जनजातीय समूहों के लिये महत्त्वपूर्ण पहलों की शुरुआत
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
जनजातीय गौरव दिवस (15 नवंबर) के अवसर पर प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के संरक्षण तथा अंतिम स्तर तक उनके कल्याण योजना का वितरण सुनिश्चित करने के लिये तीन प्रमुख पहलों की शुरुआत की।
- प्रधानमंत्री ने 'विकसित भारत संकल्प यात्रा', प्रधानमंत्री विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PM PVTG) विकास मिशन और प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान की शुरुआत की।
जनजातीय गौरव दिवस क्या है?
- सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और राष्ट्रीय गौरव, वीरता तथा आतिथ्य के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने में जनजातियों के प्रयासों को मान्यता देने के लिये, हर साल बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाता है।
- जनजातियों ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कई जनजातीय आंदोलन किये। इन जनजातीय समुदायों में तमाड़, संथाल, खासी, भील, मिज़ो और कोल जैसे कुछ नाम शामिल हैं।
ये प्रमुख पहलें कौन-सी हैं?
- प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (PM JANMAN):
- परिचय: पीएम जनमन (PM JANMAN) का उद्देश्य विभिन्न जनजातीय समूहों, विशेष रूप से वे समूह जो विलुप्त होने की कगार पर हैं, को आवश्यक समर्थन देना तथा विकास एवं मुख्यधारा की सेवाओं और अवसरों से कनेक्टिविटी प्रदान करके उनकी रक्षा व पोषण करना है।
- दायरा: इस पहल के तहत 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में रहने वाले, विशेष रूप से कमज़ोर 75 जनजातीय समूहों (PVTGs) को शामिल किया गया है, जो 220 ज़िलों के 22,544 ग्रामों में निवास करते हैं।
- लगभग 28 लाख लोग इन चिह्नित जनजातीय समूहों से संबंधित हैं।
- महत्त्व: पीएम जनमन जनजातीय समुदायों के उत्थान एवं सुरक्षा, उनकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने तथा उन्हें मुख्यधारा की विकास प्रक्रिया में शामिल करने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
- यह उनके सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण को सुनिश्चित करते हुए जनजातीय आबादी एवं आवश्यक सेवाओं के बीच अंतर कम करने की आवश्यकता पर ज़ोर देता है।
- विकसित भारत संकल्प यात्रा:
- यह यात्रा मुख्य रूप से लोगों तक पहुँचने, उनमें जागरूकता उत्पन्न करने और स्वच्छता सुविधाएँ, आवश्यक वित्तीय सेवाएँ, विद्युत कनेक्शन, एल.पी.जी. सिलेंडर तक पहुँच, गरीबों के लिये आवास, खाद्य सुरक्षा, उचित पोषण, विश्वसनीय स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छ पेयजल इत्यादि जैसी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करने पर केंद्रित होगी।
- यात्रा के दौरान प्राप्त विवरण के माध्यम से संभावित लाभार्थियों का नामांकन किया जाएगा।
- शुरुआती चरण में यह यात्रा महत्त्वपूर्ण जनजातीय जनसंख्या वाले ज़िलों से शुरू होगी और देशभर के सभी ज़िलों को कवर करेगी।
- PM-PVTG मिशन:
- PM-PVTG विकास मिशन कार्यक्रम का उद्देश्य कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना है।
- इसके लिये केंद्रीय बजट में अनुसूचित जनजातियों के लिये 24000 करोड़ रुपए की उपलब्धता की परिकल्पना की गई है।
- मिशन में पिछड़ी अनुसूचित जनजातियों के लिये सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण, बस्तियों में सड़कों तक बेहतर पहुँच जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करना शामिल है।
- PM-PVTG विकास मिशन कार्यक्रम का उद्देश्य कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना है।
आदिवासियों से संबंधित अन्य सरकारी पहल क्या हैं?
सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा सही सुमेलित है? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (a) प्रश्न. भारत में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही है? (a)1, 2 और 3 उत्तर: (c) |
डार्क मैटर और डार्क एनर्जी हेतु यूक्लिड मिशन
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency- ESA) द्वारा डार्क मैटर और डार्क एनर्जी का अध्ययन करने के लिये जुलाई 2023 में लॉन्च किये गए यूक्लिड मिशन (Euclid Mission) ने अपनी शुरुआती पाँच वैज्ञानिक छवियाँ साझा की हैं, जिनमें विशाल आकाशगंगा समूहों की तस्वीरें, दो निकटवर्ती आकाशगंगाओं के विस्तृत शॉट्स, एक नेबुला और गोलाकार क्लस्टर के रूप में जाना जाने वाला गुरुत्वाकर्षण से जुड़ा तारों का समूह शामिल है।
यूक्लिड मिशन:
- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का यूक्लिड मिशन एक अंतरिक्ष दूरबीन है जिसे डार्क ब्रह्मांड (Dark Universe) की संरचना और विकास का पता लगाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- यूक्लिड यह पता लगाएगा कि ब्रह्मांड का विस्तार कैसे हुआ तथा ब्रह्मांडीय इतिहास में संरचना कैसे बनी? यह गुरुत्वाकर्षण की भूमिका, डार्क एनर्जी एवं डार्क मैटर की प्रकृति के बारे में और अधिक खुलासा करेगा।
- लॉन्च वाहन: स्पेसएक्स फाल्कन 9
- गंतव्य: सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु 2
यूक्लिड के मिशन के विभिन्न निष्कर्ष क्या हैं?
