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प्रीलिम्स फैक्ट्स: 20 जुलाई, 2018

  • 20 Jul 2018
  • 8 min read

रानी की वाव

भारतीय रिज़र्व बैंक जल्द ही बाज़ार में 100 रुपए का नया नोट जारी करने वाला है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस नए नोट की पहली तस्वीर जारी कर दी गई है। 100 रुपए के इस नए नोट का रंग बैंगनी होगा। इस नए नोट पर गुजरात के पाटन में सरस्वती नदी के किनारे स्थित बावड़ी ‘रानी की वाव’का चित्रांकन भी किया गया है।

‘रानी की वाव’ के बारे में

  • वाव सीढ़ीदार कुएँ होते हैं। सीढ़ीदार कुएँ भारतीय उप-महाद्वीप में भूमिगत जल स्रोत एवं संग्रहण प्रणालियों का विशेष तरीका रहे हैं और इन्‍हें 3,000 ई.पू. से बनाया जाता रहा है। 
  • ‘रानी की वाव’ भी ऐसा ही सीढ़ीदार कुआँ है जो गुजरात के पाटन में सरस्‍वती नदी के किनारे स्थित है। 
  • यूनेस्को के अनुसार, ‘रानी की वाव’ सीढ़ीनुमा कुओं के निर्माण में कारीगरों उत्कृष्ट क्षमता को प्रदर्शित करता है।
  • माना जाता है कि ‘रानी की वाव’ (बावड़ी) को वर्ष 1050 में सोलंकी शासन के राजा भीमदेव प्रथम की स्‍मृति में उनकी पत्नी रानी उदयामति ने बनवाया था।
  • इस परिसर की तकनीक और बारीकियों तथा अनुपातों की अत्‍यंत सुंदर कला क्षमता को प्रदर्शित करते हुए इसमें मारू-गुर्जर स्‍थापत्‍य शैली का उपयोग किया गया है। 
  • यह सीढ़ीदार कुआँ उच्‍च स्‍तरीय कलाकारी से सज्जित मूर्तियों के नक्‍काशी युक्‍त फलकों सहित सात तलों में विभाजित है; इसमें नक्‍काशी की गई 500 से अधिक बड़ी मूर्तियाँ है और एक हज़ार से अधिक छोटी मूर्तियाँ हैं जिनमें धार्मिक, पौराणिक और धर्मनिरपेक्ष चित्रों को उकेरा गया है जो प्राय: साहित्यिक कार्यों का भी संदर्भ प्रदान करती हैं। 
  • इसका चौथा तल सबसे गहरा है जो 9.5 मीटर से 9.4 मीटर के एक आयताकार टैंक तक जाता है जो 23 मीटर गहरा है। यह कुआँ इस परिसर के एकदम पश्चिमी छोर पर स्थित है जिसमें 10 मीटर व्‍यास और 30 मीटर गहराई का शाफ्ट शामिल है।

बेहदीननखलम

  • बेहदीनखलम जयंतिया आदिवासियों का सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहार है। 
  • यह आमतौर पर जुलाई के महीने में जयंतिया पहाड़ियों के जोवई कस्बे में मनाया जाता है। 
  • यह त्योहार अच्छे स्वास्थ्य, संपत्ति और अच्छी फसल के लिये मनाया जाता है।
  • गैर-ईसाई 'पनार' (Pnar)  लोग जो 'नियाम्त्रे' (Niamtre) या हिंदू धर्म की परंपरा में विश्वास करते हैं, इस त्योहार को मनाते हैं।

भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018

  • लोकसभा ने भगोड़े आर्थिक अपराधियों को कानूनी प्रक्रिया से बचने से रोकने, उनकी संपत्ति ज़ब्त करने और उन्हें दंडित करने के प्रावधानों वाले भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 को पारित कर दिया है। उल्लेखनीय है कि यह विधेयक अप्रैल में राष्ट्रपति द्वारा जारी भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश 2018 का स्थान लेगा।
  • विधेयक का उद्देश्य क़ानूनी कार्रवाई से बचने के लिये देश छोड़ने वाले आर्थिक अपराधियों को रोकना है।
  • इस क़ानून के दायरे में कुल 100 करोड़ रुपए अथवा अधिक मूल्‍य के आर्थिक अपराध आएंगे।
  • आर्थिक अपराध, ऐसे अपराध हैं जो भारतीय दंड संहिता, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, सेबी अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम, कंपनी अधिनियम, सीमित देयता भागीदारी अधिनियम और दिवाला तथा दिवालियापन संहिता के तहत परिभाषित किये गए हैं।

दिल्ली वार्ता X

• भारत ने नई दिल्ली में दिल्ली वार्ता (Delhi Dialogue-DD X) के 10वें संस्करण की मेजबानी की।
• दिल्ली वार्ता भारत और आसियान के बीच राजनीतिक-सुरक्षा, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक भागीदारी पर चर्चा करने के लिये एक प्रमुख वार्षिक ट्रैक 1.5 कार्यक्रम है।
• DD- X का विषय "भारत-एशियान समुद्री सहयोग को सुदृढ़ बनाना" है।
• विकासशील देशों के लिये अनुसंधान और सूचना प्रणाली (Research and Information System for Developing Countries-RIS) के सहयोग से विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा दिल्ली वार्ता का आयोजन किया गया है।

पिच ब्लैक अभ्यास

  • पिच ब्लैक अभ्यास (Excersise Pitch Black) रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायुसेना (RAAF) द्वारा आयोजित तीन सप्ताह का एक द्विवार्षिक बहुराष्ट्रीय वृहद् रोज़गार अभ्यास है।
  • भारतीय वायुसेना व्यायाम पिच ब्लैक 2018 (PB -18) में पहली बार भाग लेने के लिये तैयार है।
  • पिच ब्लैक अभ्यास यह सुनिश्चित करता है कि "अभ्यास के दौरान बल का प्रशिक्षण और एकीकरण सीधे वायुसेना के संचालन की क्षमता को प्रदर्शित करता है।

ढोल (Dhole) : एशियाई जंगली कुत्ता

  • भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के वैज्ञानिकों की एक टीम कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (मध्य प्रदेश) की मुक्की रेंज में 14 ढोलों के समूह की खोज कर रही है।
  • ढोल (जिसे एशियाटिक वाइल्ड डॉग, इंडियन वाइल्ड डॉग तथा रेड डॉग भी कहा जाता है), को लुप्तप्राय श्रेणी (EN) में रखा गया है।
  • संरक्षित वन के कारण पश्चिमी घाटों और मध्य भारतीय जंगलों में ढोल की अपेक्षाकृत अधिक संख्या पाई जाती है, जबकि पूर्वी घाट, पूर्वोत्तर राज्यों, उत्तरी भारत, सिक्किम, लद्दाख इत्यादि में ढोल बहुत कम संख्या में पाए जाते हैं।
  • अधिकांश क्षेत्रों में इनकी संख्या कम हो रही है जिसका मुख्य कारण  आवास हानि, शिकार का अभाव, घरेलू कुत्तों से बीमारी का संचरण और अन्य प्रजातियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा है।
  • ढोल के पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में वैज्ञानिकों को अधिक जानकारी नहीं है इसलिये इनका संरक्षण किया जाना कठिन है|
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