बाबासाहेब पुरंदरे
हाल ही में भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक बाबासाहेब पुरंदरे (Babasaheb Purandare) का निधन हो गया।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे (Balwant Moreshwar Purandare) का जन्म 29 जुलाई,1922 को महाराष्ट्र में हुआ था, जिन्हें बाबासाहेब पुरंदरे के नाम से जाना जाता है।
- वह एक लेखक और इतिहासकार थे तथा छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर किये गए अपने लेखन के लिये प्रसिद्ध थे।
- वह ' शिव-शाहीर के नाम से प्रसिद्ध थे।
- उनके प्रमुख कार्य:
- उन्हें मराठा राजा छत्रपति शिवाजी पर लेखन कार्य में प्राधिकार प्राप्त था और उन्होंने बहुत कम उम्र में शिवाजी के जीवन और उपलब्धियों पर लेखन (कहानियों) कार्य शुरू कर दिया था। इन कहानियों को बाद में संकलित किया गया जिसे उन्होंने थिनग्या (Thinagya/स्पार्क्स) नामक एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जो शिवाजी के शासनकाल का विवरण प्रस्तुत करती है।
- बाबासाहेब पुरंदरे के अन्य कार्यों में नारायणराव पेशवा की जीवनी, राजा शिव छत्रपति और केसरी नामक पुस्तकें शामिल हैं।
- इसके अलावा उन्हें उनके लोकप्रिय नाटक 'जनता राजा' के लिये जाना जाता है, जिसे वर्ष 1985 से 5 भाषाओं में प्रकाशित किया गया। यह मूल रूप से मराठी में लिखा गया था।
- मध्य प्रदेश सरकार ने नाटक के क्षेत्र में उनके कार्यों के लिये उन्हें 2007-08 में कालिदास सम्मान से सम्मानित किया था।
- पुरस्कार और सम्मान:
- वर्ष 2019 में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
- उन्हें वर्ष 2015 में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। यह महाराष्ट्र का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव, 2021
हाल ही में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (India International Science Festival- IISF) का 7वां संस्करण लॉन्च किया गया।
प्रमुख बिंदु
- भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के बारे में:
- वर्ष 2015 में शुरू किया IISF एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसे देश का सबसे बड़ा मंच माना जाता है। यह विश्व के छात्रों, जनता, शोधकर्त्ताओं, नवप्रवर्तनकर्त्ताओं और कलाकारों को लोगों एवं मानवता की भलाई के लिये विज्ञान का अभूतपूर्व अनुभव प्राप्त करने के लिये एक साथ लाता है।
- आयोजन:
- IISF 2021 का आयोजन विज्ञान भारती के सहयोग से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
- IISF 2021 का आयोजन गोवा के पणजी में 10 से 13 दिसंबर तक किया जाएगा।
- नोडल एजेंसी:
- राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र, जो कि MoES के तहत एक स्वायत्त संस्थान है इसकी नोडल एजेंसी है।
- वर्ष 2021 की थीम:
- समृद्ध भारत के लिये विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार में रचनात्मकता का जश्न मनाना।
- यह भारत की आज़ादी का अमृत महोत्सव की भावना और विचार को भी प्रतिबिंबित करेगा, जिसका उद्देश्य वर्ष 2022 में भारतीय स्वतंत्रता के 75 गौरवशाली वर्षों को चिह्नित करना है।
- समृद्ध भारत के लिये विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार में रचनात्मकता का जश्न मनाना।
विज्ञान भारती
- स्वदेशी विज्ञान आंदोलन ‘भारतीय विज्ञान संस्थान-बंगलूरू’ में कुछ प्रख्यात वैज्ञानिकों द्वारा प्रोफेसर ‘के.आई. वासु’ के मार्गदर्शन में शुरू किया गया था।
- इस आंदोलन ने धीरे-धीरे गति पकड़ी और राष्ट्रीय संगठन के रूप में उभरा।
- वर्ष 1991 में अखिल भारतीय स्तर पर स्वदेशी विज्ञान आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया गया और इसे ‘विज्ञान भारती’ नाम दिया गया।
