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प्रिलिम्स फैक्ट्स


प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 08 जुलाई, 2020

  • 08 Jul 2020
  • 16 min read

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद

Indian Council of Agricultural Research

4 जुलाई, 2020 को प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भारत में कृषि अनुसंधान, विस्तार एवं शिक्षा में हुई प्रगति की समीक्षा की।

  • गौरतलब है कि वर्ष 2014 के बाद से ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद’ (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) के विभिन्न केंद्रों पर अनुसंधान के आधार पर विभिन्न कृषि फसलों की 1434 नई किस्मों, 462 बागवानी फसलों एवं 1121 जलवायु अनुकूल किस्मों को विकसित किया गया है।

प्रमुख बिंदु: 

  • उल्लेखनीय है कि ‘आणविक प्रजनन तकनीकों’ (Molecular Breeding Techniques) का उपयोग उन किस्मों को विकसित करने के लिये किया गया है जो कई तरह की मौसमी दशाओं के प्रति अनुकूल हैं। ये किस्में रोग प्रतिरोधी भी हैं।
    • गेहूँ की ‘एचडी3226’ (HD3226) किस्म सात रोगों एवं टमाटर की अर्काबेड (ArkAbed) किस्म चार रोगों के लिये प्रतिरोधी हैं।

आणविक प्रजनन तकनीक

(Molecular Breeding Techniques):

  • आणविक प्रजनन तकनीक आणविक जीव विज्ञान का एक अनुप्रयोग है जिसका प्रयोग आमतौर पर ‘पादप प्रजनन’ एवं ‘पशु प्रजनन’ में किया जाता है। 
  • आणविक प्रजनन तकनीक में निम्नलिखित घटक शामिल हैं:
    • जीन की खोज 
    • जीनोम सेलेक्शन
    • जेनेटिक इंजीनियरिंग
    • जेनेटिक ट्रांसफार्मेशन
  • कुपोषण मुक्त भारत’ अभियान को बढ़ावा देने के लिये अधिक आयरन, ज़िंक एवं प्रोटीन सामग्री से युक्त 70 जैव उर्वरक प्रजातियों को विकसित किया गया है। 
    • आयरन, पोटैशियम, विटामिन-C एवं एंटी-ऑक्सीडेंट्स से युक्त अनार की ऐसी ही एक किस्म भगवा (Bhagwa) है।
  • कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से ‘पोषण थाली’ (Poshan Thali) और ‘पोषण बागानों’ (Nutria-Gardens) को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
    • आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं को ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिये संतुलित खुराक सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ‘पोषण बागानों’ को विकसित करने के लिये प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
  • ‘पोषण थाली’ में चावल, दाल, मौसमी फल, पत्तेदार हरी सब्जियाँ, कंद एवं अन्य सब्जियों के अतिरिक्त दूध, चीनी, गुड़ एवं तेल जैसे विभिन्न तत्त्व शामिल होते हैं।
    • वर्ष 2022 तक 100 एग्री-न्यूट्री स्मार्ट ग्राम  (Agri-Nutri Smart Villages) तैयार किये जाने हैं।

एग्री-न्यूट्री स्मार्ट ग्राम  (Agri-Nutri Smart Villages):

Agri-Nutri-smart-gram

  • ‘एग्री-न्यूट्री- स्मार्ट ग्राम’ प्रदर्शन, प्रशिक्षण, जागरूकता एवं इनपुट समर्थन के माध्यम से किसानों, खेतिहर मज़दूरों एवं गाँव में रहने वाले अन्य लोगों के मौजूदा संसाधनों का उपयोग करके पोषण प्रदान करने का एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है।
  • एग्री-न्यूट्री स्मार्ट विलेज (Agri-Nutri smart village- A2N) मॉडल कृषि एवं पोषण को एकीकृत करके कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिये एक रूपरेखा है।
  • यह ICAR के तहत चल रही अनुसंधान परियोजना ‘पोषण सुरक्षा एवं जेंडर सशक्तीकरण को बढ़ावा देना’ का एक हिस्सा है।  

भारत का भू-संदर्भित कार्बनिक कार्बन मानचित्र (Geo-referenced  Organic Carbon Map of India):

  • ICAR ने ‘भारत का भू-संदर्भित कार्बनिक कार्बन मानचित्र’ विकसित किया है। इसके माध्यम से 88 जैव नियंत्रक घटकों एवं 22 जैव उर्वरकों की पहचान की गई है जिससे जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जा सकता है।

