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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 21 Apr, 2023
  • 20 min read
प्रारंभिक परीक्षा

ट्विटर की घृणास्पद आचरण नीति और डेडनेमिंग

हाल ही में ट्विटर ने अपनी उस घृणास्पद आचरण नीति को बदल दिया है, जो एक समय अपने मंच पर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के गलत लिंग और पहचान को प्रतिबंधित करता था।

  • इसने कई लोगों के बीच विवाद को जन्म दिया है जो मानते हैं कि एलोन मस्क के नेतृत्त्व में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के हाशिये के समूहों के लिये सुरक्षा मानकों से समझौता किया जा रहा है।

ट्विटर की नीति में किये गए बदलाव:

  • नीति को लेकर अध्ययन में कहा गया कि “हम दूसरों को बार-बार अपमान (Slurs), ट्रॉप (किसी शब्द या अभिव्यक्ति का आलंकारिक या लाक्षणिक उपयोग) या अन्य विषय-वस्तु के साथ लक्षित करने पर रोक लगाते हैं, जो एक संरक्षित श्रेणी के बारे में नकारात्मक या हानिकारक रूढ़िवादिता को अमानवीय, नीचा दिखाने या मज़बूत करने का इरादा रखता है। इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लक्षित गलत लिंग या डेडनेमिंग शामिल हैं।
    • ट्विटर ने ट्रांसजेंडर्स के लिये इस सुरक्षा को हटा दिया है।
  • अपनी "घृणास्पद आचरण नीति" को बदलने के अतिरिक्त ट्विटर ने घोषणा की है कि वह केवल कुछ ट्वीट्स पर चेतावनी लेबल लगाएगा जो घृणित आचरण के खिलाफ नियमों का उल्लंघन कर सकते हैं। पहले इन नियमों का उल्लंघन करने वाले ट्वीट्स को प्लेटफॉर्म से पूरी तरह से हटा दिया जाता था
    • इस परिवर्तन से प्लेटफॉर्म पर हानिकारक सामग्री में वृद्धि हो सकती है, जो हाशिये के  समूहों की सुरक्षा को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
  • आलोचकों का तर्क:  
    • ट्विटर पर हाशिये के समूहों की सुरक्षा के बारे में चिंता कई बार जताई गई है, कई आलोचकों का तर्क है कि एलोन मस्क के नेतृत्त्व में मंच कम सुरक्षित बन गया है।
    • आलोचकों का मानना है कि मंच अब उपयोगकर्त्ताओं को "ट्रोलिंग, राज्य-समन्वित गलत सूचना एवं बाल यौन शोषण" से नहीं बचा सकता है। 

डेडनेमिंग: 

  • डेडनेमिंग ट्रांस, नॉन-बाइनरी/लिंग द्विभाजन और/या जेंडर-एक्सपेंसिव व्यक्ति (ऐसे व्यक्ति जो लैंगिक रूढ़ियों को नहीं मानते) को जन्म के नाम या चुने हुए नाम को अपनाने से पहले उनके द्वारा उपयोग किये जाने वाले नाम से बुलाने की क्रिया है।
    • क्योंकि यह किसी व्यक्ति की पहचान की मान्यता रद्द कर देता है और ऐसी व्यक्तिगत जानकारी प्रकट कर सकता है जिसे संबद्ध व्यक्ति सार्वजनिक नहीं करना चाहता, यह प्रथा हानिकारक है।
  • डेडनेमिंग काफी हानिकारक है क्योंकि किसी व्यक्ति के चुने हुए नाम अथवा उपनाम का उपयोग करने से इनकार करना ट्रांसफोबिया अथवा सिस-सेक्सिज़्म का एक रूप है, जिसके परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति को उत्पीड़न, भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है तथा यह अवसाद एवं आत्महत्या जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में भी योगदान देता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

निंगालू ग्रहण

20 अप्रैल, 2023 को निंगालू ग्रहण देखा गया था। यह एक दुर्लभ 'संकर सूर्य ग्रहण' है, जो पृथ्वी सतह की वक्रता एवं वलयाकार सूर्य ग्रहण से पूर्ण सूर्य ग्रहण में परिवर्तन के कारण होता है।   

  • यह इससे पूर्व वर्ष 2013 में देखा गया था तथा अगली बार वर्ष 2031 में दिखाई देगा। 

संकर सूर्य ग्रहण (Hybrid Solar Eclipse) से संबंधित प्रमुख बिंदु:

  • ऑस्ट्रेलिया, तिमोर-लेस्ते और इंडोनेशिया (पश्चिम पापुआ एवं पापुआ) में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई दिया था।  
    • वहीं दक्षिण-पूर्व एशिया, ईस्ट इंडीज़, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस और न्यूज़ीलैंड में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई दिया। यह भारत में नहीं देखा गया था।
  • इसकी विशिष्टता ऐसी है कि इसे पहले से ही पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के एक हिस्से निंगालू के रूप में नामित किया गया है, जहाँ से ग्रहण सबसे अधिक देखा गया था। 

सूर्य ग्रहण:  

  • विषय
    • सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है जो तब होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुज़रता है, जिससे पृथ्वी की सतह पर एक छाया पड़ती है जिसके परिणामस्वरूप सूर्य अस्थायी रूप से ढक जाता है।
      • सूर्य ग्रहण की स्थिति में पृथ्वी पर चंद्रमा की दो परछाइयाँ बनती हैं जिसे छाया (Umbra) तथा उपच्छाया (Penumbra) कहते हैं।
  • सूर्य ग्रहण के प्रकार:
    • पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse): पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं, इसके कारण पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह से अँधेरा छा जाता है।
      • बेलीज़ बीड्स (Baily's Beads) इफेक्ट, जिसे डायमंड रिंग इफेक्ट के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी घटना है जो पूर्ण सूर्य ग्रहण या कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के दौरान होती है।
    • वलयाकार सूर्य ग्रहण: यह तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है तथा इसका आकार छोटा दिखाई देता है। इस दौरान चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता है और उसका केवल कुछ हिस्सा दिखाई देता है।
      • सूर्य इस तरह से ढका हुआ होता है कि सूर्य की वलय से केवल छोटा-सा वृत्ताकार प्रकाश का भाग दिखाई देता है। इस वलय को अग्नि वलय के नाम से जाना जाता है।
    • आंशिक ग्रहण: यह तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुज़रता है लेकिन पूरी तरह से संरेखित नहीं होता है।
      • अत: सूर्य का केवल एक भाग ही ढका हुआ दिखाई देता है।
    • हाइब्रिड ग्रहण: हाइब्रिड सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुज़रते हुए सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है, जिससे चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है तथा पृथ्वी के कई हिस्से पूरी तरह अंधकारमय हो जाते हैं।
      • इसका अर्थ है कि कुछ पर्यवेक्षकों को प्रतीत होता है कि चंद्रमा ने सूर्य को पूरी तरह से ढका हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है, जबकि अन्य के अनुसार, चंद्रमा केवल आंशिक रूप से सूर्य को ढकता है और इसके परिणामतः एक वलयाकार सूर्य ग्रहण देखने को मिलता है।

Solar-Eclipse

स्रोत: इकोनाॅमिक टाइम्स


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 अप्रैल, 2023

फूड स्ट्रीट पहल

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs- MoHUA) के साथ साझेदारी में देश भर के 100 ज़िलों में 100 फूड स्ट्रीट के विकास का प्रस्ताव रखा है। इस पहल का उद्देश्य खाद्य उद्योग में सुरक्षित एवं स्वस्थ तरीकों को बढ़ावा देना, खाद्य जनित बीमारियों को कम करना तथा समग्र स्वास्थ्य स्थितियों में सुधार करना है। पहल को खाद्य व्यवसायों हेतु सर्वोत्तम तरीकों को प्रदर्शित करने के लिये एक पायलट योजना के रूप में लागू किया जाएगा। यह पहल न केवल "ईट राईट अभियान" एवं खाद्य सुरक्षा का समर्थन करेगी बल्कि स्थानीय खाद्य व्यवसायों की विश्वसनीयता भी बढ़ाएगी। पहल के लाभों में रोज़गार सृजन, पर्यटन क्षमता में सुधार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना शामिल है। पहल को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ( National Health Mission- NHM) के माध्यम से MoHUA तथा भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India- FSSAI) से तकनीकी सहायता के साथ लागू किया जाएगा। FSSAI के दिशा-निर्देशों के अनुसार मानक ब्रांडिंग के अधीन 60:40 या 90:10 के अनुपात में आपूर्ति की गई NHM के तहत सहायता के साथ राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को एक करोड़ रुपए प्रति फूड स्ट्रीट/ज़िला की वित्तीय सहायता दी जाएगी।