- पर्सियस क्लस्टर: ब्रह्मांडीय गहराई की एक झलक:
- यूक्लिड के लेंस ने पर्सियस क्लस्टर (पर्सियस तारामंडल में आकाशगंगाओं का एक समूह) पर ध्यान केंद्रित किया, यहाँ उसने लगभग 1,000 आकाशगंगाओं और तथा कलस्टर की पृष्ठभूमि में धूमिल दिखाई देने वाली लगभग 100,000 से अधिक आकाशगंगाओं को कैप्चर किया, जिनमें से कुछ 10 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित थीं।
- इन आकाशगंगाओं की मुख्य विशेषताओं और इनके मानचित्रण से ब्रह्मांड को आकार देने में डार्क मैटर की भूमिका को जानने में मदद मिलेगी।
- स्पाइरल गैलेक्सी IC 342: यूक्लिड का इन्फ्रारेड रेवलैशन:
- यूक्लिड की अवरक्त क्षमताओं ने IC 342 (कैमलोपार्डालिस तारामंडल में एक मध्यवर्ती सर्पिल आकाशगंगा) के सितारों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की, जो अन्य आकाशगंगा के समान ही एक सर्पिल आकाशगंगा है तथा हमारे समान संरचनाओं वाली आकाशगंगाओं को समझने के लिये उपयोगी है।
- इरेग्यलर ड्वॉर्फ गैलेक्सी NGC 6822: गैलेक्टिक बिल्डिंग ब्लॉक्स:
- NGC 6822 जैसी अनियमित आकार की और छोटी आकाशगंगाएँ बड़ी आकाशगंगाओं के निर्माण खंड के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- इनका अध्ययन करने से आकाशगंगा संरचनाओं के निर्माण पर प्रकाश पड़ता है।
- ग्लोबुलर क्लस्टर NGC 6397 और हॉर्सहेड नेबुला:
- NGC 6397 लगभग 7,800 LY दूर एक ग्लोब के आकार का ग्लोबुलर क्लस्टर है।
- मिशन ने हॉर्सहेड नेबुला का प्रदर्शन किया, जिसका लक्ष्य विकास के प्रारंभिक चरण में अनदेखे बृहस्पति-द्रव्यमान ग्रहों को उजागर करना था।
- डार्क मैटर क्या है?
- परिचय:
- हालाँकि डार्क मैटर के विषय में अभी तक कुछ विशेष ज्ञात नहीं हो सका है, लेकिन माना जाता है कि यह संपूर्ण ब्रह्मांड में मौजूद है, इसका अस्तित्व इसलिये माना गया क्योंकि यदि ब्रह्मांड में दिखाई देने वाले पदार्थ से अधिक पदार्थ उपस्थित नहीं होता तो कई अवलोकनीय खगोलीय घटनाएँ संभव नहीं हो पातीं।
- ऐसा माना जाता है कि यह पूरे ब्रह्मांड के 95% से अधिक हिस्से का निर्माण करता है।
- हालाँकि डार्क मैटर के विषय में अभी तक कुछ विशेष ज्ञात नहीं हो सका है, लेकिन माना जाता है कि यह संपूर्ण ब्रह्मांड में मौजूद है, इसका अस्तित्व इसलिये माना गया क्योंकि यदि ब्रह्मांड में दिखाई देने वाले पदार्थ से अधिक पदार्थ उपस्थित नहीं होता तो कई अवलोकनीय खगोलीय घटनाएँ संभव नहीं हो पातीं।
- विशेषताएँ:
- पदार्थ को 'मैटर' माना जाता है क्योंकि इसमें गुरुत्वीय आकर्षण होता है और यह 'डार्क' होता है क्योंकि यह प्रकाश (या विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के किसी भी भाग) के साथ संपर्क नहीं करता है।
- इसका गुरुत्वाकर्षण बल हमारी आकाशगंगा के तारों को अलग होने से रोकता है।
- हालाँकि भूमिगत प्रयोगों या विश्व के सबसे बड़े त्वरक, लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) जैसे त्वरक प्रयोगों का उपयोग करके ऐसे डार्क मैटर के कणों का पता लगाने के प्रयास अब तक विफल रहे हैं।
- पदार्थ को 'मैटर' माना जाता है क्योंकि इसमें गुरुत्वीय आकर्षण होता है और यह 'डार्क' होता है क्योंकि यह प्रकाश (या विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के किसी भी भाग) के साथ संपर्क नहीं करता है।
डार्क एनर्जी:
