प्रारंभिक परीक्षा
कन्हेरी गुफाएँ
हाल ही में पर्यटन मंत्रालय ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कन्हेरी गुफाओं में विभिन्न जन-सुविधाओं का उद्घाटन किया।
कन्हेरी गुफाएँ:
- परिचय:
- कन्हेरी गुफाएँ मुंबई के पश्चिमी बाहरी इलाके में स्थित गुफाओं और रॉक-कट स्मारकों का एक समूह है। ये गुफाएँ संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों के भीतर स्थित हैं।
- कन्हेरी नाम प्राकृत में 'कान्हागिरि' से लिया गया है और इसका वर्णन सातवाहन शासक वशिष्ठपुत्र पुलुमावी के नासिक शिलालेख में मिलता है।
- विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतांतों में कन्हेरी का उल्लेख मिलता है।
- कन्हेरी का सबसे पहला वर्णन फाहियान द्वारा किया गया है, जो 399-411 ईस्वी के दौरान भारत आया और बाद में कई अन्य यात्रियों ने भी इसका वर्णन किया।
- उत्खनन:
- कन्हेरी गुफाओं में 110 से अधिक विभिन्न एकाश्म चट्टानों का उत्खनन शामिल है और यह देश में सबसे बड़े एकल उत्खनन में से एक है।
- उत्खनन का आकार एवं विस्तार, साथ ही कई जल के कुंड, अभिलेखों, सबसे पुराने बांँधों में से एक, स्तूप कब्रगाह गैलरी एवं उत्कृष्ट वर्षा जल संचयन प्रणाली, मठवासी एवं तीर्थ केंद्र के रूप में इसकी लोकप्रियता को प्रमाणित करती है।
- वास्तुकला:
- ये उत्खनन मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के हीनयान चरण के दौरान किये गए थे लेकिन इसमें महायान शैलीगत वास्तुकला के कई उदाहरणों के साथ वज्रयान से संबंधित आदेश के कुछ मुद्रण भी शामिल हैं।
- संरक्षण:
- यह कन्हेरी सातवाहन, त्रिकुटक, वाकाटक और सिलहारा के संरक्षण के साथ ही इस क्षेत्र के धनी व्यापारियों द्वारा किये गये दान के माध्यम से फला-फूला।
- महत्त्व:
- कन्हेरी गुफाएंँ हमारी प्राचीन विरासत का हिस्सा हैं क्योंकि वे विकास और हमारे अतीत का प्रमाण प्रदान करती हैं।
- कन्हेरी गुफाओं और अजंता एलोरा गुफाओं जैसे विरासत स्थलों के वास्तुशिल्प एवं इंजीनियरिंग उस समय की कला, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, निर्माण, धैर्य एवं दृढ़ता आदि के रूप में लोगों के ज्ञान को प्रदर्शित करते हैं।
- उस समय ऐसे कई स्मारकों को बनने में 100 साल से अधिक का समय लगा था।
- इसका महत्त्व इस तथ्य से बढ़ जाता है कि यह एकमात्र केंद्र है जहांँ बौद्ध धर्म और वास्तुकला की निरंतर प्रगति को दूसरी शताब्दी ईस्वी से 9वीं शताब्दी ईस्वी तक एक स्थायी विरासत के रूप में देखा जाता है।
हीनयान और महायान:
- हीनयान:
- वस्तुतः छोटा वाहन, जिसे परित्यक्त वाहन या दोषपूर्ण वाहन के रूप में भी जाना जाता है। यह बुद्ध की मूल शिक्षा या ‘बड़ों के सिद्धांत’ में विश्वास करता है।
- यह मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करता है और आत्म अनुशासन तथा ध्यान के माध्यम से व्यक्तिगत मोक्ष प्राप्त करने का प्रयास करता है।
- थेरवाद हीनयान संप्रदाय का एक हिस्सा है।
- महायान:
- बौद्ध धर्म का यह संप्रदाय बुद्ध को देवता के रूप में मानता है तथा मूर्ति पूजा में विश्वास करता है।
- यह उद्भव उत्तरी भारत और कश्मीर में हुआ तथा वहाँ से मध्य एशिया, पूर्वी एशिया एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ क्षेत्रों में फैल गया।
- महायान मंत्रों में विश्वास करता है।
- इसके मुख्य सिद्धांत सभी प्राणियों के लिये दुख से सार्वभौमिक मुक्ति की संभावना पर आधारित थे। इसलिये, इस संप्रदाय को महायान (महान वाहन) कहा जाता है।
- इसके सिद्धांत भी बुद्ध एवं बोधिसत्त्वों की ‘प्रकृति के अवतार’ के अस्तित्व पर आधारित हैं। यह बुद्ध में विश्वास रखने और स्वयं को उनके प्रति समर्पित करने के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति की बात करता है।
विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (B)
|
स्रोत: पी.आई.बी.
