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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 12 Nov, 2021
  • 11 min read
प्रारंभिक परीक्षा

आचार्य कृपलानी

हाल ही में प्रधानमंत्री ने आचार्य कृपलानी को उनकी जयंती (11 नवंबर) पर श्रद्धांजलि दी।

Acharya-Kriplani

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • उनका जन्म 11 नवंबर,1888 को सिंध (हैदराबाद) में हुआ था।
    • उनका मूल नाम जीवतराम भगवानदास कृपलानी था, लेकिन उन्हें आचार्य कृपलानी के नाम से जाना जाता था। वह एक स्वतंत्रता सेनानी, भारतीय राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद् थे।
  • शिक्षाविद्:
    • वर्ष 1912 से 1927 तक उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में पूरी तरह से शामिल होने से पूर्व विभिन्न स्थानों पर अध्यापन का कार्य किया।
    • वर्ष 1922 के आसपास जब वे महात्मा गांधी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ में अध्यापन कर रहे थे, तब उन्हें 'आचार्य' उपनाम प्राप्त हुआ।
  • एक पर्यावरणविद्:
    • कृपलानी जी विनोबा भावे के साथ 1970 के दशक में पर्यावरण के संरक्षण एवं बचाव गतिविधियों में शामिल थे।
  • स्वतंत्रता सेनानी:
    • वह असहयोग आंदोलन (1920-22) और सविनय अवज्ञा आंदोलनो (1930 में शुरू) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) का हिस्सा रहे।
    • स्वतंत्रता के समय वे भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (INC) के अध्यक्ष थे। उन्होंने भारत की अंतरिम सरकार (1946-1947) और भारत की संविधान सभा में योगदान दिया।
  • राजनीतिक जीवन:
    • आज़ादी के बाद कॉन्ग्रेस छोड़कर वह किसान मज़दूर प्रजा पार्टी (KMPP) के संस्थापकों में से एक बन गए। 
    • वह 1952, 1957, 1963 और 1967 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में लोकसभा के लिये चुने गए।
    • उन्होंने भारत-चीन युद्ध (1962) के तुरंत बाद वर्ष 1963 में लोकसभा में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किया।
      • वर्ष 1963 में एक कॉन्ग्रेसी नेता सुचेता कृपलानी, उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, जो देश की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थीं, जबकि उनके पति आचार्य कृपलानी कॉन्ग्रेस के विरोधी बने रहे।
    • वह नेहरू की नीतियों और इंदिरा गांधी के शासन के आलोचक थे। उन्हें आपातकाल (1975) के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया था।
  • उनकी आत्मकथा 'माई टाइम्स' (My Times) वर्ष 2004 में मरणोपरांत प्रकाशित हुई।

प्रारंभिक परीक्षा

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल हुआ अमेरिका

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में शामिल होने वाला 101वाँ सदस्य देश बन गया है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ संधि-आधारित एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका प्राथमिक कार्य वित्तपोषण एवं प्रौद्योगिकी की लागत को कम करके सौर विकास को उत्प्रेरित करना है।
    • ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’, ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ (OSOWOG) को लागू करने हेतु नोडल एजेंसी है, जिसका उद्देश्य एक विशिष्ट क्षेत्र में उत्पन्न सौर ऊर्जा को किसी दूसरे क्षेत्र की बिजली की मांग को पूरा करने के लिये स्थानांतरित करना है।
  • पहल की शुरुआत:
    • यह एक भारतीय पहल है जिसे भारत के प्रधानमंत्री और फ्राँस के राष्ट्रपति द्वारा 30 नवंबर, 2015 को फ्राँस (पेरिस) में यूएनएफसीसीसी के पक्षकारों के सम्मेलन (COP-21) में 121 सौर संसाधन समृद्ध राष्ट्रों के साथ शुरू किया गया था जो पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं। 
  • सदस्य:
    • अमेरिका के शामिल होने के बाद कुल 101 सदस्य।
  • मुख्यालय:
    • इसका मुख्यालय भारत में स्थित है और इसका अंतरिम सचिवालय गुरुग्राम में स्थापित किया जा रहा है।
  • उद्देश्य:
    • इसका उद्देश्य सदस्य देशों में सौर ऊर्जा के विस्तार हेतु प्रमुख चुनौतियों का सामूहिक रूप से समाधान करना है। 
  • न्यू आईएसए प्रोग्राम:
    • सौर पीवी पैनलों और बैटरी उपयोग अपशिष्ट तथा सौर हाइड्रोजन कार्यक्रम के प्रबंधन पर न्यू आईएसए प्रोग्राम शुरू किये गए हैं।
      • नई हाइड्रोजन पहल का उद्देश्य सौर बिजली के उपयोग को वर्तमान (USD 5 प्रति किलोग्राम) की तुलना में अधिक किफायती दर पर हाइड्रोजन के उत्पादन में सक्षम बनाना है तथा इसके तहत इसे USD 2 प्रति किलोग्राम तक लाना है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 नवंबर, 2021