- इसका एक उद्देश्य युवा वैज्ञानिकों को अधिक रचनात्मकता और मौलिकता के लिये प्रेरित करना है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
नागरिक उड्डयन हेतु ई-गवर्नेंस
हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने नागरिक उड्डयन के लिये ई-गवर्नेंस (e-GCA) ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है जिसके माध्यम से नागरिक उड्डयन पायलट लाइसेंसिंग और चिकित्सा परीक्षा सहित 298 सेवाएँ प्रदान करेगा।
- नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के तहत e-GCA परियोजना का शुभारंभ विमानन क्षेत्र के लिये 100-दिवसीय कार्ययोजना का हिस्सा था। पोर्टल को टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ द्वारा विकसित किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- यह सूचना के प्रसार और एक सुरक्षित वातावरण में ऑनलाइन, त्वरित सेवा वितरण हेतु एक पोर्टल है।
- यह अनेक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन सहित सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ कनेक्टिविटी के लिये एंड-टू-एंड समाधान प्रदान करता है।
- यह विभिन्न DGCA हितधारकों जैसे- पायलट, एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर, हवाई यातायात नियंत्रक, हवाई ऑपरेटरों, हवाई अड्डे के संचालकों, उड़ान प्रशिक्षण संगठनों, रखरखाव और डिज़ाइन संगठनों को सेवाएँ प्रदान करेगा।
- लक्ष्य:
- इसका उद्देश्य DGCA की विभिन्न सेवाओं की दक्षता में वृद्धि और DGCA के सभी कार्यों में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाना है।
- लाभ:
- परिचालन अक्षमताओं को दूर करना
- व्यक्तिगत संपर्क को कम करना
- नियामक रिपोर्टिंग में सुधार
- पारदर्शिता बढ़ाना
- उत्पादकता बढ़ाना
- महत्त्व
- सिंगल-विंडो प्लेटफॉर्म के रूप में यह DGCA की प्रक्रिया और कार्यों के स्वचालन के माध्यम से एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन को प्रेरित करेगा।
- यह आईटी अवसंरचना और सेवा वितरण ढाँचे को एक मज़बूत आधार प्रदान करेगा।
- यह 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह DGCA के सुरक्षा नियामक ढाँचे को मज़बूत करेगा।
नागर विमानन महानिदेशालय
- यह नागरिक उड्डयन मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है।
- यह नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में नियामक निकाय है, जो मुख्य रूप से सुरक्षा मुद्दों से निपटता है।
- यह भारत में/से/के भीतर हवाई परिवहन सेवाओं के नियमन और नागरिक हवाई नियमों, हवाई सुरक्षा एवं उड़ान योग्यता मानकों को लागू करने हेतु उत्तरदायी है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के साथ सभी नियामक कार्यों का समन्वय भी करता है।
सिंधु नदी डॉल्फिन
हाल ही में पंजाब के वन्यजीव संरक्षण खंड ने सिंधु नदी डॉल्फिन के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा हेतु भी प्रयास किये हैं।
- वर्ष 2019 में सिंधु नदी डॉल्फिन को पंजाब का राज्य जलीय जानवर घोषित किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- वैज्ञानिक नाम: प्लैटानिस्टा गैंगेटिका माइनर
- दक्षिण एशियाई नदी डॉल्फिन के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, सिंधु और गंगा नदी डॉल्फिन एक नहीं, बल्कि दो अलग-अलग प्रजातियाँ हैं। वर्तमान में उन्हें प्लैटानिस्टा गैंगेटिका के तहत दो उप-प्रजातियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- अन्य मीठे पानी की डॉल्फिन (जैसे गंगा नदी डॉल्फिन) की तरह सिंधु नदी डॉल्फिन नदी के स्वास्थ्य का एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है।
