रेड पांडा
हाल ही में पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क ने लगभग पाँच वर्षों में 20 रेड पांडा को जंगलों में छोड़ने के लिये एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है।
- पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक संरक्षित क्षेत्र सिंगलिला नेशनल पार्क को जल्द ही नए निवासी मिलेंगे।
रेड पांडा:
- परिचय:
- दुनिया में विशालकाय पांडा और रेड पांडा केवल यही दो अलग-अलग पांडा प्रजातियाँ हैं।
- यह सिक्किम का राज्य पशु भी है।
- रेड पांडा शर्मीले, एकांत और वृक्ष पर रहने वाले जानवर हैं तथा पारिस्थितिक परिवर्तन के लिये एक संकेतक प्रजाति मानी जाती है।
- भारत दोनों (उप) प्रजातियों का घर है:
- हिमालयन रेड पांडा (ऐलुरस फुलगेन्स)।
- चीनी रेड पांडा (ऐलुरस स्टयानी)
- अरुणाचल प्रदेश में सियांग नदी दो फाइटोलैनेटिक प्रजातियों को विभाजित करती है।
- यह भारत, नेपाल, भूटान और म्याँमार के उत्तरी पहाड़ों तथा दक्षिणी चीन के जंगलों में पाया जाता है।
- पश्चिम बंगाल में सिंगलिला और नेओरा घाटी राष्ट्रीय उद्यान दो संरक्षित क्षेत्र हैं जहाँ लाल पांडा पाए जाते हैं, यहाँ तक कि इन संरक्षित क्षेत्रों में भी पांडा की आबादी में गिरावट आई है।
- संरक्षण की स्थिति:
- रेड पांडा:
- IUCN रेड लिस्ट: लुप्तप्राय
- CITES: परिशिष्ट 1
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972: अनुसूची 1
- विशाल (Giant) पांडा:
- IUCN रेड लिस्ट: सुभेद्य
- CITES: परिशिष्ट 1
- रेड पांडा:
रेड पांडा प्रोजेक्ट:
- पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क ने इन स्तनधारियों में से 20 को लगभग पांँच वर्षों में जंगलों में छोड़ने के लिये एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है।
- पद्मजा नायडू पार्क दार्जिलिंग, देश के सबसे ऊँचाई वाले चिड़ियाघरों में से एक है और इन स्तनधारियों के प्रजनन में काफी सफल रहा है।
- इन पांडा को पश्चिम बंगाल के सबसे ऊँचाई पर संरक्षित क्षेत्र सिंगलिला नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा।
- सिंगलिला राष्ट्रीय उद्यान दार्जिलिंग ज़िले में सिंगलिला रिज पर स्थित है।
- यह पश्चिम बंगाल राज्य का सबसे अधिक ऊंँचाई पर स्थित पार्क है।
- यह शुरू में एक वन्यजीव अभयारण्य था और वर्ष 1992 में इसे राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया।
- पश्चिम बंगाल के अन्य राष्ट्रीय उद्यान हैं:
- जलदा पारा राष्ट्रीय उद्यान
- नेओरा वैली नेशनल पार्क
- सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान
- गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान
- बुक्सा नेशनल पार्क और टाइगर रिज़र्व
रेड पांडा के संरक्षण हेतु भारत के प्रयास:
- रेड पांडा आवास को सुरक्षित करना:
- WWF-इंडिया स्थानीय समुदायों के साथ उनकी ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिये नवीन तकनीकों से परिचित कराकर ईंधन की लकड़ी पर उनकी निर्भरता को कम करने के लिये काम करता है।
- सिक्किम में 200 से अधिक व्यक्तियों को बायो-ब्रिकेट बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है।
- स्थानीय समर्थन:
- स्थानीय समुदाय वैकल्पिक आजीविका गतिविधियों में शामिल हैं जो उनके लिये लाभ प्राप्त करते हैं, साथ ही संरक्षण पहल का समर्थन भी करते हैं।
