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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 20 Mar, 2020
  • 13 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 20 मार्च, 2020

रियल टाइम ट्रेन इंफॉर्मेशन सिस्टम

Real Time Train Information System

भारतीय रेलवे प्रणाली के अंतर्गत ट्रेनों की आवाजाही पर बेहतर नज़र रखने के लिये लोकोमोटिव में रियल टाइम ट्रेन इंफॉर्मेशन सिस्टम (Real Time Train Information System-RTIS) स्थापित की जा रही है।

मुख्य बिंदु: 

  • रियल टाइम ट्रेन इंफॉर्मेशन सिस्टम नियंत्रण कार्यालय अनुप्रयोग (Control Office Application) प्रणाली में ट्रेनों के नियंत्रण चार्ट पर स्वचालित रूप से स्थापित किये जाते हैं।
  • यह प्रणाली प्रत्येक 30 सेकंड के अंतराल में अपडेट देती है। इस प्रणाली के द्वारा ट्रेन नियंत्रक अब बिना किसी नियमावली हस्तक्षेप के RTIS सक्षम लोकोमोटिव/ट्रेन के स्थान एवं गति को अधिक बारीकी से ट्रैक कर सकते हैं जिससे ट्रेन नियंत्रण दक्षता में सुधार आएगा।
  • RTIS के रियल टाइम डेटा को नेशनल ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम (National Train Enquiry System- NTES) से भी जोड़ा गया है। जिससे ट्रेनों के आवागमन से संबंधित सटीक जानकारी यात्रियों को दी जा रही है। 
  • इसके अतिरिक्त किसी भी व्यवधान या आपदा के मामले में तेज़ी से प्रतिक्रिया में मदद करने हेतु यह लोकोमोटिव से नियंत्रण केंद्र तक आपातकालीन संदेश भेजने के लिये बेहद आसान है।
  • RTIS को 2700 लोकोमोटिव में स्थापित करने की योजना थी जो दिसंबर 2019 तक पूरी हो चुकी है।
  • RTIS ‘मेक इन इंडिया’ के तहत देश में ही पूरी तरह से डिज़ाइन, विकसित एवं निर्मित किया गया है।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) के सहयोग से RTIS परियोजना को रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (Centre for Railway Information Systems- CRIS) द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।

रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र

(Centre for Railway Information Systems- CRIS):

  • रेल मंत्रालय ने जुलाई 1986 में CRIS की स्थापना की थी। यह भारतीय रेलवे की सूचना प्रौद्योगिकी शाखा है।
  • यह भारतीय रेलवे के प्रमुख कार्यों जैसे यात्री टिकटिंग, माल परिचालन, ट्रेन प्रेषण एवं नियंत्रण, चालक दल प्रबंधन और ई-प्रोक्योरमेंट आदि का कार्य करता है।
  • नेशनल ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम (National Train Enquiry System- NTES) को CRIS द्वारा विकसित किया गया है। 
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। 

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2020

World Consumer Right Day 2020

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस (World Consumer Right Day) 15 मार्च को पूरे विश्व में मनाया जाता है।

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थीम:

  • इस वर्ष उपभोक्ता अधिकार दिवस की थीम पर्यावरण के नुकसान और वैश्विक जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये ‘सतत् उपभोक्ता’ (The Sustainable Consumer) है।

उद्देश्य:

  • विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का उद्देश्य उपभोक्ता अधिकारों एवं ज़रूरतों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है।   

मुख्य बिंदु: 

  • भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs) ने इस दिवस के अवसर पर एक वेबिनार (COVID19 महामारी के कारण भौतिक उपस्थिति के स्थान पर डिजिटल उपस्थिति) का आयोजन किया।
  • इस वेबिनार का आयोजन MyGov प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया गया। इस प्लेटफॉर्म पर किसी संवाद का यह 7वाँ संस्करण था।
  • इस वेबिनार आयोजन में आठ विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया था जिसमें भोजन से लेकर फैशन तक की सारी चीजें शामिल की गई हैं जिसमें मुख्य रूप से पानी, पैकेजिंग, गतिशीलता, उत्पाद एवं सूचना विषमता को अहम स्थान दिया गया है। 

ऐतिहासिक तथ्य:

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी का अहम योगदान है, जिन्होंने 15 मार्च, 1962 को अमेरिकी कॉन्ग्रेस को एक विशेष संदेश भेजा था जिसमें उन्होंने औपचारिक रूप से उपभोक्ता अधिकारों के मुद्दे को संबोधित किया था। वह ऐसा करने वाले विश्व के पहले नेता थे। 

कंज़्यूमर्स इंटरनेशनल (Consumers International):

वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता अधिकारों का नेतृत्व कंज्यूमर्स इंटरनेशनल (Consumers International) कर रहा है जो विश्व भर के उपभोक्ता समूहों के लिये एक गैर लाभकारी सदस्यता संगठन है। इसका मुख्य कार्यालय लंदन में स्थित है।


