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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 10 Sep, 2021
  • 13 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट: 10 सितंबर, 2021

भारतीय दूतावासों/मिशनों में आत्मनिर्भर कॉर्नर

Atmanirbhar Corner in Indian Missions

भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India- TRIFED) विदेश मंत्रालय के सहयोग से विश्व भर में स्थित 100 भारतीय मिशनों/दूतावासों में आत्मनिर्भर भारत कॉर्नर स्थापित करने की योजना बना रहा है।

  • स्वतंत्रता दिवस पर थाईलैंड के बैंकॉक में भारतीय दूतावास में पहले आत्मनिर्भर भारत कॉर्नर का उद्घाटन किया गया।
  • ट्राइफेड एक राष्ट्रीय स्तर का शीर्ष संगठन है जो जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है। यह वन धन कार्यक्रम, एमएफपी के लिये एमएसपी और ट्राइफूड जैसी योजनाओं में शामिल है।

प्रमुख बिंदु 

  • आत्मनिर्भर भारत कॉर्नर:
    • प्राकृतिक और जैविक उत्पादों के अलावा GI टैग (भौगोलिक संकेत) प्राप्त करने वाले आदिवासी कला और शिल्प उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये आत्मनिर्भर कॉर्नर का एक विशेष स्थान होगा।
  • भौगोलिक संकेत:
    • भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है। इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है। इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।  
    • जीआई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिये पेरिस कन्वेंशन (Paris Convention for the Protection of Industrial Property) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।
    • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है।
    • वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of goods ‘Registration and Protection’ act, 1999) के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ।
    • वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है। 
      • भारत के लिये भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री चेन्नई में स्थित है।
      • भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिये वैध होता है। इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।
  • अन्य संबंधित पहलें: आदि महोत्सव, गो ट्राइबल अभियान, ट्राइब्स इंडिया आदि।

विश्व का सबसे उत्तरी द्वीप

World’s Northernmost Island

हाल ही में एक नए द्वीप की खोज की गई है जो ग्रीनलैंड के तट पर स्थित है।

Greenland

प्रमुख बिंदु:

  • 60×30 मीटर वाला और समुद्र तल से तीन मीटर की चोटी के साथ यह अब पृथ्वी पर भूमि का नया सबसे उत्तरी टुकड़ा बन गया है।
  • इससे पहले उडाक आईलैंड (Oodaaq) को पृथ्वी के सबसे उत्तरी क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया था।
  • इसका निर्माण समुद्र तल की मृदा और मलबे (Moraine) से हुआ है तथा इसमें कोई वनस्पति नहीं पाई जाती है।
  • शोधकर्त्ताओं ने सुझाव दिया है कि इस खोज का नाम 'क्यूकर्टाक अवन्नारलेक' (Qeqertaq Avannarleq) रखा जाए, जिसका अर्थ ग्रीनलैंडिक में “सबसे उत्तरी द्वीप” है।
  • यह खोज आर्कटिक देशों- संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, कनाडा, डेनमार्क और नॉर्वे के बीच उत्तरी ध्रुव के उत्तर में लगभग 700 किमी. तथा आसपास के समुद्र तल, मछली पकड़ने के अधिकार और जलवायु परिवर्तन के कारण बर्फ के पिघलने से उजागर मार्गों के नियंत्रण के लिये एक चुनौती के रूप में सामने आई है। 
  • ग्लोबल वार्मिंग का ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर पर गंभीर प्रभाव हो सकता है, हालाँकि नया द्वीप जलवायु परिवर्तन का प्रत्यक्ष परिणाम नहीं है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 सितंबर, 2021

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन ऑफशोर विंड

भारत और डेनमार्क ने हाल ही में दोनों देशों के बीच हरित रणनीतिक साझेदारी के हिस्से के रूप में 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन ऑफशोर विंड' का शुभारंभ किया है। यह कदम इस लिहाज़ से काफी महत्त्वपूर्ण है कि ‘नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय’ ने वर्ष 2030 तक अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से 30 गीगावाट (GW) क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। भारत अपनी 7,600 किलोमीटर की तटरेखा के साथ विशाल पवन ऊर्जा क्षमता का उपयोग करके अपतटीय ऊर्जा शुल्कों को कम करने हेतु योजना बना रहा है। यह केंद्र प्रारंभ में चार कार्य समूहों  1) स्थानिक योजना; 2) वित्तीय फ्रेमवर्क की शर्तें; 3) आपूर्ति शृंखला अवसंरचना और 4) मानक एवं परीक्षण पर केंद्रित होगा। प्रारंभिक चरणों में यह ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ केवल अपतटीय पवन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करेगा, किंतु समय के साथ इसके कार्यक्षेत्र में भी विस्तार किया जाएगा। हरित ऊर्जा हेतु यह प्रयास ऐसे समय में किया जा रहा है, जब जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर-सरकारी पैनल ने कहा कि चरम मौसम की घटनाएँ भारत और दक्षिण एशिया में जीवन, आजीविका एवं व्यवसायों को काफी अधिक प्रभावित करेंगी। ज्ञात हो कि भारत एकमात्र G20 देश है, जिसके द्वारा की जा रही कार्रवाई तापमान में वैश्विक वृद्धि के संबंध में पेरिस जलवायु समझौते के अनुरूप है। 

