रैपिड फायर
10,000 FPO को CSC में परिवर्तित करने हेतु समझौता ज्ञापन
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में ई-गवर्नेंस सेवा प्रदाता कॉमन सर्विस सेंटर स्पेशल पर्पज़ व्हीकल (CSC SPV) तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (Farmer Producer Organisation- FPO) को सामान्य सेवा केंद्र (Common Service Centres- CSC) में परिवर्तित करने के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- इससे '10,000 FPO के गठन एवं संवर्द्धन योजना' के तहत पंजीकृत FPO से जुड़े किसानों को लाभ होगा, क्योंकि इससे उन्हें नागरिक-केंद्रित सेवाएँ प्राप्त करने में सहायता मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।
- '10,000 FPO का गठन एवं संवर्धन' वर्ष 2020 में शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
- इसका उद्देश्य किसानों की सौदेबाजी की क्षमता में वृद्धि करना, उत्पादन की लागत में कमी लाने और अपने कृषि उत्पादों के एकत्रीकरण के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि करना है।
- CSC योजना, जो डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की मिशन मोड परियोजनाओं में से एक है, किसानों को विभिन्न सेवाएँ प्रदान कर रही है, जिनमें टेली-कंसलटेशन, फसल बीमा, ई-पशु चिकित्सा, किसान क्रेडिट कार्ड और PM किसान योजनाएँ शामिल हैं।
और पढ़ें: सामान्य सेवा केंद्र (CSC), किसान उत्पादक संगठन, 10,000 FPO का गठन और संवर्द्धन
रैपिड फायर
सौर परियोजना में IFC का निवेश
स्रोत: लाइव मिंट
हाल ही में विश्व बैंक की निजी क्षेत्रीय ऋण शाखा, अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) ने राजस्थान में 550 मेगावाट पीक (MWp) सौर ऊर्जा परियोजना के आंशिक वित्तपोषण के लिये 105 मिलियन अमेरिकी डॉलर उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- MWp का तात्पर्य सौर या पवन ऊर्जा परियोजना का अधिकतम विद्युत उत्पादन क्षमता से है जो पवन की गति और सूर्य के प्रकाश के सामर्थ्य के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है।
- इस निवेश का उद्देश्य दीर्घकालिक ऊर्जा अनुबंधों के माध्यम से संपूर्ण भारत में व्यवसायों और उद्योगों को सौर विद्युत के लिये सस्ती कीमतें उपलब्ध कराना है। इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के भारत के प्रयासों को समर्थन मिलेगा।
- भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा (RE) क्षमता हासिल करने की महत्त्वाकांक्षी योजना बनाई है, जिससे ऊर्जा संक्रमण क्षेत्र के निवेश में वृद्धि होगी।
- विश्व बैंक की स्थापना वर्ष 1944 में IMF के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) के रूप में की गई थी। IBRD ही बाद में विश्व बैंक बना
- IFC विकासशील देशों में निजी क्षेत्र पर केंद्रित सबसे बड़ी वैश्विक विकास संस्था होने का दावा करती है। IFC यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि विकासशील देशों में निजी उद्यमों को बाज़ार और वित्तपोषण तक पहुँच प्राप्त हो।
और पढ़ें: नवीकरणीय ऊर्जा, विश्व बैंक
प्रारंभिक परीक्षा
कावली पुरस्कार
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में आठ वैज्ञानिकों को खगोल भौतिकी, तंत्रिका विज्ञान और नैनो विज्ञान में उनके योगदान के लिये 2024 कावली पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- इस वर्ष पुरस्कार से सम्मानित सभी आठ वैज्ञानिक अग्रणी अमेरिकी विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर हैं।
कावली पुरस्कार
- कावली पुरस्कार से अलग कावली पदक (Kavli Medal), पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग में उत्कृष्टता के लिये प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।
- यह ब्रिटेन, राष्ट्रमंडल या आयरिश गणराज्य के नागरिकों या कम-से-कम तीन वर्षों के निवास अनुभव वाले निवासियों के लिये खुला है।
- PhD प्राप्त करने के 15 वर्षों के भीतर, कॅरियर अंतराल को छोड़कर, प्रारंभिक कॅरियर वाले वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
- संयुक्त भौतिक और जैविक विज्ञान पुरस्कार समिति की अनुशंसाओं के आधार पर रॉयल सोसाइटी काउंसिल द्वारा प्राप्तकर्त्ताओं का चयन किया जाता है। नामांकन पाँच वर्ष तक वैध होता है, जिसके उपरांत उम्मीदवारों को पुनः नामांकित होने से पूर्व एक वर्ष की अवधि तक इंतज़ार करना पड़ता है।
कावली पुरस्कार क्या है?
