प्रिलिम्स फैक्ट्स (11 Jul, 2024)



IIT-M टीम ने जल की बूंदों से बनाए मिनरल नैनोपार्टिकल्स

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि जल की सूक्ष्म बूंदों में मिनरल (खनिज) को नैनोपार्टिकल्स में तोड़ने की क्षमता होती है।

नोट: सूक्ष्म बूंदों (Microdroplets) के गुण: 

  • जल की सूक्ष्म बूंदें सामान्य वर्षा की बूंदों की तुलना में अत्यधिक छोटी होती हैं, जो वर्षा की बूंद के आकार का केवल एक हज़ारवाँ भाग होती हैं।
  • ये सूक्ष्म बूंदें अपनी घनीभूत प्रकृति के कारण बल्क वाटर की तुलना में रासायनिक प्रतिक्रियाओं में भाग लेने के लिये अधिक उत्सुकता प्रदर्शित करती हैं।
  • सूक्ष्म बूंदें अत्यधिक तीव्रता से रासायनिक अभिक्रिया कर सकती हैं, बल्क वाटर की तुलना में दस लाख गुना अधिक तीव्रता से।
  • ये विद्युत आवेश के उत्कृष्ट वाहक के रूप में कार्य करते हैं।

अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • प्रयोगात्मक निष्कर्ष:
    • अध्ययन से पता चला कि सूक्ष्म बूंदें सिलिका (SiO2) तथा एल्यूमिना (Al2O3) जैसे मिनरल्स को नैनोपार्टिकल्स में तोड़ सकती हैं।
    • यह जल में निलंबित मिनरल सूक्ष्म कणों पर उच्च वोल्टेज़ प्रवाहित करके प्राप्त किया गया, जिससे वे 10 मिलीसेकंड के भीतर नैनोपार्टिकल्स में टूट गए।
    • मिनरल सूक्ष्म कणों का नैनोपार्टिकल्स में टूटना क्रिस्टल परतों में प्रोटॉन के सिकुड़ने, आवेशित सतहों द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्रों और साथ ही सूक्ष्म बूंदों की पृष्ठ तनाव के कारण हो सकता है।
  • संभावित अनुप्रयोग:
    • नैनोपार्टिकल्स निर्माण की इस प्रक्रिया के कृषि पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव हो सकते हैं, जैसे सिलिका नैनोपार्टिकल्स की आपूर्ति करके अनुत्पादक मिट्टी को उत्पादक भूमि में परिवर्तित करना।
      • पौधे अपनी लंबाई बढ़ाने के लिये नैनोपार्टिकल्स के रूप में सिलिका को अवशोषित करते हैं।
    • यह जीवन की उत्पत्ति से भी संबंधित है, क्योंकि सूक्ष्म बूंदें प्रोटो-कोशिकाओं की नकल कर सकती हैं, जो संभावित रूप से प्रारंभिक जैव-रासायनिक प्रतिक्रियाओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
    • भविष्य में होने वाले अनुसंधान में यह देखा जा सकता है कि क्या जल की सूक्ष्म बूंदें वायुमंडलीय प्रक्रियाओं में मिनरल्स के साथ स्वाभाविक रूप से प्रतिक्रिया करती हैं तथा संभावित रूप से 'सूक्ष्म बूंदों की बौछार' के माध्यम से नैनोपार्टिकल्स का निर्माण करती हैं।

नैनोपार्टिकल्स क्या हैं?

  • अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO), नैनोपार्टिकल्स ( NPs) को नैनो-ऑब्जेक्ट्स के रूप में परिभाषित करता है, जिनमें नैनोस्केल में सभी बाह्य आयाम होते हैं, जहाँ नैनो-ऑब्जेक्ट की सबसे लंबी एवं सबसे छोटी अक्षों की लंबाई में महत्त्वपूर्ण अंतर नहीं होता है।
  • यदि आयामों में अत्यधिक अंतर हो (आमतौर पर तीन गुना से अधिक), तो नैनोफाइबर अथवा नैनोप्लेट्स जैसे शब्दों को NPs शब्द की तुलना में प्राथमिकता दी जा सकती है।
  • NPs विभिन्न आकार, आकार और संरचना के हो सकते हैं। वे गोलाकार, बेलनाकार, शंक्वाकार, ट्यूबलर, खोखले कोर, सर्पिल आदि या अनियमित हो सकते हैं।
    • NPs का आकार 1 से 100 nm तक कहीं भी हो सकता है। यदि NPs का आकार 1 nm से कम हो जाता है, तो आमतौर पर परमाणु क्लस्टर शब्द को प्राथमिकता दी जाती है। NPs एकल या मल्टी-क्रिस्टल ठोस या किसी अन्य किसी अवस्था साथ क्रिस्टलीय हो सकते हैं। NPs ढीले या कठोर अवस्था में हो सकते हैं।
  • NPs एकसमान हो सकते हैं, या कई परतों से बने हो सकते हैं। 
  • वर्गीकरण: उनकी संरचना के आधार पर NPs को आमतौर पर तीन वर्गों में रखा जाता है, अर्थात् कार्बनिक, कार्बन-आधारित और अकार्बनिक। 
  • अनुप्रयोग: चिकित्सा, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि, खाद्य उद्योग आदि में।

