य स्थित है।
- नामदाफा टाइगर रिज़र्व को वर्ष 1983 में देश की 15वीं बाघ परियोजना घोषित किया गया था।
- जलवायु:
- यहाँ की जलवायु उपोष्णकटिबंधीय है। इसके पहाड़ी भाग में पर्वतीय प्रकार की जलवायु है, जबकि निचले मैदानों तथा घाटियों में उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित नैशनल पार्कों में से किस एक की जलवायु उष्णकटिबंधीय से उपोष्ण, शीतोष्ण और आर्कटिक तक परिवर्तित होती है? (2015) (a) कंचनजंगा नैशनल पार्क उत्तर: (d) Q2. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) व्याख्या:
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विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 दिसंबर, 2023
राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस
उपभोक्ता अधिकारों तथा ज़िम्मेदारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये भारत प्रत्येक वर्ष 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाता है।
- इसी दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को 24 दिसंबर 1986 को राष्ट्रपति द्वारा मंज़ूरी मिली थी।
- इस अधिनियम का उद्देश्य उपभोक्ताओं का दोषपूर्ण वस्तुओं, लापरवाह सेवाओं एवं अनुचित व्यापार प्रथाओं से संरक्षण करना है।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के छह मौलिक अधिकार सुरक्षा का अधिकार, चुनने का अधिकार, सूचित किये जाने का अधिकार, सुनवाई का अधिकार, निवारण पाने का अधिकार एवं उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार हैं।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को प्रतिस्थापित करने के लिये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 संसद द्वारा पारित किया गया था।
- विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 15 मार्च को मनाया जाता है।
और पढ़ें…राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस,उपभोक्ता अधिकारों का संरक्षण
पंडित मदन मोहन मालवीय जयंती
25 दिसंबर, 2023 को पंडित मदन मोहन मालवीय की 162वीं जयंती पर प्रधानमंत्री 'पंडित मदन मोहन मालवीय के एकत्रित कार्यों' की पहली शृंखला का विमोचन करने वाले हैं।
- द्विभाषी (अंग्रेज़ी और हिंदी) कार्य में मदन मोहन मालवीय के लेख, भाषण, अप्रकाशित पत्र और अन्य कार्य शामिल हैं।
- मदन मोहन मालवीय (25 दिसंबर, 1861 - 2 नवंबर, 1946) एक भारतीय विद्वान, राजनीतिज्ञ और शिक्षा सुधारक थे।
- वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक नेता थे और चार बार भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह अखिल भारत हिंदू महासभा तथा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक भी थे।
और पढ़ें…पंडित मदन मोहन मालवीय
वीर बाल दिवस
वीर बाल दिवस हर साल 26 दिसंबर को दसवें और अंतिम सिख गुरु गुरु गोबिंद सिंह के चार पुत्रों की शहादत की याद में मनाया जाता है।
- चारों बेटों के नाम जोरावर सिंह, फतेह सिंह, जय सिंह और कुलवंत सिंह थे, जिन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब और उसकी सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
- ज़ोरावर सिंह और फतेह सिंह को क्रमशः छह और नौ साल की उम्र में मुगलों ने पकड़ लिया था, जब उन्होंने आनंदपुर साहिब के अपने किले को घेराबंदी से बचाया था।
- उन्हें सरहिंद ले जाया गया, जहां उन्होंने इस्लाम अपनाने से इनकार कर दिया और 1705 में उन्हें ईंटों की दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया।
- जय सिंह और कुलवंत सिंह को भी आनंदपुर साहिब में पकड़ लिया गया, लेकिन वे कुछ वफादार अनुयायियों की मदद से सरहिंद से भागने में सफल रहे। वे सरहिंद की अंतिम लड़ाई में अपने पिता के साथ शामिल हुए जहाँ वह बंदूक की गोली से घायल हो गए थे।
- गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों ने सिख धर्म के लिये अपने जीवन का बलिदान दिया और उनके साहस ने सिखों की पीढ़ियों को प्रेरित किया।
और पढ़ें…वीर बाल दिवस