प्रारंभिक परीक्षा
एजियन सागर
हाल ही में तुर्की के राष्ट्रपति ने ग्रीस को एजियन सागर में द्वीपों से अपनी सेना हटाने की चेतावनी दी है।
विवाद का कारण:
- तुर्की का पक्षः
- तुर्की का कहना है कि ग्रीस, एजियन द्वीपों पर किसी भी प्रकार की सैन्य गतिवधियों पर प्रतिबंध की संधियों का उल्लंघन कर रहा है।
- तुर्की ने तर्क दिया कि द्वीपों पर किसी प्रकार की सैन्य गतिविधि न करने की शर्त पर इसे ग्रीस को सौंपा गया था।
- तुर्की का कहना है कि ग्रीस, एजियन द्वीपों पर किसी भी प्रकार की सैन्य गतिवधियों पर प्रतिबंध की संधियों का उल्लंघन कर रहा है।
- ग्रीस का पक्ष :
- ग्रीस का कहना है कि तुर्की ने जान-बूझकर संधियों की गलत व्याख्या की है और उसका यह भी कहना है कि शत्रुतापूर्ण कार्रवाइयों के बाद खुद का बचाव करने के लिये उसके पास कानूनी आधार हैं, जिसमें ग्रीस द्वारा अपने जलीय क्षेत्र की सीमा का विस्तार करने पर लंबे समय तक चलने वाले युद्ध की धमकी भी शामिल है।
- ग्रीस और तुर्की के बीच वर्तमान मतभेद उनके स्थल सीमा को लेकर नहीं बल्कि समुद्री क्षेत्र विस्तार को लेकर है।
- वर्तमान में दोनों देशों के पास एजियन सागर में छह समुद्री मील (11 किमी.) तक प्रादेशिक जल अधिकार है।
- समुद्र के अंतर्राष्ट्रीय कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) जो कि वर्ष 1982 में संपन्न हुआ, द्वारा 158 देशों ने इसकी पुष्टि की है, जिसमें कहा गया है कि प्रत्येक देश 12 मील (लगभग 20 किमी.) तक समुद्री जल अधिकार का दावा कर सकता है।
- संबंधित संधि:
- ग्रीस ने वर्ष 1912-13 के बाल्कन युद्धों में ओटोमन साम्राज्य से लिम्नोस, समोथ्रेस, लेसवोस, समोस, चियोस और इकारिया के द्वीपों को छीन लिया था।
- वर्ष 1923 की लॉज़ेन की संधि में इसे आधिकारिक तौर पर इन क्षेत्रों के लिये संप्रभु माना गया था।
- वर्ष1914 में लंदन में की गई एक अन्य संधि के तहत ग्रीक को द्वीपों पर नियंत्रण को उनके विसैन्यीकरण की शर्त पर सौंपा गया था।
- तुर्की के अनुसार, लॉज़ेनि की संधि वर्ष 1914 की संधि का संदर्भ देती है, इसका तात्पर्य उसी शर्त से है।
- ग्रीस उस व्याख्या को खारिज करता है।
- ग्रीस ने वर्ष 1912-13 के बाल्कन युद्धों में ओटोमन साम्राज्य से लिम्नोस, समोथ्रेस, लेसवोस, समोस, चियोस और इकारिया के द्वीपों को छीन लिया था।
एजियन सागर की मुख्य विशेषताएँ:
- एजियन सागर भूमध्य सागर का एक भाग है, जो पश्चिम में ग्रीक प्रायद्वीप और पूर्व में एशिया माइनर के बीच स्थित है।
- एजियन डार्डनेल्स, मार्मारा सागर और बोस्पोरस के जलडमरूमध्य के माध्यम से काला सागर से जुड़ा हुआ है, जबकि क्रेते द्वीप दक्षिण की सीमा को निर्धारित करता है।
विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं? (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (b) व्याख्या:
प्रश्न. भूमध्य सागर निम्नलिखित में से किन देशों की सीमा है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (c) व्याख्या:
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स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
सिरुमलाई पहाड़ियों में जैवविविधता पार्क: तमिलनाडु
तमिलनाडु सरकार डिंडीगुल ज़िले में सिरुमलाई पहाड़ी रेंज में एक जैवविविधता पार्क विकसित कर रही है।
- इसका मुख्य उद्देश्य पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र के सतत् प्रबंधन के लिये जागरूकता पैदा करना है।
मुख्य बिंदु :
- यह पार्क एक प्रकृति संरक्षक है जो क्षेत्र की प्राकृतिक विरासत को आश्रय देता है तथा इसका शैक्षिक और सांस्कृतिक मूल्य है, साथ ही यह पर्यावरण की गुणवत्ता में वृद्धि करता है।
- यहाँ पर विभिन्न जैवविविधता घटक जैसे- स्तनधारी, पक्षी, सरीसृप, उभयचर आदि पाए जाते हैं।
- पार्क के चारों ओर विभिन्न प्रकार के फूल वाले पौधे लगाए गए हैं तथा आवश्यक सिंचाई सुविधाएंँ प्रदान की गई हैं।