नेशनल इनोवेशंस ऑन क्लाइमेट रेज़िलिएंट एग्रीकल्चर (National Innovations on Climate Resilient Agriculture):

  • नेशनल इनोवेशंस ऑन क्लाइमेट रेज़िलिएंट एग्रीकल्चर (NICRA) फरवरी 2011 में शुरू की गई भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की एक नेटवर्क परियोजना है।

उद्देश्य: 

  • इस परियोजना का उद्देश्य रणनीतिक अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से जलवायु परिवर्तन एवं जलवायु भेद्यता के लिये भारतीय कृषि के लचीलेपन को बढ़ावा देना है।

NICRA से संबंधित अन्य बिंदु: 

  • इस परियोजना में फसलों, पशुधन, मत्स्य पालन हेतु अनुकूलन एवं शमन तथा प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन को शामिल किया गया है।
  • इस परियोजना में चार घटक शामिल हैं। 
    • सामरिक अनुसंधान 
    • प्रौद्योगिकी निरूपण
    • क्षमता निर्माण 
    • प्रायोजित/प्रतिस्पर्द्धी अनुदान।     

नेशनल जीन बैंक

National Gene bank

6 जुलाई, 2020 को नेशनल जीन बैंक (National Gene bank) स्थापित करने के लिये आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) के अधीनस्‍थ राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (National Medicinal Plants Board- NMPB) और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (Department of Agricultural Research and Education) के अधीनस्‍थ आईसीएआर-राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो (National Bureau of Plant Genetic Resources- NBPGR) ने एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्‍ताक्षर किये।

प्रमुख बिंदु:

  • इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य नेशनल जीन बैंक में उपलब्धता के अनुसार दीर्घकालिक भंडारण मॉड्यूल में ICAR-NBPGR द्वारा सुझाए गए निर्दिष्ट स्थान पर या मध्यमकालिक भंडारण मॉड्यूल के लिये क्षेत्रीय स्टेशन पर ‘औषधीय एवं सुगंधित पादप आनुवांशिक संसाधनों’ (Medicinal and Aromatic Plants Genetic Resources- MAPGRs) का संरक्षण करना है। 
  • इस समझौता ज्ञापन के तहत राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (National Medicinal Plants Board- NMPB) के कार्यदल को पादप जर्मप्लाज़्म (Plant Germplasm) के संरक्षण की तकनीकों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। 
  • राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (NMPB) और आईसीएआर-राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो (ICAR-NBPGR) दोनों ही सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु वर्तमान व भावी पीढ़ियों के लिये लंबे समय तक सुरक्षित एवं किफायती ढंग से जर्मप्लाज़्म के संरक्षण के ज़रिए राष्ट्रीय हितों की पूर्ति करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।

राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड

(National Medicinal Plants Board- NMPB):

  • औषधीय पौधों के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार ने 24 नवंबर, 2000 को ‘राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड’ (NMPB) की स्थापना की।
  • वर्तमान में यह बोर्ड भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अंतर्गत कार्य कर रहा है।
  • NMPB का प्राथमिक लक्ष्य विभिन्न मंत्रालयों/विभागों/संगठनों के बीच समन्वय के लिये एक उपयुक्त तंत्र विकसित करना और केंद्र/राज्य एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर औषधीय पौधों के क्षेत्र के समग्र विकास के लिये प्रतिबद्ध नीतियों एवं कार्यक्रमों को लागू करना है।

आईसीएआर-राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो

(National Bureau of Plant Genetic Resources- NBPGR): 

  • यह भारत में पादप आनुवंशिक संसाधनों के प्रबंधन के लिये एक नोडल संगठन है और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के नियंत्रण में कार्य करता है।
  • यह अपने नेशनल जीन बैंक (NGB) में -20 डिग्री सेल्सियस पर दीर्घकालिक संरक्षण के लिये बीज जर्मप्लाज्म (Seed Germplasm) का संरक्षण कर रहा है।
  • आनुवांशिक संसाधनों का गैर-स्थानिक संरक्षण जीन बैंकों एवं बीज बैंकों द्वारा किया जाता है। ‘राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो’ (NBPGR), नई दिल्ली फसल के पौधों के जीन पूल तथा उगाई जाने वाली किस्मों के बीजों को संरक्षित रखता है। 

