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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 16 Aug, 2022
  • 25 min read
प्रारंभिक परीक्षा

क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम

हाल ही में वर्ष 2014 से क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम से पीड़ित एक व्यक्ति को चिकित्सक की सहायता से इच्छामृत्यु हेतु यूरोप जाने से रोकने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है।

क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम

  • परिचय:
    • यह गंभीर और दुर्बल करने वाली बीमारी है जो तंत्रिका तंत्र, प्रतिरक्षा प्रणाली तथा शरीर के ऊर्जा उत्पादन तंत्र को प्रभावित करती है।
    • इसे "मायल्जिक एन्सेफेलोमाइलाइटिस" के रूप में भी जाना जाता है।
    • इसके संभावित परिणाम वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, हार्मोनल असंतुलन और आनुवंशिक दोष हैं।
    • यह बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी को भी प्रभावित कर सकता है।
  • लक्षण:
    • बीमारी से कार्य करने की क्षमता में काफी कमी महसूस होती है।
    • इस प्रकार की थकान या दुर्बलता वाली बीमारी के 6 महीने से अधिक होने पर स्थिति अधिक गंभीर हो जाती है।
    • सबसे अधिक पहचाने जाने योग्य लक्षण पोस्ट-एक्सरशनल मलाइज़ (PEM) है।
    • सामान्य छोटी-मोटी खरीदारी या दाँतों को ब्रश करने जैसी छोटी गतिविधियों के बाद भी शारीरिक / मानसिक ऊर्जा में "कमी" महसूस होती है।
    • अन्य लक्षण:
      • नींद न आना, सोचने में कठिनाई, याददाश्त या ध्यान केंद्रित करने की समस्या, चक्कर आना / हल्का सिर दर्द, सिरदर्द, माँसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, फ्लू जैसे लक्षण, टेंडर लिम्फ नोड्स और पाचन संबंधी समस्याएँ।
  • उपचार:
    • CFS बीमारी के लिये कोई विशेष प्रकार का टेस्ट उपलब्ध नहीं है, इसलिये इसका निदान लक्षणों के आधार पर किया जाता है, इसके लिये रक्त और मूत्र का टेस्ट भी करवाना पड़ सकता है।
    • डॉक्टरों ने "पेसिंग" जैसे रोग के लक्षणों से निपटने के तरीकों को बताया है जिसमें रोगी मेहनत के कारण दुर्घटनाओं को रोकने के लिये आराम और गतिविधि को संतुलित करना सीखते हैं।

इच्छामृत्यु:

  • परिचय:
    • इच्छामृत्यु रोगी (विचाराधीन रोगी आमतौर पर मानसिक रूप से बीमार होगा या बहुत दर्द और पीड़ा का अनुभव कर रहा होगा) की पीड़ा को सीमित करने के लिये रोगी के जीवन को समाप्त करने की प्रथा है।
  • प्रकार:
    • सक्रिय इच्छामृत्यु:
      • ‘सक्रिय इच्छामृत्यु’ वह स्थिति है, जब इच्छामृत्यु चाहने वाले किसी व्यक्ति (रोगी) को इस कृत्य में सहायता प्रदान की जाती है, जैसे- जहरीला इंजेक्शन लगाना आदि। इसे कभी-कभी "आक्रामक" इच्छामृत्यु भी कहा जाता है।
    • निष्क्रिय इच्छामृत्यु:
      • कृत्रिम जीवन समर्थन रोककर रोगी को जानबूझकर मरने देना।
    • स्वैच्छिक इच्छामृत्यु:
      • रोगी की सहमति से।
    • अनैच्छिक इच्छामृत्यु:
      • रोगी की सहमति के बिना, उदाहरण के लिये यदि रोगी बेहोश है और उसकी इच्छाएँ अज्ञात हैं।
  • भारत में कानूनी प्रावधान:
    • वर्ष 1994 में ज्ञान कौर बनाम पंजाब राज्य में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि आत्महत्या और इच्छामृत्यु दोनों गैरकानूनी थे।
      • 'जीवन के अधिकार' में मृत्युवरण का अधिकार शामिल नहीं है। इसलिये पी. रथिनम बनाम भारत संघ में दो-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले को खारिज कर दिया जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 309 (आत्महत्या का प्रयास) को असंवैधानिक करार दिया।
    • वर्ष 2011 में अरुणा रामचंद्र शानबाग बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि असाधारण परिस्थितियों में और शीर्ष नयायालय की सख्त निगरानी में निष्क्रिय इच्छामृत्यु को मंज़ूरी दी जा सकती है।
    • वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने देश में निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति देते हुए, गरिमा के साथ मरने के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस)

