प्रिलिम्स फैक्ट्स : 17 मार्च, 2021
कथकली उस्ताद गुरु चेमनचेरी कुन्हीरमण नायर
(Kathakali Maestro Guru Chemancheri Kunhiraman Nair)
हाल ही में प्रसिद्ध कथकली नर्तक गुरु चेमनचेरी कुन्हीरमण नायर का केरल के कोझिकोड में 105 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
- उन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्यों को केरल में लोकप्रिय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रमुख बिंदु:
जन्म:
- गुरु चेमनचेरी कुन्हीरमण नायर का जन्म 16 जून, 1916 को हुआ था।
कथकली में योगदान:
- वे कथकली की कल्लादीकोडन शैली के विशेषज्ञ थे।
- कल्लादीकोडन शैली की शुरुआत चाथू पनिक्कर असन द्वारा की गई थी और यह कथकली की तीन प्रमुख शैलियों में से एक है, जबकि अन्य दो शैलियाँ वेट्टाथु और कपलिंगडु हैं।
- कल्लादीकोडन शैली के तीन पहलुओं में नृत्त (नृत्य की लय उनके मूल रूप में), नृत्य (अभिव्यंजक घटक यानी मुद्राएँ या इशारे) और नाट्य (नृत्य का नाटकीय तत्त्व यानी पात्रों की नकल) को समान महत्त्व दिया जाता है।
- मंच पर भगवान कृष्ण और सुदामा [जिसे कुचेल के रूप में भी जाना जाता है, (अधिकांशतः दक्षिण भारत में)] का चित्रण उनका सबसे लोकप्रिय प्रदर्शन है।
पुरस्कार/सम्मान:
- गुरु चेमनचेरी को वर्ष 2017 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
कथकली:
- कथकली भारत के आठ शास्त्रीय नृत्यों में से एक है।
- यह नृत्य, संगीत और अभिनय का मिश्रण है। इस नृत्य में कहानियों का नाटकीयकरण शामिल है, जिसे ज़्यादातर भारतीय महाकाव्यों से लिया/रूपांतरित किया गया है।
- आमतौर पर प्रस्तुत की गई भूमिकाओं में राजा, देवता और राक्षस शामिल होते हैं,
- कथकली में एक गायक कथा सुनाता (वर्णन करता) है और तालवादक वाद्य यंत्र बजाते हैं।
- कथकली में भारी मेकअप और सुंदर पोशाक (विस्तृत मुखौटे, विशाल स्कर्ट और बड़े शिरोभूषण या सिर पर पहनने वाले कपड़े) का उपयोग शामिल है।
- विभिन्न मानसिक अवस्थाओं को चित्रित/इंगित करने के लिये चेहरे पर अलग-अलग रंगों का उपयोग किया जाता है, उदाहरण के लिये हरा- सज्जनता, काला-दुष्टता और सज्जनता एवं बुराई के संयोजन के लिये।
भारत के आठ शास्त्रीय नृत्य
- भरतनाट्यम (तमिलनाडु)
- कथक (उत्तर भारत)
- कथकली (केरल)
- मोहिनीअट्टम (केरल)
- कुचिपुड़ी (आंध्र प्रदेश)
- ओडिसी (ओडिशा)
- सत्रीया (असम)
- मणिपुरी (मणिपुर)
प्रोजेक्ट ‘RE-HAB’
Project RE-HAB
पायलट परियोजना ‘RE-HAB’ (Reducing Elephant-Human Attacks using Bees) को कर्नाटक में शुरू किया गया है, जो मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं में कमी लाने के लिये जंगल और गाँवों की परिधि में मधुमक्खियों के बक्से स्थापित करने पर ज़ोर देती है।
- यह क्षेत्र ‘नागरहोल नेशनल पार्क और टाइगर रिज़र्व’ की परिधि पर स्थित है, जिसे मानव-हाथी संघर्ष क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- यह मानव बस्तियों में हाथियों के हमलों को विफल करने के लिये "मधुमक्खियों द्वारा निर्मित एक बाड़" बनाने का कार्यक्रम है।
लाभ:
- मधुमक्खियों द्वारा निर्मित बाड़ के माध्यम से हाथियों को नुकसान पहुँचाए बिना उन्हें रोका जा सकेगा।
- यह खाई खोदने या बाड़ बनाने जैसे विभिन्न अन्य उपायों की तुलना में अत्यधिक लागत प्रभावी है।
- इस पहल के माध्यम से शहद उत्पादन और किसानों की आय में वृद्धि होगी।
क्रियान्वयन एजेंसी:
- यह परियोजना खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की एक पहल है।
- यह KVIC के राष्ट्रीय शहद मिशन का एक उप-मिशन है।
शहद मिशन:
- KVIC ने किसानों को जागरूकता, प्रशिक्षण और मधुमक्खी बॉक्स प्रदान करने के लिये राष्ट्रीय शहद मिशन शुरू किया है।
- इस मिशन को अगस्त 2017 में 'मीठी क्रांति' के तहत लॉन्च किया गया था।
- 'मीठी क्रांति' की शुरुआत मधुमक्खी पालन और इससे जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2016 में की गई।
नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान:
- इसे राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी जाना जाता है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1955 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में की गई थी और वर्ष 1988 में इसे एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अपग्रेड किया गया था तथा वर्ष 1999 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के तहत 37वें टाइगर रिज़र्व के रूप में घोषित किया गया था।
- भारत में 51 टाइगर रिज़र्व हैं।