- डार्क एनर्जी ऊर्जा का एक परिकल्पित रूप है जिसके बारे में माना जाता है कि यह समग्र अंतरिक्ष में व्याप्त है तथा ब्रह्मांड के त्वरित विस्तार को संचालित करती है।
- यह एक शब्द है जिसका उपयोग ब्रह्मांड विज्ञान (Cosmology ) में अवलोकित घटना को समझाने के लिये किया जाता है जो यह दर्शाता है कि कैसे आकाशगंगाएँ त्वरित गति से एक दूसरे से दूर जा रही हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निकट अतीत में हिग्स बोसॉन कण के अस्तित्त्व के संसूचन के लिये किये गए प्रयत्न लगातार समाचारों में रहे हैं। इस कण की खोज का क्या महत्त्व है? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न. आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के संदर्भ में हाल ही में समाचारों में आए दक्षिणी ध्रुव पर स्थित एक कण संसूचक (पार्टिकल डिटेक्टर)' आइसक्यूब (IceCube)', के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
CITES स्थायी समिति की बैठक
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora- CITES) की स्थायी समिति की 77वीं बैठक संपन्न हुई जिससे भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों में आशाजनक विकास की संभावना है।
भारत के दृष्टिकोण से बैठक के प्रमुख परिणाम क्या हैं?
- रेड सैंडर्स के लिये महत्त्वपूर्ण व्यापार की समीक्षा (RST) से हटाना: भारत वर्ष 2004 से रेड सैंडर्स के लिये महत्त्वपूर्ण व्यापार की समीक्षा (RST) प्रक्रिया के अधीन था।
- यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से CITES स्थायी समिति किसी देश से किसी प्रजाति के निर्यात पर जाँच बढ़ाती है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि कन्वेंशन ठीक से लागू किया जा रहा है या नहीं।
- अनुपालन और मज़बूत रिपोर्टिंग के कारण भारत को इस प्रक्रिया से हटा दिया गया है, जो देश के रेड सैंडर्स उत्पादकों के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
- रेड सैंडर्स (टेरोकार्पस सैंटालिनस), आंध्र प्रदेश के विशिष्ट ज़िलों में पाई जाने वाली एक वृक्ष प्रजाति है, जिसका बाज़ार मूल्य बहुत अधिक है और इसे अवैध कटाई तथा तस्करी के कारण खतरों का सामना करना पड़ा है।
- CITES राष्ट्रीय विधान कार्यक्रम में भारत की श्रेणी: हाल की बैठक में भारत को श्रेणी 1 में रखने का निर्णय लिया गया क्योंकि इसने CITES राष्ट्रीय विधान कार्यक्रम की आवश्यकताओं का पूरी तरह से अनुपालन किया था।
- CITES प्रावधान करता है कि प्रत्येक पार्टी CITES प्रावधानों को समायोजित करने के लिये अपने राष्ट्रीय कानून को संरेखित करे। पहले भारत को CITES राष्ट्रीय विधान कार्यक्रम के लिये श्रेणी 2 में सूचीबद्ध किया गया था।
- इसलिये वन्यजीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 को वर्ष 2022 में संशोधित किया गया, जिसमें CITES के प्रावधानों को अधिनियम में शामिल किया गया।
- बड़ी बिल्लियों के संरक्षण का आह्वान: भारत ने बड़ी बिल्लियों, विशेष रूप से एशियाई बड़ी बिल्लियों के लिये कड़े संरक्षण उपायों का समर्थन किया, अन्य देशों और हितधारकों से उनके संरक्षण के लिये इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) में शामिल होने का आग्रह किया, जिसे अप्रैल 2023 में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया था।
CITES क्या है?
