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प्रश्न :
बौद्ध धर्म में महायान के उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिये।
04 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृतिउत्तर :
बुद्ध की मृत्यु के पश्चात उनकी शिक्षाओं को लेकर वाद-विवाद शुरू हो गया। कनिष्क के समय में आयोजित चौथी बौद्ध संगीति में बौद्ध धर्म औपचारिक रूप से दो शाखाओं- ‘हीनयान’ और ‘महायान’ में विभाजित हो गया।
मौर्योत्तर काल में बौद्ध धर्म में महायान संप्रदाय के उदय के लिये दो प्रमुख कारक उत्तरदायी रहे- पहला, इस काल में व्यापारियों तथा शिल्पियों के कार्यकलापों में वृद्धि हुई, तथा दूसरा, मध्य एशिया के शासकों द्वारा बौद्ध धर्म को प्रश्रय दिया गया।
व्यापारियों तथा शिल्पियों द्वारा दिये गए अनुदानों के परिणामस्वरूप बौद्ध विहार धन के भंडार हो गए। भिक्षु और भिक्षुणियों ने धन का संग्रहण शुरू कर दिया, माँस का सेवन और उत्तम वस्त्र धारण करने लगे। अनुशासन में इतनी शिथिलता आ गई कि कुछ भिक्षु संघ छोड़कर गृहस्थ जीवन जीने लगे। इन्हीं परिस्थितियों में बौद्ध धर्म की महायान शाखा का उदय हुआ। इनके अतिरिक्त, बौद्ध धर्म में बढ़ती रूढ़िवादिता भी महायान के उदय का एक कारण रही।
विदेशी शासकों ने बौद्ध धर्म में रूचि दिखाई और बौद्ध धर्म के नियमों को अनुकूल व सरल बनाने के प्रयास किये ताकि भारत में अपनी प्रतिष्ठा को आसानी से स्थापित कर सकें। बुद्ध के प्रतीकों की पूजा का स्थान अब बुद्ध की प्रतिमाओं ने ले लिया, यही कारण था कि व्यापारियों के साथ-साथ शासकों द्वारा भी बौद्ध धर्म से संबंधित स्थापत्य कला, जैसे- स्तूप, विहार, मंदिर आदि को प्रोत्साहन दिया गया।To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
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