और पढ़ें…राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, ईट राईट अभियान

उपराष्ट्रपति ने सिविल सेवाओं में सहकारी संघवाद का आह्वान किया 

16वें सिविल सेवा दिवस (CVD) के अवसर पर भारत के उपराष्ट्रपति ने नई दिल्ली में सिविल सेवकों की एक सभा को संबोधित किया। इस दिन स्वतंत्र भारत के पहले गृहमंत्री, सरदार वल्लभभाई पटेल ने वर्ष 1947 में मेटकॉफ हाउस, दिल्ली में प्रशासनिक परिवीक्षार्थियों को संबोधित करते हुए सिविल सेवकों को 'स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया' के रूप में संदर्भित किया। इस 16वें सिविल सेवा दिवस (CVD) में, राष्ट्र के समावेशी विकास को सुनिश्चित करने में सिविल सेवकों द्वारा निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया गया। संघ और राज्यों में प्रशासन में एकरूपता की सुविधा के लिये सिविल सेवकों का आह्वान किया गया ताकि संघवाद, सहकारी संघवाद में विकसित हो सके। सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिये एक राष्ट्रीय कार्यक्रम मिशन कर्मयोगी पर प्रकाश डाला गया, जो भविष्य के लिये तैयार सिविल सेवकों को न्यू इंडिया के विज़न से जोड़कर आकार दे रहा है। त्वरित सेवा वितरण और नागरिक-केंद्रित शासन के लिये सिविल सेवकों के नेतृत्त्व के पूरक में प्रौद्योगिकी के महत्त्व को मान्यता दी गई है। उपराष्ट्रपति ने 'नेशनल गुड गवर्नेंस वेबिनार सीरीज़' पर एक ई-बुक का अनावरण किया और 'भारत में गुड गवर्नेंस प्रैक्टिसेस- अवार्डेड इनिशिएटिव्स' पर एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

और पढ़े: सिविल सेवा दिवस  

MEF नेताओं ने जलवायु कार्यवाही और पहल पर चर्चा की

हाल ही में, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मंच की आभासी बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता अमेरिकी राष्ट्रपति ने की और इसमें विश्व भर की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के राष्ट्राध्यक्षों और मंत्रियों ने भाग लिया। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करने के लिये जलवायु कार्यवाही की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया और पर्यावरण के लिये जीवन शैली LiFE के लिये भारतीय प्रधानमंत्री के आह्वान का उल्लेख किया। सभी MEF नेताओं ने जलवायु परिवर्तन को सबसे बड़ी चुनौतियों  से एक माना और जलवायु कार्यवाही को बढ़ाने के लिये संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर आवाज़ उठाई। भारत के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन और श्रम एवं रोजगार मंत्री ने वैश्विक औसत के एक-तिहाई प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के साथ जलवायु परिवर्तन का सामना करने में भारत के नेतृत्व पर महत्त्व दिया। विभिन्न क्षेत्रों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिये भारत की पहल, जलवायु वित्त के लिये समर्थन और जलवायु परिवर्तन का सामना करने की दिशा में व्यक्तिगत व्यवहार परिवर्तन में LiFE के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है। बैठक में गरीबी में कमी और SDGs सहित वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिये बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDB) की वित्तीय क्षमता को मज़बूत करने के प्रयासों पर भी चर्चा हुई।

और पढ़े:  LiFE

हीट इंडेक्स

हीट इंडेक्स में वायु के तापमान और आर्द्रता दोनों को ध्यान में रखा जाता है, लोगों द्वारा अनुभव की जाने वाली  गर्मी का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। दिल्ली में अप्रैल 2022 में हीट इंडेक्स खतरनाक स्तर पर पहुँच गया, जो 44oC से 49oC के बीच था। दिल्ली में रिकॉर्ड किये गए हीट इंडेक्स के आँकड़े यूएस नेशनल वेदर सर्विस वर्गीकरण "खतरे" की श्रेणी में हैं, जो निरंतर गतिविधि के मामले में हीट क्रैम्प्स (Heat Cramps), हीट एक्जाशन (Heat Exhaustion) और संभावित हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) की संभावना को इंगित करता है। झुग्गी आबादी की सघनता, सुविधाओं तक पहुँच की कमी,आवास की खराब स्थिति और स्वास्थ्य देखभाल तथा स्वास्थ्य बीमा की अनुपलब्धता, दिल्ली में गर्मी से संबंधित जोखिमों को बढ़ा सकती है। वायु के तापमान और सापेक्ष आर्द्रता और हीट इंडेक्स के बीच सीधा संबंध है।

