प्रारंभिक परीक्षा
काशी तमिल संगमम
हाल ही में प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में महीने भर चलने वाले काशी तमिल संगमम का उद्घाटन किया।
- यह कार्यक्रम "आज़ादी का अमृत महोत्सव" के भाग के रूप में और एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को बनाए रखने के लिये भारत सरकार द्वारा की गई एक पहल है।
काशी तमिल संगमम
- परिचय:
- काशी तमिल संगमम भारत के उत्तर और दक्षिण के बीच ऐतिहासिक एवं सभ्यतागत संबंधों के कई पहलुओं का जश्न है।
- इसका व्यापक उद्देश्य ज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं (उत्तर एवं दक्षिण की) को करीब लाना, हमारी साझा विरासत की समझ विकसित करने के साथ इन क्षेत्रों के लोगों के बीच संबंध को और मज़बूत करना है।
- यह शिक्षा मंत्रालय द्वारा अन्य मंत्रालयों जैसे संस्कृति, कपड़ा, रेलवे, पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना और प्रसारण आदि तथा उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के अनुरूप है, जो समकालीन ज्ञान प्रणालियों के साथ भारतीय ज्ञान प्रणालियों की समृद्धि के सामंजस्य पर जोर देती है।
- IIT मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) इस कार्यक्रम के लिये कार्यान्वयन एजेंसियाँ हैं।
- सांस्कृतिक महत्त्व:
- 15वीं शताब्दी में मदुरै के आसपास के क्षेत्र पर शासन करने वाले राजा पराक्रम पांड्या भगवान शिव का एक मंदिर बनाना चाहते थे और उन्होंने एक शिवलिंग को वापस लाने के लिये काशी (उत्तर प्रदेश) की यात्रा की।
- वहाँ से लौटते समय वे रास्ते में एक पेड़ के नीचे विश्राम करने के लिये रुके और फिर जब उन्होंने यात्रा हेतु आगे बढ़ने की कोशिश की तो शिवलिंग ले जा रही गाय ने आगे बढ़ने से बिल्कुल मना कर दिया।
- पराक्रम पंड्या ने इसे भगवान की इच्छा समझा और शिवलिंग को वहीं स्थापित कर दिया, जिसे बाद में शिवकाशी, तमिलनाडु के नाम से जाना जाने लगा।
- जो भक्त काशी नहीं जा सकते थे उनके लिये पांड्यों ने काशी विश्वनाथर मंदिर का निर्माण करवाया था, जो आज दक्षिण-पश्चिमी तमिलनाडु में तेनकासी के नाम से जाना जाता है और यह केरल के साथ इस राज्य की सीमा के करीब है।
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रारंभिक परीक्षा
रानी लक्ष्मीबाई
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में झाँसी का दौरा किया।
रानी लक्ष्मीबाई:
- परिचय:
- रानी लक्ष्मीबाई को झाँसी की रानी के नाम से भी जाना जाता है।
- वह मराठा शासित झाँसी रियासत की रानी थीं।
- वह 1857 के भारतीय विद्रोह की प्रमुख व्यक्तित्त्वों में से एक थीं।
- उन्हें भारत में ब्रिटिश शासन के प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
- प्रारंभिक जीवन:
- उनका जन्म 19 नवंबर, 1828 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- उनका वास्तविक नाम मणिकर्णिका था।
- पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने मार्शल आर्ट का औपचारिक प्रशिक्षण भी लिया, जिसमें घुड़सवारी, निशानेबाजी और तलवारबाज़ी शामिल थी।
- मनु के साथियों में नाना साहब (पेशवा के दत्तक पुत्र) और तात्या टोपे शामिल थे।
- झाँसी की रानी के रूप में मनु:
- 14 साल की उम्र में मनु का विवाह झाँसी के महाराजा गंगाधर राव नेवालकर से हुआ, जिनकी पहली पत्नी का बच्चा होने से पूर्व ही निधन हो गया था जो सिंहासन का उत्तराधिकारी होता।
- अतः मणिकर्णिका झाँसी की रानी, लक्ष्मीबाई बन गई।
- रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसकी जन्म के तीन महीने बाद ही मृत्यु हो गई। बाद में दंपति ने गंगाधर राव के परिवार से एक बेटे दामोदर राव को गोद ले लिया।
- 14 साल की उम्र में मनु का विवाह झाँसी के महाराजा गंगाधर राव नेवालकर से हुआ, जिनकी पहली पत्नी का बच्चा होने से पूर्व ही निधन हो गया था जो सिंहासन का उत्तराधिकारी होता।
- स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- रानी लक्ष्मीबाई स्वतंत्रता के लिये भारत के संघर्ष के बहादुर योद्धाओं में से एक थीं।
- वर्ष 1853 में जब झाँसी के महाराजा की मृत्यु हो गई, तो लॉर्ड डलहौजी ने गोद लिये गए बच्चे को उत्तराधिकारी के रूप स्वीकार करने से इनकार कर दिया और व्यपगत के सिद्धांत (Doctrine of Lapse) को लागू करते हुए राज्य पर कब्ज़ा कर लिया।
- रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी ताकि झाँसी साम्राज्य को विलय से बचाया जा सके।
- 17 जून, 1858 को युद्ध के मैदान में लड़ते हुए उनकी मौत हो गई।
- जब भारतीय राष्ट्रीय सेना ने अपनी पहली महिला इकाई (1943 में) शुर की, तो इसका नाम झाँसी की बहादुर रानी के नाम पर रखा गया था।
व्यपगत का सिद्धांत (Doctrine of Lapse):
- यह वर्ष 1848 से 1856 तक भारत के गवर्नर-जनरल रहे लॉर्ड डलहौजी द्वारा व्यापक रूप से अपनाई गई एक विलय नीति थी।
- इस नीति के अनुसार कोई भी रियासत जो ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण में थी और जहाँ शासक के पास कानूनी रूप से पुरुष उत्तराधिकारी नहीं था, उस पर कंपनी द्वारा कब्ज़ा कर लिया जाता था।
- इस प्रकार भारतीय शासक के किसी भी दत्तक पुत्र को राज्य का उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया जाता था।
- व्यपगत का सिद्धांत लागू करते हुए डलहौजी द्वारा निम्नलिखित राज्यों पर कब्ज़ा किया गया:
- सतारा (1848 ई.),
- जैतपुर और संबलपुर (1849 ई.),
- बघाट (1850 ई.),
- उदयपुर (1852 ई.),
- झाँसी (1853 ई.)
- नागपुर (1854 ई.)
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रारंभिक परीक्षा
निकोबारी होदी शिल्प
हाल ही में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने आवेदन किया है, जिसमें निकोबारी होदी शिल्प के लिये भौगोलिक संकेत (GI) टैग की मांग की गई है।
- यह केंद्रशासित प्रदेश से पहला आवेदन है जिसमें उसके किसी उत्पाद के लिये टैग की मांग की गई है।
- इससे पहले सरकार ने मिथिला मखाना को जीआई टैग से सम्मानित किया था।
निकोबारी होदी:
- होदी निकोबारी जनजाति का पारंपरिक शिल्प है। यह एक ओट्रिगर डोंगी है, जो आमतौर पर द्वीपों के निकोबार समूह में संचालित होती है।
- निकोबारियों को होदी बनाने के लिये तकनीकी कौशल अपने पूर्वजों से विरासत में मिले स्वदेशी ज्ञान पर आधारित है।
- होदी को या तो स्थानीय रूप से या आसपास के द्वीपों पर उपलब्ध पेड़ों से बनाया जाता है और इसका डिज़ाइन एक द्वीप से दूसरे द्वीप में थोड़ा भिन्न होता है।
- ध्यान में रखे जाने वाले विचारों में तैयार डोंगी की लंबाई शामिल है, जो इसकी चौड़ाई का 12 गुना होनी चाहिये, जबकि पेड़ के तने की लंबाई इस चौड़ाई का 15 गुना होनी चाहिये।
- होदी का उपयोग लोगों और सामानों को एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर ले जाने, नारियल भेजने, मछली पकड़ने और दौड़ प्रतियोगिता उद्देश्यों के लिये किया जाता है।
- तुहेट (एक मुखिया के अंतर्गत परिवारों का एक समूह) होदी को एक संपत्ति मानता है। होदी दौड़ द्वीपों और गाँवों के बीच आयोजित की जाती है।
भौगोलिक संकेतक (GI) टैग:
- परिचय:
- GI एक संकेतक है, जिसका उपयोग एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली विशेष विशेषताओं वाले सामानों को पहचान प्रदान करने के लिये किया जाता है।
- ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतकों के पंजीकरण एवं बेहतर सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
- यह विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकारों (TRIPS) के व्यापार-संबंधित पहलुओं का भी हिस्सा है।
- पेरिस कन्वेंशन के अनुच्छेद 1 (2) और 10 के तहत यह निर्णय लिया गया तथा यह भी कहा गया कि औद्योगिक संपत्ति भौगोलिक संकेत का संरक्षण बौद्धिक संपदा के तत्त्व हैं।
- यह मुख्य रूप से कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) हैं।
- वैधता:
- भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिये वैध होता है। इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।
- भौगोलिक संकेतक का महत्त्व:
- एक बार भौगोलिक संकेतक का दर्जा प्रदान कर दिये जाने के बाद कोई अन्य निर्माता समान उत्पादों के विपणन के लिये इसके नाम का दुरुपयोग नहीं कर सकता है। यह ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के बारे में भी सुविधा प्रदान करता है।
- किसी उत्पाद का भौगोलिक संकेतक अन्य पंजीकृत भौगोलिक संकेतक के अनधिकृत उपयोग को रोकता है।
- साथ ही यह कानूनी सुरक्षा प्रदान करके भारतीय भौगोलिक संकेतों के निर्यात को बढ़ावा देता है और विश्व व्यापार संगठन के अन्य सदस्य देशों को कानूनी सुरक्षा प्राप्त करने में भी सक्षम बनाता है।
- GI टैग उत्पाद के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- यह ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के बारे में भी सुविधा प्रदान करता है।
- GI रजिस्ट्रेशन:
- GI उत्पादों के पंजीकरण की उचित प्रक्रिया है जिसमें आवेदन दाखिल करना, प्रारंभिक जाँच और परीक्षा, कारण बताओ नोटिस, भौगोलिक संकेत पत्रिका में प्रकाशन, पंजीकरण का विरोध एवं पंजीकरण शामिल है।
- इसके लिये कानून द्वारा या उसके तहत स्थापित व्यक्तियों, उत्पादकों, संगठन या प्राधिकरण का कोई भी संघ आवेदन कर सकता है।
- आवेदक को उत्पादकों के हितों का प्रतिनिधित्व करना चाहिये।
- GI टैग उत्पाद:
- कुछ प्रसिद्ध वस्तुएँ जिनको यह टैग प्रदान किया गया है उनमें बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय, चंदेरी फैब्रिक, मैसूर सिल्क, कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, तंजावुर पेंटिंग, इलाहाबाद सुरखा, फर्रुखाबाद प्रिंट, लखनऊ जरदोजी, कश्मीर केसर और कश्मीर अखरोट की लकड़ी की नक्काशी शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किसे 'भौगोलिक संकेतक' का दर्जा प्रदान किया गया है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: C व्याख्या:
प्रश्न. भारत ने वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को किसके दायित्वों का पालन करने के लिये अधिनियमित किया? (2018) (a) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन उत्तर: (D) व्याख्या:
अतः विकल्प (D) सही है। |
स्रोत: द हिंदू
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 नवंबर, 2022
विश्व दूरदर्शन दिवस
