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प्रश्न :
बौद्ध धर्म ने तत्कालीन मानवीय समस्याओं के व्यावहारिक समाधान के साथ ही भारतीय कला व स्थापत्य को भी एक नई दिशा प्रदान की। विवेचना कीजिये।
10 Jun, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण-
- भूमिका
- बौद्ध धर्म का मानवीय समस्याओं के प्रति दृष्टिकोण
- बौद्ध धर्म का कला व स्थापत्य पर प्रभाव
- निष्कर्ष
बौद्ध धर्म की स्थापना छठवीं शताब्दी में गौतम बुद्ध द्वारा की गयी थी। छठवीं शताब्दी ईसा पूर्व के सामाजिक,आर्थिक तथा धार्मिक पृष्ठभूमि में बौद्ध धर्म का उदय हुआ। इन परिस्थितियों ने समाज में नवीन विचारों तथा संकल्पनाओं के उदय में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बौद्ध धर्म का मानवीय समस्याओं के प्रति दृष्टिकोण-
- समाज में उपस्थित असमानता को दूर करने हेतु बौद्ध धर्म में अपरिग्रह अर्थात् धन संचय न करने का उपदेश दिया गया।
- घृणा, क्रूरता, हिंसा व दरिद्रता का कारण है। अतः मनुष्यों को परस्पर सहयोग व समन्वय पर विश्वास करना चाहिये।
- किसानों को बीज और अन्य सुविधाएँ, व्यापारियों को धन व श्रमिकों के लिये मज़दूरी जैसे समाधान प्रस्तुत किये गए। इन उपायों की अनुशंसा सांसारिक दरिद्रता को दूर करने के लिये की गई।
- बौद्धिक और साहित्यिक जगत को तर्क आधारित गुण-दोष विवेचना की हेतु प्रेरित किया गया ताकि अंधविश्वास को कम किया जा सके।
- बौद्ध धर्म ने स्त्रियों व शूद्रों के लिये संघ के द्वार खोलकर समाज पर गहरा प्रभाव डाला। ऐसे में उपदेशात्मक प्रवृत्ति से इतर यह कदम अधिक व्यावहारिक व प्रभावी था।
बौद्ध धर्म का कला व स्थापत्य कला पर प्रभाव-
- बौद्ध धर्म के फलस्वरूप स्तूपों, चैत्यों तथा विहारों का निर्माण हुआ। उदाहरण- सांची, भरहुत, सारनाथ का स्तूप।
- अजंता, एलोरा के साथ-साथ गांधार मथुरा व अमरावती शैली पर भी इस धर्म का प्रभाव देखा जा सकता है।
- पालि भाषा में साहित्य लिखकर इसे समृद्ध किया गया।
निष्कर्ष के रूप में कह सकते हैं की बौद्ध धर्म ने तत्कालीन मानवीय समस्याओं के व्यावहारिक समाधान के साथ ही भारतीय कला व स्थापत्य को भी एक नई दिशा प्रदान की।
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