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क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2022

  • 10 Jun 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2022 के मुताबिक, शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में भारत के स्थान में बीते पाँच वर्षों में कोई परिवर्तन नहीं आया है।

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग

  • क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) महत्त्वाकांक्षी पेशेवरों के लिये एक प्रमुख वैश्विक कॅॅरियर और शैक्षिक नेटवर्क है, जिसका लक्ष्य व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक विकास को आगे बढ़ाना हैं।
  • क्यूएस, संस्थानों की गुणवत्ता की पहचान करने के लिये तुलनात्मक डेटा संग्रह और विश्लेषण के तरीकों को विकसित करके उन्हें सफलतापूर्वक लागू करता है।
  • इस यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स का प्रकाशन वार्षिक स्तर पर होता है जिसमें वैश्विक रूप से समग्र सब्जेक्ट रैंकिंग शामिल हैं।
  • मूल्यांकन के लिये छह मापदंड और उनका वेटेज:
    • अकादमिक प्रतिष्ठा (40%)
    • नियोक्ता प्रतिष्ठा (10%)
    • संकाय/छात्र अनुपात (20%)
    • उत्कृष्टता प्रति संकाय (20%)
    • अंतर्राष्ट्रीय संकाय अनुपात (5%)
    • अंतर्राष्ट्रीय छात्र अनुपात (5%)

प्रमुख बिंदु

वैश्विक रैंकिंग

  • शीर्ष रैंक
    • अमेरिका का मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) लगातार 10वीं बार शीर्ष स्थान पर है।
    • ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (ब्रिटेन) वर्ष 2006 के बाद पहली बार दूसरे स्थान पर पहुँच गया है, जबकि स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (अमेरिका) और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (ब्रिटेन) तीसरे स्थान पर हैं।
  • एशियाई संस्थान
    • सिंगापुर की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर तथा नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और चीन की सिंघुआ यूनिवर्सिटी तथा पेकिंग यूनिवर्सिटी, वैश्विक शीर्ष 20 विश्विद्यालयों में एकमात्र एशियाई विश्वविद्यालय हैं।

भारतीय संस्थान

Top-Varsities

  • समग्र तौर पर शीर्ष 1,000 संस्थानों की सूची में 22 भारतीय संस्थान हैं, जिसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) गुवाहाटी, कानपुर, खड़गपुर और मद्रास आदि शीर्ष स्थान पर हैं। ज्ञात हो कि वर्ष 2021 में शीर्ष 1,000 संस्थानों की सूची में 21 भारतीय संस्थान थे। 
  • जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने पहली बार रैंकिंग के शीर्ष 1,000 संस्थनों में प्रवेश किया है, क्योंकि इसका नया स्नातक इंजीनियरिंग कार्यक्रम अब इसे रैंकिंग हेतु योग्य बनाता है।
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बॉम्बे ने लगातार चौथे वर्ष शीर्ष भारतीय संस्थान के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी, हालाँकि यह वैश्विक रैंकिंग में पाँच स्थान गिरकर 177वें स्थान पर आ गया है।
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-दिल्ली (185 रैंक) ने भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलूरू (186 रैंक) को पीछे छोड़ दिया। इसी के साथ शीर्ष 200 संस्थानों में भारत के तीन संस्थान हैं।
    • संकाय आकार को समायोजित किये जाने पर ‘उत्कृष्टता प्रति संकाय’ के आधार पर भारतीय विज्ञान संस्थान को विश्व का शीर्ष अनुसंधान विश्वविद्यालय घोषित किया गया है।

भारत का प्रदर्शन

  • भारतीय विश्वविद्यालयों ने अकादमिक प्रतिष्ठा मीट्रिक और शोध पर अपने प्रदर्शन में सुधार किया है, लेकिन शिक्षण क्षमता मीट्रिक को लेकर अभी भी भारत संघर्ष कर रहा है।
    • कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय संकाय-छात्र अनुपात के लिये शीर्ष 250 संस्थानों में शामिल नहीं है।
    • शिक्षण क्षमता पर खराब प्रदर्शन छात्रों की भर्ती में गिरावट का कारण नहीं है, बल्कि आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये आरक्षण को लागू करने हेतु सरकार द्वारा अनिवार्य छात्रों की संख्या में वृद्धि के कारण है।

चिंताएँ

  • वस्तुनिष्ठ पद्धति का अभाव
    • रैंकिंग भारत में शिक्षा की गुणवत्ता को सटीक रूप से नहीं दर्शाती है, बल्कि यह काफी हद तक अंतर्राष्ट्रीय धारणा पर निर्भर है।
    • स्कोर का आधा हिस्सा प्रतिष्ठा संकेतकों से आता है, जो किसी वस्तुनिष्ठ पद्धति के बजाय धारणा पर आधारित होते हैं।
  • रैंक में हेरफेर
    • यह आरोप लगाया जा रहा है कि इस वर्ष स्कोर में सुधार केवल रैंकिंग एजेंसी द्वारा संख्याओं में हेरफेर के कारण हुआ है, जो वाणिज्यिक दबावों से प्रेरित है।

संबंधित भारतीय पहल

  • 'इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस' योजना
    • सरकार ने 20 संस्थानों (10 सार्वजानिक क्षेत्र से और 10 निजी क्षेत्र से) की स्थापना या उन्नयन के लिये नियामक फ्रेमवर्क प्रदान करने की योजना बनाई है, जिसे विश्व स्तरीय शिक्षण और अनुसंधान संस्थानों यानी  'इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस' के रूप में विकसित किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020
    • इसका उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली में स्कूल से लेकर कॉलेज स्तर तक महत्त्वपूर्ण बदलाव लाना और भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है।
  • अनुसंधान नवाचार और प्रौद्योगिकी को प्रभावित करना (IMPRINT)
    • यह एक नई शिक्षा नीति विकसित करने और ऐसी प्रमुख इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी चुनौतियों को हल करने के लिये अनुसंधान हेतु एक रोडमैप विकसित करने की अपनी तरह की पहली पहल है, जिन्हें भारत के लिये समावेशी विकास और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने हेतु संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है।
  • उच्चतर आविष्कार योजना
    • इस योजना को ऐसे उच्चतर नवाचार को बढ़ावा देने की दृष्टि से शुरू किया गया था, जो प्रत्यक्ष तौर पर उद्योग की आवश्यकताओं को प्रभावित करता हो और इस प्रकार भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धात्मक क्षमता में सुधार करता हो।

स्रोत: द हिंदू

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