भारत की पवन ऊर्जा क्षमता
हाल ही में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने भारत की पवन ऊर्जा क्षमता के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी साझा की। यह जानकारी धारणीय ऊर्जा प्रथाओं के प्रति देश की प्रतिबद्धता को उजागर करती है और उच्चतम पवन ऊर्जा क्षमता वाले प्रमुख राज्यों पर प्रकाश डालती है।
- इसके अतिरिक्त मंत्रालय ने पवन ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने और इस क्षेत्र में पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नवीन रणनीतियों की रूपरेखा तैयार की।
भारत की पवन ऊर्जा क्षमता:
- अप्रैल 2023 तक 42.8 गीगावाट (तटीय पवन) की स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता के साथ भारत चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी के बाद विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है।
- राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान द्वारा किये जाने वाले पवन संसाधन मूल्यांकन से देश भर में सतह से 120 मीटर और 150 मीटर ऊपर क्रमशः लगभग 695.5 गीगावाट और 1,164 गीगावाट की अनुमानित पवन ऊर्जा क्षमता का पता चलता है।
- शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता राज्य:
- ज़मीनी स्तर से 120 मीटर ऊपर पवन ऊर्जा क्षमता (गीगावाट में):
- गुजरात (142.56), राजस्थान (127.75), कर्नाटक (124.15), महाराष्ट्र (98.21) और आंध्र प्रदेश (74.90)।
- ज़मीनी स्तर से 150 मीटर ऊपर पवन ऊर्जा क्षमता (गीगावाट में):
- राजस्थान (284.25), गुजरात (180.79), महाराष्ट्र (173.86), कर्नाटक (169.25) और आंध्र प्रदेश (123.33)।
- ज़मीनी स्तर से 120 मीटर ऊपर पवन ऊर्जा क्षमता (गीगावाट में):
पवन ऊर्जा के विकास हेतु सरकारी पहल:
- पवन ऊर्जा परियोजनाओं को पुनः सशक्त बनाने की नीति, 2016:
- यह नीति भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (Indian Renewable Energy Development Agency- IREDA) द्वारा वित्तपोषित नई पवन परियोजनाओं के लिये मौजूदा छूट पर 0.25% की अतिरिक्त ब्याज दर छूट प्रदान करके पवन ऊर्जा परियोजना को पुनः सशक्त बनाने के लिये प्रोत्साहित करती है।
- फाइबर प्रबलित प्लास्टिक (Fiber Reinforced Plastic- FRP) के निपटान के लिये दिशा-निर्देश:
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) ने पवन टरबाइन ब्लेड में उपयोग किये जाने वाले शीट मोल्डिंग कंपाउंड सहित FRP के उचित निपटान के लिये विशिष्ट दिशा-निर्देश जारी किये हैं। ये दिशा-निर्देश पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करते हैं।
- राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति, 2018:
- इसका मुख्य उद्देश्य पवन और सौर संसाधनों, ट्रांसमिशन अवसंरचना एवं भूमि के इष्टतम तथा कुशल उपयोग के लिये बड़े ग्रिड से जुड़े पवन-सौर पीवी हाइब्रिड प्रणाली को बढ़ावा देने के लिये एक रूपरेखा प्रदान करना है।
- राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति:
- इसका उद्देश्य 7600 किमी. की भारतीय तटरेखा के साथ भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र में अपतटीय पवन ऊर्जा विकसित करना है।
पवन ऊर्जा के उत्पादन में प्रयुक्त किये जाने वाले विभिन्न प्रकार के टरबाइन:
स्रोत: पी.आई.बी.