- तितलियों और मेज़बान पौधों को आकर्षित करने के लिये परागण पौधों के संयोजन की भी योजना बनाई गई है।
जैवविविधता पार्क:
- परिचय:
- जैवविविधता पार्क जंगल का एक अनूठा परिदृश्य है जहाँ एक क्षेत्र में जैविक समुदायों के रूप में देशी पौधों और जानवरों की प्रजातियों के पारिस्थितिकी को पुनः संयोजित किया जाता है।
- पार्क का अंतर्निहित सिद्धांत देशी वनस्पतियों और जीवों जो कि क्षेत्र की विशेषताएँ हैं, के साथ आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र को पुनः सृजित करना है।
- उद्देश्य:
- जैवविविधता और इसके महत्त्व के बारे में वन हितधारकों, जनता और छात्र समुदाय के बीच जागरूकता पैदा करना।
- पौधों की विविधता का सृजन करना जो मानव अस्तित्व के लिये संकटापन्न, संकटग्रस्त होने के साथ-साथ अत्यधिक मूल्यवान हैं।
- दुर्लभ और स्थानिक प्रजातियों सहित महत्त्वपूर्ण पौधों की प्रजातियों के साथ एक जीन बैंक का निर्माण करना।
- ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को कम करने के लिये स्वदेशी प्रजातियों के साथ भावी पीढ़ियों के लिये कार्बन सिंक बनाना।
- प्राकृतिक संसाधनों और इसके प्रबंधन के प्रति संरक्षण और अभिमूल्यन की संस्कृति को बढ़ावा देना।
- स्थानीय समुदायों के लिये आजीविका के अवसर पैदा करना, विशेष रूप से आदिवासी समुदाय जो अनादि काल से वन पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा रहे हैं।
सिरुमलाई हिल रेंज से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- परिचय:
- सिरुमलाई हिल्स तमिलनाडु के डिंडीगुल ज़िले में 60,000 एकड़ में फैला हुआ है।
- इन्हें पूर्वी घाटों का प्रेरक माना जाता है। ये डिंडीगुल शहर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से 400 से 1,650 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हैं।
- पहाड़ियाँ कई दुर्लभ और स्थानिक पौधों के भंडार के रूप में कार्य करती हैं।
- वनस्पति:
- निचली पहाड़ी शृंखला में अत्यधिक अशांत झाड़ीदार वन हैं, जबकि मध्य पहाड़ी शृंखला के प्रमुख भाग पर उष्णकटिबंधीय मिश्रित शुष्क पर्णपाती वन हैं।
- ऊँचाई पर अर्द्ध-सदाबहार वन स्थित हैं। वुडलैंड सवाना ऊँचाई पर ढलानों के साथ पाए जाते हैं।
- जंतु जगत:
- इस क्षेत्र में गौर, तेंदुआ, चित्तीदार हिरण, माउस डियर, बार्किंग डियर, सियार, सुस्त भालू, जंगली सूअर, भारतीय पैंगोलिन, स्लेंडर लोरिस और सरीसृप व एविफौना की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
स्रोत- डाउन टू अर्थ
प्रारंभिक परीक्षा
क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023
हाल ही में क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 जारी की गई है।
QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग:
- क्वाक्वेरेली साइमंड्स (QS) महत्त्वाकांक्षी पेशेवरों के लिये एक प्रमुख वैश्विक कॅॅरियर और शैक्षिक नेटवर्क है, जिसका लक्ष्य व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक विकास को आगे बढ़ाना है।
- क्यूएस, संस्थानों की गुणवत्ता की पहचान करने के लिये तुलनात्मक डेटा संग्रह और विश्लेषण के तरीकों को विकसित करके उन्हें सफलतापूर्वक लागू करता है।
- 'क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग' विश्वविद्यालय रैंकिंग का एक वार्षिक प्रकाशन है जिसमें वैश्विक समग्र और विषय रैंकिंग शामिल है।
- मूल्यांकन के लिये छह मापदंड और उनका भारांश:
- अकादमिक प्रतिष्ठा (40%)
- नियोक्ता प्रतिष्ठा (10%)
- संकाय/छात्र अनुपात (20%)
- उत्कृष्टता प्रति संकाय (20%)
- अंतर्राष्ट्रीय संकाय अनुपात (5%)
- अंतर्राष्ट्रीय छात्र अनुपात (5%)
प्रमुख बिंदु
- वैश्विक रैंकिंग:
- शीर्ष रैंक:
- अमेरिका का मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) लगातार 11वें साल टॉप यूनिवर्सिटी है।
- दूसरा स्थान कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय को मिला, इसके बाद स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय है।
