प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट: 11 मई, 2021
म्युकरमाइकोसिस
Mucormycosis
कोविड-19 से संक्रमित कई रोगियों में म्युकरमाइकोसिस (Mucormycosis) नामक कवक का संक्रमण देखा जा रहा है, जिसे ‘ब्लैक फंगस’ (Black Fungus) के नाम से भी जाना जाता है।
प्रमुख बिंदु:
म्यूकोर्मोसिस:
- यह एक गंभीर लेकिन दुर्लभ कवक संक्रमण है। यह म्युकरमायसिटिस (Mucormycetes) नामक फफूँद (Molds) के कारण होता है, जो पर्यावरण में प्रचुर मात्रा में मौजूद है।
- यह मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है, जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएंँ हैं या वे ऐसी दवाओं का सेवन करते हैं, जो कीटाणुओं और बीमारी से लड़ने की शरीर की क्षमता को कम करती हैं।
- म्युकरमाइकोसिस के प्रकार: राइनोसेरेब्रल (साइनस और मस्तिष्क) म्युकरमाइकोसिस, पल्मोनरी (फेफड़ों संबंधी) म्युकरमाइकोसिस, क्यूटेनियस (त्वचा संबंधी) म्युकरमाइकोसिस, डिसेमिनेटेड म्युकरमाइकोसिस
संचरण (Transmission):
- इसका संचरण श्वास, संरोपण (Inoculation) या पर्यावरण में मौजूद बीजाणुओं के अंतर्ग्रहण द्वारा होता है।
- म्युकरमाइकोसिस का संचार मानव-से-मानव तथा मानव-से-पशुओं के मध्य नहीं होता है।
लक्षण:
- इसके लक्षणों में आंखों और/या नाक के आसपास दर्द और लालिमा, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खूनी उल्टी, और बदलती मानसिक स्थितियांँ शामिल हैं।
- गंभीर लक्षणों में दांत दर्द, दांतों का गिरना, दर्द के साथ धुंधलापन या दोहरी दृष्टि (Double Vision) आदि शामिल हैं।
रोकथाम:
- निर्माण या उत्खनन स्थलों जैसे अधिक धूल वाले क्षेत्रों से बचना, तूफान और प्राकृतिक आपदाओं के बाद पानी से क्षतिग्रस्त इमारतों तथा बाढ़ के पानी के सीधे संपर्क में आने से बचना और उन गतिविधियों से बचना, जिनमें मिट्टी का निकट संपर्क शामिल है।
उपचार:
- म्युकरमाइकोसिस के संक्रमण को रोकने हेतु कवकरोधी दवा (Antifungal Medicine) का इस्तेमाल किया जाना चाहिये।
- प्रायः म्युकरमाइकोसिस संक्रमण के कुछ मामलों में सर्जरी आवश्यक हो जाती है, जिसमें संक्रमित ऊतक को काटकर अलग कर दिया जाता है।
महाराणा प्रताप जयंती
Birth Anniversary of Maharana Pratap
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा महाराणा प्रताप को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी गई।
प्रमुख बिंदु:
विवरण:
- राणा प्रताप सिंह, जिन्हें महाराणा प्रताप के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 9 मई, 1540 में राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था।
- वे मेवाड़ के 13वें राजा थे और उदय सिंह द्वितीय के सबसे बड़े पुत्र थे।
- महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने अपनी राजधानी चित्तौड़ से मेवाड़ राज्य पर शासन किया।
- उदय सिंह द्वितीय द्वारा उदयपुर (राजस्थान) शहर की स्थापना की गई।
हल्दीघाटी का युद्ध:
- वर्ष 1576 में हल्दीघाटी का युद्ध मेवाड़ के राणा प्रताप सिंह और मुगल सम्राट अकबर की सेना के मध्य लडा गया था, जिसमें मुगल सेना का नेतृत्त्व आमेर के राजा मान सिंह द्वारा किया गया था।
- महाराणा प्रताप ने वीरतापूर्ण इस युद्ध को लड़ा, लेकिन मुगल सेना ने उन्हें पराजित कर दिया ।
- ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप को युद्ध के मैदान से बाहर निकालने के दौरान ‘चेतक’ (Chetak) नामक उनके वफादार घोड़े ने अपनी जान दे दी थी।
पुन:प्राप्ति :
- वर्ष 1579 के बाद मेवाड़ पर मुगलों का प्रभाव कम हो गया और महाराणा प्रताप ने कुंभलगढ़, उदयपुर और गोगुन्दा सहित पश्चिमी मेवाड़ को पुनः प्राप्त कर लिया गया।
- इस अवधि के दौरान, उन्होंने वर्तमान डूंगरपुर के पास एक नई राजधानी चावंड (Chavand) का निर्माण भी किया।
मृत्यु:
- 19 जनवरी, 1597 को महाराणा प्रताप का निधन हो गया। महाराणा प्रताप की मृत्यु के बाद उनके पुत्र राणा अमर सिंह ने उनका स्थान लिया और मुगलों के विरुद्ध वीरतापूर्वक संघर्ष किया, हालाँकि वर्ष 1614 में राणा अमर सिंह ने अकबर के पुत्र सम्राट जहाँगीर के साथ संधि कर ली।
रवींद्रनाथ टैगोर
Rabindranath Tagore
7 मई, 2021 को प्रधानमंत्री द्वारा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर (Gurudev Rabindranath Tagore) की 160वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी गई।
