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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 16 Feb, 2022
  • 22 min read
प्रारंभिक परीक्षा

देविका नदी परियोजना: जम्मू और कश्मीर

हाल की में केंद्र द्वारा सूचित किया गया है कि 190 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली देविका परियोजना (River Devika Project) जून, 2022 तक पूरी हो जाएगी।

प्रमुख बिंदु 

देविका नदी परियोजना:

  • इस परियोजना पर कार्य मार्च 2019 में राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (NRCP) के तहत शुरू किया गया था।
  • परियोजना के तहत देविका नदी के तट पर स्नान घाटों का विकास, अतिक्रमण हटाना, प्राकृतिक जल निकायों को बहाली और श्मशान भूमि के साथ जलग्रहण क्षेत्रों को विकसित किया जाएगा।
  • इस परियोजना में तीन सीवेज उपचार संयंत्र, 129.27 किलोमीटर लंबा सीवरेज नेटवर्क, दो दाह संस्कार घाटों का विकास, सुरक्षा बाड़ एवं लैंडस्‍केपिंग, छोटे जलविद्युत संयंत्र और तीन सौर ऊर्जा सयंत्रों का निर्माण कार्य शामिल है। 
  • परियोजना के पूरा होने पर नदियों के प्रदूषण में कमी आएगी और पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा।

देविका नदी का महत्त्व:

  • देविका नदी जम्मू और कश्मीर के उधमपुर ज़िले में पहाड़ी सुध (शुद्ध) महादेव मंदिर से निकलती है और पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान में) की ओर बहती है जहाँ यह रावी नदी में मिल जाती है।
  • नदी का धार्मिक महत्त्व इसलिये भी है क्योंकि इसे हिंदुओं द्वारा गंगा नदी की बहन के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • जून 2020 में उधमपुर में देविका पुल का उद्घाटन किया गया। इस पुल के निर्माण का उद्देश्य यातायात की भीड़ से निपटने के अलावा सेना के काफिले और वाहनों को सुगम मार्ग प्रदान करना है।

राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना:

परिचय:

  • राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (National River Conservation Plan-NRCP) वर्ष 1995 में शुरू की गई एक केंद्रीय वित्तपोषित योजना है जिसका उद्देश्य नदियों में प्रदूषण को रोकना है।
  • नदी संरक्षण से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम, राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (NRCP) और राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (National Ganga River Basin Authority- NGRBA) के तहत संचालित किये जा रहे हैं।
    • राष्ट्रीय गंगा परिषद, जिसे गंगा नदी के कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन हेतु राष्ट्रीय परिषद के रूप में भी जाना जाता है, ने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NRGBA) की जगह ले ली है।

NRCP के तहत अंतर्निहित गतिविधियाँ:

  • खुले नालों द्वारा नदी में बहने वाले कच्चे मल-जल को रोकने तथा शोधन हेतु उसका पथांतर करने के लिये दिशा अवरोधन एवं दिशा परिवर्तन कार्य।
  • पथांतरित वाहित मल-जल का शोधन करने के लिये मल-जल शोधन संयंत्र/सीवेज़ ट्रीटमेंट प्लांट। 
  • नदी तटों पर खुले में मलत्याग की रोकथाम के लिये अल्प लागत वाले शौचालय।
  • लकड़ी के प्रयोग को संरक्षित करने के लिये विद्युत शवदाह गृह एवं उन्नत काष्ठ शवदाह गृहों का निर्माण करना तथा शवों का उचित दाह-संस्कार सुनिश्चित करना।
  • स्नान घाटों का सुधार जैसे नदी तटाग्र विकास कार्य।
  • जन जागरूकता तथा जन सहभागिता।
  • नदी संरक्षण के क्षेत्र में मानव संसाधन विकास (HRD), क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान।
  • अन्य विविध कार्य जो मानव आबादी के साथ संपर्क सहित स्थान विशिष्ट स्थितियों पर निर्भर करते हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

इनिशियल पब्लिक ऑफर

हाल ही में सरकार के स्वामित्व वाले भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास अपनी मेगा इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) के लिये ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया।

  • सरकार, जिसके पास LIC की 100% हिस्सेदारी है, आईपीओ के माध्यम से अपनी 5% हिस्सेदारी बेचेगी। IPO से होने वाली सभी आय, जो बिक्री के लिये एक प्रस्ताव के रूप में है और कम-से-कम 60,000 करोड़ रुपए तक होने की उम्मीद है, से वित्त वर्ष 2022 के लिये सरकार के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।
  • LIC पूरी तरह से सरकार के स्वामित्व में है। इसकी स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी। भारत के बीमा कारोबार में इसकी सबसे बड़ी हिस्सेदारी है।

इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO):

