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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 19 Jan, 2021
  • 13 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स : 19 जनवरी, 2021

Semeru Volcano of Indonesia

इंडोनेशिया का सेमरू ज्वालामुखी

हाल ही में इंडोनेशिया के पूर्वी जावा प्रांत में स्थित सेमरू ज्वालामुखी (Semeru Volcano) में विस्फोट हुआ है। इंडोनेशिया में स्थित अन्य ज्वालामुखी जिनमें  मेरापी ज्वालामुखी (जावा) और सिनाबंग ज्वालामुखी (सुमात्रा) शामिल हैं, में कुछ समय पूर्व ही विस्फोट हुआ था।

प्रमुख बिंदु: 

 सेमरू ज्वालामुखी:

  • सेमरू- जिसे "द ग्रेट माउंटेन" के रूप में भी जाना जाता है जावा का सबसे उच्चतम ज्वालामुखी शिखर है तथा सर्वाधिक सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है।
  • इसमें अंतिम बार दिसंबर, 2019 में विस्फोट हुआ था।
  • इंडोनेशिया में विश्व के सक्रिय ज्वालामुखियों की सर्वाधिक संख्या होने के साथ-साथ इसके पैसिफिक रिंग ऑफ फायर (Pacific’s Ring of Fire)  में अवस्थित होने  के कारण यहाँ भूकंपीय उथल-पुथल का खतरा भी बना रहता है।
  • सेमरू ज्वालामुखी भी सूंडा प्लेट (यूरेशियन प्लेट का हिस्सा) के नीचे स्थित इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट के उप-भाग के रूप में निर्मित द्वीपीय  चाप (Island Arcs) का हिस्सा है। यहांँ निर्मित खाई को सुंडा खाई के नाम से जाना है  जावा खाई (Java Trench) इसका प्रमुख खंड/भाग है

पैसिफिक रिंग ऑफ फायर:

  • रिंग ऑफ फायर, जिसे सर्कम-पैसिफिक बेल्ट (Circum-Pacific Belt) के रूप में भी जाना जाता है, सक्रिय ज्वालामुखियों और लगातार आने वाले भूकंपों के कारण प्रशांत महासागर में निर्मित एक मार्ग है।
  • यह प्रशांत (Pacific), कोकोस (Cocos), भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई (Indian-Australian), नाज़का (Nazca), उत्तरी अमेरिकी (North American) और फिलीपीन प्लेट्स (Philippine Plates) सहित कई टेक्टोनिक प्लेटों के मध्य एक सीमा का निर्धारण करती है।

Semeru-Volcano

द्वीपीय चाप: 

  • ये तीव्र ज्वालामुखीय और भूकंपीय गतिविधि तथा ओरोज़ेनिक (पर्वत-निर्माण) प्रक्रियाओं से जुड़े समुद्री द्वीपों की लंबी, घुमावदार शृंखलाएंँ हैं।
    • एक द्वीपीय चाप में सामान्यतः एक लैंड मास (Land Mass) या आंशिक रूप से संलग्न उथला समुद्र शामिल होता है।
    • उत्तल क्षेत्र के साथ हमेशा एक लंबी, संकीर्ण गहरी गर्त/खाई विद्यमान होती है।
    • समुद्र के इन गहरे क्षेत्रों में सबसे बड़ी एवं गहरी महासागरीय गर्त  पाई जाती है जिसमें मारियाना (दुनिया की सबसे गहरी खाई) और टोंगागर्त शामिल हैं।
  • भूगर्भिक विशेषता के इन प्रारंभिक उदाहरणों में अलेउतियन-अलास्का गर्त (Aleutian-Alaska Arc) और कुरील-कामचटका गर्त (Kuril-Kamchatka Arc) शामिल हैं।

Western Disturbance

पश्चिमी विक्षोभ

भारत मौसम विज्ञान विभाग ( India Meteorological Department-IMD) के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance- WD) के कारण शीघ्र ही हिमालय क्षेत्र के प्रभावित होने की संभावना है।

