प्रिलिम्स फैक्ट्स: 12 अगस्त, 2021
राणा पुंजा भील
Rana Punja Bhil
हाल ही में राजस्थान में आदिवासी भील समुदाय के नायक माने जाने वाले ऐतिहासिक व्यक्ति राणा पुंजा भील की प्रतिमा पर झंडा फहराने को लेकर विवाद छिड़ गया।
- अमागढ़ किला विवाद के बाद एक महीने के भीतर राजस्थान में यह दूसरा मामला है।
प्रमुख बिंदु:
राणा पुंजा भील के संदर्भ में:
- वह मेवाड़ के 16वीं शताब्दी के शासक महाराणा प्रताप के समकालीन थे।
- उन्हें एक महत्त्वपूर्ण चरित्र माना जाता है जिन्होंने मुगल सम्राट अकबर के साथ लड़ाई के दौरान प्रताप की ताकत को बढ़ाया।
- जब महाराणा प्रताप अकबर के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहे थे, तब आदिवासी भील समुदाय स्वेच्छा से उनकी सहायता के लिये आया और उस समय भील सेना की कमान पुंजा के हाथ में थी।
- एक सेनापति के रूप अहम भूमिका निभाने के कारण उन्हें राणा की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
भील समुदाय:
- परिचय:
- भील छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में रहने वाले सबसे बड़े आदिवासी समूहों में से एक हैं।
- यह राजस्थान की सबसे बड़ी जनजाति है।
- इन्हें राजस्थान में अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- यह नाम 'बिल्लू' शब्द से बना है, जिसका अर्थ है धनुष।
- भील महिलाएँ पारंपरिक साड़ी पहनती हैं, जबकि पुरुष लंबी फ्रॉक और पजामा पहनते हैं। औरतें चाँदी, पीतल के भारी-भरकम गहने, मोतियों की माला, चाँदी के सिक्के और बालियाँ पहनती हैं।
- समुदाय का महत्त्व:
- भील अपने स्थानीय भूगोल के बारे में गहन ज्ञान के साथ उत्कृष्ट धनुर्धारियों के रूप में जाने जाते हैं।
- इन्हें परंपरागत रूप से गुरिल्ला युद्ध के विशेषज्ञ के तौर पर जाना जाता है, इनमें से अधिकांश आज किसान और खेतिहर मजदूर हैं। ये कुशल मूर्तिकार भी हैं।
- मेवाड़ क्षेत्र में इनका महत्त्वपूर्ण प्रभाव है, यही कारण है कि अतीत में इस क्षेत्र के राजपूत शासकों ने आदिवासी समूह के साथ गठबंधन किया।
राजस्थान में अन्य जनजातियाँ
सहरिया:
- सहरिया सबसे पिछड़े राजस्थानी जनजातियों में से एक है।
मीणा:
- मीणा राजस्थान की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है।
- ये सिंधु घाटी सभ्यता के निवासी माने जाते हैं।
गड़िया लोहार:
- गड़िया लोहार को राजस्थान की एक छोटी राजपूत जनजाति के रूप में जाना जाता है।
गरासिया:
- गरासिया राजस्थान की एक और छोटी राजपूत जनजाति है।
अन्य:
- राजस्थान की अन्य जनजातियाँ भी हैं, जिनमें काठोडी (मेवाड़ क्षेत्र में पाई जाने वाली), सांसी और कंजर शामिल हैं।
काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान: असम
Kaziranga National Park: Assam
काज़ीरंगा सैटेलाइट फोन का उपयोग करने वाला देश का पहला राष्ट्रीय उद्यान बन गया है, जो आमतौर पर कानून लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा उपयोग किया जाता है।
- सैटेलाइट फोन वनकर्मियों द्वारा शिकारियों पर नियंत्रण करने और बाढ़ जैसी आपात स्थिति के दौरान सहायक होंगे।
- जनता को भारत में सैटेलाइट फोन का उपयोग करने की अनुमति नहीं है। सैटेलाइट फोन किसी भी स्थान से जुड़ सकते हैं क्योंकि ये विश्व के उपग्रहों से सीधे जुड़े होते हैं तथा सेलफोन की तरह स्थलीय मोबाइल नेटवर्क पर निर्भर नहीं होते हैं।
प्रमुख बिंदु:
- अवस्थिति:
- यह असम राज्य में स्थित है और 42,996 हेक्टेयर (हेक्टेयर) क्षेत्र में फैला है। यह ब्रह्मपुत्र घाटी बाढ़ के मैदान में सबसे बड़ा अविभाजित और प्रतिनिधि क्षेत्र है।
- वैधानिक स्थिति:
- इस उद्यान को वर्ष 1974 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
- इसे वर्ष 2007 में टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया है। इसका कुल बाघ आरक्षित क्षेत्र 1,030 वर्ग किमी. है, जिसमें मुख्य क्षेत्र 430 वर्ग किमी. है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्थिति:
- इसे वर्ष 1985 में यूनेस्को की विश्व धरोहर घोषित किया गया था।
- इसे बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई है।
- जैव विविधता:
- विश्व में सर्वाधिक एक सींग वाले गैंडे काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में ही पाए जाते हैं।
- गैंडो की संख्या में असम के काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के बाद पोबितोरा (Pobitora) वन्यजीव अभयारण्य का दूसरा स्थान है, जबकि पोबितोरा अभयारण्य विश्व में गैंडों की उच्चतम जनसंख्या घनत्व वाला अभयारण्य है।
- काज़ीरंगा में संरक्षण प्रयासों का अधिकांश ध्यान 'चार बड़ी ' प्रजातियों राइनो, हाथी, रॉयल बंगाल टाइगर और एशियाई जल भैंस पर केंद्रित है।
- वर्ष 2018 की जनगणना में 2,413 गैंडे और लगभग 1,100 हाथी थे।
- वर्ष 2014 में आयोजित बाघ जनगणना के आँकड़ों के अनुसार, काज़ीरंगा में अनुमानित 103 बाघ थे, उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (215) और कर्नाटक में बांदीपुर नेशनल पार्क (120) के बाद भारत में यह तीसरी सबसे बड़ी आबादी है।
- काज़ीरंगा में भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले प्राइमेट्स की 14 प्रजातियों में से 9 का निवास भी है।
- विश्व में सर्वाधिक एक सींग वाले गैंडे काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में ही पाए जाते हैं।
- नदियाँ और राजमार्ग:
- इस उद्यान क्षेत्र से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-37 गुज़रता है।
- उद्यान में लगभग 250 से अधिक मौसमी जल निकाय (Water Bodies) हैं, इसके अलावा डिपहोलू नदी (Dipholu River ) इससे होकर गुज़रती है।
- असम में अन्य राष्ट्रीय उद्यान:
- मानस राष्ट्रीय उद्यान
- डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान
- नामेरी नेशनल पार्क
- राजीव गांधी ओरंग राष्ट्रीय उद्यान
इंटरनेशनल बैचलरेट
International Baccalaureate
हाल ही में दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (DBSE) ने वर्ष 2021 में अपने 20 नए स्कूल ऑफ स्पेशलाइज़्ड एक्सीलेंस (SOSE) सहित 30 सरकारी स्कूलों में IB कार्यक्रमों को लागू करने के लिये इंटरनेशनल बैचलरेट (International Baccalaureate- IB) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के साथ सरकारी स्कूल के छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शैक्षिक सुविधाओं तक पहुँच प्राप्त होगी।
- इन स्कूलों के छात्रों को स्कूली शिक्षा पूरी करने पर IB और दिल्ली बोर्ड द्वारा संयुक्त प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
संदर्भ:
- यह एक विश्वव्यापी, गैर-लाभकारी शिक्षा कार्यक्रम है जिसकी स्थापना 3 से 19 वर्ष की आयु के छात्रों को वैश्वीकरण के लिये उपयुक्त शिक्षा प्राप्त करने का अवसर देने हेतु की गई है। इसका फाउंडेशन कार्यालय जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में है।
- व्यक्तिगत छात्र विकास पर ज़ोर देना इसकी मुख्य उपलब्धियों में से एक है।
- चार IB शिक्षा कार्यक्रम हैं, जिनमें से सभी का उद्देश्य छात्रों के बौद्धिक, भावनात्मक, व्यक्तिगत और सामाजिक कौशल को विकसित करना है।
- वैश्विक स्तर पर इसके लगभग 5,000 स्कूल हैं। वर्तमान में भारत में 193 IB स्कूल हैं, जिनमें से सभी टॉप-एंड एलीट प्राइवेट स्कूल हैं।
IB कार्यक्रमों का उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य विविधता, अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान, जिज्ञासा और सीखने तथा उत्कृष्टता के लिये जिजीविषा को प्रोत्साहित करते हुए महत्त्वपूर्ण विचारों को बढ़ावा देना एवं समस्या-समाधान कौशल का निर्माण करना है।
लाभ:
- शिक्षा के उच्च गुणवत्ता वाले कार्यक्रम, जो जानकार और उत्सुक छात्रों के विकास का समर्थन करते हैं।
- व्यावसायिक विकास जो प्रभावी शिक्षकों और सहयोगी व्यावसायिक शिक्षण समुदायों का समर्थन करता है।
- छात्र तेज़ी से वैश्वीकृत, बदलते विश्व में लोगों के साथ जुड़ने में सक्षम होंगे।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 अगस्त, 2021
चोल सम्राट ‘राजेंद्र चोल प्रथम’
तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में ‘चोल वंश’ के महानतम सम्राटों में से एक ‘राजेंद्र चोल प्रथम’ की जयंती को अगले वर्ष से एक सरकारी कार्यक्रम के रूप में मनाए जाने की घोषणा की है। 11वीं शताब्दी के चोल सम्राट ने अपनी राजधानी को गंगईकोंडा चोलपुरम (वर्तमान अरियालुर ज़िले) में स्थानांतरित कर दिया था, जहाँ उन्होंने ‘पेरुवुदैयार मंदिर’ का निर्माण किया था। इस मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई है। महान राजा ‘राजेंद्र चोल प्रथम’ को भारतीय उपमहाद्वीप में कई मंदिरों के निर्माण का श्रेय दिया जाता है। राजेंद्र चोल प्रथम, दक्षिण भारत के महान चोल राजा ‘राजराजा चोल प्रथम’ के पुत्र थे। अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने पहले से ही विशाल चोल साम्राज्य के प्रभाव को उत्तर में गंगा नदी के किनारे और समुद्र तक विस्तृत किया। राजेंद्र चोल प्रथम का राज्य क्षेत्र तटीय बर्मा, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, मालदीव तक फैला हुआ था और उन्होंने अपने जहाज़ी बेड़े के साथ आस-पास के कई द्वीपों को जीत लिया था। उन्होंने बंगाल और बिहार के पाल राजा महिपाल को भी हराया। राजेंद्र चोल प्रथम अपनी सेना को समुद्र पार कर विदेश तक ले जाने वाले पहले भारतीय राजा थे। उन्होंने ‘परकेसरी’ और ‘युद्धमल्ला’ की उपाधि धारण की थी।
‘फेसलेस ट्रांसपोर्ट सर्विस’ प्रोग्राम
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में प्रदेश के परिवहन विभाग के ‘फेसलेस ट्रांसपोर्ट सर्विस’ प्रोग्राम को लॉन्च किया है। इस पहल के तहत प्रदेश के आम लोग, मोटर लाइसेंसिंग कार्यालय (MOL) में आए बिना अपने घरों से ही पंजीकरण प्रमाण पत्र के साथ-साथ लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस जैसे विभिन्न परिवहन से संबंधित दस्तावेज़ों के लिये आवेदन और उन्हें प्राप्त करने में सक्षम होंगे। इस प्रोग्राम के तहत लोगों को केवल ड्राइविंग टेस्ट