प्रारंभिक परीक्षा
वाई-3023 दूनागिरि
हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री ने कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स लिमिटेड (GRSE) द्वारा निर्मित प्रोजेक्ट 17ए के वाई-3023 युद्धपोत दूनागिरि का उद्घाटन किया।
Y-3023:
- 'दूनागिरि' प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट्स का चौथा जहाज़ है।
- इसका नाम उत्तराखंड राज्य में स्थित एक पर्वत शृंखला के नाम पर रखा गया है।
- 'दूनागिरि' पूर्ववर्ती 'दूनागिरि', लिएंडर क्लास ASW फ्रिगेट का पुनर्निर्माण है, यह अपनी 33 वर्षों की सेवा के दौरान विभिन्न चुनौतीपूर्ण संचालन और बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में शामिल रहा।
प्रोजेक्ट 17A फ्रिगेट्स:
- परिचय:
- प्रोजेक्ट 17A फ्रिगेट्स P17 फ्रिगेट्स (शिवालिक क्लास) के फॉलोऑन हैं जिसमें बेहतर स्टील्थ फीचर्स, उन्नत हथियार एवं संवेदक के साथ प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम है।
- भारतीय नौसेना के लिये पी-17 A के तहत सात युद्धपोत (Frigates)- चार मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स (MDL) मुंबई में और तीन गार्डन रीच शिप बिल्डर्स लिमिटेड (GRSE) कोलकाता में बनाए जाएंगे जो उन्नत स्टील्थ क्षमता से लैस होंगे।
- विशेषताएँ:
- P-17A की मुख्य उन्नत स्टील्थ विशेषताएँ विशेष संरचना और आकार के उपयोग के माध्यम से प्राप्त जहाज़ के छोटे रडार क्रॉस-सेक्शन से संबंधित हैं जो रडार तरंग परावर्तन को कम करता है।
- P17A युद्धपोतों में बेहतर उत्तरजीविता, समुद्री रखरखाव, स्टील्थ और जहाज़ की गतिशीलता के लिये नई डिज़ाइन अवधारणाओं को शामिल किया गया है।
- एक अन्य महत्त्वपूर्ण विशेषता जहाज़ के प्रोपेलर, ऑपरेटिंग मशीनरी जैसे डीज़ल जेनरेटर आदि से निकलने वाले कम ध्वनिक शोर के संबंध में है, यह अन्य जहाज़ों पर सोनार की उपस्थिति का पता लगाने में सहायता करता है।
- इस तरह की स्टील्थ विशेषताएँ संचालन के दौरान किसी भी प्रतिकूल वातावरण में जहाज़ की उत्तरजीविता में सुधार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- जहाज़ पर हथियार प्रणाली:
- पी-17A जहाज़ों के मुख्य हथियार और सेंसर सूट में ब्रह्मोस SSM, LRSAM (फॉरवर्ड एंड आफ्ट कॉन्फिगरेशन) के साथ MF स्टार रडार, स्वदेशी सोनार तथा ट्रिपल ट्यूब हैवी टॉरपीडो लॉन्चर शामिल हैं।
- प्रोजेक्ट 17A के तहत पहले तीन जहाज़:
- आईएनएस नीलगिरि
- आईएनएस हिमगिरि
- आईएनएस उदयगिरि
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रारंभिक परीक्षा
एनआईआरएफ रैंकिंग 2022
प्रिलिम्स के लिये:उच्च शिक्षा संस्थान, शिक्षा मंत्रालय मेन्स के लिये:राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF), रैंकिंग 2022 का 7वाँ संस्करण जारी किया है।
राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क:
- लॉन्च: ‘राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क’ (NIRF) को सितंबर 2015 में शिक्षा मंत्रालय (तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय) द्वारा अनुमोदित किया गया था।
- यह देश में उच्च शिक्षण संस्थानों (HEI) को रैंक प्रदान करने के लिये भारत सरकार का पहला प्रयास है।
- वर्ष 2018 में देश भर के सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों के लिये ‘राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क’ में हिस्सा लेना अनिवार्य कर दिया गया था।
- पाँच मापदंडों पर मूल्यांकन:
- शिक्षण, शिक्षा और संसाधन (Teaching, Learning and Resources-TLR)
- अनुसंधान और व्यावसायिक अभ्यास (Research and Professional Practices-RP)
- स्नातक परिणाम (Graduation Outcomes-GO)
- आउटरीच और समावेशिता (Outreach and Inclusivity-OI)
- समकक्ष अनुभूति (Peer Perception)