  • IPO एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत कोई निजी या सरकार के स्वामित्त्व वाली कंपनी जैसे कि LIC पूंजी जुटाने के लिये पहली बार सार्वजनिक तौर पर अपने शेयरों की बिक्री करती है।
    • IPO के बाद वह पब्लिक लिस्टेड कंपनी बन जाती है। स्टॉक एक्सचेंज शेयर, स्टॉक और बॉण्ड जैसी प्रतिभूतियों की बिक्री एवं खरीद के लिये एक संगठित बाज़ार है।
    • एक सूचीबद्ध कंपनी एक अनुवर्ती सार्वजनिक पेशकश (Follow-on Public Offering) या  FPO के माध्यम से भविष्य में वृद्धि और विस्तार के लिये शेयर पूंजी जुटा सकती है।
  • IPO जारी करने के दौरान कंपनी को बाज़ार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास अपना प्रस्ताव दस्तावेज़ दाखिल करना होता है।
    • ऑफर दस्तावेज़ में कंपनी, उसके प्रमोटर, उसकी परियोजनाओं, वित्तीय विवरण, धन जुटाने का उद्देश्य, जारी करने की शर्तें आदि के बारे में सभी प्रासंगिक जानकारी शामिल होती है।
    • SEBI वर्ष 1992 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार स्थापित एक वैधानिक निकाय है।

बिक्री हेतु प्रस्ताव:

  • बिक्री हेतु प्रस्ताव पद्धति के तहत प्रतिभूतियों को सीधे जनता को जारी नहीं किया जाता है, बल्कि बिचौलियों जैसे- हाउसिंग या स्टॉक ब्रोकरों के माध्यम से जारी किया जाता है।
  • इस संदर्भ में एक कंपनी दलालों को एक सहमत मूल्य पर प्रतिभूतियों को बेचती है, जो बदले में  निवेश हेतु उनको पुनः जनता को बेचते हैं।

रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस का ड्राफ्ट:

  • ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) एक कानूनी प्रारंभिक दस्तावेज़ है। यह आईपीओ-बाध्य कंपनी और उसके निवेशकों तथा हितधारकों के बीच एक महत्त्वपूर्ण संचार लिंक के रूप में कार्य करता है।

IPO में निवेश की अनुमति:

  • क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) निवेशकों की एक श्रेणी है जिसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs), म्यूचुअल फंड, वाणिज्यिक बैंक, बीमा कंपनियाँ, पेंशन फंड आदि शामिल हैं।
    • QIBs वे संस्थागत निवेशक हैं जिन्हें आमतौर पर पूंजी बाज़ार में मूल्यांकन और निवेश हेतु विशेषज्ञता व वित्तीय क्षमता युक्त माना जाता है।
  • वे व्यक्ति जो किसी इश्यू में 2 लाख रुपए तक निवेश करते हैं, उन्हें खुदरा निवेशक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • 2 लाख रुपए से अधिक का निवेश करने वाले खुदरा निवेशकों को उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

कंपनियाँ जो आईपीओ जारी कर सकती हैं:

  • निवेशकों की सुरक्षा के लिये सेबी ने ऐसे नियम निर्धारित किये हैं जिनके लिये कंपनियों को धन जुटाने हेतु जनता के पास जाने से पहले कुछ मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता होती है।
  • अन्य शर्तों के अलावा कंपनी के पास पिछले पूर्ण तीन वर्षों में से प्रत्येक में कम-से-कम 3 करोड़ रुपए की शुद्ध संपत्ति और 1 करोड़ रुपए की शुद्ध संपत्ति होनी चाहिये तथा तत्काल पूर्ववर्ती पाँच वर्षों में से कम-से-कम तीन में इसका न्यूनतम औसत कर-पूर्व लाभ 15 करोड़ रुपए होना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

अंतर्राष्ट्रीय एपिलेप्सी (मिर्गी) दिवस

प्रत्येक वर्ष फरवरी के दूसरे सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय एपिलेप्सी (मिर्गी) दिवस (IED) के रूप में मनाया जाता है, और इस वर्ष यह 14 फरवरी (2022) को मनाया गया। 

  • यह दिवस आम लोगों को शिक्षित करने और रोग, इसके लक्षणों एवं उपचार के बारे में अधिक समझने का अवसर प्रदान करता है। 
  • यह दिन इंटरनेशनल ब्यूरो फॉर एपिलेप्सी (IBE) और इंटरनेशनल लीग अगेंस्ट एपिलेप्सी (ILAE) की एक संयुक्त पहल है। इसकी शुरुआत वर्ष 2015 में हुई थी।

एपिलेप्सी (मिर्गी):