प्रमुख बिंदु:
जन्म:
- उनका जन्म 7 मई, 1861 को कलकत्ता में हुआ था।
रवींद्रनाथ टैगोर के विषय में:
- इन्हें 'गुरुदेव' (Gurudev) , 'कबीगुरू' (Kabiguru) और 'बिस्वाकाबी’ (Biswakabi) के नाम से भी जाना जाता है।
- डब्लू. बी. येट्स (W.B Yeats) द्वारा रवींद्रनाथ टैगोर को आधुनिक भारत का एक उत्कृष्ट एवं रचनात्मक कलाकार कहा गया। ये एक बंगाली कवि, उपन्यासकार और चित्रकार थे, जिन्होंने पश्चिम में भारतीय संस्कृति को अत्यधिक प्रभावशाली ढंग से पेश किया।
- वह एक असाधारण और प्रसिद्ध साहित्यकार थे, जिन्होंने साहित्य और संगीत को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया।।
- वे महात्मा गांधी के अच्छे मित्र थे और माना जाता है कि उन्होंने ही महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी।
- उन्होंने सदैव इस बात पर ज़ोर दिया कि विविधता में एकता भारत के राष्ट्रीय एकीकरण का एकमात्र संभव तरीका है।
- वर्ष 1929 तथा वर्ष 1937 में उन्होंने विश्व धर्म संसद (World Parliament for Religions) में भाषण दिया।
योगदान:
- माना जाता है कि उन्होंने 2000 से अधिक गीतों की रचना की है और उनके गीतों और संगीत को 'रबींद्र संगीत’ (Rabindra Sangeet) कहा जाता है।
- उन्होंने बंगाली गद्य और कविता के आधुनिकीकरण हेतु उत्तरदायी माना जाता है।
- उनकी उल्लेखनीय कृतियों में गीतांजलि, घारे-बैर, गोरा, मानसी, बालका, सोनार तोरी आदि शामिल है, साथ ही उन्हें उनके गीत 'एकला चलो रे’ (Ekla Chalo Re) के लिये भी याद किया जाता है।
- उन्होंने अपनी पहली कविताएंँ ‘भानुसिम्हा’ (Bhanusimha) उपनाम से 16 वर्ष की आयु में प्रकाशित की थीं।
- उन्होंने न केवल, भारत और बांग्लादेश हेतु राष्ट्रगान की रचना की बल्कि श्रीलंका के राष्ट्रगान को कलमबद्ध करने और उसकी रचना करने हेतु एक श्रीलंकाई छात्र को प्रेरित किया।
- अपनी सभी साहित्यिक उपलब्धियों के अलावा वे एक दार्शनिक और शिक्षाविद भी थे, जिन्होंने वर्ष 1921 में विश्व-भारती विश्वविद्यालय (Vishwa-Bharati University) की स्थापना की जिसने पारंपरिक शिक्षा को चुनौती दी।
पुरस्कार:
- रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी काव्यरचना गीतांजलि के लिये वर्ष 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
- यह पुरस्कार जीतने वाले वह पहले गैर-यूरोपीय थे।
- 1915 में उन्हें ब्रिटिश किंग जॉर्ज पंचम (British King George V) द्वारा नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया गया। वर्ष 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) के बाद उन्होंने नाइटहुड की उपाधि का त्याग कर दिया।
मृत्य:
- 7 अगस्त, 1941 को कलकत्ता में इनका निधन हो गया।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 मई, 2021
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीयों की उपलब्धियों और योगदान को मान्यता देने के लिये प्रतिवर्ष 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का आयोजन किया जाता है। 11 मई, 1998 को भारत ने ‘ऑपरेशन शक्ति’ के तहत राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में तीन सफल परमाणु परीक्षण किये थे। यह मिशन भारतीय सेना द्वारा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), परमाणु खनिज निदेशालय अन्वेषण एवं अनुसंधान (AMDER) निदेशालय के वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया था। इन परीक्षणों का नेतृत्त्व दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा किया गया था। 11 मई, 1999 को पहली बार राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया था। इन परीक्षणों ने भारत को ‘थर्मोन्यूक्लियर हथियार’ और ‘परमाणु विखंडन बम’ बनाने में सक्षम बनाया था। इन परमाणु परीक्षणों के साथ-साथ आज ही के दिन (11 मई) भारत ने अपने पहले स्वदेशी विमान ‘हंसा-3’ का भी परीक्षण किया था, जिसे राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला द्वारा डिज़ाइन किया गया था और इसने कर्नाटक के बंंगलूरू में उड़ान भरी थी। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारत की सतह-से-हवा में मार करने वाली ‘त्रिशूल मिसाइल’ का भी सफलतापूर्वक परीक्षण करके इसे भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किया था। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2021 की थीम ‘सतत् भविष्य के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ है।