हाल ही में स्वतंत्रता दिवस पर स्वदेश में विकसित होवित्ज़र तोप ATAG लाल किले पर 21 तोपों की सलामी का हिस्सा बनी।

ATAGS

एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS)

  • परिचय:
    • ATAGS स्वदेशी 155 मिमी x 52 कैलिबर की होवित्ज़र तोप है।
    • होवित्ज़र लंबी दूरी की तोपों की श्रेणी के लिये व्यापक शब्द है।
    • इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है, जिसकी पुणे स्थित सुविधा आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (ARDE) नोडल एजेंसी है।
    • ATAGS परियोजना की शुरुआत वर्ष 2013 में DRDO द्वारा भारतीय सेना में पुरानी तोपों को आधुनिक 155 मिमी. आर्टिलरी गन से बदलने के लिये की गई थी।
  • विशेषताएँ:
    • ATAGS की आयुध प्रणाली में मुख्य रूप से बैरल, ब्रीच मैकेनिज्म, मज़ल ब्रेक और रिकॉइल मैकेनिज़्म शामिल है, जो सेना द्वारा लंबी दूरी और सटीकता के साथ 155 मिमी कैलिबर गोला बारूद को फायर करता है और सेना को अधिक मारक क्षमता प्रदान करता है।
    • लंबे समय तक रखरखाव मुक्त और विश्वसनीय संचालन सुनिश्चित करने के लिये ATAGS को सभी इलेक्ट्रिक ड्राइव के साथ कॉन्फ़िगर किया गया है।
    • इसमें उच्च गतिशीलता, त्वरित तैनाती, सहायक पावर मोड, उन्नत संचार प्रणाली, स्वचालित कमांड और नियंत्रण प्रणाली के साथ रात में सीधे फायर मोड में फायरिंग क्षमता के मामले में उन्नत विशेषताएँ हैं।
    • विशेष गन सिस्टम C4I (कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर और इंटेलिजेंस) आर्टिलरी कॉम्बैट कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (ACCCS) के साथ संगत है, जिसे तकनीकी फायर कंट्रोल, फायर प्लानिंग, तैनाती प्रबंधन और सेना के परिचालन रसद प्रबंधन के लिये शक्ति कहा जाता है।
  • भविष्य की भूमिका:
    • DRDO द्वारा ATAGS की विकास प्रक्रिया पूर्ववर्ती आयुध निर्माणी बोर्ड के उन्नत हथियार और उपकरण भारत के लिये हॉवित्जर धनुष के विकास के समान है।
    • वर्ष 2019 में, सेना और रक्षा मंत्रालय ने 114 हॉवित्जर धनुष के उत्पादन के लिये थोक उत्पादन मंज़ूरी प्रदान की थी।
    • आने वाले दिनों में, ATAGS और धनुष पुराने आर्टिलरी सिस्टम को सफलतापूर्वक प्रतिस्थापित कर देंगे।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

नए रामसर स्थल

भारत की 11 नई आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल या अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों में शामिल किया गया है, इसके बाद अब देश में रामसर स्थलों की संख्या 75 हो गई।

  • तमिलनाडु में रामसर स्थलों की संख्या (14) अधिकतम है, उसके बाद उत्तर प्रदेश (10) का स्थान आता है।

रामसर स्थल:

  • परिचय:
    • रामसर स्थल रामसर अभिसमय के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि है, जिसे वर्ष 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित एक अंतर-सरकारी पर्यावरण संधि 'आर्द्रभूमियों पर अभिसमय' के रूप में भी जाना जाता है और इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है, जहाँ उस वर्ष सम्मेलन पर हस्ताक्षर किये गए थे।
  • इससे पहले,भारत ने अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के 10 नए आर्द्रभूमि नामित किये गए:
    • कुंठनकुलम पक्षी अभयारण्य, मन्नार की खाड़ी समुद्री बायोस्फीयर रिज़र्व, वेम्बन्नूर आर्द्रभूमि परिसर, वेलोड पक्षी अभयारण्य, वेदंतंगल पक्षी अभयारण्य, उदयमार्थंदपुरम् पक्षी अभयारण्य, सतकोसिया गॉर्ज, नंदा झील, रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य, सिरपुर आर्द्रभूमि।

शामिल किये गए नए स्थलों की सूची:

रामसर स्थल

राज्य

विशेषता

तम्पारा झील

ओडिशा

  • यह गंजम ज़िले में स्थित ओडिशा की सबसे प्रमुख मीठे पानी की झीलों में से एक है।
  • आर्द्रभूमि सुभेद्य प्रजातियों जैसे कि साइप्रिनस कार्पियो, कॉमन पोचार्ड (अयथ्या फेरिना) और रिवर टर्न (स्टर्ना औरंतिया) के लिये एक महत्त्वपूर्ण निवास स्थान है।

हीराकुंड जलाशय

ओडिशा

  • यह सबसे बड़ा गुरुत्वीय बांध है जिसका संचालन वर्ष 1957 में शुरू हुआ था।
  • जलाशय से ज्ञात 54 मछलियों की प्रजातियों में से एक को लुप्तप्राय, छह निकट संकटग्रस्त और 21 मछली की प्रजातियों को आर्थिक महत्त्व की प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • यह भारत के पूर्वी तट के पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक केंद्र महानदी डेल्टा में बाढ़ को नियंत्रित करके  महत्त्वपूर्ण जल विज्ञान संबंधी सेवाएँ भी प्रदान करता है।

 अंसुपा झील

ओडिशा

  • यह कटक ज़िले के बांकी उप-मंडल में स्थित ओडिशा की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है।
  • आर्द्रभूमि महानदी नदी द्वारा बनाई गई एक गोखुर झील है।
  • यह निम्नलिखित प्रजातियों को एक सुरक्षित आवास प्रदान करता है:
    • तीन संकटग्रस्त पक्षी प्रजातियाँ- रिनचोप्स एल्बिकोलिस (EN), स्टर्ना एक्यूटिकौडा (EN) और स्टर्ना ऑरेंटिया (VU)
    • तीन संकटग्रस्त मछली प्रजातियाँ- क्लारियस मागुर (क्लेरिडे) (EN), साइप्रिनस कार्पियो (साइप्रिनिडे) (VU) और वालगो एटू (VU)।

यशवंत सागर

मध्य प्रदेश

  • यशवंत सागर इंदौर क्षेत्र में दो महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों (IBA) में से एक है और साथ ही मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण पक्षी स्थलों में से एक है।
  • इसे मध्य भारत में सुभेद्य सारस क्रेन का प्रमुख आवास क्षेत्र माना जाता है।
  • अपने विशाल उथले/दलदलीय घास के क्षेत्र के कारण आर्द्रभूमि को बड़ी संख्या में शीतकालीन प्रवासी पक्षियों के लिये स्वर्ग माना जाता है।