  • एपिलेप्सी (मिर्गी) एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार है, इसमें मस्तिष्क की गतिविधि असामान्य हो जाती है, जिससे दौरे या असामान्य व्यवहार, संवेदनाएँ और कभी-कभी अभिज्ञता संबंधी हानि होती है। 
    • मिर्गी को दो या दो से अधिक अकारण दौरे पड़ने के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • मिर्गी दुनिया की सबसे पुरानी मान्यता प्राप्त स्थितियों में से एक है, जिसके लिखित रिकॉर्ड 4000 ईसा पूर्व के हैं।
  • दुनिया भर में लगभग 50 मिलियन लोग मिर्गी से ग्रसित हैं, जो विश्व स्तर पर सबसे आम न्यूरोलॉजिकल रोगों में से एक है।
    • भारत में लगभग 60 लाख लोग मिर्गी से ग्रसित हैं।
  • कोई भी व्यक्ति मिर्गी रोग से ग्रस्त हो सकता है, लेकिन यह छोटे बच्चों और बड़े वयस्कों में अधिक आम  है।
  • मिर्गी का कोई इलाज़ नहीं है, लेकिन इस विकार को दवाओं और अन्य रणनीतियों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
  • वर्ष 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मिर्गी (एपिलेप्सी), एक सार्वजनिक स्वास्थ्य अनिवार्यता रिपोर्ट जारी की गई थी।
    • यह मिर्गी पर पहली वैश्विक रिपोर्ट है जिसमें मिर्गी के बोझ तथा वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया पर उपलब्ध साक्ष्य का सारांश प्रस्तुत किया गया है।
  • WHO मेंटल हेल्थ गैप एक्शन प्रोग्राम (mhGAP) का उद्देश्य विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिये मानसिक, न्यूरोलॉजिकल व मादक द्रव्यों के सेवन विकारों हेतु आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति को बढ़ाना है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 फरवरी, 2022

फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से जल निकासी

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से समुद्र में उपचारित पानी की विवादास्पद योजनाबद्ध निकासी की समीक्षा हेतु जापान में मिशन शुरू किया गया। जापान के अनुसार, कई दशकों में पानी को उपचारित करने और छोड़ने की योजना प्रस्तावित है, क्योंकि एक व्यापक पंपिंग और निस्पंदन प्रणाली अधिकांश रेडियोधर्मी तत्त्वों को हटा देती है। IAEA ने भी इस निकासी का समर्थन किया है और कहा है कि यह प्रक्रिया अन्य साइटों के परमाणु संयंत्रों से अपशिष्ट जल की निकासी के ही समान है। इस योजना को अप्रैल 2021 में जापान द्वारा अपनाया गया था जिसके मार्च 2023 तक शुरू होने की उम्मीद है, पर्यावरण और सुरक्षा चिंताओं को लेकर इस पर पड़ोसी देशों द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं। योजना को लेकर स्थानीय मछुआरा समुदाय द्वारा भी  विरोध किया गया। फुकुशिमा परमाणु संयंत्र एक अक्षम परमाणु ऊर्जा संयंत्र है जो जापान में ओकुमा और फुताबा के कस्बों में 3.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थित है। 11 मार्च, 2011 को जापान में 9.0 तीव्रता के भूकंप और सुनामी के कारण इस संयंत्र को बड़ी क्षति हुई। इन घटनाओं से विकिरण का रिसाव हुआ जिसने कई रिएक्टरों को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया।

मालदीव में भारतीय व्‍यापारियों को बिना वीज़ा प्रवेश

मालदीव ने भारतीय व्‍यापारियों को बिना वीज़ा प्रवेश की अनुमति देने की घोषणा की है। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह फैसला इस महीने की पहली तारीख से लागू हो गया है। व्‍यापारिक उद्देश्‍यों से मालदीव जाने वाले भारतीय यात्रियों को 90 दिन की अवधि के लिये बिना वीज़ा के प्रवेश देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। भारत और मालदीव के बीच 17 दिसंबर, 2018 को वीज़ा सुविधा हेतु समझौते पर हस्‍ताक्षर हुए थे जिसके अंतर्गत यह निर्णय लिया गया है। वीज़ा मुक्‍त प्रवेश व्‍यवस्‍था के अंतर्गत दोनों देश एक-दूसरे के नागरिकों को छह महीने के भीतर 90 दिन की अवधि के लिये वीज़ा मुक्‍त यात्रा की सुविधा देंगे। कोई भी भारतीय नागरिक स्‍वीकृत व्‍यापार वीज़ा को एक कलैंडर वर्ष में 180 दिन तक के लिये बढ़ा सकता है। भारत और मालदीव के बीच दशकों से अच्छे संबंध रहे हैं। प्राचीन समय में मालदीव पर भारतीय हिंदू संस्कृति का अत्यधिक प्रभाव रहा है। मालदीव को ब्रिटिश से 26 जुलाई,1965 में आज़ादी मिली थी। भारत मालदीव को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में से एक है। चीन ने मालदीव में वर्ष 2011 में अपना दूतावास खोला है, जबकि भारत ने वर्ष 1972 में ही मालदीव में अपना दूतावास खोल दिया था। लंबे समय तक दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध रहे हैं। मालदीव और भारत के बीच राजनैतिक संबंध के अलावा सामाजिक, धार्मिक और कारोबारी रिश्ता भी रहा है। मालदीव में करीब 25 हज़ार भारतीय निवास करते हैं। भारतीय समुदाय मालदीव में निवास करने वाला दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है।

पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान 

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अंतर्गत 22 नए एक्सप्रेसवे, 23 प्रमुख बुनियादी ढाँचागत परियोजनाएँ और 35 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क विकसित करेगा। गति शक्ति एक डिजिटल मंच है जो औद्योगिक और आर्थिक क्षेत्र समूहों की बुनियादी ढाँचागत संपर्क परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन में तालमेल के लिये रेलवे व सड़क सहित 16 मंत्रालयों को जोड़ता है। कुछ निर्माणाधीन प्रमुख एक्सप्रेसवे और गलियारों में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे और बंगलूरू-चेन्नई एक्सप्रेसवे शामिल हैं। कुछ निर्माणाधीन प्रमुख बुनियादी ढाँचागत परियोजनाओं में लद्दाख में जोजिला सुरंग का निर्माण, आंध्र प्रदेश में कृष्णापत्तनम बंदरगाह को जोड़ने वाली सड़कें और अरुणाचल प्रदेश में लालपुल-मनमाओ सड़क को दो लेन का करना शामिल है। पीएम गति शक्ति परियोजना एक तरह का डिजिटल मंच है जिससे रेल व सड़क समेत 16 मंत्रालय जुड़े हैं। इस योजना की शुरुआत 13 अक्तूबर, 2021 को की गई थी। दरअसल नौकरशाही तंत्र इस तरह का है कि उसमें अलग-अलग भागों में काम होता है। इससे किसी भी प्रोजेक्ट के क्लीयरेंस या अन्य तरह के सहयोग को लेकर न केवल जटिलता आती है, बल्कि काफी समय भी लग जाता है। इसी तरह की समस्या से निपटने के लिये गति शक्ति योजना का प्रस्ताव रखा गया, ताकि वर्ष 2024-25 तक सभी बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्ट‍िविटी प्रोजेक्ट के लक्ष्यों को पूरा किया जा सके।

फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर

एक विशेष संसदीय सभा द्वारा 13 फरवरी, 2022 को जर्मनी के राष्ट्रपति के रूप में फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर को पाँच साल के दूसरे कार्यकाल के लिये फिर से चुना गया। वह जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) के सदस्य हैं, उन्होंने कानून में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। वह पहले एक सिविल सेवक थे। रूस और चीन के प्रति उनकी उदार नीतियों और मानवाधिकारों पर जर्मन व्यापारिक हितों को प्राथमिकता देने के लिये उनकी आलोचना की गई है। संसद के निचले सदन के सदस्यों और जर्मनी के 16 राज्यों के प्रतिनिधियों की एक विशेष सभा द्वारा उन्हें बड़े बहुमत से चुना गया। वह वर्ष 2017 में राष्ट्रपति बने थे। इससे पहले उन्होंने चांसलर एंजेला मर्केल की सरकार में विदेश मंत्री और चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्य किया था। जर्मन राष्ट्रपति को लगातार दो बार पाँच वर्ष  के कार्यकाल के लिये चुना जा सकता है। भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय संबंध साझा लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित हैं। भारत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी संघीय गणराज्य के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था। जर्मनी, भारत की विकास परियोजनाओं में प्रतिवर्ष 1.3 बिलियन यूरो का सहयोग देता है, जिसमें से 90% का उपयोग जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के साथ-साथ स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जाता  है। जर्मनी, महाराष्ट्र में 125 मेगावाट क्षमता के एक विशाल सौर संयंत्र के निर्माण में भी सहयोग कर रहा है, जो 155,000 टन वार्षिक CO2 उत्सर्जन को कम करेगा। दिसंबर 2021 में जर्मनी के नए चांसलर की नियुक्ति के बाद भारत और जर्मनी ने सहमति व्यक्त की है कि दुनिया के प्रमुख लोकतांत्रिक देशों एवं रणनीतिक भागीदारों के रूप में दोनों देश साझा चुनौतियों से निपटने के लिये आपसी सहयोग को मज़बूत करेंगे जहाँ जलवायु परिवर्तन उनके एजेंडे में शीर्ष विषय के रूप में शामिल होगा।


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