जल की बूंदें बनाम जलवाष्प

विशेषता

पानी की बूंदें

जलवाष्प

भौतिक अवस्था

तरल

गैस

दृश्यता

दृश्यमान

अदृश्य

निर्माण

जलवाष्प का संघनन

जल का वाष्पीकरण

उदाहरण

बारिश, कोहरा, धुंध, ओस, बादल

आर्द्र दिन पर हवा, भाप

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. परासूक्ष्मकण (नैनोपार्टिकल्स), मानव-निर्मित होने के सिवाय, प्रकृति में अस्तित्त्व में नहीं हैं।
  2. कुछ धात्विक ऑक्साइडों के परासूक्ष्मकण, प्रसाधन-सामग्री (कॉस्मेटिक्स) के निर्माण में काम आते हैं।
  3. कुछ वाणिज्यिक उत्पादों के परासूक्ष्मकण, जो पर्यावरण में आ जाते हैं, मनुष्यों के लिये असुरक्षित हैं।

उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 3
(c) 1 और 2
(d) 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. विभिन्न उत्पादों के विनिर्माण में उद्योग द्वारा प्रयुक्त होने वाले कुछ रासायनिक तत्त्वों के नैनो-कणों के बारे में कुछ चिंता है। क्यों? (2014)

  1. वे पर्यावरण में संचित हो सकते हैं तथा जल और मृदा को संदूषित कर सकते हैं।
  2. वे खाद्य शृंखलाओं में प्रविष्ट हो सकते हैं।
  3. वे मुक्त मूलकों के उत्पादन को विमोचित कर सकते हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता दिवस

स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स

वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता दिवस (Global Energy Independence Day), जो हर वर्ष 10 जुलाई को विश्व स्तर पर मनाया जाता है, ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और स्थिरता प्राप्त करने के लिये प्रयासरत देशों हेतु एक महत्त्वपूर्ण क्षण है।

  • यह व्यक्तियों, व्यवसायों और सरकारों के लिये एक कार्रवाई का आह्वान है कि वे गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम करने तथा स्वच्छ, अधिक टिकाऊ ऊर्जा समाधानों को अपनाने के महत्त्व को पहचानें।
  • इसके बाद से इसे विश्व भर में व्यापक मान्यता मिल गई है और यह ऊर्जा स्वायत्तता तथा विभिन्न प्रकार के टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
  • वर्ष 2024 का विषय, "ऊर्जा परिवर्तन अभी: भविष्य को अपनाएँ", टिकाऊ ऊर्जा प्रथाओं को अपनाने की तात्कालिकता और महत्त्व को दर्शाता है।
  • जलवायु परिवर्तन में तेज़ी आने तथा ऊर्जा की मांग बढ़ने के साथ, यह दिन सतत् ऊर्जा के लिये नवाचार और प्रतिबद्धता की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता की याद दिलाता है।

और पढ़ें: वैश्विक ऊर्जा इक्विटी


भारत-यूएई संयुक्त रक्षा सहयोग समिति की 12वीं बैठक

स्रोत: पी.आई.बी. 

हाल ही में भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच संयुक्त रक्षा सहयोग समिति (JDCC) की 12वीं बैठक अबू धाबी में आयोजित की गई, जिसमें दोनों देशों के बीच रक्षा तथा सुरक्षा सहयोग को और विस्तृत करने के लिये वार्ता की गई।