चित्रानुडी पक्षी अभयारण्य

तमिलनाडु

  • स्थानीय रूप से, इसे "चित्रानुडी कनमोली" के रूप में जाना जाता है।
  • यह आर्द्रभूमि वर्ष 1989 से संरक्षित क्षेत्र रहा है जिसे तमिलनाडु वन विभाग, रामनाथपुरम् डिवीजन के अधिकार क्षेत्र में आने वाले पक्षी अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया है।
  • यह शीतकालीन प्रवासी पक्षियों के लिये आदर्श आवास है। स्थल से 30 फैमिली  के लगभग 50 पक्षियों की सूचना मिली है।
  • स्थल क्षेत्र से देखे गए उल्लेखनीय जलपक्षियों में शामिल हैं:
    • स्पॉट-बिल्ड पेलिकन, लिटिल एग्रेट, ग्रे हेरॉन, लार्ज एग्रेट, ओपन बिल स्टॉर्क, पर्पल और पोंड हेरॉन।

सुचिन्द्रम थेरूर आर्द्रभूमि परिसर

तमिलनाडु

  • सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स, सुचिन्द्रम-थेरूर मनाकुडी कंज़र्वेशन रिज़र्व का हिस्सा है।
  • इसे महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (IBA) घोषित किया गया है और यह प्रवासी पक्षियों के मध्य एशियाई फ्लाईवे के दक्षिणी सिरे पर स्थित है।
  • 9वीं शताब्दी के ताम्र शिलालेखों में पसुमकुलम, वेंचिकुलम, नेदुमर्थुकुलम, पेरुमकुलम, एलेमचिकुलम और कोनाडुनकुलम का उल्लेख है।

वदुवुर पक्षी अभयारण्य

तमिलनाडु

  • यह बड़ा मानव निर्मित सिंचाई टैंक और प्रवासी पक्षियों के अनुकूल है क्योंकि यह भोजन, आश्रय और प्रजनन हेतु उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है।
  • सर्वेक्षण किये गए अधिकांश क्षेत्रों में इंडियन पोंड हेरॉन अर्देओला ग्रेई पाया गया।
  • यूरेशियन विजोन अनस पेनेलोप, नॉर्दर्न पिंटेल अनस एक्यूटा, गार्गनी अनस क्वेरक्वेडुला जैसे सर्दियों के जलपक्षी की बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज की गई थी।

कांजीरनकुलम पक्षी अभयारण्य

तमिलनाडु

  • यह कई प्रवासी बगुले प्रजातियों के लिए घोंसले बनाने के स्‍थल के रूप में प्रसिद्ध है यहाँ बगुले बबूल के पेड़ों पर प्रवास करते हैं।
  • प्रवासी जलपक्षियों की प्रजनन आबादी अक्तूबर और फरवरी के बीच यहाँ आती है और इसमें चित्रित सारस, सफेद आइबिस, ब्लैक आइबिस, लिटिल एग्रेट, ग्रेट एग्रेट शामिल हैं।
  • यह स्‍थल IBA के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहाँ स्पॉट-बिल पेलिकन पेलेकैनस फिलिपेन्सिस नस्लों उपस्थिति दर्ज की गई है।
  • आर्द्रभूमि समृद्ध जैव विविधता प्रदर्शित करती है जिसमें:
    • स्पॉट-बिल पेलिकन, ओरिएंटल डार्टर, ओरिएंटल व्हाइट आईबिस और पेंटेड स्टॉर्क जैसी कई विश्व स्तर पर निकट-खतरे वाली प्रजातियांँ शामिल हैं और आमतौर पर किनारे और पानी के भीतर रहने वाले पक्षी जैसे ग्रीनशंक, प्लोवर, स्टिल्ट और बी इटेड बुलबुल, कोयल, स्टारलिंग, बारबेट्स जैसे वन पक्षी भी शामिल हैं।

ठाणे क्रीक

महाराष्ट्र

  • इसे ठाणे क्रीक फ्लेमिंगो अभयारण्य घोषित किया गया है।
  • ठाणे क्रीक दोनों किनारों पर मैंग्रोव से घिरा हुआ है और इसमें कुल भारतीय मैंग्रोव प्रजातियों का लगभग 20 प्रतिशत शामिल है।
  • यह क्षेत्र पक्षियों के मध्य एशियाई फ्लाईवे के आर्द्रभूमि परिसर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (आईबीए) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

