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COVID-19 के खिलाफ प्रतिरक्षा

  • 09 Jan 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, COVID-19 संक्रमण से स्वस्थ हुए लोगों में कई महीनों और शायद वर्षों तक कोरोनोवायरस के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा बनी रह सकती है। यह रिपोर्ट 188 मरीज़ों के रक्त नमूनों के विश्लेषण पर आधारित है।

प्रमुख बिंदु:

    • पृष्ठभूमि:
      • COVID-19 के खिलाफ प्रतिरक्षा की अवधि इस पूरी महामारी के दौरान शोध का एक प्रमुख विषय रहा है और अभी तक हुए अध्ययनों में कई परिणाम देखने को मिले हैं।
      • इससे पहले जुलाई 2020 में प्रकाशित एक अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया था कि यह प्रतिरक्षा कुछ ही महीनों में समाप्त/नष्ट हो सकती है, जो कि पुनः संक्रमण के लिये अतिसंवेदनशील बनाती है।
    • अध्ययन के परिणाम:
      • यह अध्ययन बताता है कि प्रारंभिक संक्रमण के लक्षणों की शुरुआत के बाद से कोरोनोवायरस के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कम-से-कम आठ महीने तक बनी रह सकती है।
      • साथ ही यह बताता है कि COVID -19 संक्रमण से स्वस्थ हुए लगभग सभी व्यक्तियों में पुन: संक्रमण से लड़ने के लिये आवश्यक प्रतिरक्षा कोशिकाएँ पाई जाती हैं।
      • इस अध्ययन के तहत एक ही समय में एंटीबॉडी, स्मृति बी कोशिकाओं, सहायक टी कोशिकाओं और मारक टी कोशिकाओं को मापा गया है।
      • यह अन्य प्रयोगशालाओं से प्राप्त COVID-19 डेटा से उत्पन्न चिंताओं को संबोधित करता है, जिसमें समय के साथ COVID-विशिष्ट एंटीबॉडी में एक नाटकीय गिरावट देखने को मिली थी।
  • प्रतिरक्षा:
    • प्रतिरक्षा (Immunity) से आशय शरीर द्वारा रोगकारक जीवों से स्वयं की रक्षा करने की क्षमता से है।
    • प्रतिरक्षा दो प्रकार की होती है: (i) सहज प्रतिरक्षा और (ii) उपार्जित प्रतिरक्षा।
  • सहज प्रतिरक्षा (Innate Immunity):
    • यह एक प्रकार की अविशिष्ट रक्षा है जो हमारे शरीर में जन्म के समय से ही मौजूद होती है।
  • उपार्जित प्रतिरक्षा (Acquired Immunity):
    • यह रोगजनक विशिष्ट होती है। इसका अभिलक्षण स्मृति है। इसका मतलब यह है कि हमारा शरीर जब पहली बार एक रोगजनक का सामना करता है, तो यह एक अनुक्रिया करता है, जिसे निम्न तीव्रता की प्राथमिक अनुक्रिया कहते हैं।
    • बाद में उसी रोगजनक से सामना होने पर बहुत ही तीव्रता की द्वितीयक या पूर्ववृत्तीय अनुक्रिया ( Anamnestic Response) होती है, इसका कारण यह है कि हमारे शरीर में प्रथम अनुक्रिया की स्मृति बनी रहती है। .
  • एंटीबॉडी (Antibody):
    • एक एंटीबॉडी, जिसे इम्युनोग्लोबुलिन के रूप में भी जाना जाता है, वाई (Y) के आकार का प्रोटीन है, जिसका उपयोग प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा रोगजनक बैक्टीरिया और वायरस जैसे विदेशी पदार्थों/वस्तुओं की पहचान करने और उन्हें बेअसर करने के लिये किया जाता है।
    • टी कोशिकाएँ और बी कोशिकाएँ अनुकूली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के प्रमुख कोशिकीय घटक हैं। टी कोशिकाएँ कोशिका-मध्यस्थ प्रतिरक्षा में शामिल होती हैं, जबकि बी कोशिकाएँ मुख्य रूप से त्रिदोषन प्रतिरोधक क्षमता (Humoral immunity) के लिये ज़िम्मेदार होती हैं।
  • बी स्मृति कोशिकाएँ:
    • ये बी कोशिका के उप प्रकार हैं जो प्राथमिक संक्रमण के बाद जर्मिनल (Germinal ) केंद्रों के भीतर बनती हैं। MBC दशकों तक जीवित रह सकते हैं और बार-बार पुन: संक्रमण (जिसे द्वितीयक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के रूप में भी जाना जाता है) के मामले में एक त्वरित तथा मज़बूत एंटीबॉडी उत्पन्न करते हैं।
  • टी सहायक कोशिकाएँ:
    • ये प्रतिरक्षा (Immunity) के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण कोशिकाएँ हैं क्योंकि लगभग सभी प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं हेतु इनकी आवश्यकता होती है। ये बी कोशिकाओं, एंटीबॉडी और मैक्रोफेज (रोगाणुओं को नष्ट करने हेतु) तथा मारक टी कोशिकाओं (Killer T cells) को (संक्रमित टी कोशिकाओं को मारने के लिये) सक्रिय करने में भी मदद करती हैं।
  • मारक टी कोशिकाएँ:
    • यह एक टी लिम्फोसाइट (Lymphocyte- श्वेत रक्त कोशिका का एक प्रकार) है जो कैंसर, संक्रमित (विशेषकर वायरस से संक्रमित) या अन्य तरीकों से क्षतिग्रस्त होने वाली कोशिकाओं को मारता है

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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