विश्व दूरदर्शन दिवस प्रतिवर्ष 21 नवंबर को मनाया जाता है। दूरदर्शन (टेलीविज़न) के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1996 में इस दिवस को मनाए जाने पुष्टि की गई थी। इसका उद्देश्य प्रमुख आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे विश्व के ज्ञान में वृद्धि करना है। वर्तमान समय में यह मीडिया की सबसे प्रमुख ताकत है। यूनेस्को ने टेलीविज़न को संचार और सूचना के एक महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में पहचाना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 दिसंबर, 1996 को 21 नवंबर की तिथि को विश्व दूरदर्शन दिवस के रूप घोषित किया था। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1996 में 21 और 22 नवंबर को विश्व के प्रथम टेलीविज़न फोरम का आयोजन किया था। इसमें टेलीविज़न के विश्व पर पड़ने वाले प्रभाव के संदर्भ में चर्चा की गई। साथ ही इस तथ्य पर भी चर्चा की गई कि विश्व की दिशा और दशा परिवर्तित करने में इसका क्या योगदान है। विश्व की राजनीति पर टेलीविज़न के प्रभाव और इसकी उपस्थिति को किसी भी रूप में इनकार नहीं किया जा सकता है। वर्तमान में यह मनोरंजन एवं ज्ञान के प्रमुख स्रोतों में से एक है लेकिन साथ में यह भी माना जा रहा है कि इसके नकारात्मक प्रभाव भी दृष्टिगत हो रहे हैं। अतः इसके नकारात्मक प्रभाव को रोकने और प्रसारण संबंधी आवश्यक नियम के लिये कुछ क़ानूनी प्रतिबंध भी आरोपित किये जाने की आवश्यकता है।
विश्व बाल दिवस
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने आज विश्व बाल दिवस पर नई दिल्ली में बाल कल्याण समितियों के लिये प्रशिक्षण मॉड्यूल और गो होम एंड री-यूनाइट पोर्टल का शुभारंभ किया। कार्यक्रम का उद्देश्य देश में किशोर न्याय नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये बाल कल्याण समितियों एवं ज़िला बाल संरक्षण इकाइयों के सदस्यों तथा अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करना है। बाल कल्याण समितियांँ बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हालाँकि भारत में देश में बाल संरक्षण के लिये किशोर न्याय नियमों में एकरूपता की आवश्यकता है। विश्व बाल दिवस विश्व में बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और कल्याण के लिये 20 नवंबर को मनाया जाता है। यह सबसे पहले वर्ष 1954 में मनाया गया था। इसी तिथि पर वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा बाल अधिकारों के लिये अभिसमय अपनाया गया था।
फीफा फुटबॉल विश्व कप
22वें फुटबॉल विश्व कप 21 नवंबर, 2022 को भव्य उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हुआ। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। फुटबॉल विश्व कप 21 नवंबर को अल-बायत स्टेडियम में पहला मैच खेला गया। कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी ने विश्व कप की आधिकारिक शुरुआत की। फीफा या फेडरेशन इंटरनेशनेल डी फुटबॉल एसोसिएशन दुनिया में फुटबॉल का सर्वोच्च शासी निकाय है। यह एसोसिएशन फुटबॉल, फुटसल और बीच सॉकर का अंतर्राष्ट्रीय शासी निकाय है। फीफा एक गैर-लाभकारी संगठन है। वर्ष 1904 में स्थापित फीफा को बेल्जियम, डेनमार्क, फ्राँस, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन, स्वीडन और स्विटज़रलैंड के राष्ट्रीय संघों के बीच अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा की निगरानी के लिये लॉन्च किया गया था। फीफा में अब 211 सदस्य देश शामिल हैं। इसका मुख्यालय ज्यूरिख में है। फीफा का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल का प्रसार करना तथा सत्यनिष्ठा और निष्पक्ष खेल को बढ़ावा देना है। यह वर्ष 1930 में शुरू हुआ, पुरुष विश्व कप तथा वर्ष 1991 में शुरू हुए महिला विश्व कप सहित अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों के संगठन और प्रचार के लिये ज़िम्मेदार है।