- शीर्ष रैंक:
- भारतीय संस्थान:
- भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) को सर्वोच्च स्थान दिया गया, इसके बाद क्रमशः IIT बॉम्बे और IIT दिल्ली का स्थान है। वैश्विक स्तर पर शीर्ष 1,000 में भारतीय संस्थानों की कुल संख्या 22 से बढ़कर 27 हो गई है।
- IISc बंगलूरू दुनिया का शीर्ष अनुसंधान विश्वविद्यालय है, जिसने इस मीट्रिक के लिये 100/100 स्कोर प्राप्त किया है।
- इसके अलावा IISc बंगलूरू QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग टॉप-200 में सबसे तेज़ी से बढ़ता दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय है।
- कुल मिलाकर भारतीय शिक्षा संस्थानों (जिनमें से 41 ने रैंकिंग में जगह बनाई) ने कई प्रमुख मानकों में खराब प्रदर्शन किया है।
- उदाहरण के लिये 41 में से 30 विश्वविद्यालयों को केवल चार रिकॉर्डिंग सुधारों के साथ संकाय छात्र अनुपात (FSR) संकेतक में गिरावट का सामना करना पड़ा है।
- रिपोर्ट से पता चलता है कि शीर्ष 500 श्रेणी में भारत की उपस्थिति यह सिद्ध करती है कि दुनिया भर के अन्य IIT की तरह ही भारत के IIT संचालित हैं।
- IISc के अलावा आठ IIT (दिल्ली, बॉम्बे, मद्रास, कानपुर, खड़गपुर, रुड़की, गुवाहाटी, इंदौर) को विश्व स्तर पर शीर्ष 500 में स्थान दिया गया है।
- इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस योजना की शुरुआत के बाद से किसी भी अन्य भारतीय विश्वविद्यालय, सार्वजनिक या निजी को विश्व स्तर पर शीर्ष 500 श्रेणी में जगह नहीं मिली है।
- भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) को सर्वोच्च स्थान दिया गया, इसके बाद क्रमशः IIT बॉम्बे और IIT दिल्ली का स्थान है। वैश्विक स्तर पर शीर्ष 1,000 में भारतीय संस्थानों की कुल संख्या 22 से बढ़कर 27 हो गई है।
संबंधित भारतीय पहल:
- 'इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस' योजना:
- सरकार ने 20 संस्थानों (10 सार्वजानिक क्षेत्र से और 10 निजी क्षेत्र से) की स्थापना या उन्नयन के लिये नियामक फ्रेमवर्क प्रदान करने की योजना बनाई है, जिसे विश्व स्तरीय शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थानों यानी 'इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस' के रूप में विकसित किया जाएगा।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020:
- इसका उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली में स्कूल से लेकर कॉलेज स्तर तक महत्त्वपूर्ण बदलाव लाना और भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है।
- अनुसंधान नवाचार और प्रौद्योगिकी को प्रभावित करना (IMPRINT):
- यह एक नई शिक्षा नीति विकसित करने और ऐसी प्रमुख इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी चुनौतियों को हल करने के लिये अनुसंधान हेतु एक रोडमैप विकसित करने की अपनी तरह की पहली पहल है, जिन्हें भारत के लिये समावेशी विकास व आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने हेतु संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है।
- उच्चतर आविष्कार योजना
- इस योजना को ऐसे उच्चतर नवाचार को बढ़ावा देने की दृष्टि से शुरू किया गया था, जो प्रत्यक्ष तौर पर उद्योग की आवश्यकताओं को प्रभावित करता हो और इस प्रकार भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धात्मक क्षमता में सुधार करता हो।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 जून, 2022
राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल
केंद्र सरकार ने 9 जून, 2022 को विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों के विभिन्न पुरस्कारों की नामांकन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने एवं जन-भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल की शुूरुआत की है। इसे सभी पुरस्कारों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के अंतर्गत एक साथ लाने के लिये विकसित किया गया है। पोर्टल का उद्देश्य सरकार द्वारा स्थापित विभिन्न पुरस्कारों के लिये व्यक्तियों और संगठनों को नामांकित करने की सुविधा प्रदान करना है। गृह मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा कि पद्म पुरस्कारों के नामांकन और संस्तुति के लिये पोर्टल इस वर्ष 15 सितंबर तक खुला रहेगा। सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कारों के लिये अगले महीने की 31 तारीख तक नामांकन किया जा सकता है। भारत सरकार ने देश की एकता और अखंडता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर इस सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार का गठन किया है। यह पुरस्कार राष्ट्रीय एकता और अखंडता को प्रोत्साहन देने तथा मज़बूत एवं अखंड भारत के मूल्यों को स्थापित करने के संबंध में प्रदान किया जाता है। तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक कार्य पुरस्कार और पंडित दीनदयाल उपाध्याय टेलीकॉम स्किल एक्सीलेंस अवार्ड के लिये 16 जून तक नामांकन किया जा सकता है।
बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा के निर्वाण दिवस (9 जून, 2022) पर केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री ने उलीहातू (उनकी जन्मभूमि) में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। केंद्रीय मंत्री ने बिरसा मुंडा की कर्मभूमि डोम्बारी बुरु में भी उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की | यह स्थल बिरसा मुंडा के बलिदान की कर्मभूमि है | डोम्बारी बुरु यानी डोम्बारी पहाड़ पर ही उन्होंने अपनी सेना एकत्र की और अपने विशिष्ट युद्ध कौशल से अंग्रेज़ों के विरुद्ध क्रांति का आगाज़ किया | बिरसा मुंडा का जन्म वर्ष 1875 में हुआ था। वे मुंडा जनजाति के थे। बिरसा का मानना था कि उन्हें भगवान ने लोगों की भलाई और उनके दुःख दूर करने के लिये भेजा है, इसलिये वे स्वयं को भगवान मानते थे। उन्हें अक्सर 'धरती आबा' (Dharti Abba) या ‘जगत पिता’ के रूप में जाना जाता है। वर्ष 1899-1900 में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुआ मुंडा विद्रोह छोटा नागपुर (झारखंड) के क्षेत्र में सर्वाधिक चर्चित विद्रोह था। इसे ‘मुंडा उलगुलान’ (विद्रोह) भी कहा जाता है। इस विद्रोह की शुरुआत मुंडा जनजाति की पारंपरिक व्यवस्था खूंटकटी की ज़मींदारी व्यवस्था में परिवर्तन के कारण हुई। इस विद्रोह में महिलाओं की भूमिका भी उल्लेखनीय रही। उन्होंने जनता को जागृत किया और ज़मींदारों एवं अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह किया।
सूफी उत्सव
केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 9 जून, 2022 को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में सूफी उत्सव का आयोजन किया गया। पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस उत्सव का उद्देश्य कश्मीर घाटी के सूफी-संत और ऋषियों के संदेशों का प्रचार-प्रसार करना है। संस्कृति विभाग, वक्फ बोर्ड, खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड, संग्रहालय एवं अभिलेखागार तथा उच्च शिक्षा विभाग के समन्वय से आयोजित इस उत्सव का उद्घाटन उपराज्यपाल के सलाहकार आर.आर. भटनागर ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सूफीवाद अपने अंतरात्मा को जानने-समझने का एक माध्यम है। धार्मिक उदारता के संदर्भ में सूफी आंदोलन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है, जिससे शासक वर्ग के दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आया। सूफी आंदोलन ने भक्ति आंदोलन की तरह मुस्लिम समाज में सुधार का कार्य किया तथा नैतिक आचरण पर बल दिया और अपने समाज में व्याप्त मद्यपान, वेश्यावृत्ति जैसी बुराइयों के प्रति जागरूक करने का कार्य किया। भारत में प्रमुख सूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी, निज़ामुद्दीन औलिया और अमीर खुसरो आदि रहे हैं।