- इस सूची में वर्ष 2021 में जोड़ा गया नवीनतम रिज़र्व तमिलनाडु का ‘श्रीविल्लिपुथुर मेघमलाई टाइगर रिज़र्व’ है।
अवस्थिति:
- यह उद्यान पश्चिमी घाट में स्थित है और नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा है।
नदियाँ:
- नागरहोल नदी इस उद्यान से होकर बहती है, जो काबिनी नदी में जाकर मिलती है। काबिनी नदी नागरहोल और बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान के बीच एक सीमा बनाती है।
वनस्पति:
- वनस्पति में मुख्य रूप से आर्द्र पर्णपाती वन पाए जाते हैं जिनमें सागौन और शीशम के वृक्ष शामिल हैं।
प्राणिजात:
- एशियाई हाथी, चीतल (चित्तीदार हिरण), इंडियन माउस डियर, गौर, धारीदार गर्दन वाले नेवले, ग्रे लंगूर, बोनट मकाक (Bonnet Macaque), एशियाई जंगली कुत्ता, तेंदुआ, बाघ, स्लोथ बीयर।
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग:
- KVIC खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम, 1956 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
- KVIC ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ कहीं भी आवश्यक हो, अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय करके खादी और अन्य ग्रामोद्योगों के विकास के लिये कार्यक्रम एवं योजना का निर्माण, प्रचार, संगठन और कार्यान्वयन का कार्य करता है।
- यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
केन्या-सोमालिया विवाद
(Kenya-Somalia Dispute)
पूर्वी अफ्रीकी देश केन्या ने अपने पड़ोसी देश सोमालिया के साथ समुद्री सीमा विवाद पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की कार्यवाही में भाग लेने से इनकार कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
विवाद
- सोमालिया और केन्या के बीच हिंद महासागर में समुद्री सीमा के परिसीमन को लेकर विवाद है। दोनों पड़ोसियों के बीच असहमति का मुख्य बिंदु वह दिशा है जिसमें हिंद महासागर में उनकी समुद्री सीमा का विस्तार होना चाहिये।
सोमालिया का पक्ष
- समुद्री सीमा का विस्तार उसी दिशा होना चाहिये, जिसमें सोमालिया की भू-सीमा हिंद महासागर की ओर जाती है यानी दक्षिण-पूर्व की ओर।
केन्या का पक्ष
- समुद्री सीमा का निर्धारण भूमध्य रेखा के समानांतर किया जाना चाहिये।
विवादित क्षेत्र का महत्त्व
- इस प्रकार विवाद से निर्मित त्रिकोणीय क्षेत्र लगभग 1.6 लाख वर्ग किलोमीटर लंबा है और इस क्षेत्र में समुद्री संसाधनों का भी विशाल भंडार मौजूद है।
- इसके अलावा इस क्षेत्र में तेल और गैस के भंडार का भी दावा किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की स्थापना वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा की गई और इसने अप्रैल 1946 में काम करना शुरू किया।
- यह संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है जो हेग (नीदरलैंड्स) के पीस पैलेस में स्थित है।
- यह राष्ट्रों के बीच कानूनी विवादों को सुलझाता है और संयुक्त राष्ट्र के अधिकृत अंगों तथा विशेष एजेंसियों द्वारा निर्दिष्ट कानूनी प्रश्नों पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार सलाह देता है।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के निर्णय बाध्यकारी होते हैं, हालाँकि न्यायालय के पास प्रवर्तन शक्तियाँ नहीं हैं और प्रायः यह देखा जाता है कि देश न्यायालय के निर्णय की अनदेखी करते हैं।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 मार्च, 2021
बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान
17 मार्च, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानवाधिकार और स्वाधीनता नायक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। शेख मुजीबुर रहमान का जन्म अविभाजित भारत के गोपालगंज ज़िले के तुंगीपारा गाँव में 17 मार्च, 1920 को हुआ था। पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी शासकों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ उन्होंने आंदोलन चलाया था और वर्ष 1971 में इसे पाकिस्तान से आज़ाद करा लिया। बंगबंधु नाम से विख्यात शेख मुजीबुर रहमान स्वतंत्र बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बने। शेख मुजीबुर रहमान को बांग्लादेश का ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता है और वे बांग्लादेश के लोगों के बीच ‘बंगबंधु’ के रूप में लोकप्रिय थे। ‘बंगबंधु’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘बंगाल का मित्र’। पूर्वी पाकिस्तान के लोकप्रिय नेता मुजीबुर रहमान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। बीते