और पढ़ें…: हीट इंडेक्स, हीट वेव


प्रारंभिक परीक्षा

ऑफ-बजट देयताएँ

भारत सरकार ने राजकोषीय पारदर्शिता बढ़ाने हेतु वित्त वर्ष 2022 में ऑफ-बजट उधारी की अपनी प्रथा को समाप्त कर दिया और यह ऐसी शेष ऑफ-बजट देनदारियों के पूर्व-भुगतान करने की योजना बना रही है।

ऑफ-बजट देयताएँ:

  • ऑफ-बजट देयताएँ सरकारी संस्थाओं द्वारा पारंपरिक बजट के बाहर सरकारी कार्यक्रमों एवं सब्सिडी के वित्तपोषण हेतु लिये गए ऋणों को संदर्भित करती हैं।
  • ये एजेंसियाँ बॉण्ड के माध्यम से धन जुटाती हैं जो सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) की तुलना में अधिक ब्याज दर प्रदान करती हैं।
  • क्योंकि केंद्र आधिकारिक तौर पर ऋण हेतु उत्तरदायी नहीं है, इसलिये ऋण राष्ट्रीय राजकोषीय घाटे में शामिल नहीं है। यह देश के राजकोषीय घाटे को स्वीकार्य सीमा के भीतर रखने में मदद करता है।
  • वित्त वर्ष 2021 के अंत तक केंद्र के पास लगभग 6.7 ट्रिलियन रुपए ऑफ-बजट देयताएँ थीं।
  • केंद्र की बकाया बजट देनदारियों में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण हेतु लगभग 49,000 करोड़ रुपए, विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के लिये 20,164 करोड़ रुपए, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण हेतु 12,300 करोड़ रुपए आदि शामिल हैं।

ऑफ-बजट देयताओं को खत्म करने के लिये सरकार के प्रयास: 

  • प्रयास: 
    • भारत सरकार ने वित्त वर्ष 20 22 के बजट में राज्य द्वारा संचालित अभिकरणों के माध्यम से ऑफ-बजट ऋण लेने की अपनी प्रथा को समाप्त करके राजकोषीय पारदर्शिता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया।
    • सरकार ने  वित्तीय वर्ष 2021-22 में राष्ट्रीय लघु बचत कोष (NSSF) से 5 ट्रिलियन रुपए या अपनी ऑफ-बजट देनदारियों का 75% से अधिक लिया।
    • हालाँकि 1.7 ट्रिलियन रुपए की शेष ऑफ-बजट देनदारियाँ बॉण्ड धारकों की उच्च-उपज वाले बॉण्डों को छोड़ने की अनिच्छा के कारण समाप्त करने के लिये चुनौतीपूर्ण साबित हो रही हैं।
  • चुनौतियाँ: 
    • बॉण्ड धारक अपने हाई  बॉण्ड को छोड़ने और बॉण्ड की शेष अवधि के लिये ब्याज़ आय को समाप्त करने के इच्छुक नहीं हैं।  
      • निवेशक चिंतित हैं कि यदि वे प्रीपेमेंट ऑफर स्वीकार करते हैं तो उन्हें निवेश करने के लिये समान आकर्षक कूपन दरों वाले अन्य सुरक्षित और उच्च रेटेड बॉण्ड नहीं मिलेंगे।
    • इसके अतिरिक्त, बाॅण्ड धारक आम तौर पर एक प्रीमियम या उच्च ब्याज दर की मांग करते हैं, जो बाॅण्ड की अवशिष्ट अवधि में ब्याज आय के नुकसान की भरपाई करने के लिये उनसे वादा किया जाता है, यदि कोई जारीकर्त्ता अग्रिम भुगतान करना चाहता है।
  • ऑफ-बजट देनदारियों के निहितार्थ: 
    • वित्त वर्ष 2011 में सरकार के ऋण-से-जीडीपी को 15 साल में लगभग 61.6 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुँचाया। 
    • सरकार के वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही हासिल करने के प्रयासों में बाधा डालना।
    • अन्य सरकारी कार्यक्रमों और सब्सिडी के वित्तपोषण के लिये स्वास्थ्य, शिक्षा, अवसंरचनात्मक ढाँचे के विकास जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों से पूंजी का उपयोग करना।  
    • राज्य द्वारा संचालित एजेंसियों में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के संचय में योगदान। 

 स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस  


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