हाइगम आर्द्रभूमि संरक्षण रिज़र्व

जम्‍मू और कश्‍मीर

  • यह कई निवासियों और प्रवासी पक्षी प्रजातियों के निवास के रूप में कार्य करता है।
  • इसे एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (आईबीए) के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की अधिकता प्रदान करता है
  • इनमें मछली और फाइबर, जल आपूर्ति, जल शोधन, जलवायु विनियमन, बाढ़ विनियमन और मनोरंजक अवसर शामिल हैं।

शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिज़र्व

जम्‍मू और कश्‍मीर

  • इस क्षेत्र में फ्राग्माइट्स कम्युनिस और टायफा अंगुस्ताता के बड़े स्‍तर पर रीडबेड हैं और खुले पानी पर निम्फिया कैंडिडा और एन स्टेलाटा पाए जाते हैं।
  • यह कम से कम 21 प्रजातियों के चार लाख से अधिक स्‍थानिक और प्रवासी पक्षियों के आश्रय के रूप में कार्य करता है।

विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. यदि अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि को मोंट्रेक्स रिकॉर्ड' के तहत लाया जाता है, तो इसका क्या अर्थ है?

(A) मानवीय हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप आर्द्रभूमि के पारिस्थितिक स्वरूप में परिवर्तन हुआ है, हो रहा है या होने की संभावना है।
(B) जिस देश में आर्द्रभूमि स्थित है उसे आर्द्रभूमि के किनारे से पाँच किलोमीटर के भीतर किसी भी मानवीय गतिविधि को प्रतिबंधित करने के लिये एक कानून बनाना चाहिये।
(C) आर्द्रभूमि का अस्तित्व इसके आसपास रहने वाले कुछ समुदायों की सांस्कृतिक प्रथाओं और परंपराओं पर निर्भर करता है तथा इसलिये वहाँ की सांस्कृतिक विविधता को नष्ट नहीं किया जाना चाहिये।
(D) इसे 'विश्व विरासत स्थल' का दर्जा दिया गया है।

उत्तर: A

व्याख्या:

  • मोंट्रेक्स रेकॉर्ड (Montreux Record) उन आर्द्रभूमि स्थलों की एक सूची है, जो अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के हैं जहांँ के पारिस्थितिक्र में परिवर्तन हुए हैं, हो रहे हैं, या तकनीकी विकास, प्रदूषण या अन्य मानव हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप परिवर्तन होने की संभावना है। यह रामसर सूची के भाग के रूप में शामिल है।
  • आर्द्रभूमि पर अभिसमय जिसे रामसर अभिसमय कहा जाता है, एक अंतर-सरकारी संधि है जो आर्द्रभूमि एवं उनके संसाधनों के संरक्षण तथा उचित उपयोग हेतु राष्ट्रीय कार्रवाई एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये रूपरेखा प्रदान करती है। अभिसमय को वर्ष 1971 में ईरानी शहर रामसर में अपनाया गया था और वर्ष 1975 में लागू हुआ था।

प्रश्न. आर्द्रभूमि क्या है? आर्द्रभूमि संरक्षण के संदर्भ में 'उचित उपयोग' की रामसर अवधारणा की व्याख्या कीजिये। भारत के रामसर स्थलों के दो उदाहरण दीजिये। (मुख्य परीक्षा 2018)

स्रोत : पी.आई.बी.


