भारत में उपचुनाव
हाल ही में पंजाब राज्य में एक लोकसभा सीट एवं उत्तर प्रदेश, मेघालय और ओडिशा में चार विधानसभा सीटों में उपचुनाव किये गए।
उपचुनाव:
- परिचय:
- उपचुनाव, जिसे विशेष चुनाव के रूप में भी जाना जाता है, भारत के विधायी निकायों में रिक्त सीटों को भरने के लिये आयोजित चुनावों को संदर्भित करता है।
- यह व्यापक चुनावी चक्र के भीतर एक महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में कार्य करता है और अप्रत्याशित रिक्तियों को संबोधित करके नियमित चुनावों को पूर्ण करता है।
- उद्देश्य:
- उपचुनावों का प्राथमिक उद्देश्य रिक्त सीटों की समय पर फाइलिंग सुनिश्चित करना है, जिससे विधायी निकाय में प्रभावित निर्वाचन क्षेत्र या ज़िले का प्रतिनिधित्व हो सके।
- परिस्थिति:
- उपचुनाव तब आयोजित किये जाते हैं जब विधायिका में कोई सीट निलंबन, इस्तीफे, अयोग्यता या मौजूदा सदस्य के निष्कासन जैसे कारणों से खाली हो जाती है।
- निर्धारित समय-सीमा:
- जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम, 1951 की धारा 151A निर्वाचनआयोग को संसद और राज्य विधानमंडलों के सदनों में आकस्मिक रिक्तियों की तारीख से छह महीने के भीतर उपचुनावों के माध्यम से भरने हेतु अधिदेशित करती है, बशर्ते कि कार्यकाल की शेष अवधि एक वर्ष या उससे अधिक हो।
- इसलिये यदि लोक सभा की शेष अवधि सीट खाली होने की तारीख से एक वर्ष से कम है तो उपचुनाव कराने की कोई आवश्यकता नहीं है।
- प्रभाव:
- राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभाव: उपचुनाव अक्सर राजनीतिक दलों और उनकी लोकप्रियता के लिये एक लिटमस टेस्ट के रूप में काम करते हैं।
- वे पार्टियों को जनता की भावनाओं का सम्मान करने और उनके समर्थन के आधार का आकलन करने का अवसर प्रदान करते हैं।
- सरकार के बहुमत पर प्रभाव: उपचुनाव के नतीजे सत्तारूढ़ सरकार के बहुमत को प्रभावित कर सकते हैं।
- यदि सत्तारूढ़ दल उपचुनावों में महत्त्वपूर्ण संख्या में सीटें खो देता है, तो इससे विधायी निकाय में बहुमत का नुकसान हो सकता है जो सरकार की स्थिरता और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
- चुनावी रणनीतियों का परीक्षण: उपचुनाव राजनीतिक दलों को अपनी चुनावी रणनीतियों का परीक्षण करने और अपने अभियान के दृष्टिकोण को सुनिश्चित करने के लिये एक अवसर प्रदान करते हैं।
- पार्टियाँ उपचुनावों के दौरान उम्मीदवारों के चयन, अभियान के विषयों और संदेश के साथ उचित प्रयोग कर सकती हैं, जो बाद के चुनावों में उनकी रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |
स्रोत: द हिंदू
सक्षम- LMIS
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक लर्निंग मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (LMIS), सक्षम (स्टिम्युलेटिंग एडवांस्ड नॉलेज फॉर सस्टेनेबल हेल्थ मैनेजमेंट) की शुभारंभ की है।
सक्षम (SAKSHAM):
- परिचय:
- सक्षम देश भर के सभी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को ऑनलाइन प्रशिक्षण और चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने के लिये एक व्यापक डिजिटल शिक्षा मंच के रूप में कार्य करता है।
- विकास:
- यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान (National Institute of Health & Family Welfare- NIHFW) द्वारा विकसित किया गया है
- यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान (National Institute of Health & Family Welfare- NIHFW) द्वारा विकसित किया गया है
- उद्देश्य:
- इस मंच का उद्देश्य ग्रामीण और दूरस्थ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने वालों से लेकर महानगरों के तृतीयक देखभाल एवं कॉर्पोरेट अस्पतालों में काम करने वाले स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच समावेशी क्षमता निर्माण सुनिश्चित करना है।
- कवरेज:
- वर्तमान में सक्षम (SAKSHAM) ऑनलाइन मोड के माध्यम से सुलभ 200 से अधिक सार्वजनिक स्वास्थ्य और 100 नैदानिक पाठ्यक्रमों की सुविधा प्रदान करता है।