- अरुणाचल प्रदेश में समुदाय आधारित पर्यटन स्थानीय लोगों को लाल पांडा देखने के लिये आने वाले पर्यटकों से अतिरिक्त आय अर्जित करने में सक्षम बनाता है।
- लाल पांडा की आबादी हेतु खतरे को कम करना:
- वन निर्भरता को कम करने के लिये स्थानीय समुदायों के साथ काम करना और उन्हें संरक्षण उपायों में शामिल करना, साथ ही आवास क्षरण व विखंडन के खतरे को संबोधित करना।
- WWF-इंडिया ने सिक्किम एंटी-रेबीज़ एंड एनिमल हेल्थ (SARAH) के साथ भी सहयोग किया है और महत्त्वपूर्ण वन्यजीव क्षेत्रों के आसपास जंगली कुत्तों की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिये उनकी नसबंदी करने हेतु एक कार्यक्रम शुरू किया है।
स्रोत: द हिंदू
ड्रैगन फ्रूट
हाल ही में केंद्र ने ड्रैगन फ्रूट के विकास को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है, इसके स्वास्थ्य लाभों को देखते हुए इसे "विशेष फल (Super Fruit)" के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- इसके अलावा केंद्र का मानना है कि फल के पोषण लाभ और वैश्विक मांग के कारण भारत में इसकी खेती को बढ़ाया जा सकता है।
ड्रैगन फ्रूट:
- परिचय:
- ड्रैगन फ्रूट हिलोसेरियस कैक्टस पर उगता है, जिसे होनोलूलू क्वीन के नाम से भी जाना जाता है।
- यह फल दक्षिणी मेक्सिको और मध्य अमेरिका का स्थानीय/देशज फल है। वर्तमान में भी यह पूरी दुनिया में उगाया जाता है।
- इस समय इस फल की खेती करने वाले राज्यों में मिज़ोरम सबसे आगे है।
- इसे कई नामों से जाना जाता है, जिनमें पपीता, पिठैया और स्ट्रॉबेरी, नाशपाती शामिल हैं।
- दो सबसे आम प्रकारों में हरे रंग की परत के साथ यह चमकदार लाल रंग का होता है जो ड्रैगन के समान होता है।
- सबसे व्यापक रूप से उपलब्ध इसकी किस्म में काले बीजों के साथ सफेद गूदा होता है, हालांँकि लाल गूदे और काले बीजों के साथ सामान्य प्रकार भी मौजूद होता है।
- यह फल मधुमेह के रोगियों के लिये उपयुक्त, कैलोरी में कम और आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम तथा जिंक जैसे पोषक तत्त्वों से भरपूर माना जाता है।
- सबसे बड़ा उत्पादक:
- दुनिया में ड्रैगन फ्रूट का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक वियतनाम है, जहांँ 19वीं शताब्दी में फ्रांँसीसियों द्वारा इस पौधे को लाया गया था।
- वियतनामी इसे थान लॉन्ग कहते हैं, जिसका अनुवाद है "ड्रैगन की आंँख", माना जाता है कि यह इसके सामान्य अंग्रेज़ी नाम का मूल है।
- वियतनाम के अलावा यह विदेशी फल संयुक्त राज्य अमेरिका, मलेशिया, थाईलैंड, ताइवान, चीन, ऑस्ट्रेलिया, इज़रायल और श्रीलंका में भी उगाया जाता है।
- दुनिया में ड्रैगन फ्रूट का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक वियतनाम है, जहांँ 19वीं शताब्दी में फ्रांँसीसियों द्वारा इस पौधे को लाया गया था।
- विशेषताएँ:
- इसके फूल प्रकृति में उभयलिंगी (एक ही फूल में नर और मादा अंग) होते हैं और रात में खुलते हैं।
- पौधा 20 से अधिक वर्षों तक उपज देता है, यह उच्च न्यूट्रास्युटिकल गुणों (औषधीय प्रभाव वाले) के साथ मूल्य वर्द्धित और प्रसंस्करण उद्योगों के लिये लाभदायक है।
- यह विटामिन एवं खनिजों का एक समृद्ध स्रोत है।
- जलवायु की स्थिति:
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार, इस पौधे को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है और इसे शुष्क भूमि पर उगाया जा सकता है।
- खेती की लागत शुरू में अधिक होती है लेकिन पौधे के लिये उत्पादक भूमि की आवश्यकता नहीं होती; अनुत्पादक, कम उपजाऊ क्षेत्रों में इसका अधिकतम उत्पादन किया जा सकता है।
राज्य सरकारों द्वारा उठाए कदम:
- गुजरात सरकार ने हाल ही में ड्रैगन फ्रूट का नाम कमलम (कमल) रखा और इसकी खेती करने वाले किसानों के लिये प्रोत्साहन की घोषणा की है।
- हरियाणा सरकार उन किसानों को भी अनुदान प्रदान करती है जो इस विदेशी फल की किस्म को उगाने हेतु तैयार हैं।
- महाराष्ट्र सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के माध्यम से अच्छी गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री और इसकी खेती के लिये सब्सिडी प्रदान करके राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने की पहल की है।
स्रोत: द हिंदू
स्वामी रामानुजाचार्य का स्टैच्यू ऑफ पीस
हाल ही में श्रीनगर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वामी रामानुजाचार्य के स्टैच्यू ऑफ पीस का अनावरण किया।
रामानुजाचार्य:
- रामानुजाचार्य का जन्म वर्ष 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हुआ था।
- रामानुजाचार्य एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक थे।
- उन्होंने समानता और सामाजिक न्याय का समर्थन करते हुए पूरे भारत की यात्रा की।
- उन्होंने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया और उनके उपदेशों ने अनेक भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया।
- विशिष्टाद्वैत वेदांत दर्शन की एक अद्वैतवादी परंपरा है।
- वे भक्ति आंदोलन के उपदेशक और अन्य सभी भक्ति विचारधाराओं के स्रोत बने।
- वह कबीर, मीराबाई, अन्नामचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज और कई अन्य रहस्यवादी कवियों के लिये एक प्रेरणा थे।
- उन्होंने इस अवधारणा की शुरुआत की कि प्रकृति और उसके संसाधन जैसे- जल, वायु, मिट्टी, वृक्ष, आदि पवित्र हैं और उन्हें प्रदूषण से बचाया जाना चाहिये।
इसे स्टेच्यू ऑफ पीस क्यों कहा जाता है?
- स्टेच्यू ऑफ पीस की स्थापना से सभी धर्मों के कश्मीरियों को रामानुजाचार्य का आशीर्वाद और संदेश प्राप्त होगा ताकि कश्मीर को शांति और प्रगति के पथ पर ले जाया जा सके।
- यह बिना किसी भेदभाव के कश्मीर के लोगों के विकास में सहायक होगा।
संत रामानुज का कश्मीर से संबंध:
- रामानुजाचार्य 11वीं शताब्दी में ब्रह्म सूत्र पर लिखे ग्रंथ बोधायन वृत्ति नामक एक महत्त्वपूर्ण पांडुलिपि प्राप्त करने के लिये कश्मीर गए थे।
- बोधायन वृत्ति को ब्रह्म सूत्र की सबसे आधिकारिक व्याख्या होने की प्रतिष्ठा प्राप्त थी।
- उनके शिष्य कुरेशा उनके साथ थे और उन्होंने पूरे पाठ को अपनी स्मृति में आत्मसात कर लिया क्योंकि स्थानीय विद्वानों ने रामानुजाचार्य को पांडुलिपि को कश्मीर से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं दी।
- श्रीरंगम लौटने के बाद रामानुजाचार्य ने श्री भाष्यम, ब्रह्म सूत्र पर टीका और अपने सबसे उल्लेखनीय कार्य को कुरेशा को निर्देशित किया,जिन्होंने इसे लिखा था।
- श्री भाष्यम को इस क्षेत्र को समर्पित करने के लिये रामानुजाचार्य 2 वर्ष बाद फिर से कश्मीर लौट आए।
स्रोत: पी.आई.बी.