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 अगस्त, 2022

एक  ज़िला-एक उत्पाद उपहार सूची

हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने नई दिल्‍ली में एक ज़िला-एक उत्पाद उपहार सूची का डिजिटल संस्करण जारी किया। वाणिज्‍य भवन में निर्यात संवर्धन परिषद और उद्योग संघों की बैठक में वाणिज्‍य मंत्री ने कहा कि एक ज़िला एक उत्‍पाद - उपहार सूची देश के सभी ज़िलों की क्षमता उज़ागर करने की दिशा में एक कदम है और इससे देश के विविध स्वदेशी उत्पादों को वैश्विक मान्यता मिलेगी। श्री गोयल ने सभी संबंधित मंत्रालयों, उद्योग संघों और निर्यात संवर्धन परिषदों से डिज़ाइन और ब्राण्डिंग को बढ़ावा देने के लिये कैटलॉग के माध्‍यम से उत्पादों का उपयोग करने का अनुरोध किया। वाणिज्‍य मंत्री ने कहा कि कैटलॉग से उत्पादों का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में स्थानीय उत्पादों की ब्राण्ड इमेज को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि इससे मेक इन इंडिया और मेक फॉर वर्ल्ड दृष्टिकोण को बढ़ावा मिल रहा है। एक ज़िला-एक उत्पाद उपहार सूची में विभिन्‍न प्रकार के इत्र-सुगंध और तेल, भारतीय मदिरा, गृह सज्ज़ा उत्पाद तथा रेशम और शॉल सहित कई अन्य उत्पाद शामिल हैं।

डूरंड कप 

डूरंड कप फुटबॉल टूर्नामेंट का 131वाँ सत्र 16 अगस्त, 2022 से शुरू होगा। टूर्नामेंट में 20 टीमें शामिल होंगी, सभी को पाँच-पाँच टीमों के चार समूहों में बाँटा गया है। डूरंड कप का आयोजन पहली बार पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर के कई शहरों में किया जाएगा। दुनिया का तीसरा सबसे पुराना और एशिया का सबसे पुराना फुटबॉल टूर्नामेंट डूरंड कप पहली बार वर्ष 1888 में डगशाई (हिमाचल प्रदेश) में आयोजित किया गया था और इसका नाम मोर्टिमर डूरंड के नाम पर रखा गया था, जो उस समय भारत के प्रभारी विदेश सचिव थे। टूर्नामेंट शुरू में ब्रिटिश सैनिकों के बीच स्वास्थ्य और फिटनेस को बनाए रखने का सचेत तरीका था, लेकिन बाद में इसे नागरिकों हेतु खोल दिया गया और वर्तमान में यह दुनिया के प्रमुख खेल आयोजनों में से एक है। मोहन बागान और ईस्ट बंगाल डूरंड कप के इतिहास में सबसे सफल टीमें हैं जिन्होंने इसे सोलह बार जीता है।

विश्व अंगदान दिवस 

प्रत्येक वर्ष 13 अगस्त को विश्व भर में विश्व अंगदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस अंग दान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इसके अलावा भारत में प्रत्येक वर्ष 27 नवंबर को “राष्ट्रीय अंगदान दिवस” मनाया जाता है। यह अंग दान के मिथकों को दूर करने के लिये यह दिन मनाया जाता है। लोगों को मृत्यु के बाद अपने स्वस्थ अंगों को दान करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहता है इससे अधिक लोगों की जान बच सकती है। इसका उद्देश्य लोगों को यह महसूस करने में मदद करना है कि स्वस्थ अंगों की अनुपलब्धता के कारण बहुत से लोग अपनी जान गंँवा देते हैं। इस प्रकार स्वेच्छा से अपने स्वस्थ अंगों को दान करने से कई लोगों का जीवन बदल सकता है। वर्ष 1953 में पेरिस में जीन हैम्बर्गर द्वारा मानव किडनी का पहला अस्थायी रूप से सफल प्रत्यारोपण किया गया था। माँ से 16 वर्ष के बच्चे में किडनी प्रत्यारोपित  की गई थी। हालाँकि पहला दीर्घकालिक सफल गुर्दा प्रत्यारोपण वर्ष 1954 में अमेरिका में किया गया था। डॉक्टर जोसेफ मरे द्वारा यह सफल प्रत्यारोपण किया गया। इसके लिये डॉक्टर को वर्ष 1990 में “फिजियोलॉजी और मेडिसिन के लिये नोबेल पुरस्कार” मिला था।


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