  • दोनों देशों के बीच भागीदारी को सुदृढ़ करने हेतु व्यापक दृष्टिकोण प्रदर्शित करते हुए बैठक में प्रशिक्षण, संयुक्त अभ्यास, रक्षा औद्योगिक सहयोग और अनुसंधान एवं विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया गया। 
    • भारत और संयुक्त अरब अमीरात संयुक्त रक्षा सहयोग समिति की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी। शुरुआत से लेकर अब तक कुल 11 दौर की बैठकें संपन्न हो चुकी हैं। इस बैठक से संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत के रक्षा एवं सुरक्षा संबंधों को और अधिक विस्तार देने का अवसर प्राप्त हुआ।
    • भारत-संयुक्त अरब अमीरात रक्षा सहयोग:
  • UAE अरब प्रायद्वीप पर स्थित है जो ओमान की खाड़ी और फारस की खाड़ी की सीमा पर स्थित है। इसकी सीमा दक्षिण और पश्चिम में सऊदी अरब तथा दक्षिण-पूर्व में ओमान से लगती है जबकि कतर इसके उत्तर-पश्चिम में स्थित है।
    • ईरान और ओमान के साथ UAE, होर्मुज़ जलडमरूमध्य के साथ एक तटरेखा साझा करता है जो इसे इस रणनीतिक जलमार्ग की सीमा से लगे तीन देशों में से एक बनाता है।
    • UAE एक संघीय सर्वोच्च परिषद द्वारा शासित है जो सात अमीरात से मिलकर बना है: अबू धाबी (सबसे बड़ा अमीरात), दुबई, अजमान, फुजैराह, शारजाह, रस अल-खैमाह और उम्म अल-कैवेन।

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और पढ़ें: भारत-संयुक्त अरब अमीरात संबंध


ग्रोयनेस

स्रोत: द हिंदू

ग्रोयनेस लकड़ी या कंक्रीट से बनी निचली संरचनाएँ हैं जो समुद्र तट से दूर स्थित होती हैं।

  • इन्हें तलछट को रोकने, तरंग ऊर्जा को नष्ट करने तथा तटीय बहाव के माध्यम से तलछट को समुद्र तट से दूर स्थानांतरित होने से रोकने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • दीर्घतटीय/लॉन्गशोर बहाव तब होता है जब प्रचलित पवनें, लहरों को तट के एक ऐसे कोण पर पहुँचती हैं जो समुद्र तट पर तलछट को प्रवाहित करती हैं।
    • ग्रोयनेस तट पर कटाव/क्षरण की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं।
  • वे पारगम्य अथवा अपारगम्य भी हो सकते हैं; पारगम्य ग्रोयनेस कुछ तटीय बहाव के साथ कुछ गाद को गुज़रने की अनुमति देते हैं।
    • हालाँकि अपारगम्य ग्रोयनेस ठोस होते हैं और किसी भी तलछट के स्थानांतरण को रोक सकते हैं।
  • वे अल्पावधि में समुद्र तट की सुरक्षा करने में अत्यधिक प्रभावी होते हैं, क्योंकि वे कुछ दीर्घावधि सॉफ्ट इंजीनियरिंग विधियों की तुलना में तत्काल प्रभावी होते हैं।
    • हालाँकि वे अपनी लगातार घुसपैठ के कारण तटरेखा के अन्य भागों में भी समस्या उत्पन्न कर सकते हैं।

और पढ़ें: तटीय क्षरण


विश्व जनसंख्या दिवस 2024

स्रोत: द हिंदू

विश्व जनसंख्या दिवस हर साल 11 जुलाई को वैश्विक जनसंख्या मुद्दों और प्रजनन स्वास्थ्य तथा अधिकारों के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये मनाया जाता है। इसकी स्थापना वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी।

  • इतिहास:
    • वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने जनसंख्या संबंधी मुद्दों की तात्कालिकता और महत्त्व पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने के लिये 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में नामित करने का प्रस्ताव रखा।
    • UNDP 11 जुलाई 1987 को "पाँच अरब दिवस" ​​द्वारा बनाई गई सार्वजनिक रुचि और जागरूकता से प्रेरित था, जब दुनिया की आबादी 5 अरब तक पहुँच गई थी।
  • विषयवस्तु (Theme):
    • इस वर्ष 2024 विश्व जनसंख्या दिवस का विषय है "किसी को पीछे न छोड़ें, सभी की गिनती करें (Leave no one behind, count everyone)"।
  • वर्ष 2011 में, वैश्विक जनसंख्या 7 बिलियन के आँकड़े तक पहुँच गई, वर्ष 2021 में यह लगभग 7.9 बिलियन है और वर्ष 2030 में इसके लगभग 8.5 बिलियन, वर्ष 2050 में 9.7 बिलियन और 2100 में 10.9 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है।
    • संयुक्त राष्ट्र के विश्व जनसंख्या डैशबोर्ड के अनुसार, वर्ष 2024 तक भारत की जनसंख्या 1.428 अरब से कुछ अधिक होगी।

और पढ़ें: विश्व जनसंख्या दिवस