एंटी-ओपन बर्निंग कैंपेन

दिल्ली सरकार ने हाल ही में प्रदेश में खुले में अपशिष्ट जलाने और वायु प्रदूषण की घटनाओं पर अंकुश लगाने हेतु 11 नवंबर से 11 दिसंबर, 2021 तक दिल्ली में ‘एंटी-ओपन बर्निंग कैंपेन’ शुरू करने की घोषणा की। यह घोषणा दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के 'खतरनाक' स्तर पर पहुँचने के बाद की गई। ज्ञात हो कि बीते दिनों दीपावली के अवसर पर राजधानी में ‘वायु गुणवत्ता सूचकांक’ 503 के गंभीर स्तर पर पहुँच गया था। दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद दिल्ली सरकार द्वारा इस अभियान को शुरू करने का निर्णय लिया गया। इस अभियान के हिस्से के रूप में दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा ऐसे स्थानों की पहचान की जाएगी, जहाँ खुले में अपशिष्ट जलाने संबंधी घटनाएँ होती हैं और साथ ही इन घटनाओं को रोकने का भी प्रयास किया जाएगा। दिल्ली सरकार ने अपने सभी विभागों को एक विशिष्ट ‘एंटी डस्ट सेल’ बनाने का भी निर्देश दिया है। साथ ही सरकार द्वारा ‘ग्रीन दिल्ली एप’ भी शुरू किया जाएगा, जो कि आम लोगों को खुले में अपशिष्ट जलाने की किसी भी घटना की रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करेगा, ताकि संबंधित टीम द्वारा तत्काल कार्रवाई की जा सके। 

ग्लोबल ड्रग पॉलिसी इंडेक्स

‘हार्म रिडक्शन कंसोर्टियम’ द्वारा हाल ही में जारी पहले ‘ग्लोबल ड्रग पॉलिसी इंडेक्स’ में नॉर्वे, न्यूज़ीलैंड, पुर्तगाल, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया को मानवीय और स्वास्थ्य-संचालित दवा नीतियों पर पाँच प्रमुख देशों के रूप में स्थान दिया गया है। इस सूचकांक में पाँच सबसे कम रैंकिंग वाले देश ब्राज़ील, युगांडा, इंडोनेशिया, केन्या और मैक्सिको हैं। भारत 30 देशों की सूची में 18वें स्थान पर है। यह सूचकांक ड्रग नीतियों और उनके कार्यान्वयन का डेटा-संचालित वैश्विक विश्लेषण प्रदान करता है। यह दवा नीति के पाँच व्यापक आयामों में संचालित 75 संकेतकों से बना है, इन पाँच आयामों में शामिल हैं- आपराधिक न्याय, अत्यधिक प्रतिक्रियाएँ, स्वास्थ्य एवं नुकसान में कमी, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रित दवाओं तक पहुँच एवं विकास। यह ‘हार्म रिडक्शन कंसोर्टियम’ संगठन की एक परियोजना है, जिसमें सहयोगी के तौर पर कई अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन शामिल हैं। सूचकांक में शीर्ष पर रहने के बावजूद नॉर्वे केवल 74/100 स्कोर ही प्राप्त कर सका और सभी 30 देशों एवं आयामों में औसत स्कोर केवल 48/100 रहा, जो कि स्पष्ट तौर पर अंतर्राष्ट्रीय ड्रग नीति की विफलता को दर्शाता है। 

जलवायु परिवर्तन हेतु अमेरिका-चीन समझौता

कार्बन डाइऑक्साइड के दुनिया के दो सबसे बड़े उत्सर्जक चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु सहयोग बढ़ाने के लिये एक समझौता किया है, जिसमें मीथेन उत्सर्जन को कम करना, जंगलों की रक्षा करना और कोयले का उपयोग चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना शामिल है। ग्लासगो में आयोजित ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन’ (COP26) के दौरान इस समझौते की घोषणा की गई। दो सबसे बड़े कार्बन-प्रदूषणकर्त्ताओं ने कहा कि यह समझौता वर्ष 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के दिशा-निर्देशों का उपयोग करते हुए ‘2020 के दशक में उन्नत जलवायु कार्रवाई’ पर ज़ोर देगा, जिसमें वर्ष 2025 में एक नया मज़बूत उत्सर्जन कटौती लक्ष्य भी शामिल है। यह समझौता डीकार्बोनाइज़ेशन में ‘ठोस और व्यावहारिक’ नियमों के निर्माण का भी आह्वान करता है, साथ ही इसमें मीथेन उत्सर्जन को कम करना और वनों की कटाई का मुकाबला करना भी शामिल है। गौरतलब है कि वर्ष 2015 का समझौता सभी देशों को व्यापक उत्सर्जन कटौती के माध्यम से वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5oC और 2oC के बीच सीमित करने की दिशा में काम करने हेतु प्रतिबद्ध करता है।


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