  • विक्षोभों के परिणामस्वरूप जम्मू के मैदानी इलाकों में हल्की से मध्यम बर्फबारी और बारिश हो सकती है।

प्रमुख बिंदु: 

  • पश्चिमी विक्षोभ को भूमध्य सागर में उत्पन्न होने वाले एक ‘बहिरूष्ण उष्णकटिबंधीय तूफान’ के रूप में चिह्नित किया जाता है, जो एक निम्न दबाव का क्षेत्र है तथा उत्तर-पश्चिम भारत में अचानक वर्षा, बर्फबारी और कोहरे के लिये ज़िम्मेदार है।
  • पश्चिमी विक्षोभ का अर्थ इसके नाम में ही निहित है:
    • पश्चिमी विक्षोभ की दिशा ‘पश्चिम’ से  ‘पूर्व’ की ओर होती है।
      • ये हाई अल्टीट्यूड पर पूर्व की ओर चलने वाली वर्स्टली जेट धाराओं (Westerly Jet Streams) के साथ यात्रा करते हैं -
    •  विक्षोभ का तात्पर्य ‘विक्षुब्ध’ क्षेत्र या कम हवा वाले दबाव क्षेत्र से है।
      • प्रकृति में संतुलन मौजूद है जिसके कारण एक क्षेत्र में हवा अपने दबाव को सामान्य करने की कोशिश करती है।
  • "बहिरूष्ण कटिबंधीय तूफान" शब्द में तूफान कम दबाव के क्षेत्र को संदर्भित करता है तथा "अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय"का अर्थ है उष्णकटिबंधीय के अतिरिक्त। चूंँकि पश्चिमी विक्षोभ की उत्पत्ति उष्णकटिबंधीय क्षेत्र से बाहर होती है, इसलिये "बहिरूष्ण कटिबंधीय" शब्द उनके साथ जुड़ा हुआ है।
  • पश्चिमी विक्षोभ का संबंध उत्तरी भारत में वर्षा, बर्फबारी और कोहरे से जुड़ा हुआ है। इसके कारण पाकिस्तान और उत्तरी भारत में वर्षा और बर्फबारी होती है। पश्चिमी विक्षोभ अपने साथ लाने वाली नमी को भूमध्य सागर और/या अटलांटिक महासागर से ग्रहण करते हैं।
  • सर्दियों में होने वाली वर्षा और प्री-मॉनसून वर्षा पश्चिमी विक्षोभ के कारण होती है जो उत्तरी उपमहाद्वीप क्षेत्र में रबी की फसल के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण होती है।
  • पश्चिमी विक्षोभ हमेशा ही अच्छे मौसम के सूचक नहीं होते हैं। ये बाढ़, भूस्खलन, धूल भरी आंँधी, ओलावृष्टि, शीत लहर से लोगों की मृत्यु , बुनियादी ढांँचे की क्षति तथा आजीविका को प्रभावित करने वाली चरम मौसमी घटनाओं का कारण भी बन सकते है।
    • पश्चिमी विक्षोभ के संदर्भ में विशेषज्ञों की राय उत्तराखंड में आई वर्ष 2013 की बाढ़ के संबंध में अलग  है, जिसमें तीन दिनों तक लगातार वर्षा के बाद 5000 से अधिक लोग मारे गए थे।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 19 जनवरी, 2021

‘वन स्कूल, वन आईएएस’ कार्यक्रम

हाल ही में केरल के राज्यपाल द्वारा राज्य के मेधावी और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के तकरीबन 10,000 छात्रों को सिविल सेवाओं और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये मुफ्त कोचिंग प्रदान करने हेतु ‘वन स्कूल, वन आईएएस’ कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इस कार्यक्रम का आयोजन केरल के ‘वेदिक एरुडाइट फाउंडेशन’ द्वारा किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में मुख्य तौर पर सरकारी और सरकार द्वारा सहायता प्राप्त विद्यालयों के ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्र के छात्रों को शामिल किया जाएगा। यह उच्च शिक्षण मंच विद्यार्थियों को भविष्य की योजना बनाने और उन्हें एक सिविल सेवक के रूप में स्वयं का विकास करने में सहायता प्रदान करेगा। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए राज्य के गवर्नर ने कहा कि ‘एक सिविल सेवक के रूप में कार्य करना देश के हज़ारों युवाओं का सपना होता है, किंतु उनमें से अधिकांश लोग यह नहीं जानते हैं कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने की शुरुआत कहाँ से करनी है। इस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को अनुभवी सिविल सेवकों के माध्यम से उचित मार्गदर्शन और प्रशिक्षण प्रदान किया जा सकेगा। 

उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान

17 जनवरी, 2021 को सुप्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीतकार और पद्म विभूषण से सम्मानित उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान का मुंबई में 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। 3 मार्च, 1931 को उत्तर प्रदेश के बदायूँ में जन्मे उस्ताद गुलाम मुस्तफा अपने भाई- बहनों में सबसे बड़े थे। उस्ताद गुलाम मुस्तफा प्रसिद्ध संगीतकारों के परिवार से थे। उन्हें बुनियादी शास्त्रीय संगीत का प्रारंभिक प्रशिक्षण अपने पिता से मिला था, इसके पश्चात् उन्होंने अपने चचेरे भाई, उस्ताद निसार हुसैन खान के अधीन संगीत का अध्ययन किया। संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष 1991 में पद्मश्री, वर्ष 2006 में पद्म भूषण और वर्ष 2018 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2003 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो कि कलाकारों को दिया जाने वाला सर्वोच्च भारतीय सम्मान है। 

'रक्षिता' एंबुलेंस

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने हाल ही में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) को एक मोटर बाइक-आधारित एंबुलेंस प्रदान की है, जिसे मुख्य तौर पर भीड़भाड़ वाली सड़कों और दूरदराज़ के स्थानों में रहने वाले लोगों को त्वरित चिकित्सा सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। 'रक्षिता' नाम की इस बाइक-आधारित एंबुलेंस को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की एक प्रमुख प्रयोगशाला ‘इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंसेज़’ (INMAS) द्वारा विकसित किया गया है। 'रक्षिता' एंबुलेंस उन क्षेत्रों के लिये काफी लाभदायक साबित होगी, जहाँ बड़ी एंबुलेंस के माध्यम से नहीं पहुँचा जा सकता है। इस एंबुलेंस में एक आकस्मिक निकासी सीट (CES) भी है, जिसे आवश्यकता पड़ने पर लगाया और निकाला जा सकता है। इसमें मेडिकल और ऑक्सीजन किट भी मौजूद है, जिसे आवश्यकता पड़ने पर तत्काल प्रयोग किया जा सकता है। ज्ञात हो कि केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों को भारत भर में कई दुर्गम स्थानों पर नियुक्त किया जाता है, ऐसे में पारंपरिक एंबुलेंस के माध्यम से घायल और बीमार जवानों को अस्पताल पहुँचाना काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है, DRDO द्वारा विकसित 'रक्षिता' एंबुलेंस से जवानों का समय पर उपचार करने में मदद मिलेगी। 

श्रम आंदोलन संग्रहालय 

केरल में जल्द ही विश्व श्रम आंदोलन के इतिहास को दर्शाने वाला भारत का पहला श्रम आंदोलन संग्रहालय लॉन्च किया जाएगा। केरल के इस श्रम संग्रहालय में तमाम तरह के दस्तावेज़ों का एक विशाल भंडार मौजूद होगा, इससे विश्व के (विशेष तौर पर भारत के) श्रम आंदोलनों के स्वरूप को समझने में सहायता मिलेगी। इससे राज्य में देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। इस संग्रहालय में चित्रों, दस्तावेज़ों और अन्य प्रदर्शनों के माध्यम से विश्व श्रम आंदोलन के इतिहास और केरल के श्रम आंदोलन के इतिहास को प्रदर्शित किया जाएगा। तकरीबन 9.95 करोड़ रुपए की लागत के साथ इस संग्रहालय का नवीकरण संबंधी 97 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है।


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