प्रीलिम्स फैक्ट्स: 17 जनवरी, 2020
तेजस एलसीए का नौसेना संस्करण
Naval Variant of Tejas LCA
हाल ही में पहली बार स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान एमके1 तेजस (MK1 Tejas) को विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर उतारा गया।
मुख्य बिंदु:
- एमके1 तेजस के विमान वाहक पोत की 200 मीटर लंबी हवाई पट्टी पर उतरने एवं उड़ान भरने के साथ ही भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, रूस और चीन के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास पहले से ही ऐसी क्षमता है।
- एमके1 तेजस ने अप्रैल 2012 में पहली बार उड़ान भरी थी और वर्तमान में इसके दो प्रोटोटाइप कार्य कर रहे हैं।
- एमके1 तेजस एक स्वदेशी लड़ाकू विमान है इसे एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
- यह सबसे छोटे-हल्के वज़न का एकल इंजन युक्त ‘बहु-भूमिका निभाने वाला एक सामरिक लड़ाकू विमान’ (Multirole tactical fighter aircraft) है।
- इसे भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिये सिंगल-सीट फाइटर एवं दो सीट वाला ट्रेनर वेरिएंट के रुप में विकसित किया जा रहा है।
भारतीय डिजिटल विरासत
Indian Digital Heritage
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने भारतीय डिजिटल विरासत (Indian Digital Heritage-IDH) पहल के तहत एक महीने तक चलने वाली एक विशेष प्रदर्शनी ‘डिजिटल स्पेस में भारतीय विरासत’ का शुभारंभ किया।
मुख्य बिंदु:
- इस विशेष प्रदर्शनी में देश के सांस्कृतिक विरासत क्षेत्र में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology-DST) की भारतीय डिजिटल विरासत (Indian Digital Heritage-IDH) पहल के तहत विकसित प्रौद्योगिकियों के अनुकूलन तथा सम्मिश्रण का प्रदर्शन किया गया है।
- इस प्रदर्शनी में हंपी (कर्नाटक) और संवर्धित स्मारकों को प्रदर्शित करने हेतु भौतिक मॉडलों की वास्तविकता पर आधारित एक डिजिटल फिल्मांकन किया गया।
- इस फिल्मांकन में 3D लेजर स्कैन डेटा, होलोग्राफिक प्रोजेक्शन, स्थानिक संवर्धित वास्तविकता (Spatial Augmented Reality) और 3D संरचना का उपयोग करके डिजिटल अधिष्ठापन (Digital Installation) का सृजन किया गया जिससे हंपी तथा पाँच भारतीय स्मारकों काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी (उत्तर प्रदेश), ताजमहल आगरा (उत्तर प्रदेश), सूर्य मंदिर कोणार्क (ओडिशा), रामचंद्र मंदिर हंपी (कर्नाटक) एवं रानी की वाव पाटन (गुजरात) के वैभव का वास्तविक व व्यापक अनुभव उपलब्ध कराया जा सके।
- यह भारत की पहली प्रदर्शनी है जिसमें सांस्कृतिक विरासत क्षेत्र में आधुनिक प्रौद्योगिकियों जैसे 3D संरचना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, संवर्धन, परोक्ष एवं मिश्रित वास्तविकता, होलोग्राफिक प्रोजेक्शन और प्रोजेक्शन मैपिंग आदि का प्रयोग किया गया है।
विरासत (ViRaasat):
- विरासत, 3D प्रतिकृति से युक्त एक विशेष अधिष्ठापन है जो दर्शकों को चुनिंदा स्मारकों के मिले जुले वास्तविक अनुभव उपलब्ध कराएगा।
- इसमें लेजर स्कैनिंग, 3D मॉडलिंग, 3D प्रिंटिंग, कंप्यूटर विजन और स्थानिक संवर्धित वास्तविकता का उपयोग किया गया है।
ज़ास्कर नदी
Zanskar River
भारतीय वायु सेना ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में बर्फ से ढकी ज़ास्कर नदी (Zanskar River) से 107 से अधिक लोगों को बचाया है।
ज़ास्कर नदी के बारे में
- ज़ास्कर नदी उत्तर की ओर बहने वाली सिंधु की सहायक नदी है। ज़ास्कर नदी के ऊपरी प्रवाह की दो मुख्य धाराएँ हैं।
- इसकी पहली धारा जिसे डोडा (Doda) कहा जाता है, का उद्गम पेन्सी ला (Pensi La) दर्रे के पास से होता है। यह ज़ास्कर घाटी के साथ दक्षिण-पूर्व की ओर बहती है।
- इसकी दूसरी धारा का निर्माण कर्ग्याग नदी (Kargyag River) और त्सराप नदी (Tsarap River) से होता है।
- कर्ग्याग नदी का उद्गम शिंगो ला (Shingo La) दर्रे के पास से होता है।
- त्सराप नदी का उद्गम बारालाचा ला (Baralacha La) दर्रे के पास से होता है।
- ये दोनों नदियाँ पुरने गाँव के पास आपस में मिलकर लुंगणक नदी (Lungnak river) का निर्माण करती हैं।
- यहाँ से लुंगणक नदी ज़ास्कर घाटी में उत्तर-पश्चिम की ओर बहती है और डोडा नदी से मिलने के बाद ज़ास्कर नदी का निर्माण करती है।
चादर ट्रैक (Chadar Trek)
- सर्दी के मौसम में ज़ास्कर नदी के जम जाने के कारण इसे चादर ट्रैक (Chadar Trek) कहा जाता है।
- ग़ौरतलब है कि चादर ट्रैक को वैश्विक मान्यता मिलने के कारण प्रत्येक वर्ष कई अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक चादर ट्रैक पर ट्रैकिंग करने के लिये ज़ास्कर घाटी का दौरा करते हैं।
के9 वज्र-टी
K9 VAJRA-T
हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री ने गुजरात के हज़ीरा में लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के बख्तरबंद प्रणाली परिसर से के9 वज्र-टी (K9 VAJRA-T) टैंक की 51वें यूनिट को हरी झंडी दिखाई।
मुख्य बिंदु:
- के9 वज्र-टी 155 मिमी./52-कैलिबर की एक स्वचालित होवित्जर (कम वेग के साथ उच्च प्रक्षेपण पथ पर गोले दागने के लिए एक छोटी बंदूक) टैंक है। यह दक्षिण कोरिया के K9 थंडर (K9 Thunder) की तरह है।
- यह लक्ष्य पर तेज़ गति से निशाना लगाता है और यह भारतीय एवं उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organisation- NATO) के गोला-बारूद मानकों के अनुकूल है।
- के9 वज्र-टी को रक्षा खरीद प्रक्रिया (Defence Procurement Procedure- DPP) के 'बाय ग्लोबल’ (Buy Globa)' कार्यक्रम के तहत विकसित किया गया है, जहां विदेशी कंपनियों को भाग लेने की अनुमति है।
- के9 वज्र-टी को विकसित करने में दक्षिण कोरिया की हन्व्हा टेकविन (Hanwha Techwin) की लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के साथ प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भागीदारी है।
- पहले दस के9 वज्र-टी को दक्षिण कोरिया से आयात किया गया है शेष 90 बंदूकें देश में निर्मित की जायेंगी।
- L&T डिफेंस वर्तमान में के9 वज्र-टी ट्रैक्ड, सेल्फ-प्रोपेल्ड होवित्जर गन्स प्रोग्राम को अमल में ला रहा है। इसका अनुबंध वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा बोली (Global Competitive Bidding) के तहत रक्षा मंत्रालय द्वारा L&T कंपनी के साथ किया गया है।