अज़ोरेस हाई
हाल ही में किये गए अध्ययन से पता चला है कि एक बहुत बड़े 'अज़ोरेस हाई' (उपोष्णकटिबंधीय मौसम की घटना) के परिणामस्वरूप पश्चिमी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में असामान्य शुष्क स्थिति उत्पन्न हुई है, जिसमें मुख्य रूप से स्पेन और पुर्तगाल के कब्ज़े वाले इबेरियन प्रायद्वीप शामिल हैं।
अज़ोरेस हाई :
- परिचय:
- अज़ोरेस हाई एक उपोष्णकटिबंधीय हाई के दबाव प्रणाली है जिसका विस्तार सर्दियों के दौरान पूर्वी उपोष्णकटिबंधीय उत्तरी अटलांटिक और पश्चिमी यूरोप में देखा जाता है।
- यह उपोष्णकटिबंधीय उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में प्रतिचक्रवातीय हवाओं से संबंधित है।
- इसकी उत्पत्ति शुष्क हवा के कारण उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में होती है और यह हैडली परिसंचरण की निचली शाखा के साथ मिल जाता है।
- हैडली परिसंचरण:
- हैडली सेल निम्न-अक्षांशीय व्युत्क्रम परिसंचरण हैं जिनमें भूमध्य रेखा पर हवा ऊपर की ओर उठती है और लगभग 30 ° अक्षांश पर नीचे की ओर आती है।
- वे उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में व्यापारिक हवाओं के लिये ज़िम्मेदार हैं और निम्न अक्षांश में मौसम की प्रणाली को नियंत्रित करते हैं।
- हैडली सेल ध्रुवों तक विस्तारित हो सकती हैं।
- हैडली सेल निम्न-अक्षांशीय व्युत्क्रम परिसंचरण हैं जिनमें भूमध्य रेखा पर हवा ऊपर की ओर उठती है और लगभग 30 ° अक्षांश पर नीचे की ओर आती है।
अज़ोरेस हाई:
- 20वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध के दौरान इबेरियन प्रायद्वीप में प्रति दशक 5-10 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की वार्षिक शुष्कता दर्ज की गई है।
- 21वीं सदी के अंत तक सर्दियों में वर्षा में 10-20% की और गिरावट आने की आशंका है।
- ये अनुमानित परिवर्तन इबेरियन क्षेत्र की कृषि को यूरोप में सबसे कमज़ोर बनाते हैं। अध्ययन का अनुमान है:
- दक्षिणी स्पेन में जैतून उगाने वाले क्षेत्रों को वर्ष 2100 तक उत्पादन में 30% की गिरावट का सामना करना पड़ेगा।
- इबेरियन प्रायद्वीप में अंगूर उगाने वाला क्षेत्र जल की गंभीर कमी के कारण वर्ष 2050 तक 25% - 99% संकुचित हो जाएगा, जिससे भूमि अंगूर की खेती के लिये अनुपयुक्त हो जाएगी।
अज़ोरेस हाई के विस्तार का कारण:
- अज़ोरेस हाई के विस्तार बाहरी जलवायु बलों द्वारा संचालित है और औद्योगिक युग में इसे उत्पन्न करने वाला एकमात्र बाहरी कारक वायुमंडलीय ग्रीनहाउस गैस सांद्रता है।
- अज़ोरेस हाई का विस्तार वर्ष 1850 के बाद देखा गया और बीसवीं शताब्दी में मज़बूत हुआ, जो मानवजनित रूप से संचालित उष्मण के अनुरूप था।
- शोधकर्त्ताओं ने औद्योगिक युग की शुरुआत के बाद से बदलती वायुमंडलीय स्थितियों की खोज की, जिसने पिछले 1,200 वर्षों में अज़ोरेस हाई की विशेषताओं का आकलन करके इन क्षेत्रीय हाइड्रोक्लाइमैटिक परिवर्तनों में योगदान दिया।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न: निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा सही सुमेलित हैं? (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (b) व्याख्या:
प्रश्न. भूमध्य सागर निम्नलिखित में से किस देश की सीमा है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (c) व्याख्या:
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स्रोत: डाउन टू अर्थ
ईपीवी संक्रमण के बाद जैव-आणविक परिवर्तन
वैज्ञानिकों ने पाया है कि कैंसर पैदा करने वाला वायरस एपस्टीन बार वायरस (EBV) न्यूरोनल कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है और जैव-अणुओं में विभिन्न परिवर्तन ला सकता है।
- एक शोधकर्त्ता ने मस्तिष्क कोशिकाओं पर कैंसर पैदा करने वाले वायरस के संभावित प्रभावों का पता लगाने के लिये फंड फॉर इम्प्रूवमेंट ऑफ एस एंड टी इंफ्रास्ट्रक्चर (FIST) योजना के तहत रमन माइक्रोस्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक का उपयोग किया।
- बायोमोलेक्यूलस एक कार्बनिक अणु है जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड और न्यूक्लिक एसिड शामिल हैं।
रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी:
- रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी एक प्रकाश प्रकीर्णन तकनीक है, जिसके द्वारा एक अणु उच्च तीव्रता वाले लेज़र प्रकाश स्रोत से आपतित प्रकाश को प्रकिर्णित करता है।
- अधिकांश बिखरा हुआ प्रकाश लेज़र स्रोत के समान तरंग दैर्ध्य (या रंग) पर होता है और उपयोगी जानकारी प्रदान नहीं करता है इसे रेले स्कैटर कहा जाता है। हालांँकि प्रकाश की एक छोटी मात्रा (आमतौर पर 0.0000001%) विभिन्न तरंग दैर्ध्य (या रंग) पर बिखरी हुई होती है, जो कि विश्लेषण की रासायनिक संरचना पर निर्भर करती है, इसे रमन स्कैटर कहा जाता है।
- रमन माइक्रोस्पेक्ट्रोस्कोपी एक कंपन स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक है जिसका उपयोग तरल या ठोस नमूनों की एक विस्तृत शृंखला के उंगलियों के निशान की जाँच के लिये किया जाता है।
- तकनीक का कुशलतापूर्वक उपयोग वायरस-मध्यस्थता वाले सेलुलर परिवर्तनों को समझने के लिये किया जा सकता है और विशिष्ट जैव-आणविक परिवर्तनों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है।
एपस्टीन बार वायरस:
- EBV हर्पीसवायरस परिवार का वायरस है जो मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है।
- EBV वायरस मानव आबादी में व्यापक रूप से मौजूद पाया गया है। यह आमतौर पर कोई नुकसान नहीं पहुँचाता है, लेकिन कुछ असामान्य स्थितियों जैसे प्रतिरक्षा विज्ञानी तनाव या प्रतिरक्षा क्षमता में वायरस शरीर के अंदर पुन: सक्रिय हो जाता है।
- यह आगे चलकर विभिन्न जटिलताओं को जन्म दे सकता है जैसे कि एक प्रकार का रक्त कैंसर जिसे बुर्किट का लिंफोमा कहा जाता है, इसी तरह पेट का कैंसर, मल्टीपल स्केलेरोसिस है।
प्रमुख बिंदु
- यह फैटी एसिड, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन घटकों जैसे जैव-अणुओं को बदल सकता है, जिससे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के रोगों के साथ-साथ मस्तिष्क कैंसर भी हो सकता है।
- पहले के अध्ययनों ने विभिन्न न्यूरोडीज़ेनेरेटिव रोगों में EBV की भागीदारी को बताया गया था। हालांँकि यह वायरस मस्तिष्क की कोशिकाओं को कैसे प्रभावित कर सकता है और उनमें हेरफेर कैसे कर सकता है, यह अभी तक पता नहीं चल पाया है।
- वायरल प्रभाव के तहत न्यूरोनल कोशिकाओं में विभिन्न जैव-अणुओं में समय पर और क्रमिक परिवर्तन हो सकते हैं।
- इसके अतिरिक्त अन्य सहायक मस्तिष्क कोशिकाओं (यानी, एस्ट्रोसाइट और माइक्रोग्लिया) में देखे गए परिवर्तनों की तुलना में ये परिवर्तन अलग थे।
- वायरल प्रभाव के तहत कोशिकाओं में लिपिड, कोलेस्ट्रॉल, प्रोलाइन और ग्लूकोज़ अणु बढ़ जाते हैं।
- ये जैव-आणविक संस्थाएंँ अंततः कोशिकाओं के वायरल संक्रमण के रोकथाम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
FIST योजना:
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के "एस एंड टी अवसंरचना में सुधार हेतु निधि (FIST)" का उद्देश्य नए और उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने और विश्वविद्यालयों तथा अन्य शैक्षणिक संस्थानों में नई प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिये बुनियादी ढांँचा और सक्षम सुविधाएंँ प्रदान करना है।
- इसे विभागों/केंद्रों/स्कूलों/कॉलेजों को अनुसंधान गतिविधियों को अधिक प्रभावी ढंग से और कुशलता से आगे बढ़ाने में सक्षम बनाने ु मानार्थ समर्थन के रूप में माना जाता है।
- अत्यधिक सफल FIST कार्यक्रम पर वर्तमान ज़ोर न केवल अकादमिक संगठनों में अनुसंधान गतिविधियों के लिये बल्कि स्टार्टप / विनिर्माण उद्योगों / MSMEs द्वारा उपयोग के लिये अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों की बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच प्रदान करके आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर उन्मुख कियया जासकता है।
- प्रत्येक एफआईएसटी परियोजना के लिये समर्थन की अवधि 5 वर्ष से अधिक नहीं है।
स्रोत: पी.आई.बी.