झारखंड में जल आपूर्ति हेतु ADB के साथ समझौता 

हाल ही में भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (ADB) ने झारखंड राज्य के चार शहरों में आपूर्ति सेवा को बेहतर करने और जल आपूर्ति बुनियादी अवसंरचना के विकास एवं शहरी स्थानीय निकायों (ULB) की क्षमताओं को मज़बूती देने हेतु 11.2 करोड़ डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। यह समझौता मुख्य तौर पर झारखंड शहरी जल आपूर्ति सुधार परियोजना पर केंद्रित है। इस समझौते के माध्यम से राज्य की राजधानी रांची समेत आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में स्थित अन्य तीन शहरों हुसैनाबाद, झुमरी तलैया एवं मेदिनीनगर में पाइप के माध्यम से निरंतर उपचारित जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। राज्य में यह ADB की पहली शहरी परियोजना होगी। यह स्थायी परिचालन हेतु नीतिगत सुधारों के साथ सतत् जल आपूर्ति के लिये एक मॉडल स्‍थापित करने में मदद करेगी। राष्ट्रीय पेयजल गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हुए सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिये इस परियोजना के दायरे में आने वाले शहरों में प्रतिदिन 27.5 करोड़ लीटर की संयुक्त क्षमता वाले चार जल उपचार संयंत्र स्थापित किये जाएंगे। एशियाई विकास बैंक (ADB) एक क्षेत्रीय विकास बैंक है। इसकी स्थापना 19 दिसंबर, 1966 को हुई थी। ADB में कुल 68 सदस्य शामिल हैं।

‘राष्ट्रीय राजमार्ग-925A’ पर आपातकालीन लैंडिंग स्ट्रिप 

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में ‘भारतीय वायु सेना’ (IAF) के विमानों के लिये राजस्थान के बाड़मेर में ‘राष्ट्रीय राजमार्ग-925A’ में ‘गंधव भाकासर खंड’ पर एक आपातकालीन लैंडिंग स्ट्रिप का उद्घाटन किया है। यह पहली बार होगा जब देश के किसी ‘राष्ट्रीय राजमार्ग’ का उपयोग भारतीय वायुसेना के विमानों की आपातकालीन लैंडिंग के लिये किया जाएगा। तकरीबन 3 किलोमीटर लंबे इस आपातकालीन लैंडिंग खंड को ‘भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण’ (NHAI) ने भारतीय वायुसेना के लिये ‘NH-925A’ पर विकसित किया है। यह गगरिया-बखासर और सट्टा-गंधव खंड के नव विकसित दो लेन के ‘पेवड शोल्डर’ का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई तकरीबन 196.97 किलोमीटर है। ‘भारतमाला परियोजना’ के तहत विकसित इस आपातकालीन स्ट्रिप की लागत लगभग 765.52 करोड़ रुपए होगी। ज्ञात हो कि इससे पूर्व अक्तूबर 2017 में ‘भारतीय वायु सेना’ के लड़ाकू जेट और परिवहन विमानों ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर मॉक लैंडिंग करते हुए यह दर्शाया था कि राजमार्गों का उपयोग वायु सेना के विमानों द्वारा आपात स्थिति में लैंडिंग के लिये किया जा सकता है। 

‘मेडिसिन फ्रॉम द स्काई’ प्रोग्राम

तेलंगाना सरकार का 'मेडिसिन फ्रॉम द स्काई' कार्यक्रम 11 सितंबर को लॉन्च होने के लिये पूरी तरह तैयार है। इस परियोजना का उद्देश्य राज्य में चिकित्सा आपूर्ति शृंखला में सुधार हेतु वितरण के एक मोड के रूप में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देना है। इस परियोजना के प्रारंभिक चरण में वितरण केंद्रों से विशिष्ट स्थानों तक दवा पहुँचाने में ड्रोन प्रोद्योगिकी की मज़बूती और विश्वसनीयता का परीक्षण किया जाएगा। इसके माध्यम से दवाओं, टीकों, रक्त की इकाइयों, नैदानिक ​​नमूनों और अन्य जीवन रक्षक उपकरणों की डिलीवरी की जा सकेगी। यह आगे नीति निर्माताओं और स्वास्थ्य प्रणालियों को ड्रोन वितरण के अवसरों और चुनौतियों के साथ-साथ प्रतिस्पर्द्धी वितरण मॉडल और प्रौद्योगिकियों का विश्लेषण करने में सहायता करने का इरादा रखता है। इस परियोजना का नेतृत्व ‘विश्व आर्थिक मंच’, ‘नीति आयोग’ और ‘हेल्थनेट ग्लोबल’ (अपोलो हॉस्पिटल्स) के साथ साझेदारी में तेलंगाना सरकार के आईटी विभाग के तहत ‘इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज़ विंग’ द्वारा किया जा रहा है और इसका लक्ष्य ‘बियॉन्ड विज़ुअल लाइन ऑफ साइट’ (BVLOS) ड्रोन उड़ान शुरू करना है।


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