‘टू-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज़’ ड्रग
‘ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ (DGCI) ने हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक एंटी-कोविड ड्रग को मंज़ूरी दे दी है, जो कि कोरोना वायरस से संक्रमित गंभीर रोगियों के लिये एक आपातकालीन समय में सहायक चिकित्सा थेरेपी के रूप में प्रयोग की जा सकेगी। ‘टू-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज़’ (2-DG) ड्रग के नैदानिक परीक्षणों से प्राप्त सूचना के मुताबिक, यह दवा अस्पताल में भर्ती रोगियों की तीव्र रिकवरी में मदद करती है और ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करती है। दवा को मंज़ूरी ऐसे समय में मिली है जब भारत कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के साथ जूझ रहा है, जिसने देश के स्वास्थ्य ढाँचे की सीमाओं को उजागर किया है। इस एंटी-कोविड ड्रग को ‘नाभिकीय औषधि तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान’ द्वारा विकसित किया गया है, जो कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की एक प्रमुख प्रयोगशाला है। सहायक चिकित्सा थेरेपी एक ऐसी उपचार पद्धति है, जिसका उपयोग प्राथमिक उपचार के साथ किया जाता है। यह ड्रग, वायरस संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाता है और वायरल संश्लेषण तथा ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस के विकास को रोकता है और उसे निष्क्रिय कर देता है।
विश्व प्रवासी पक्षी दिवस
इस वर्ष 08 मई को विश्व भर में ‘विश्व प्रवासी पक्षी दिवस’ (WMBD) का आयोजन किया गया। विश्व प्रवासी पक्षी दिवस (WMBD) एक वार्षिक जागरूकता अभियान है, जिसका उद्देश्य प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालना है। इस आयोजन के तहत प्रवासी पक्षियों, उनके पारिस्थितिक महत्त्व, उनके समक्ष मौज़ूद चुनौतियों और उनके संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता के संबंध में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने में मदद की जाती है। इसे संयुक्त राष्ट्र की दो संधियों ‘वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर सम्मेलन’ एवं ‘अफ्रीकन-यूरेशियन वॉटरबर्ड एग्रीमेंट’ (AEWA) और एक गैर-लाभकारी संगठन (एनवायरमेंट फॉर द अमेरिका) के बीच एक सहयोगात्मक संयुक्त रूप से मनाया जाता है। पहली बार ‘विश्व प्रवासी पक्षी दिवस’ को वर्ष 2006 में मनाया गया था। यह दिवस वर्ष में दो बार (मई एवं अक्तूबर महीने के दूसरे शनिवार को) मनाया जाता है। इस वर्ष प्रवासी पक्षी दिवस का थीम ‘सिंग, फ्लाई, सोर - लाइक ए बर्ड’ है। पक्षियों के बीच कई अलग-अलग प्रवासन पैटर्न देखे जाते हैं। अधिकांश पक्षी उत्तरी प्रजनन क्षेत्रों से दक्षिणी सर्दियों के मैदानों की ओर पलायन करते हैं। हालाँकि, कुछ पक्षी अफ्रीका के दक्षिणी हिस्सों में प्रजनन करते हैं और सर्दियों में उत्तरी मैदान या क्षैतिज रूप से पलायन करते हैं।
मनोज दास अंतर्राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार
हाल ही में ओडिशा सरकार ने राज्य के प्रख्यात साहित्यकार मनोज दास की स्मृति में 'मनोज दास अंतर्राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार' प्रदान करने की घोषणा की है। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष अंग्रेज़ी साहित्य में रचनात्मक योगदान देने वाले ओडिशा के साहित्यकारों को प्रदान किया जाएगा। इसके तहत पुरस्कार के तौर पर 10 लाख रुपए का नकद इनाम दिया जाएगा। ओडिशा के प्रख्यात शिक्षाविद और जाने-माने द्विभाषी साहित्यकार मनोज दास का हाल ही में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। वर्ष 1934 में ओडिशा में जन्मे मनोज दास ने ओडिया और अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं में महत्त्वपूर्ण साहित्यिक रचनाएँ कीं। मनोज दास को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये वर्ष 2001 में पद्मश्री और वर्ष 2020 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा राज्य सरकार ने हाई स्कूल के छात्रों को उनके रचनात्मक कार्यों हेतु ‘मनोज-किशोर साहित्य प्रतिभा पुरस्कार’ प्रदान करने की भी घोषणा की है, ताकि ओडिया और अंग्रेज़ी साहित्य दोनों में युवाओं के बीच रुचि विकसित की जा सके।