दिनों बांग्लादेश के उच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में ‘जॉय बांग्ला’ को बांग्लादेश का राष्ट्रीय नारा घोषित किया था। वर्ष 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश के स्वतंत्र होने के दौरान यह प्रमुख नारा था। शेख मुजीबुर रहमान ने भी 7 मार्च, 1971 को बांग्लादेश की स्वतंत्रता के उद्घोष के बाद ‘जॉय बांग्ला’ के नारे का प्रयोग किया था। वहीं हाल ही में यूनेस्को ने शेख मुजीबुर रहमान के नाम पर ‘रचनात्मक अर्थव्यवस्था’ के क्षेत्र में एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार की स्थापना करने का निर्णय लिया है।
भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा निर्यात निगम लिमिटेड
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा निर्यात निगम लिमिटेड को बंद करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। यह भारत सरकार का एक उपक्रम है और वस्त्र मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन आता है। इस संबंध में जारी अधिसूचना के मुताबिक, वर्तमान में निगम में 59 स्थायी कर्मचारी और छह प्रबंधन प्रशिक्षु सेवारत हैं। इन सभी को सार्वजनिक उपक्रम विभाग के नियमों के अनुरूप स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के लाभ लेने का अवसर दिया जाएगा। यह निगम वित्त वर्ष 2015-16 से ही लगातार घाटे का सामना कर रहा था। इसे घाटे से उबारने और लाभकारी बनाने की कोई संभावना नज़र नहीं आने के कारण इसे बंद करने का निर्णय लिया गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा दी गई यह मंज़ूरी सरकार के राजस्व पर तनावग्रस्त केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के दबाव को कम करेगी। ज्ञात हो कि भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा निर्यात निगम लिमिटेड को बंद करने का निर्णय सरकार की उस रणनीतिक विनिवेश नीति के अनुरूप है, जिसके तहत गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में दबावग्रस्त सार्वजनिक उद्यमों का निजीकरण किया जाना अथवा उन्हें बंद किया जाना शामिल है।
'UPI-Help' फीचर
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने हाल ही में ‘भारत इंटरफेस फॉर मनी’ (BHIM) एप पर आसान शिकायत निपटान तंत्र उपलब्ध कराने के लिये 'UPI-Help' फीचर लॉन्च किया है। यह फीचर उपयोगकर्त्ताओं को लंबित लेन-देन की स्थिति की जाँच करने और इसके विरुद्ध शिकायत करने में सक्षम बनाएगा। प्रारंभ में यह फीचर केवल भारतीय स्टेट बैंक (SBI), एक्सिस बैंक, HDFC बैंक और ICICI बैंक के लिये उपलब्ध होगा। ज्ञात हो कि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2017 में ‘भीम’ (BHIM) नाम से एक मोबाइल एप्लीकेशन को लॉन्च किया था। इस एप का पूरा नाम 'भारत इंटरफेस फॉर मनी' है। ‘भीम’ को नेशनल पेमेंट कारपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा विकसित किया गया है। यह एप UPI आधारित भुगतान प्रणाली पर कार्य करता है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली (NPCI) देश में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन के लिये एक समग्र संगठन है।
पोट्टी श्रीरामुलु
16 मार्च, 2021 को महान स्वतंत्रता सेनानी पोट्टी श्रीरामुलु की जयंती पर उन्हें याद किया गया। 16 मार्च, 1901 को मद्रास (चेन्नई) में जन्मे पोट्टी श्रीरामुलु बॉम्बे से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे में शामिल हो गए। वर्ष 1930 में श्रीरामुलु ने गांधीजी द्वारा शुरू किये गए नमक सत्याग्रह में हिस्सा लेने के लिये अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी, इस सत्याग्रह में हिस्सा लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। भारत की स्वतंत्रता के लिये संघर्ष करने के साथ-साथ उन्होंने दलित समुदाय के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान पर भी ज़ोर दिया। पोट्टी श्रीरामुलु ने मार्च 1946 में नेल्लोर के श्री वेणुगोपाल स्वामी मंदिर में दलितों के लिये प्रवेश की मांग करते हुए अपना पहला आमरण अनशन किया। अलग आंध्र राज्य के गठन में पोट्टी श्रीरामुलु का महत्त्वपूर्ण योगदान माना जाता है। इसके लिये उन्होंने 1952 में 58 दिन तक आमरण अनशन किया। 15 दिसंबर, 1952 को अनशन करते हुए पोट्टी श्रीरामुलु की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद कानून व्यवस्था काफी बिगड़ गई और अंततः मद्रास प्रेसिडेंसी से अलग आंध्र प्रदेश राज्य का गठन किया गया।