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 जुलाई, 2022
प्रसार भारती का नया प्रतीक चिह्न
सूचना और प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने 11 जुलाई, 2022 को प्रसार भारती के नए प्रतीक चिह्न (LOGO) का अनावरण किया। नए प्रतीक चिह्न में भारत का नक्शा, राष्ट्र के लिये भरोसे की सेवा, सुरक्षा और उत्कृष्टता को प्रदर्शित करता है। इसका गहरा मध्यम नीला रंग आकाश एवं समुद्र दोनों का प्रतिनिधित्व करता है जो मुक्त स्थान, स्वतंत्रता, अंतर्ज्ञान, कल्पना, प्रेरणा और संवेदनशीलता से जुड़ा है। नीला रंग गहराई, वफादारी, ईमानदारी, ज्ञान, आत्मविश्वास, स्थिरता, विश्वास और बुद्धि का भी प्रतिनिधित्व करता है। इस अवसर पर प्रसार भारती के सदस्य डी.पी.एस. नेगी ने कहा कि प्रसार भारती के नए प्रतीक चिह्न को आकाशवाणी एवं दूरदर्शन दोनों के मिश्रण के रूप में परिभाषित किया गया है। प्रसार भारती एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है जो प्रसार भारती अधिनियम के तहत 23 नवंबर, 1997 को अस्तित्व में आया, यह देश का सार्वजनिक सेवा प्रसारक (Public Service Broadcaster) है। प्रसार भारती अधिनियम में संदर्भित सार्वजनिक सेवा प्रसारण उद्देश्यों को आल इंडिया रेडियो तथा दूरदर्शन के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। उल्लेखनीय है कि ये दोनों पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन मीडिया यूनिट के रूप में कार्य करते थे और प्रसार भारती की स्थापना के बाद इसके घटक बन गए।
नोवाक जोकोविच
हाल ही में सर्बिया के नोवाक जोकोविच ने विम्बलडन टेनिस प्रतियोगिता, 2022 का पुरूष सिंगल्स खिताब जीता। उन्होंने 10 जुलाई, 2022 को लंदन में फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के निक किर्जियोस को 4-6, 6-3, 6-4, 7-6 से हराया। इसके साथ ही जोकोविच रोजर फेडरर, पीट संप्रास और ब्योन बोर्ग के बाद लगातार चार विम्बलडन खिताब जीतने वाले चौथे खिलाड़ी बन गए हैं। यह जोकोविच का कुल मिलाकर 21वांँ ग्रैंड स्लैम खिताब है। अब वे राफेल नडाल के रिकॉर्ड से बस एक खिताब पीछे हैं।विम्बलडन चैंपियनशिप (Championships Wimbledon) जिसे आमतौर पर विम्बलडन या द चैंपियनशिप (The Championships) के रूप में जाना जाता है, विश्व का सबसे पुराना ग्रैंड स्लैम टेनिस टूर्नामेंट है। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1915-18 और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1940-45 की अवधि को छोड़कर वर्ष 1877 से प्रत्येक वर्ष इस टूर्नामेंट का आयोजन लंदन के विम्बलडन में स्थित ऑल इंग्लैंड क्लब में किया जाता है।
देवघर में नवनिर्मित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 जुलाई, 2022 को देवघर में नवनिर्मित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन करेंगे। 654 एकड़ भूमि में फैला यह हवाई अड्डा देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथधाम से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सीधी विमान सेवा प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री इस अवसर पर झारखंड के देवघर ज़िले में 16,835 करोड़ रुपए से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। प्रधानमंत्री बाबा बैद्यनाथधाम मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे और देवघर में एम्स अस्पताल में सुपर स्पेशियलिटी ऑपरेशन थियेटर का भी उद्घाटन करेंगे।
नए संसद भवन पर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई, 2022 को नए संसद भवन (सेंट्रल विस्टा) की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ का अनावरण किया। 9,500 किलोग्राम कांस्य से बने राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न की ऊंँचाई 6.50 मीटर है। इसे संसद की नई इमारत के सेंट्रल कक्ष के शीर्ष पर लगाया गया है। भारत का राजचिह्न (राष्ट्रीय प्रतीक) सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किये हुए हैं। इसके नीचे घंटे के आकार के पद्म के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक सांँड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियांँ हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काट कर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर 'धर्मचक्र' रखा हुआ है। भारत सरकार ने यह चिह्न 26 जनवरी, 1950 को अपनाया।