संसद की प्रवर समिति
हाल ही में दिल्ली सेवा विधेयक के लिये एक प्रवर समिति के गठन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, जब कई संसद सदस्यों (सांसदों) ने दावा किया कि उनके नाम उनकी सहमति के बिना शामिल किये गए थे।
- हालाँकि दिल्ली सेवा विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है।
प्रवर समिति:
- परिचय:
- प्रवर समितियाँ विशेष विधेयकों की जाँच और निरिक्षण करने के विशिष्ट उद्देश्य से स्थापित तदर्थ या अस्थायी समितियों की एक श्रेणी है।
- इसकी सदस्यता एक सदन के सांसदों तक सीमित है।
- ये समितियाँ अपना निर्धारित कार्य पूर्ण होने पर भंग कर दी जाती हैं।
- हालाँकि अस्थायी, प्रवर समितियों को नियंत्रित करने वाली प्रक्रियाएँ और नियम संसद की प्रक्रिया के नियमों में अच्छी तरह से परिभाषित हैं।
- प्रवर समितियाँ विशेष विधेयकों की जाँच और निरिक्षण करने के विशिष्ट उद्देश्य से स्थापित तदर्थ या अस्थायी समितियों की एक श्रेणी है।
नोट: किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिये गठित समितियाँ, जिनमें दोनों सदनों के सांसद शामिल होते हैं, संयुक्त संसदीय समितियाँ (JPC) कहलाती हैं।
- प्रवर समिति का गठन:
- इस समिति का गठन विधेयक के प्रभारी मंत्री या संसद के किसी सदस्य द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव के माध्यम से किया जा सकता है।
- इस प्रस्ताव को अपनाने के लिये सदन में प्रस्तुत किया जाता है। यदि इसे अपनाया जाता है, तो संदर्भित विधेयक पर विचार करने और रिपोर्ट देने के लिये समिति का गठन किया जाता है।
- प्रवर समिति के लिये सदस्यों का चयन :
- प्रवर समिति के सदस्यों को विशेष रूप से उस प्रस्ताव में नामित किया जाता है जो विधेयक को समिति के पास भेजने की मांग करता है।
- इन सदस्यों को सदन द्वारा नियुक्त किया जाता है, साथ ही उनकी सहमति प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है।
- जबकि राज्यसभा के नियम हैं कि किसी भी सदस्य को प्रवर समिति में नियुक्त नहीं किया जा सकता है यदि वे इसमें कार्य करने के इच्छुक नहीं हैं, नियमों में स्पष्ट रूप से प्रस्तावित सदस्यों के लिये हस्ताक्षर एकत्र करने की आवश्यकता भी नहीं होती है।
- प्रवर समिति के सदस्यों को विशेष रूप से उस प्रस्ताव में नामित किया जाता है जो विधेयक को समिति के पास भेजने की मांग करता है।
- कोरम:
- प्रवर समिति की संरचना उसके उद्देश्य के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है। यह कुल सदस्यों की संख्या के एक-तिहाई के कोरम के साथ संचालित होता है।
- यदि मतों में समानता हो तो अध्यक्ष (पीठासीन) के पास निर्णायक मत होता है।
- प्रवर समिति की संरचना उसके उद्देश्य के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है। यह कुल सदस्यों की संख्या के एक-तिहाई के कोरम के साथ संचालित होता है।
- कार्य:
- प्रवर समिति का प्राथमिक कार्य विधेयक की सावधानीपूर्वक समीक्षा करना है, इसके खंडों की जाँच करना है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे उपाय इच्छित उद्देश्य के साथ ठीक रूप से प्रतिबिंबित हैं।
- यह समिति विशेषज्ञों, मौखिक साक्ष्यों और सरकारी अधिकारियों से ज्ञापनों के माध्यम से जानकारी एकत्र कर सकती है।
- साक्ष्यों का मूल्यांकन करने के बाद यह समिति अपने निष्कर्ष तैयार करती है, जिसमें विधेयक के उद्देश्य के साथ संरेखित करने के लिये खंडों में संशोधन शामिल हो सकता है।
- यह विधेयक के विशिष्ट पहलुओं को संबोधित करने के लिये उप-समितियाँ भी बना सकती है।
- किसी भी असहमतिपूर्ण राय सहित इस समिति की रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत की जाती है।
- इस प्रवर समिति की रिपोर्टें अनुशंसात्मक प्रकृति की होती है। सरकार समिति की सिफारिशों को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत की संसद के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सी संसदीय समिति जाँच करती है और सदन को रिपोर्ट करती है कि संविधान द्वारा प्रदत्त या संसद द्वारा प्रत्यायोजित विनियमों, नियमों, उप-नियमों, उप-विधियों आदि को बनाने की शक्तियों का कार्यपालिका द्वारा प्रतिनिधिमंडल के दायरे में उचित रूप से प्रयोग किया जा रहा है। (2018) (a) सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति उत्तर: (b) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 अगस्त, 2023
NavIC को आधार नामांकन प्रणाली के साथ एकीकृत करना