- श्रेणियाँ: कुल 11 श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ संस्थानों को सूचीबद्ध किया गया है- समग्र राष्ट्रीय रैंकिंग, विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग, कॉलेज, चिकित्सा, प्रबंधन, फार्मेसी, विधि, वास्तुकला, दंत चिकित्सा और अनुसंधान।
- लॉन्च करने का कारण: क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग और टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग द्वारा विकसित रैंकिंग पद्धति में व्यक्तिपरकता ने भारत को शंघाई रैंकिंग की तर्ज पर भारतीय HEI के लिये अपनी रैंकिंग प्रणाली शुरू करने हेतु प्रेरित किया।
- NIRF की दीर्घकालिक योजना इसे अंतर्राष्ट्रीय लीग टेबल (International League Table) बनाने की है।
- वर्ष 2022 में भाग लेने वाले संस्थानों की संख्या: NIRF रैंकिंग में 7,000 से अधिक संस्थानों ने भाग लिया।
रैंकिंग 2022 की मुख्य विशेषताएँ:
- समग्र रूप से IIT-मद्रास, IISc- बंगलूरू और IIT-बॉम्बे देश के शीर्ष तीन उच्च शिक्षा संस्थान हैं।
- विश्वविद्यालय: IISc- बंगलूरू विश्वविद्यालय की श्रेणी में सबसे ऊपर है।
- कॉलेज: मिरांडा कॉलेज ने लगातार छठे वर्ष कॉलेजों में पहला स्थान बरकरार रखा है, उसके बाद हिंदू कॉलेज, दिल्ली और प्रेसीडेंसी कॉलेज चेन्नई का स्थान है।
- अनुसंधान संस्थान: IISc- बंगलूरू को IIT- मद्रास के बाद सर्वश्रेष्ठ शोध संस्थान का दर्जा दिया गया है।
- इंजीनियरिंग: इंजीनियरिंग संस्थानों में आईआईटी-मद्रास नंबर वन पर रहा है।
- प्रबंधन: भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), अहमदाबाद को प्रबंधन के क्षेत्र में पहला तथा IIM-बंगलूरू को दूसरा स्थान मिला है।
- चिकित्सा: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली लगातार पाँचवें वर्ष चिकित्सा में शीर्ष स्थान पर रहा है।
- फार्मेसी: जामिया हमदर्द फार्मेसी के क्षेत्र में लगातार चौथी बार सूची में सबसे ऊपर है।
- आर्किटेक्चर: IIT रुड़की आर्किटेक्चर में दूसरी बार शीर्ष स्थान पर रहा है।
- कानून (लॉ): नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बंगलूरू ने लगातार पाँचवें वर्ष कानून में अपना पहला स्थान बरकरार रखा है।
- डेंटल: सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज़, चेन्नई को पहली रैंक मिली है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
सोडियम-आयन बैटरी
हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन (यूएस) के वैज्ञानिकों ने एक विद्युतअपघट्य (Electrolyte) विकसित किया है जो सोडियम आयन बैटरी को व्यावसायिक रूप से अधिक व्यवहार्य बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
- जल्द ही सोडियम-आधारित बैटरी तकनीक, लिथियम-आधारित बैटरी के एक विकल्प के रूप में स्थान ले सकती है।
अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ:
- अध्ययन में पाया गया कि परिवेशी तापमान सॉलिड-स्टेट सोडियम-सल्फर बैटरी तकनीक का उपयोग नए विद्युतअपघट्य की मदद से ग्रिड-स्तरीय ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिये किया जा सकता है।
- नई संरचनात्मक और संरचनागत डिज़ाइन पद्धतियाँ सुरक्षित, कम लागत वाली, ऊर्जा-सघन, लंबे समय तक चलने वाली सॉलिड-स्टेट सोडियम बैटरियों के निर्माण के लिये एक नया प्रतिमान स्थापित करती हैं।
सोडियम आयन बैटरी:
- यह रिचार्जेबल बैटरी हैं जिसे बैटरी की चार्जिंग और डिस्चार्जिंग के दौरान इलेक्ट्रोड के बीच सोडियम आयन संचलन की आवश्यकता होती है, तथा इन बैटरियों में सोडियम कैथोड के रूप में कार्य करता है।
लिथियम-आयन संबंधी चुनौतियाँ:
- लिथियम-आयन निकासी हेतु खनन प्रथाओं ने पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है।
- यह हानिकारक रसायन उत्सर्जित करता है जो आगे नदियों और उसके पारिस्थितिकी तंत्र में फैल जाते हैं।
- यह पुर्नप्रयोग लायक नहीं है क्योंकि इसकी पुनर्चक्रण प्रक्रिया बहुत महँगी है।
सोडियम-आयन का महत्त्व:
- लिथियम समकक्षों की तुलना में इसका उत्पादन करना सस्ता है क्योंकि इन्हें बनाने के लिये आवश्यक कच्चे माल की प्रचुरता है।
- वे ऊर्जा सघन, ज्वलनशील और ठंडे तापमान में अच्छी तरह से काम करते हैं।
- इसके अलावा वे प्रति यूनिट वज़न में अधिक ऊर्जा स्टोर कर सकते हैं, यह उन्हें इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे बड़े अनुप्रयोगों के लिये उपयुक्त बना सकता है।
- इसमें बैटरी के गर्म होने की संभावना कम होती है जबकि लिथियम-आयन बैटरी में आग लग सकती है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
प्रारंभिक परीक्षा
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
गुजरात में केवल चार फीमेल ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) बची हैं।
- वर्ष 2018 की गणना के अनुसार, भारत में 150 से कम GIB हैं, जिनमें से 122 राजस्थान में हैं।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड:
- परिचय:
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB), राजस्थान का राज्य पक्षी है और भारत का सबसे गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी माना जाता है।
- यह घास के मैदान की प्रमुख प्रजाति मानी जाती है, जो चरागाह पारिस्थितिकी का प्रतिनिधित्व करती है।
- इसकी अधिकतम आबादी राजस्थान और गुजरात तक ही सीमित है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह प्रजाति कम संख्या में पाई जाती है।
- खतरा:
- बिजली लाइनों से टकराव/इलेक्ट्रोक्यूशन, शिकार (अभी भी पाकिस्तान में प्रचलित), आवास का नुकसान और व्यापक कृषि विस्तार आदि के परिणामस्वरूप यह पक्षी खतरे में है।
- सुरक्षा की स्थिति:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट-1
- प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (CMS): परिशिष्ट-I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972:- अनुसूची 1
- GIB की सुरक्षा के लिये किये गए उपाय:
- प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम:
- इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के वन्यजीव आवास का एकीकृत विकास (IDWH) के तहत प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के तहत रखा गया है।
- नेशनल बस्टर्ड रिकवरी प्लान:
- वर्तमान में इसे संरक्षण एजेंसियों (Conservation Agencies) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- संरक्षण प्रजनन सुविधा:
- जून 2019 में MoEFCC, राजस्थान सरकार और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा जैसलमेर में डेज़र्ट नेशनल पार्क में एक संरक्षण प्रजनन सुविधा स्थापित की है।
- कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रेट इंडियन बस्टर्ड्स की आबादी में वृद्धि करना है जिसके लिये चूजों को जंगल में छोड़ा जाना है।
- प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड:
- राजस्थान सरकार ने इस प्रजाति के प्रजनन बाड़ों के निर्माण और उनके आवासों पर मानव दबाव को कम करने के लिये एवं बुनियादी ढाँचे के विकास के उद्देश्य से ‘प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड ’लॉन्च किया है।
- पर्यावरण अनुकूल उपाय:
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सहित वन्यजीवों पर पॉवर ट्रांसमिशन लाइनों (Power Transmission Lines) और अन्य पॉवर ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर (Power Transmission Infrastructures) के प्रभावों को कम करने के लिये पर्यावरण के अनुकूल उपायों का सुझाव देने हेतु टास्क फोर्स का गठन।
- प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम:
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 जुलाई, 2022
बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 जुलाई, 2022 को उत्तर प्रदेश में जालौन ज़िले के कैथैरी गांँव में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करेंगे। 297 किलोमीटर लंबे चार लेन के इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर लगभग 14 हज़ार 850 करोड़ रुपए की लागत आई है। बाद में इसे 6 लेन तक विस्तारित किया जा सकेगा। यह चित्रकूट ज़िले में भरतकूप के निकट गोंडा गांँव के राष्ट्रीय राजमार्ग 35 से इटावा ज़िले के कुदरैल गांँव तक जाता है जहांँ यह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे में मिल जाता है। यह मार्ग 7 ज़िलों- चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा से गुज़रता है।
संपर्क बढ़ाने के साथ-साथ बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा। इससे स्थानीय लोगों के लिये रोज़गार के अवसर सृजित होंगे। एक्सप्रेस-वे के निकट बांदा और जालौन ज़िलों में औद्योगिक गलियारा बनाने का काम शुरू हो चुका है। सरकार देश के विभिन्न भागों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध है, इसी उद्देश्य से सड़क संपर्क में सुधार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 फरवरी, 2020 को बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण की आधारशिला रखी थी। इसका निर्माण कार्य 28 महीनों में पूरा हुआ है।
नई दिल्ली सह-भागिता योजना
11 जुलाई, 2022 को दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा “नई दिल्ली सह-भागिता” योजना शुरू की गई है। नई दिल्ली सह-भागिता योजना दिल्ली में कर संग्रह और अपशिष्ट प्रबंधन पारिस्थितिकी तंत्र में निवासी कल्याण संघों (RWA) को भागीदार बनाने के लिये शुरू की गई है। इसका उद्देश्य RWAs को प्रोत्साहित करके कर संग्रह में दक्षता और अनुपालन में सुधार करना है। इस योजना के अनुसार, यदि RWA सोसाइटियों या कॉलोनियों में कुल संपत्तियों से 90 प्रतिशत कर संग्रह करने में सक्षम होता है, तो वह अपने क्षेत्रों में कर संग्रह के 10 प्रतिशत हिस्से से विकास कार्यों की सिफारिश करने में सक्षम होगा। यह कर संग्रह एक लाख रुपए की सीमा के अधीन है। इसके अलावा यदि कॉलोनी स्रोत पर 100 प्रतिशत अपशिष्ट पृथक्करण, गीले कचरे के संयोजन के साथ-साथ सूखे कचरे के पुनर्चक्रण को प्राप्त करने में सक्षम है, तो सरकार भुगतान किये गए कर का 5 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करेगी। नई दिल्ली सह-भागिता पहल संपत्ति कर ढांँचे के युक्तिकरण के मुद्दे को संबोधित करती है। यह सामुदायिक भागीदारी द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को भी महत्त्व देती है। नई कर नीति दिल्ली नगर निगम (MCD) द्वारा अपनाए गए विभिन्न दृष्टिकोणों के साथ एकरूपता लाने में मदद करेगी।
रानिल विक्रमसिंघे
15 जुलाई, 2022 को श्रीलंका में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने गोटबाया राजपक्षे का उत्तराधिकारी चुने जाने तक अंतरिम राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण की। उन्होंने कार्यवाहक राष्ट्रपति से ज़्यादा शक्तियाँ संसद को देने के मकसद से संविधान के 19वें संशोधन को बहाल करने तथा कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने का आह्वान किया। राजपक्षे ने दिवालिया हो चुके द्वीपीय देश की अर्थव्यवस्था को न संभाल पाने के कारण अपनी सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों के बाद इस्तीफा दे दिया। वह देश छोड़कर पहले मालदीव और फिर वहाँ से सिंगापुर चले गए हैं। प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने विक्रमसिंघे को श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति के तौर पर शपथ दिलाई। गौरतलब है कि संविधान का वर्ष 2015 में अपनाया गया 19ए संशोधन कार्यवाहक राष्ट्रपति के मुकाबले संसद को अधिक शक्तियाँ देता है। हालाँकि गोटबाया राजपक्षे के नवंबर 2019 में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद 19ए को निरस्त कर दिया गया था।