प्रारंभिक परीक्षा
अग्नि प्राइम
हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी रूप से विकसित नई पीढ़ी की मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि प्राइम (Agni-P) का ओडिशा तट पर स्थित ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
अग्नि प्राइम के विषय में:
- यह दो चरणों वाली कनस्तरीकृत मिसाइल है।
- यह एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missile Development Program- IGMDP) के तहत विकसित अग्नि शृंखला के मिसाइलों का नवीनतम और छठा संस्करण है।
- स्वतंत्र रूप से लक्षित विविध पुन: प्रवेश वाहनों के साथ यह मिसाइल 1,000 - 2,000 किमी की दूरी पर अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न युद्धक सामग्रियों/आयुध को पहुँचाने में सक्षम है।
- 1.2 मीटर व्यास तथा 10.5 मीटर लंबाई की यह मिसाइल 1.5 टन तक आयुध ले जा सकती है।
- कुछ उपयोगकर्त्ता संबद्ध प्रक्षेपणों के बाद इन मिसाइलों को सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा।
- इसमें दोहरी नेविगेशन और मार्गदर्शन प्रणाली है।
- अग्नि-पी मिसाइल भविष्य में भारत की विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता को और मज़बूत करेगी।
अन्य अग्नि मिसाइलें:
- वे भारत की परमाणु प्रक्षेपण क्षमता का मुख्य आधार हैं।
- अग्नि मिसाइलों की अन्य रेंज:
- अग्नि I: 700-800 किमी. की सीमा।
- अग्नि II: रेंज 2000 किमी. से अधिक।
- अग्नि III: 2,500 किमी. से अधिक की सीमा
- अग्नि IV: इसकी रेंज 3,500 किमी. से अधिक है और यह एक रोड मोबाइल लॉन्चर से फायर कर सकती है।
- अग्नि V: अग्नि शृंखला की सबसे लंबी, एक अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है जिसकी रेंज 5,000 किमी. से अधिक है।
एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP):
- इसकी स्थापना का विचार प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा दिया गया था। इसका उद्देश्य मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना था। इसे वर्ष 1983 में शुरू किया गया था और मार्च 2012 में पूरा किया गया था।
- इस कार्यक्रम के तहत विकसित 5 मिसाइलें (P-A-T-N-A) हैं:
- पृथ्वी: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम कम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल।
- अग्नि: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल, यानी अग्नि (1,2,3,4,5)।
- त्रिशूल: सतह से आकाश में मार करने में सक्षम कम दूरी वाली मिसाइल।
- नाग: तीसरी पीढ़ी की टैंक भेदी मिसाइल।
- आकाश: सतह से आकाश में मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली मिसाइल।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. अग्नि-IV मिसाइल के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (a)
|
स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
सुकापईका नदी
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के हालिया निर्देश के बाद ओडिशा सरकार द्वारा सुकापईका नदी, जो कि 70 साल पहले सूख गई थी, के पुनरुद्धार योजना पर कार्य शुरू किया गया है।
सुकापईका नदी के प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- सुकापईका नदी ओडिशा की प्रमुख नदी महानदी की कई नदी शाखाओं में से एक है।
- यह कटक ज़िले के अयातपुर गाँव में महानदी से अलग होती है और उसी ज़िले के तारापुर में मुख्य नदी में मिलने से पहले लगभग 40 किलोमीटर तक बहती है।
- सुकापईका नदी बाढ़ के पानी को नियंत्रित करने और नदी के साथ-साथ बंगाल की खाड़ी में प्रवाह को बनाए रखने के लिये महानदी की एक महत्त्वपूर्ण नदी प्रणाली है।
महानदी से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- महानदी की नदी प्रणाली से संबंधित प्रमुख तथ्य:
- महानदी नदी प्रणाली गोदावरी और कृष्णा के बाद प्रायद्वीपीय भारत की तीसरी सबसे बड़ी और ओडिशा राज्य की सबसे बड़ी नदी है।
- नदी का जलग्रहण क्षेत्र छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड और महाराष्ट्र तक विस्तृत है।
- इस नदी की द्रोणी उत्तर में मध्य भारत की पहाड़ियों, दक्षिण और पूर्व में पूर्वी घाटों तथा पश्चिम में मैकाल पर्वत शृंखलाओं से घिरी हुई है।
- उद्गम स्थान:
- इसका उद्गम स्थल छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले में सिहावा के नज़दीक है।
- प्रमुख सहायक नदियाँ:
- शिवनाथ, हसदेव, मांड और ईब महानदी की बाईं ओर, जबकि ओंग, तेल तथा जोंक इसकी दाईं ओर की सहायक नदियाँ हैं।
- महानदी पर प्रमुख बाँध/ परियोजनाएँ:
- हीराकुंड बाँध: यह भारत का सबसे लंबा बाँध है।
- रविशंकर सागर, दुधावा जलाशय, सोंदूर जलाशय, हसदेव बांगो और तांडुला अन्य प्रमुख परियोजनाएँ हैं।
- उद्योग:
- अपने समृद्ध खनिज संसाधन और पर्याप्त विद्युत् संसाधन के कारण महानदी घाटी में एक अनुकूल औद्योगिक वातावरण है।
- भिलाई में लौह एवं इस्पात संयंत्र
- हीराकुंड और कोरबा में एल्युमीनियम के कारखाने
- कटक के पास पेपर मिल
- सुंदरगढ़ में सीमेंट का कारखाना
- मुख्य रूप से कृषि उत्पादों पर आधारित अन्य उद्योग चीनी और कपड़ा मिल उद्योग हैं।
- कोयला, लोहा और मैंगनीज़ का खनन अन्य औद्योगिक गतिविधियाँ हैं।
- अपने समृद्ध खनिज संसाधन और पर्याप्त विद्युत् संसाधन के कारण महानदी घाटी में एक अनुकूल औद्योगिक वातावरण है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित नदियों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त में से कौन-सी नदी/नदियाँ अरुणाचल प्रदेश से होकर बहती है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b)
प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सुमेलित है/हैं? उत्तर: (a)
|
स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
ऑलमैनिया जीनस की दूसरी प्रजाति
हाल ही में ऑलमैनिया मल्टीफ्लोरा नामक जीनस ऑलमैनिया की एक नई प्रजाति की पहचान की गई है।
नई प्रजातियों की मुख्य विशेषताएँ:
- परिचय:
- ऑलमैनिया मल्टीफ्लोरा (Allmania multiflora) लगभग 60 सेमी की ऊँचाई तक बढ़ता है और अब तक खोजी गई इस जीनस की यह सिर्फ दूसरी प्रजाति है।
- पहली प्रजाति ऑलमैनिया नोडिफ्लोरा मूल रूप से जीनस सेलोसिया के तहत वर्ष 1753 में सेलोसिया नोडिफ्लोरा के रूप में प्रकाशित हुई थी। सीलोन (श्रीलंका) में पाए जाने वाले पेसीमेंस को पहली बार वर्ष 1834 में ऑलमैनिया नोडिफ्लोरा के रूप में वर्णित किया गया था।
- छोटे टीपल्स और व्यापक गाइनोइकियम (फूल के हिस्से), छोटे खाँचें और बीजों के व्यास में ऐसी विशेषताएँ हैं जो इसे ऑलमैनिया नोडिफ्लोरा से अलग करती हैं। मई से सितंबर तक फूल और फल लगते हैं।
- यह प्रजाति वानस्पतिक और संरक्षण दोनों ही दृष्टि से काफी खास है।
- ऑलमेनिया मल्टीफ्लोरा को एक पुष्पक्रम के भीतर अधिक संख्या में फूलों के होने के लिये नामित किया गया है।
- ऑलमेनिया मल्टीफ्लोरा एक वार्षिक जड़ी बूटी है जो आधार से उत्पन्न होने वाली शाखाओं के साथ खड़ी होती है।
- तना आधार पर लाल से बैंगनी और ऊपर हरा होता है।
- ऑलमैनिया मल्टीफ्लोरा (Allmania multiflora) लगभग 60 सेमी की ऊँचाई तक बढ़ता है और अब तक खोजी गई इस जीनस की यह सिर्फ दूसरी प्रजाति है।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN: गंभीर रूप से संकटग्रस्त।
- खतरा:
- यह गलती से स्थानीय लोगों द्वारा ऐमारैंथ (राजगीरा) के साथ सब्जी के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
- इसके निवास स्थान ग्रेनाइट पहाड़ियों को भी वर्तमान में विभिन्न प्रकार के खतरों का सामना करना पड़ रहा है।
स्रोत: द हिंदु
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 अक्तूबर, 2022