- भारतीय जल में पाई जाने वाली अन्य डॉल्फिन में शामिल हैं: गंगा नदी डॉल्फिन, इरावदी डॉल्फिन।
- परिवेश:
- वे केवल पाकिस्तान में सिंधु नदी के निचले हिस्सों और पंजाब, भारत में सिंधु नदी की एक सहायक नदी ब्यास में पाई जाती हैं।
- खतरे:
- जैविक संसाधनों का उपयोग: मत्स्य पालन और जलीय संसाधनों का संचयन।
- प्राकृतिक प्रणाली में संशोधन: बाँध और जल प्रबंधन/उपयोग।
- प्रदूषण: घरेलू और शहरी अपशिष्ट जल, औद्योगिक और सैन्य अपशिष्ट, कृषि और वानिकी अपशिष्ट।
- संरक्षण की स्थिति:
- उठाए गए कदम:
- मीठे पानी की डॉल्फिन की गणना का काम केंद्र सरकार की राष्ट्रव्यापी परियोजना के रूप में किया जा रहा है।
- प्रोजेक्ट डॉल्फिन: वर्ष 2020 में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर घोषित यह प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज पर होगा, जिससे बाघों की आबादी बढ़ाने में मदद मिली है।
पुरी हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना
ओडिशा सरकार जल्द ही पुरी हेरिटेज कॉरिडोर की आधारशिला रखेगी, यह 800 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाएगा।
- यह परियोजना पुरी को विश्व स्तरीय विरासत शहर के रूप में विकसित करने के लिये बुनियादी सुविधाओं एवं विरासत तथा वास्तुकला की विकास (ABADHA) योजना के विस्तार का एक हिस्सा है।
प्रमुख बिंदु:
- पुरी हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना:
- वर्ष 2016 में परिकल्पित, पुरी हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना का अनावरण दिसंबर 2019 में पवित्र शहर पुरी को विरासत के एक अंतर्राष्ट्रीय स्थल में बदलने के लिये किया गया था।
- इस परियोजना में आगंतुकों और पर्यटकों के लिये पवित्र शहर और जगन्नाथ मंदिर के आसपास के प्रमुख हिस्सों का पुनर्विकास करना शामिल है।
- इस परियोजना में श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) भवन पुनर्विकास, एक 600 क्षमता वाला श्रीमंदिर स्वागत केंद्र, जगन्नाथ सांस्कृतिक केंद्र, बडाडांडा हेरिटेज स्ट्रीटस्केप, समुद्र तट विकास, पुरी झील, मूसा नदी पुनरुद्धार योजना आदि शामिल होंगे।
- जगन्नाथ मंदिर:
- निर्माण:
- ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में पूर्वी गंगवंश के राजा अनन्तवर्मन चोडगंग द्वारा किया गया था।
- पौराणिक कथा:
- जगन्नाथ पुरी मंदिर को 'यमनिका तीर्थ' कहा जाता है, हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यहाँ भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति के कारण मृत्यु के देवता 'यम' की शक्ति समाप्त हो गई।
- वास्तुकला:
- इस मंदिर को "व्हाइट पेगोडा" कहा जाता था और यह चार तीर्थ धाम (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम) में से एक है।
- मंदिर के चार द्वार हैं- पूर्वी 'सिंहद्वार' जो दो झुके हुए शेरों के साथ मुख्य द्वार है, दक्षिणी 'अश्वद्वार', पश्चिमी 'व्याघ्र द्वार' और उत्तरी 'हस्तीद्वार'। प्रत्येक द्वार पर एक विशिष्ट प्रकार की नक्काशी है।
- प्रवेश द्वार के सामने अरुणा स्तंभ या सूर्य स्तंभ है, जो मूल रूप से कोणार्क के सूर्य मंदिर में था।
- महोत्सव: विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा (कार महोत्सव) और बहुदा यात्रा।
- निर्माण:
- ओडिशा में अन्य महत्त्वपूर्ण स्मारक:
- कोणार्क सूर्य मंदिर (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल)
- तारा तारिणी मंदिर
- लिंगराज मंदिर
- उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएँ
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 18 नवंबर, 2021
राष्ट्रीय एपिलेप्सी दिवस
एपिलेप्सी (मिर्गी) के संबंध में जागरूकता पैदा करने हेतु प्रतिवर्ष 17 नवंबर को ‘राष्ट्रीय एपिलेप्सी दिवस’ का आयोजन किया जाता है। यह दिवस आम लोगों को शिक्षित करने और रोग, इसके लक्षणों एवं उपचार के बारे में अधिक समझने का अवसर प्रदान करता है। एपिलेप्सी (मिर्गी) एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार है, इसमें मस्तिष्क की गतिविधि असामान्य हो जाती है, जिससे दौरे या असामान्य व्यवहार, संवेदनाएँ और कभी-कभी अभिज्ञता संबंधी हानि होती है। एपिलेप्सी चौथा सबसे सामान्य न्यूरोलॉजिकल विकार है जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। हालाँकि कोई भी व्यक्ति एपिलेप्सी से ग्रसित हो सकता है, परंतु यह छोटे बच्चों और वयस्कों तथा महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक देखा जाता है। स्वाद, गंध, दृष्टि, श्रवण या स्पर्श में परिवर्तन आना, चक्कर आना, अंगों में सिहरन उत्पन्न होना, एकटक घूरना, एक ही कार्य को बार-बार करना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। एपिलेप्सी का कोई उपचार नहीं है, लेकिन इस विकार को दवाओं और अन्य रणनीतियों के साथ प्रबंधित किया जा सकता है। दुनिया भर में लगभग 50 मिलियन लोग एपिलेप्सी से ग्रसित हैं, जो इसे विश्व स्तर पर सबसे आम न्यूरोलॉजिकल रोगों में से एक बनाता है। दुनिया भर के कई हिस्सों में मिर्गी से पीड़ित लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
सौरव गांगुली
हाल ही में बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को आईसीसी पुरुष क्रिकेट समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। सौरव गांगुली, अनिल कुंबले का स्थान लेंगे, जिन्होंने अपना अधिकतम तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है। आईसीसी पुरुष क्रिकेट समिति मुख्य तौर पर पुरुष क्रिकेट से संबंधित निर्णय लेने हेतु उत्तरदायी है और यह ‘मुख्य कार्यकारी समिति’ को रिपोर्ट करती है। ‘अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद’ (ICC) क्रिकेट का वैश्विक शासी निकाय है। यह समग्र तौर पर 106 सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है और सदस्य देशों की सहायता से खेल (क्रिकेट) को नियंत्रित एवं प्रशासित करता है।
भारत का 41वाँ अंटार्कटिका वैज्ञानिक अभियान
भारत ने हाल ही में अंटार्कटिक के लिये 41वाँ वैज्ञानिक अभियान शुरू किया है। इसके लिये 23 वैज्ञानिकों और सहायक कर्मचारियों का पहला जत्था भारतीय अंटार्कटिक स्टेशन ‘मैत्री’ पहुँच गया है। 41वें अभियान के दो प्रमुख कार्यक्रम हैं। पहले कार्यक्रम में ‘भारती’ स्टेशन पर ‘अमेरी आइस शेल्फ’ का भू-वैज्ञानिक अन्वेषण शामिल है। इससे अतीत में भारत और अंटार्कटिक के बीच के संबंध के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी। दूसरे कार्यक्रम में रिकोनिसेंस सर्वेक्षण और ‘मैत्री’ के पास 500 मीटर आइस कोर की ड्रिलिंग हेतु प्रारंभिक कार्य शामिल है। ज्ञात हो कि अंटार्कटिक भारत सहित कई देशों द्वारा स्थापित लगभग 60 स्थायी स्टेशनों को छोड़कर पूरी तरह से निर्जन है। अंटार्कटिक पृथ्वी का सबसे दक्षिणतम महाद्वीप है। इसमें भौगोलिक रूप से दक्षिणी ध्रुव शामिल है और यह दक्षिणी गोलार्द्ध के अंटार्कटिक क्षेत्र में स्थित है। अंटार्कटिक विश्व का पाँचवाँ सबसे बड़ा महाद्वीप है। भारत ने अंटार्कटिक में अब तक कुल तीन अनुसंधान स्टेशन स्थापित किये हैं- दक्षिण गंगोत्री (1984), मैत्री (1989) और भारती (2012)। इसमें से केवल ‘मैत्री’ और ‘भारती’ ही परिचालन में हैं।