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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 12 Mar, 2025
  • 6 min read
रैपिड फायर

प्राचीन प्रस्तर एवं हड्डियों से निर्मित औज़ार

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि प्राचीन पूर्वजों ने 1.5 मिलियन वर्ष पूर्व हड्डी के औज़ारों का उपयोग करते थे, जो कि अनुमान से लगभग 1 मिलियन वर्ष पूर्व की बात थी, जिसने इस विचार को चुनौती दी कि औज़ार बनाना मनुष्यों के लिये अद्वितीय था।

  • औज़ार निर्माण की उत्पत्ति: सबसे प्राचीन प्रस्तर के औज़ार (3.3 मिलियन वर्ष) और हड्डी के औज़ार (1.5 मिलियन वर्ष) से ​​यह संकेत मिलता है कि औज़ारों का प्रयोग होमो से भी पूर्व का है और संभवतः पूर्व के मानवों द्वारा इसका प्रयोग किया जाता था।
    • यह तर्क दिया जाता है कि औज़ार निर्माण के लिये वैचारिक विचार की आवश्यकता होती है और यह केवल मनुष्यों के लिये ही है। 
  • मानव विकास का जीवाश्म: वर्ष 1974 में खोजा गया, 3.2 मिलियन वर्ष पुराना मानव पूर्वज लूसी ने विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, संभवतः उसने औज़ारों के लिये अपने हाथों का उपयोग किया था।

भारत के मानव इतिहास में प्रस्तर के औज़ार:

अवधि 

औज़ार और प्रौद्योगिकी

प्रमुख स्थल

निम्न पुरापाषाण काल (600,000 – 150,000 ईसा पूर्व)

हाथ की कुल्हाड़ी, क्लीवर, चॉपर (काटने, छीलने के लिये)

बोरी (महाराष्ट्र), सोन और सोहन घाटियाँ (पंजाब), डीडवाना (राजस्थान), भीमबेटका (मध्य प्रदेश)

मध्य पुरापाषाण काल (150,000 – 35,000 ईसा पूर्व)

फ्लेक्स, ब्लेड, पॉइंट, बोरर, स्क्रेपर्स (छोटे प्रस्तर के टुकड़ों से)

नर्मदा घाटी, बेलन घाटी (उत्तर प्रदेश), तुंगभद्रा क्षेत्र (दक्षिण भारत)

उच्च पुरापाषाण काल (35,000 – 10,000 ईसा पूर्व)

ब्लेड, ब्यूरिन, स्क्रेपर्स (अधिक परिष्कृत और विविध)

भीमबेटका (मध्य प्रदेश), कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात रेत के टीले

मध्यपाषाण युग (9000 – 4000 ईसा पूर्व)

माइक्रोलिथ (छोटे प्रस्तर के औज़ार, जिन्हें प्रायः मिश्रित औज़ार के रूप में उपयोग किया जाता है)

बागोर (राजस्थान), आदमगढ़ (मध्य प्रदेश), कृष्णा नदी के दक्षिण में

नवपाषाण युग (7000 – 5500 ईसा पूर्व)

आयताकार कुल्हाड़ियाँ, पॉलिश प्रस्तर की कुल्हाड़ियाँ

मेहरगढ़ (बलूचिस्तान), बुर्ज़होम (कश्मीर), गुफकराल (कश्मीर), सेनुवार (बिहार)

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चर्चित स्थान

उत्तरी सागर

स्रोत: डाउन टू अर्थ

उत्तरी सागर में विषैले रसायन ले जा रहा एक मालवाहक जहाज़ एक अमेरिकी सैन्य-चार्टर्ड तेल टैंकर से टकरा गया।

उत्तरी सागर:

  • अवस्थिति: यह ब्रिटिश द्वीपों एवं उत्तर-पश्चिमी यूरोप की मुख्य भूमि के बीच स्थित है जो अटलांटिक महासागर का उथला, उत्तरपूर्वी विस्तार है।
    • यह डोवर जलडमरूमध्य और इंग्लिश चैनल द्वारा अटलांटिक महासागर से तथा स्केगराक और कैटेगाट द्वारा बाल्टिक सागर से जुड़ा हुआ है।
    • उत्तरी सागर का सबसे गहरा बिंदु नॉर्वेजियन ट्रेंच (725 मीटर) है।
  • सीमाएँ: यूनाइटेड किंगडम, नॉर्वे, डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैंड, बेल्जियम और फ्राँस से घिरा हुआ।
  • आर्थिक महत्त्व: यूरोप के लिये प्रमुख व्यापार मार्ग, जो UK, स्कैंडिनेविया और मुख्य भूमि यूरोप के प्रमुख बंदरगाहों को जोड़ता है।
    • वर्ष 1958 के जिनेवा कन्वेंशन ने महाद्वीपीय शेल्फ पर देशों के अधिकारों को स्थापित किया, जिससे उत्तरी सागर में अन्वेषण संभव हो सका, जो व्यापक अपतटीय ड्रिलिंग के साथ तेल और गैस से समृद्ध है।

North_Sea

और पढ़ें: यूनाइटेड किंगडम की उत्तरी सागर में ड्रिलिंग


रैपिड फायर

अभ्यास धर्म गार्जियन का छठा संस्करण

स्रोत: डी.डी.न्यूज़

भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास, धर्म गार्जियन का छठा संस्करण जापान में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

Japan

और पढ़ें: भारत-जापान फोरम 2024


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