7वाँ आयुर्वेद दिवस
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 23 अक्तूबर,2022 को 7वाँ आयुर्वेद दिवस मनाया गया। इस वर्ष का आयुर्वेद दिवस "हर दिन हर घर आयुर्वेद" की थीम के साथ मनाया गया ताकि आयुर्वेद के लाभों का व्यापक और ज़मीनी स्तर पर समुदायों के बीच प्रचार किया जा सके। यह एक प्राचीन ज्ञान है और हमारी शोध परिषदें आयुष क्षेत्र में प्रभावशाली शोध कार्य कर रही हैं। हर दिन हर घर आयुर्वेदिक कैंपिंग का उद्देश्य आयुर्वेद को जन-जन तक पहुँचाना है। आयुष मंत्रालय ने देश में स्वास्थ्य की आयुष प्रणाली को गति प्रदान की है और अब आयुर्वेद को 30 देशों में मान्यता प्राप्त हो चुकी है। आयुष का वर्तमान टर्नओवर 18.1 अरब डॉलर है। क्षमता निर्माण के माध्यम से जनजातीय संस्कृति विरासत को संरक्षित करते हुए जनजातीय विकास के दोनों मंत्रालयों के बीच सहयोग, समन्वयन और संयोजन हेतु आयुष मंत्रालय एवं जनजातीय कार्य मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए। इस अवसर पर 'द आयुर्वेदिक फार्माकोपिया ऑफ इंडिया', 'द आयुर्वेदिक फॉर्म्युलारी ऑफ इंडिया' पुस्तक का विमोचन किया गया। औषधीय पौधों के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये आयुष मंत्रालय द्वारा अश्वगंधा- एक स्वास्थ्य प्रवर्तक पर एक प्रजाति-विशिष्ट राष्ट्रीय अभियान लॉन्च किया गया।
विश्व पोलियो दिवस
पोलियो टीकाकरण और पोलियो उन्मूलन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रत्येक वर्ष 24 अक्तूबर को विश्व पोलियो दिवस (World Polio Day) मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत एक दशक पहले रोटरी इंटरनेशनल द्वारा पोलियो या पोलियोमाइलाइटिस (Poliomyelitis) के खिलाफ टीका विकसित करने वाली टीम का नेतृत्त्व करने वाले जोनास साल्क के जन्म दिवस के अवसर पर की गई थी। वैश्विक स्तर पर रोग की स्थिति की निगरानी वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (Global Polio Eradication Initiative- GPEI) द्वारा की जा रही है। वर्ष 2022 के लिये इसकी थीम है- "विश्व पोलियो दिवस 2022 और उसके बाद: माताओं एवं बच्चों के लिये एक स्वस्थ भविष्य (World Polio Day 2022 and Beyond: A healthier future for mothers and children)"।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस
24 अक्तूबर, 202 को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) का 61वाँ स्थापना दिवस मनाया गया। ज्ञात हो कि ‘भारत-तिब्बत सीमा पुलिस’ (ITBP) भारत सरकार के गृह मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है। ITBP की स्थापना 24 अक्तूबर, 1962 को भारत-चीन युद्ध के दौरान की गई थी और यह एक सीमा रक्षक पुलिस बल है, जिसके पास ऊँचाई वाले क्षेत्रों में अभियानों के संचालन की विशेषज्ञता है। वर्तमान में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस लद्दाख में काराकोरम दर्रे से लेकर अरुणाचल प्रदेश के जचेप ला तक 3488 किलोमीटर की भारत-चीन सीमा की सुरक्षा हेतु उत्तरदायी है। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस को नक्सल विरोधी अभियानों और अन्य आंतरिक सुरक्षा मुद्दों जैसे मामले में भी तैनात किया जाता है। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की स्थापना प्रारंभ में ‘केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल’ (CRPF) अधिनियम, 1949 के तहत की गई थी। हालाँकि संसद ने ‘भारत-तिब्बत सीमा पुलिस’ अधिनियम वर्ष 1992 में लागू किया और वर्ष 1994 में इसके संबंध में नियम बनाए गए। अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल हैं: असम राइफल्स (AR), सीमा सुरक्षा बल (BSF), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) तथा सशस्त्र सीमा बल (SSB)।