राष्ट्रीय एटलस एंड थिमैटिक मानचित्रण संगठन

National Atlas and Thematic Mapping Organisation

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत ‘राष्ट्रीय एटलस एंड थिमैटिक मानचित्रण संगठन’ (National Atlas and Thematic Mapping Organisation- NATMO) ने एक डैशबोर्ड की शुरुआत की है जो देश में COVID-19 की स्थिति का विश्लेषण करके जानकारी देता है।

प्रमुख बिंदु:

  • COVID-19 से संबंधित मौतों की संख्या, सक्रिय मामले एवं पता लगाए गए संक्रमित व्यक्तियों की सामान्य जानकारी के अलावा इस डैशबोर्ड में पाई-चार्ट, ग्राफ का भी प्रयोग किया गया है जो कोरोनोवायरस से संबंधित जानकारी को सरल तरीके से समझाते हैं।

राष्ट्रीय एटलस एंड थिमैटिक मानचित्रण संगठन’

(National Atlas and Thematic Mapping Organisation- NATMO):

  • NATMO, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science & Technology) के अधीनस्थ विभाग ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग’ के अंतर्गत कार्य करता है।
  • अपनी स्थापना के बाद से यह एकमात्र राष्ट्रीय एजेंसी है जो विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये विषयगत मानचित्रों एवं एटलस के रूप में राष्ट्रीय फ्रेमवर्क डेटा को चित्रित करने की ज़िम्मेदारी वहन करती है।
  • NATMO एक विशिष्ट संस्थान होने के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर कार्टोग्राफिक एवं भौगोलिक शोध भी करता है।

NATMO के मुख्य कार्य: 

  • हिंदी, अंग्रेजी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भारत के राष्ट्रीय एटलस का संकलन करना। 
  • सामाजिक-आर्थिक, भौतिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण, जनसांख्यिकीय और अन्य मुद्दों के आधार पर विषयगत मानचित्र तैयार करना।
  • दृष्टिबाधितों के लिये मानचित्र/एटलस तैयार करना।
  • रिमोट सेंसिंग, जीपीएस और जीआईएस तकनीक का उपयोग करके डिजिटल मैपिंग और प्रशिक्षण। 
  • अनुसंधान एवं विकास।

रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी

Raman Spectroscopy

हाल ही में मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर की एक टीम ने लार के नमूनों में मौजूद RNA वायरस का पता लगाने के लिये रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी (Raman Spectroscopy) का प्रयोग किया।

Raman-Spectroscopy

प्रमुख बिंदु:

  • इस अवधारणात्मक अध्ययन में किसी भी अतिरिक्त अभिकर्मक का उपयोग किये बिना पारंपरिक रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग करके गैर-संक्रामक RNA वायरस का विश्लेषण किया जाएगा। 

रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी:

  • यह एक गैर-विनाशकारी रासायनिक विश्लेषण तकनीक है। यह पदार्थ की रासायनिक संरचना, अवस्था तथा बहुरूपता, क्रिस्टलीयता एवं आणविक प्रतिक्रियाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करती है। 
  • यह पदार्थ के रासायनिक बंधो (Chemical Bonds) के साथ प्रकाश की पारस्परिक क्रिया पर आधारित है।
  • रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी, फोटॉन के अप्रत्यास्थ प्रकीर्णन ( Inelastic Scattering) पर निर्भर करता है जिसे रमन प्रकीर्णन (Raman Scattering) के रूप में जाना जाता है।
  • प्रत्येक रासायनिक पदार्थ का अपना एक विशिष्ट रमन स्पेक्ट्रम होता है और किसी पदार्थ के रमन स्पेक्ट्रम को देखकर उन पदार्थों के भौतिक एवं रासायनिक गुणों की पहचान की जा सकती है। 

रमन प्रभाव (Raman Effect): 

  • रमन प्रभाव के अनुसार, प्रकाश की प्रकृति और स्वभाव में तब परिवर्तन होता है जब वह किसी पारदर्शी माध्यम से गुज़रता है। यह माध्यम ठोस, द्रव और गैसीय, कुछ भी हो सकता है। यह घटना तब घटती है जब माध्यम के अणु प्रकाश ऊर्जा के कणों को प्रकीर्णित कर देते हैं।
  • रमन प्रभाव के लिये सी.वी. रमन को वर्ष 1930 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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