और कार फिटनेस टेस्ट के लिये परिवहन कार्यालय जाना होगा। इसी के साथ दिल्ली परिवहन संबंधी सभी सेवाओं को ऑनलाइन करने वाला देश का पहला राज्य/केंद्रशासित प्रदेश बन गया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से चार ज़ोनल कार्यालयों- आईपी एस्टेट, सराय काले खाँ, जनकपुरी और वसंत विहार को बंद किया जा रहा है। कोई भी आवेदक आधार प्रमाणीकरण का उपयोग कर अपने घर पर ऑनलाइन परीक्षण के माध्यम से ई-लर्निंग लाइसेंस (eLL) प्राप्त कर सकता है। आधार का उपयोग नहीं करने वाले आवेदकों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा और लर्निंग टेस्ट के लिये अपॉइंटमेंट लेना होगा।
'अल-मोहद अल-हिंदी 2021' अभ्यास
भारत और सऊदी अरब अपने बढ़ते रक्षा और सैन्य सहयोग को प्रतिबिंबित करते हुए अपना पहला नौसैनिक अभ्यास आयोजित करने जा रहे हैं। भारतीय नौसेना का ‘गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर’ आईएनएस कोच्चि 'अल-मोहद अल-हिंदी 2021' अभ्यास में हिस्सा लेने के लिये संयुक्त अरब अमीरात की नौसेना के साथ नौसैनिक अभ्यास करने के बाद सऊदी अरब पहुँच गया है। ओमान के एक मर्चेंट टैंकर पर ड्रोन हमले में एक ब्रिटिश नागरिक और एक रोमानियाई नागरिक की मौत के बाद खाड़ी क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच यह युद्ध अभ्यास काफी महत्त्वपूर्ण है। पिछले वर्ष दिसंबर माह में सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे ने दो महत्त्वपूर्ण खाड़ी देशों- संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब का पहली बार दौरा किया था।
खुदीराम बोस
11 अगस्त, 2021 को स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस की पुण्यतिथि मनाई गई। खुदीराम बोस का जन्म वर्ष 1889 में पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर ज़िले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। श्री अरबिंदो और भगिनी निवेदिता के व्याख्यानों से प्रेरित होकर खुदीराम बोस अपनी किशोरावस्था के शुरुआती वर्षों में ही क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए थे। वर्ष 1905 में जब बंगाल का विभाजन हुआ तो उन्होंने सक्रिय रूप से ब्रिटिश हुकूमत के इस कदम का विरोध किया। वे 15 वर्ष की आयु में बोस अनुशीलन समिति में शामिल हो गए, यह 20वीं शताब्दी की उन प्रारंभिक संस्थाओं में से थी, जिसने बंगाल में क्रांतिकारी गतिविधियों को बढ़ावा दिया था। बोस के जीवन में निर्णायक क्षण वर्ष 1908 में तब आया, जब उन्हें उनके क्रांतिकारी साथी प्रफुल्ल चाकी के साथ मुज़फ्फरपुर के ज़िला मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड की हत्या का काम सौंपा गया। ज्ञात हो कि मुज़फ्फरपुर को हस्तांतरित किये जाने से पूर्व किंग्सफोर्ड बंगाल के ज़िला मजिस्ट्रेट था और क्रांतिकारियों तथा आम नागरिकों पर किये गए अत्याचार के कारण कई युवा क्रांतिकारियों के मन में उसके प्रति क्रोध था। दोनों ने किंग्सफोर्ड की हत्या के कई प्रयास किये और 30 अप्रैल, 1908 को किंग्सफोर्ड की गाड़ी पर बम फेंका गया, यद्यपि इस हमले में वह बच निकला, किंतु इसमें एक अन्य अंग्रेज़ अफसर के परिजनों की मृत्यु हो गई। इसके बाद खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत ने उन्हें फाँसी की सज़ा सुनाई। 11 अगस्त, 1908 को उन्हें फाँसी दे दी गई।