- परिचय:
- कावली पुरस्कार एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार है जो वैज्ञानिकों को खगोल भौतिकी, नैनोसाइंस और तंत्रिका विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिये मान्यता प्रदान करता है।
- प्रत्यके दो वर्ष में दिये जाने वाले इस पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 2008 में हुई थी। इसका नाम नॉर्वेजियन-अमेरिकी व्यवसायी और लोकोपकारक फ्रेड कावली (Fred Kavli) के नाम पर रखा गया है।
- यह पुरस्कार नॉर्वेजियन एकेडमी ऑफ साइंस एंड लेटर्स द्वारा कावली फाउंडेशन और नॉर्वेजियन शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्रालय के साथ साझेदारी में प्रदान किया जाता है।
- नोबेल पुरस्कार से तुलना:
- कावली पुरस्कार, नोबेल पुरस्कार के समान पुरस्कार है जो खगोल भौतिकी, तंत्रिका विज्ञान एवं नैनो विज्ञान के क्षेत्र में दिया जाता है
- इनमें मुख्य अंतर यह है कि नोबेल पुरस्कार "विगत वर्ष के दौरान" की उपलब्धियों के लिये दिया जाता है जबकि कावली पुरस्कार में किसी भी वर्ष में प्राप्त उपलब्धियों को मान्यता दी जाती है।
- वर्ष 2024 के विजेता:
क्षेत्र |
विजेता |
योगदान |
खगोल भौतिकी |
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के डेविड चारबोन्यू तथा मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की सारा सीगर। |
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नेनौसाइंस |
MIT के रॉबर्ट लैंगर, शिकागो विश्वविद्यालय के आर्मंड पॉल अलीविसाटोस तथा नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय के चाड मिर्किन |
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तंत्रिका विज्ञान |
नैंसी कनविशर (MIT), विनरिक फ्रीवाल्ड (रॉकफेलर यूनिवर्सिटी), डोरिस त्साओं (कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले) |
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और पढ़ें: नोबेल पुरस्कार-2023
रैपिड फायर
तरंग शक्ति-2024
स्रोत:द हिंदू
अगस्त 2024 में भारत तरंग शक्ति-2024 नामक अपने पहले बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास का आयोजन करेगा, जिसमें 10 देश भाग लेंगे तथा इसमें कुछ अन्य पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होंगे।
- यह अमेरिका द्वारा आयोजित रेड फ्लैग अभ्यास से प्रेरित है
- इसका आयोजन दो चरणों में होगा, जिसका पहला चरण दक्षिण भारत में और दूसरा पश्चिम में होगा।
- इसमें ऑस्ट्रेलिया, फ्राँस, जर्मनी, जापान, स्पेन, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के भाग लेने की आशा है
- इसमें जर्मनी द्वारा A-400M विमान का प्रदर्शन किया जाएगा। इसे मध्यम परिवहन विमान की श्रेणी में खुले टेंडर के संभावित विकल्प के रूप में माना जा रहा है
- हाल ही में भारतीय वायु सेना (IAF) ने अलास्का में 4 से 14 जून 2024 तक हवाई अभ्यास रेड फ्लैग, 2024 के दूसरे संस्करण में भाग लिया।
- सिंगापुर तथा अमेरिकी विमानों के साथ भारतीय राफेल भी संयुक्त अभ्यास में शामिल हुआ। इन आयोजित मिशनों में आक्रामक काउंटर एयर और एयर डिफेंस भूमिकाओं में लार्ज फोर्स एंगेजमेंट के एक भाग के रूप में बियॉन्ड विजुअल रेंज युद्ध अभ्यास शामिल थे।
और पढ़ें… गगन शक्ति-2024
रैपिड फायर
फेनोम इंडिया-CSIR हेल्थ कोहोर्ट नॉलेजबेस (PI-CheCK)
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने अपनी अभूतपूर्व अनुदैर्ध्य स्वास्थ्य निगरानी परियोजना, 'फेनोम इंडिया-CSIR हेल्थ कोहोर्ट नॉलेजबेस' (PI-CheCK) के पहले चरण के सफल समापन की घोषणा की।
- वर्ष 2023 में लॉन्च किये जाने वाले PI-CheCK का उद्देश्य भारतीय आबादी में गैर-संचारी (कार्डियो-मेटाबोलिक) रोगों के जोखिम कारकों का आकलन करना है।
- इस अनूठी पहल में लगभग 10,000 प्रतिभागियों को नामांकित किया गया है, जो विभिन्न मापदंडों पर व्यापक स्वास्थ्य डेटा प्रदान कर रहे हैं, तथा इसमें नमूना संग्रह के लिये CSIR द्वारा विकसित लागत प्रभावी मानक संचालन प्रक्रिया का उपयोग किया गया है।
- आनुवांशिक तथा जीवनशैली जोखिम कारकों पर विचार करके कार्डियो-मेटाबोलिक रोगों के पूर्वानुमान मॉडल को बेहतर बनाने, भारतीय आबादी में उनके बढ़ते जोखिम को समझने के साथ-साथ रोकथाम एवं प्रबंधन हेतु बेहतर रणनीति विकसित करने के लिये पहली बार एक राष्ट्रव्यापी अनुदैर्ध्य अध्ययन किया जा रहा है।
- CSIR की स्थापना सितम्बर 1942 में हुई थी, इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है तथा इसका वित्तपोषण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
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