- संभावना:
- सक्षम को प्रशिक्षण और शिक्षण सामग्री के लिये एक केंद्रीकृत संसाधन भंडार के रूप में विकसित किया जाएगा।
- यह देश में प्रशिक्षित स्वास्थ्य पेशेवरों के केंद्रीय डेटाबेस के रूप में भी कार्य करेगा।
- सक्षम को प्रशिक्षण और शिक्षण सामग्री के लिये एक केंद्रीकृत संसाधन भंडार के रूप में विकसित किया जाएगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान:
- स्थापना: NIHFW की स्थापना 9 मार्च, 1977 को स्वायत्त स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत की गई थी।
- शासनादेश: NIHFW का प्राथमिक उद्देश्य देश में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिये थिंक टैंक के रूप में कार्य करना है।
- यह स्वास्थ्य पेशेवरों, अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं जैसे- मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता (आशा), सहायक नर्स मिडवाइफ (ANM) और अन्य केंद्रीय एवं राज्य अधिकारियों तथा स्वास्थ्य कर्मचारियों के प्रशिक्षण के माध्यम से क्षमता निर्माण हेतु प्रमुख संगठन भी है।
स्रोत: पी.आई.बी.
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 मई, 2023
शंघाई सहयोग संगठन स्टार्टअप फोरम 2023
हाल ही में भारत के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग, वाणिज्य मंत्रालय ने नई दिल्ली में पहली बार भौतिक रूप से शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization- SCO) स्टार्टअप फोरम का आयोजन किया। इस आयोजन ने स्टार्टअप इंडिया पहल के तीसरे संस्करण को चिह्नित किया जिसका उद्देश्य SCO सदस्य राज्यों के बीच स्टार्टअप इंटरैक्शन का विस्तार करना, नवाचार को बढ़ावा देना, रोज़गार उत्पन्न करना एवं युवा प्रतिभाओं को अभिनव समाधान विकसित करने हेतु प्रोत्साहित करना है। यह आयोजन सहयोग तथा उद्यमिता को बढ़ावा देने, सामान्य मंच बनाने व SCO देशों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर केंद्रित था। 'स्टार्टअप इकोसिस्टम विकसित करने में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय जुड़ाव की भूमिका' पर कार्यशाला का उद्देश्य इन देशों के बीच घनिष्ठ संबंध बनाना एवं स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देना है। SCO वर्ष 2001 में स्थापित एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। इसका उद्देश्य यूरेशियन क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखना है। SCO में नौ सदस्य देश हैं तथा इसे नाटो के प्रतिकार के रूप में देखा जाता है। इसकी आधिकारिक भाषाएँ रूसी एवं चीनी हैं। SCO की उत्पत्ति वर्ष 1996 में कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस और ताजिकिस्तान के साथ गठित शंघाई फाइव में देखी जा सकती है। वर्ष 2001 में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद यह SCO के रूप में स्थापित हुआ। भारत तथा पाकिस्तान वर्ष 2017 में शामिल हुए, इसके अलावा ईरान वर्ष 2023 में स्थायी सदस्य बनने हेतु तैयार है।
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एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान हेतु आयुष मंत्रालय और ICMR के बीच सहयोग
आयुष मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भारत में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान को बढ़ावा देने और सहयोग के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं। यह सहयोग आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करते हुए साक्ष्य सृजन हेतु प्रभावी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये स्वास्थ्य देखभाल में राष्ट्रीय महत्त्व के चिह्नित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह समझौता ज्ञापन आयुष शोधकर्त्ताओं के प्रशिक्षण के माध्यम से अनुसंधान क्षमता को भी सुदृढ़ बनाएगा। पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा का एकीकरण सरकार की प्राथमिकता है तथा इसे सहयोग को दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों के संयुक्त सह-वित्तपोषण के साथ सभी एम्स में समेकित स्वास्थ्य हेतु आयुष- ICMR उन्नत अनुसंधान केंद्रों की स्थापना करने में सक्षम बनाएगा। इसके अतिरिक्त वे सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान पर कार्य करने की संभावना तलाशेंगे, राष्ट्रीय गंभीर रोगों को दूर करने के लिये पहल करेंगे, राष्ट्रीय महत्त्व के चिह्नित क्षेत्रों/रोग स्थितियों पर संयुक्त रूप से उच्च गुणवत्तापूर्ण नैदानिक परीक्षण का संचालन करने की संभावनाओं की खोज करेंगे। दोनों पक्षों ने एक संयुक्त कार्य समूह की स्थापना करने पर सहमति व्यक्त की है जो सहयोग हेतु आगे की संभावनाओं की खोज तथा संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को तैयार करने एवं उसे कार्यान्वित करने के लिये संयुक्त पर्यवेक्षण की अनुमति देगा।
गंगा एक्सप्रेसवे
उत्तर प्रदेश सरकार का उद्देश्य भारत की सबसे बड़ी एक्सप्रेसवे परियोजनाओं में से एक, 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे (NH-334) को तय समय से एक वर्ष पूर्व दिसंबर 2024 तक पूर्ण करना है। इसे शीघ्र समाप्त करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जनवरी, 2025 में प्रयागराज में होने वाले अगले महाकुंभ मेले से पूर्व यह एक्सप्रेसवे जनता के लिये खुल जाए। उत्तर प्रदेश का गंगा एक्सप्रेसवे, भारत में एक महत्त्वपूर्ण एक्सप्रेसवे परियोजना है। इस परियोजना का निर्माण अडानी एंटरप्राइज़ेज़ और IRB इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स के साथ मिलकर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के रूप में किया जा रहा है। चार खंडों में विभाजित यह एक्सप्रेसवे 12 ज़िलों से होते हुए मेरठ को प्रयागराज से जोड़ेगा। जिस पर 36,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। समय से पूर्व परियोजना को पूर्ण करने के लिये विकासकर्त्ताओं को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया गया है। गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना, क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार और परिवहन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
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पुरुषों की विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप
भारत के प्रधानमंत्री ने ताशकंद में आयोजित पुरुषों की विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप में दीपक भोरिया, हुसामुद्दीन और निशांत देव को उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि के लिये बधाई दी है। इन खिलाड़ियों ने प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भारत के अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ तीन पदक सुनिश्चित करके इतिहास रच दिया है। दीपक भोरिया (51 किग्रा.) ने रजत, हुसामुद्दीन (57 किग्रा.) और निशांत देव (71 किग्रा.) ने सेमीफाइनल में कांस्य पदक जीते। पुरुषों की विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप, उज़्बेकिस्तान में (30 अप्रैल से 14 मई, 2023 तक) आयोजित की जा रही है। यह एक प्रमुख आयोजन है जिसमें जीत और सम्मान का दावा करने के लिये विश्व भर के 400 से अधिक मुक्केबाज़ 13 भार वर्गों में प्रतिस्पर्द्धा करते हैं। इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन (IBA) और बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ उज़्बेकिस्तान द्वारा उज़्बेकिस्तान सरकार के सहयोग से आयोजित यह टूर्नामेंट न केवल शीर्ष-स्तरीय मुक्केबाज़ी कौशल का प्रदर्शन है, बल्कि जीवंत संस्कृति और आतिथ्य का उत्सव मनाने के लिये एक मंच के रूप में भी कार्य करता है।
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