- अंतरिक्ष विभाग (DoS) आधार नामांकन उपकरणों के साथ भारत के स्वदेशी उपग्रह नेविगेशन सिस्टम, NavIC (भारतीय तारामंडल में नेविगेशन) के एकीकरण का समन्वय कर रहा है।
- NavIC, जिसमें सात उपग्रह शामिल हैं, भारत के अमेरिकी GPS के समकक्ष है, जो अवस्थिति और नेविगेशन सेवाएँ प्रदान करता है।
- NavIC नागरिक उपयोग के लिये मानक स्थिति सेवा (SPS) और रणनीतिक अनुप्रयोगों हेतु प्रतिबंधित सेवा (RS) प्रदान करता है।
- NavIC (नाविक) कवरेज क्षेत्र में भारत और भारतीय सीमा से 1,500 किमी. दूर तक का क्षेत्र शामिल है।
- NavIC ने प्राकृतिक आपदाओं के लिये चेतावनी के प्रसार में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना प्रणाली (INCOIS) जैसी एजेंसियों की सहायता कर आपदा प्रबंधन में उपयोगिता सिद्ध की है।
- इस कदम में NavIC के साथ काम करने के लिये आधार नामांकन किट को अपनाना, सटीकता और कार्यक्षमता को बढ़ाना शामिल है।
और पढ़ें… NavIC (नाविक)
भारत, जापान और श्रीलंका के बीच त्रिपक्षीय सहयोग
- कोलंबो में ईस्ट कंटेनर टर्मिनल परियोजना के लिये संयुक्त भारत-जापान समझौता ज्ञापन रद्द होने के बाद भारत, जापान और श्रीलंका त्रिपक्षीय सहयोग को फिर से शुरू करने पर विचार कर रहे हैं।
- हालाँकि पिछले वर्ष के आर्थिक संकट के दौरान भारत और जापान द्वारा श्रीलंका का बचाव करने और श्रीलंका की ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया में सहायता करने के बाद से तीनों देश त्रिपक्षीय सहयोग की दिशा में काम कर रहे हैं।
- भारत और जापान एक मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र (FOIIP) का दृष्टिकोण साझा करते हैं।
- भारत तथा जापान नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रिड कनेक्टिविटी परियोजनाओं, तेल पाइपलाइन हब के रूप में श्रीलंका के त्रिंकोमाली के विकास, कनेक्टिविटी एवं पर्यटन तथा शिक्षा जैसी जन-केंद्रित परियोजनाओं पर एक साथ काम कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति विक्रमसिंघे (श्रीलंका) और भारत के प्रधानमंत्री के बीच संयुक्त आर्थिक विज़न वक्तव्य (Joint Economic Vision Statement) निजी क्षेत्र के नेतृत्त्व वाले निवेश के साथ परिवर्तनकारी परियोजनाओं की रूपरेखा तैयार करता है।
अभ्यास 'जायद तलवार'
- हाल ही में भारतीय नौसेना के दो जहाज़- INS विशाखापत्तनम और INS त्रिकंद द्विपक्षीय अभ्यास 'जायद तलवार' में हिस्सा लेने हेतु पोर्ट रशीद, दुबई, संयुक्त अरब अमीरात गए।
- इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच समुद्री साझेदारी को बढ़ावा देना और क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों की आम समझ को बढ़ावा देना है।
- दोनों देशों के बीच अन्य द्विपक्षीय अभ्यासों में शामिल हैं: इन-UAE बिलैट (द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास), डेज़र्ट ईगल- II (द्विपक्षीय वायु सेना अभ्यास) और एक्सरसाइज़ डेज़र्ट फ्लैग-VI।।
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित किये।
- वर्ष 2022-23 में संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य था।
और पढ़ें… भारत-UAE संबंध
हवाना सिंड्रोम
- हाल ही में केंद्र सरकार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय से कहा है कि वह भारत में 'हवाना सिंड्रोम' के मामले पर गौर करेगी। यह बंगलूरू के एक निवासी की याचिका के जवाब में था, जिसने भारत में हवाना सिंड्रोम पर जाँच के लिये परमादेश रिट जारी करने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया था।
- सार्वजनिक प्राधिकरण को अपना कर्त्तव्य निभाने का निर्देश देने हेतु परमादेश रिट जारी की जाती है।
- हवाना सिंड्रोम मानसिक स्वास्थ्य लक्षणों के एक समूह को संदर्भित करता है जिसमें बिना किसी बाहरी शोर के कुछ आवाजें सुनना, मतली, चक्कर और सिरदर्द, स्मृति हानि तथा संतुलन संबंधी समस्याएँ शामिल हैं।
- इसके शुरुआती पीड़ित वर्ष 2016 के अंत में हवाना (क्यूबा) में मिले।
- हवाना सिंड्रोम के पीछे के कारण पूरी तरह से निश्चित नहीं थे लेकिन अनुमान यह लगाया गया था कि इससे "ध्वनि संबंधी समस्या" हो सकती है।
- कुछ अमेरिकी आधारित अध्ययनों से पता चलता है कि पीड़ितों को उच्च शक्ति वाले माइक्रोवेव के संपर्क में लाया गया होगा जिससे तंत्रिका तंत्र क्षतिग्रस्त हो जाता है।
- उच्च शक्ति वाले माइक्रोवेव की किरणें एक विशेष गैजेट अर्थात् एक "माइक्रोवेव हथियार" के माध्यम से भेजी गई होंगी, हालाँकि उनके अस्तित्व का कोई निर्णायक साक्ष्य नहीं है।
और पढ़ें… हवाना सिंड्रोम, निर्देशित ऊर्जा हथियार,याचिका