नेशनल एक्विफायर मैपिंग एंड मैनेजमेंट प्रोग्राम

National Aquifer Mapping and Management program

केंद्रीय भू-जल बोर्ड (Central Ground Water Board- CGWB) द्वारा नेशनल एक्विफायर मैपिंग एंड मैनेजमेंट प्रोग्राम (National Aquifer Mapping and Management program- NAQUIM) लागू किया जा रहा है।

मुख्य बिंदु:  

  • इस प्रोग्राम में भूजल स्रोतों के स्थायी प्रबंधन की सुविधा के लिये तथा जलभृत प्रबंधन योजनाओं की विशेषता तथा विकास के लिये जलभृत मैपिंग की परिकल्पना की गई है।
  • अब तक देश के लगभग 25 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में से विभिन्न क्षेत्रों के अंतर्गत लगभग 11.8 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र के लिये जलभृत मानचित्र एवं प्रबंधन योजनाएँ विकसित की गई हैं। 
  • देश भर में जलभृत मैपिंग मूल्यांकन इकाइयाँ जैसे- ब्लॉक,  तालुका, मंडल, फिरक्का (Firkka) के स्तर पर किया जा रहा है और 6881 मूल्यांकन इकाइयों में लगभग 3600 मूल्यांकन इकाइयाँ केंद्रीय भू-जल बोर्ड द्वारा कवर की गई हैं।
  • केंद्रीय भू-जल बोर्ड भूजल डेटा एकत्र करता है जो सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है और इसे केंद्रीय भू-जल बोर्ड की वेब-साइट के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है।

नेशनल एक्विफायर मैपिंग एंड मैनेजमेंट प्रोग्राम

(National Aquifer Mapping and Management program- NAQUIM):

  • NAQUIM देश के संपूर्ण भूजल स्तर मापन प्रणालियों के मानचित्रण एवं प्रबंधन के लिये भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti) की एक पहल है।

उद्देश्य: 

  • इस योजना का उद्देश्य सूक्ष्म स्तर पर भूमि जल स्तर की पहचान करना, उपलब्ध भूजल संसाधनों की मात्रा निर्धारित करना तथा भागीदारी प्रबंधन के लिये संस्थागत व्यवस्था करना और भूमि जल स्तर की विशेषताओं के मापन के लिये उपयुक्त योजनाओं का प्रस्ताव करना है।

चूँकि जल भारतीय संविधान में राज्य सूची के अंतर्गत आता है, अतः देश में जल प्रबंधन के क्षेत्र में भूजल संरक्षण एवं कृत्रिम जल पुनर्भरण संबंधी पहल करना मुख्य रूप से राज्यों की ज़िम्मेदारी है। 


भारत-अमेरिका विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी फोरम   

Indo-U.S. Science & Technology Forum

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच दीर्घकालिक संबंधों के आधार पर  भारत-अमेरिका विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी फोरम (Indo-U.S. Science & Technology Forum- IUSSTF) आधारित विटेर्बी प्रोग्राम (Viterbi Program) चल रहा है।  

मुख्य बिंदु:

  • इस विटेर्बी प्रोग्राम (Viterbi Program) के तहत 14 भारतीय छात्रों को संयुक्त राज्य अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैलिफोर्निया (University of Southern California) के विटेर्बी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग (Viterbi School of Engineering) में एक शोध इंटर्नशिप के लिये चुना गया है।   
  • इस इंटर्नशिप के अंतर्गत छात्र नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (Natural Language Processing), मशीन लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क (Neural Network), संचार सर्किट, एनालॉग एवं डिजिटल सर्किट डिज़ाइन (Analog and Digital Circuit Design) आदि क्षेत्रों में व्यापक रूप से शोध करेंगे।

विटेर्बी प्रोग्राम (Viterbi Program):

  • IUSSTF के विटेर्बी प्रोग्राम को IUSSTF और Viterbi School of Engineering द्वारा विकसित किया गया था।
  • यह कार्यक्रम भारत और अमेरिका के बीच दीर्घकालिक, सतत् एवं जीवंत संबंध बनाने हेतु तथा मेधावी भारतीय छात्रों के बीच अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने के लिये भारत सरकार की एक पहल है।

भारत-अमेरिका विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी फोरम

(Indo-U.S. Science & Technology Forum- IUSSTF):

  • IUSSTF को मार्च 2000 में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक समझौते के तहत स्थापित किया गया था।
  • यह एक स्वायत्त द्विपक्षीय फोरम है इसका उद्देश्य संयुक्त रूप से सरकार, शिक्षा एवं औद्योगिक क्षेत्रों के बीच आपसी तालमेल के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और नवाचार को बढ़ावा देना है। इस फोरम को दोनों देशों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।
  • भारत सरकार का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology) और संयुक्त राज्य अमेरिका का अमेरिकी राज्य विभाग (The U.S. Department of State) इस कार्यक्राम से संबंधित नोडल विभाग हैं।
  • IUSST एक विकसित कार्यक्रम पोर्टफोलियो है जो सामयिक विषयों पर दोनों देशों के वैज्ञानिक समुदायों के लिये संगोष्ठी, कार्यशालाओं और सम्मेलनों का आयोजन कराता है।

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