- परिचय:
- CITES, सरकारों के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वन्यजीवों और पौधों की प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न न हो।
- वर्तमान में CITES में 184 सदस्य हैं।
- इसका पहला सम्मेलन वर्ष 1975 में हुआ और भारत वर्ष 1976 में 25वाँ भागीदार देश बन गया।
- CITES, सरकारों के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वन्यजीवों और पौधों की प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न न हो।
- प्रवर्तनीयता:
- यद्यपि CITES पार्टियों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी है, दूसरे शब्दों में इन पार्टियों के लिये कन्वेंशन को लागू करना बाध्यकारी है लेकिन यह राष्ट्रीय कानूनों की जगह नहीं लेता।
- इसका मतलब यह है कि इसे तब तक पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि उस उद्देश्य के लिये विशिष्ट घरेलू उपाय नहीं अपनाए जाते।
- इसलिये यह आवश्यक है कि CITES पार्टियों के पास कन्वेंशन के सभी पहलुओं को लागू करने और इसकी अनुमति देने वाला कानून हो।
- CITES राष्ट्रीय विधान कार्यक्रम:
- राष्ट्रीय कानूनों को CITES राष्ट्रीय विधान कार्यक्रम के तहत इन सभी न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करना होगा:
- एक प्रबंधन प्राधिकरण और एक वैज्ञानिक प्राधिकरण नामित करना।
- कन्वेंशन का उल्लंघन करने वाले व्यापार पर रोक लगाना।
- ऐसे अवैध व्यापार को दंडित करना।
- अवैध रूप से व्यापार किये गए या रखे गए नमूनों को ज़ब्त करना।
- संबंधित पक्ष से परामर्श करने के बाद CITES सचिवालय इन मानदंडों से संबंधित राष्ट्रीय कानून का आकलन करता है और इसे तीन श्रेणियों में से एक में वर्गीकृत करता है:
- श्रेणी 1: आमतौर पर CITES कार्यान्वयन आवश्यकताओं को पूरा करने वाला विधान।
- श्रेणी 2: विधान, आमतौर पर सभी CITES कार्यान्वयन आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है।
- श्रेणी 3: विधान, आमतौर पर CITES कार्यान्वयन आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है।
- राष्ट्रीय कानूनों को CITES राष्ट्रीय विधान कार्यक्रम के तहत इन सभी न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करना होगा:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. समाचारों में कभी-कभी दिखाई देने वाले 'रेड सैंडर्स' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही उत्तर है। प्रश्न. प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) तथा वन्य प्राणिजात एवं वनस्पतिजात की संकटापन्न स्पीशीज़ के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (A) केवल 1 उत्तर: (B) व्याख्या:
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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 नवंबर, 2023
राष्ट्रीय एपिलेप्सी (मिर्गी) दिवस
मस्तिष्क विकार के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस बीमारी से जुड़े मिथकों को तोड़ने के लिये भारत में प्रतिवर्ष 17 नवंबर को राष्ट्रीय एपिलेप्सी (मिर्गी) दिवस मनाया जाता है।
- एपिलेप्सी (मिर्गी) एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार है, इसमें मस्तिष्क की गतिविधि असामान्य हो जाती है, जिससे दौरे या असामान्य व्यवहार, संवेदनाएँ और कभी-कभी अभिज्ञता संबंधी हानि होती है।
- मस्तिष्क तंत्रिका कोशिका नेटवर्क के साथ व्यवस्थित विद्युत आवेग उत्पन्न करता है, लेकिन मिर्गी में यह संतुलन बाधित हो जाता है और इस प्रकार यह चेतना, गतिविधियों या संवेदनाओं को प्रभावित करता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 50 मिलियन लोग एपिलेप्सी से ग्रसित हैं, और भारत में मिर्गी से पीड़ितों का हिस्सा लगभग 10-20% है।
- असामान्य मस्तिष्क गतिविधि के आधार पर मिर्गी के दौरों को मोटे तौर पर फोकल और सामान्यीकृत दौरों में वर्गीकृत किया जाता है।
- फोकल दौरे के कारण संक्षिप्त भावनात्मक परिवर्तन, अनैच्छिक गतिविधियाँ और चक्कर आना जैसे लक्षण हो सकते हैं।
- सामान्यीकृत दौरे में घूरने, मांसपेशियों संबंधी झटके, नियंत्रण की हानि, मरोड़ और अचानक चेतना की हानि सहित विभिन्न लक्षण दिखाई देते हैं।
- प्रत्येक वर्ष फरवरी के दूसरे सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय एपिलेप्सी (मिर्गी) दिवस (IED) के रूप में मनाया जाता है।
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राष्ट्रीय प्रेस दिवस
16 नवंबर को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय प्रेस दिवस भारत में बहुत महत्त्व रखता है क्योंकि यह भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना का प्रतीक है, जो पत्रकारिता नैतिकता और स्वतंत्रता के संरक्षक के रूप में कार्य करता है।
- अन्य वैश्विक प्रेस या मीडिया परिषदों के विपरीत भारतीय प्रेस परिषद का अद्वितीय अधिकार राज्य के उपकरणों तक भी विस्तृत हुआ है, जो प्रेस की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।
- वर्ष 1966 में शुरू की गई परिषद की सिफारिश वर्ष 1956 में पहले प्रेस आयोग द्वारा उद्योग हितधारकों वाले एक वैधानिक निकाय के माध्यम से पत्रकारिता में पेशेवर मानकों और नैतिकता को बनाए रखने के लिये की गई थी।
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