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 मई, 2022
‘G5-साहेल’
19 मई, 2022 को अफ्रीका के लिये संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष राजनीतिक अधिकारी ने माली के ‘साहेल क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी बल’ (G5-Sahel या G5S) से हटने की जानकारी दी। अफ़्रीकी संघ के सुझाव और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समर्थन के बाद 16 फरवरी, 2014 को नौकोचोट, मॉरिटानिया में इस संयुक्त बल का गठन हुआ, जिसे G5-साहेल नाम दिया गया. इसमें शामिल देश हैं- बुर्किना फासो, माली, मॉरिटानिया, नाइज़र और चाड. G5-साहेल का उद्देश्य क्षेत्र में आतंकवादी गुटों से निपटने हेतु बेहतर समन्वय स्थापित करना और आर्थिक विकास तथा सुरक्षा के लिये सहयोग बढ़ाना है। माली पश्चिमी अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में फैला एक विशाल स्थलाबद्ध देश है। वर्तमान में यह जिहादी हमलों और जातीय हिंसा से जूझ रहा है।
विश्व मधुमक्खी दिवस
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय 20 मई, 2022 को गुजरात में विश्व मधुमक्खी दिवस पर वृहत राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। विश्व मधुमक्खी दिवस के लिये इस वर्ष की थीम है- “बी एंगेज्ड: सेलिब्रेटिंग द डायवर्सिटी ऑफ बीज़ एंड बीकीपिंग सिस्टम्स।” इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देकर देश के छोटे किसानों को अधिकाधिक लाभ पहुँचाना है। प्रत्येक वर्ष 20 मई को विश्व भर में विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य मधुमक्खी और अन्य परागणकों जैसे- तितलियों, चमगादड़ और हमिंग बर्ड आदि के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस 18वीं शताब्दी में आधुनिक मधुमक्खी पालन की तकनीक के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वाले एंटोन जनसा (Antone Jansa) के जन्मदिन (20 मई, 1734) के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के रूप में मनाने के प्रस्ताव को 7 जुलाई, 2017 को इटली में आयोजित खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) के 40वें सत्र में स्वीकृत किया गया था। विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर पर मधुमक्खी के तमाम उत्पादों के लाभ, उत्पादन बढ़ाने में मधुमक्खियों की भूमिका और किसानों को खेती के साथ-साथ नए व्यवसाय के अवसर मुहैया कराने की संभावनाओं पर भी चर्चा की जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस
संग्रहालयों के संदर्भ में लोगों में जागरूकता बढ़ाने हेतु प्रत्येक वर्ष 18 मई को अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (International Museums Day) मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 1977 में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (International Council of Museums- ICOM) द्वारा की गई थी। ICOM एक सदस्यता संघ और एक गैर-सरकारी संगठन है जो संग्रहालय संबंधी गतिविधियों के लिये पेशेवर एवं नैतिक मानक स्थापित करता है। संग्रहालय क्षेत्र में यह एकमात्र वैश्विक संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 1946 में की गई थी और इसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में है। यह संग्रहालय पेशेवरों (138 से अधिक देशों में 40,000 से अधिक सदस्य) के एक नेटवर्क के रूप में कार्य करता है। ICOM की रेड लिस्ट (खतरे में रहने वाली सांस्कृतिक वस्तुओं संबंधी), सांस्कृतिक वस्तुओं के अवैध यातायात को रोकने के लिये व्यावहारिक उपकरण है। वर्ष 2022 के लिये इस दिवस की थीम है- संग्रहालयों की शक्ति। भारत के उल्लेखनीय संग्रहालय हैं- राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली (संस्कृति मंत्रालय के तहत अधीनस्थ कार्यालय); राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली; सालार जंग संग्रहालय, हैदराबाद; भारतीय संग्रहालय, कोलकाता; भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण साइट संग्रहालय, गोवा; प्राकृतिक इतिहास का राष्ट्रीय संग्रहालय (NMNH), नई दिल्ली।
कांस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल
हाल ही में कांस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और बांग्लादेश के सूचना व प्रसारण मंत्री ने संयुक्त रूप से श्री श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित भारत-बांग्लादेश सह-निर्मित फीचर फिल्म ‘मुजीब- द मेकिंग ऑफ ए नेशन’ का 90 सेकंड का ट्रेलर ज़ारी किया। भारत और बांग्लादेश द्वारा सह-निर्मित यह फिल्म प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल थी। यह फिल्म बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी पर उपहार के साथ-साथ अच्छे पड़ोसी संबंधों का भी उदाहरण है। कांस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, फ्रांँस में आयोजित वार्षिक फिल्म समारोह है, जिसमें दुनिया भर के वृत्तचित्रों सहित सभी शैलियों की नई फिल्मों का पूर्वावलोकन किया जाता है। यह दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित और प्रचारित फिल्म समारोह है। यह प्रत्येक वर्ष (आमतौर पर मई में) पालिस डेस फेस्टिवल्स एट डेस कॉन्ग्रेस में आयोजित किया जाता है। इस महोत्सव की बड़े पैमाने पर लोकप्रियता को देखते हुए कई फिल्म हस्तियाँ इसमें शामिल होती हैं, साथ ही फिल्म निर्माताओं हेतु अपनी नई फिल्मों को लॉन्च करने और दुनिया भर से आए वितरकों के समक्ष इन फिल्मों का प्रदर्शन करने के लिये यह एक लोकप्रिय स्थान है।