नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 10 Jun, 2021
  • 16 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट: 10 जून, 2021

सरल जीवन बीमा: आईआरडीएआई

Saral Jeevan Bima: IRDAI

वर्ष 2020 में भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India- IRDAI) द्वारा लॉन्च किया गया सरल जीवन बीमा (Saral Jeevan Bima) जनता के बीच एक लोकप्रिय टर्म लाइफ इंश्योरेंस (Term Life Insurance) उत्पाद बन गया है।

  • आईआरडीएआई एक स्वायत्त निकाय है जिसे वर्ष 1999 में बीमा उद्योग को विनियमित और विकसित करने के लिये स्थापित किया गया था।

टर्म लाइफ इंश्योरेंस

  • टर्म लाइफ इंश्योरेंस बीमित व्यक्ति के लाभार्थियों को एक निर्दिष्ट मृत्यु लाभ के भुगतान की गारंटी देता है यदि बीमित व्यक्ति की एक निर्दिष्ट अवधि के दौरान मृत्यु हो जाती है।
  • इन पॉलिसियों की गारंटी डेथ बेनिफिट के अलावा कुछ भी नहीं है और इसमें कोई बचत घटक भी शामिल नहीं है जैसा कि संपूर्ण जीवन बीमा उत्पाद में होता है।
  • टर्म लाइफ प्रीमियम किसी व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा पर आधारित होता है।

प्रमुख बिंदु

  • अक्तूबर 2020 में आईआरडीएआई ने सभी जीवन बीमा कंपनियों को 1 जनवरी, 2021 से सरल जीवन बीमा योजना शुरू करने के लिये अनिवार्य किया था।
  • सरल जीवन बीमा नियामक द्वारा आदेशित मानक टर्म लाइफ इंश्योरेंस प्लान है जो स्वरोज़गार वाले या निम्न आय वर्ग के लोगों को बुनियादी सुरक्षा प्रदान करता है।
  • यह एक शुद्ध टर्म लाइफ इंश्योरेंस उत्पाद है जिसे 18 से 65 वर्ष के आयु वर्ग के लोग खरीद सकते हैं और इसकी पॉलिसी अवधि 5 से 40 वर्ष होगी।
  • इसके अंतर्गत जीवन बीमा पॉलिसी 5 लाख रुपए से 25 लाख रुपए के बीच है।
    • हालाँकि बीमाकर्त्ता के पास 25 लाख रुपए से अधिक की बीमा राशि प्राप्त करने का विकल्प होगा।
  • यह पॉलिसी अवधि के दौरान बीमित व्यक्ति की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु के मामले में नामांकित व्यक्ति को एकमुश्त राशि के भुगतान का प्रावधान करती है।
  • इसमें आत्महत्या के अलावा कोई अन्य अपवाद शामिल नहीं है।

ऑपरेशन पैंजिया (Pangea) XIV : इंटरपोल

Operation Pangea XIV: Interpol

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) द्वारा ऑपरेशन पैंजिया XIV (Operation Pangea XIV) के माध्यम से नकली दवाओं और उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री को लक्ष्य बनाया गया।

  • इस ऑपरेशन में वेबसाइटों और ऑनलाइन मार्केटप्लेस सहित 1.10 लाख से अधिक वेब लिंक को बंद या हटा दिया गया।

प्रमुख बिंदु 

परिचय :

  • ऑपरेशन पैंजिया इंटरपोल का एक सुस्थापित अंतर्राष्ट्रीय प्रयास है जो नकली और अवैध स्वास्थ्य उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री को बाधित करने के साथ-साथ अनियमित वेबसाइटों से दवाएँ खरीदने से जुड़े जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम भी करता है।
    • वर्ष 2008 में प्रथम ऑपरेशन पैंजिया संचालित किया गया था। 
  • इंटरपोल द्वारा समन्वित इस ऑपरेशन (14वें) में 92 देशों के पुलिस, सीमा शुल्क और स्वास्थ्य नियामक प्राधिकरणों ने भाग लिया था।
  • इस ऑपरेशन में भारतीय एजेंसियों ने भी भाग लिया।

महत्त्व :

  • अवैध दवाओं की ऑनलाइन बिक्री सार्वजनिक सुरक्षा के लिये खतरा बनी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप इन वैश्विक स्वास्थ्य खतरों से निपटने हेतु पैंजिया जैसे ऑपरेशन महत्त्वपूर्ण हैं।
  • अपराधी या इसमें संलिप्त लोग कोविड -19 महामारी के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा और  स्वच्छता संबंधी उत्पादों (Hygiene Products) की  सर्वाधिक मांग के कारण चिकित्सा व्यापार में अवैध मुनाफाखोरी कर रहे थे।

युवा लेखकों के लिये युवा योजना

YUVA Scheme for Young Writers

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने युवा लेखकों को प्रशिक्षित करने के लिये एक परामर्श कार्यक्रम 'युवा, आगामी और बहुमुखी लेखक' (Young, Upcoming and Versatile Authors- YUVA) योजना की घोषणा है।

प्रमुख बिंदु:

इसके संदर्भ में:

  • इस योजना का उद्देश्य 30 साल से कम उम्र के 75 इच्छुक लेखकों को प्रशिक्षित करना है, जो खुद को अभिव्यक्त करने और भारत तथा इसकी संस्कृति एवं साहित्य को विश्व स्तर पर प्रस्तुत करने के लिये तैयार हैं।
    • इन 75 लेखकों का चयन MyGov (भारत सरकार का एक नागरिक संबद्धता मंच) पर एक अखिल भारतीय प्रतियोगिता के माध्यम से  किया जाएगा।
  • चयनित लेखकों को छह महीने की अवधि के लिये प्रति माह 50,000 रुपए की समेकित छात्रवृत्ति का भुगतान किया जाएगा।

उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य नौकरी के अन्य विकल्पों के समान पठन और लेखकत्व को एक पसंदीदा पेशे के रूप में प्रचलित करना है।
  • इसके अलावा बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव के बीच युवा मन को सकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रोत्साहन प्रदान करना है।

कार्यान्वयन और निष्पादन:

  • कार्यान्वयन एजेंसी: शिक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (National Book Trust- NBT) इस योजना के चरण-वार निष्पादन को सुनिश्चित करेगा।
  • चरण- I (प्रशिक्षण):
    • NBT चयनित उम्मीदवारों के लिये तीन महीने के प्रशिक्षण का आयोजन करेगा।
  • चरण- II (पदोन्नति): 
    • चयनित उम्मीदवारों को साहित्यिक उत्सवों, पुस्तक मेलों, आभासी पुस्तक मेलों, सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों आदि जैसे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में बातचीत के माध्यम से अपनी समझ का विस्तार करने तथा अपने कौशल को सुधारने का अवसर प्राप्त होगा।
    • इन युवा लेखकों द्वारा लिखी गई एक पुस्तक या पुस्तकों की एक शृंखला NBT द्वारा प्रकाशित की जाएगी और लेखकों को 10% की रॉयल्टी का भुगतान किया जाएगा।
    • विभिन्न राज्यों के बीच संस्कृति और साहित्य का आदान-प्रदान सुनिश्चित करने के लिये उनकी प्रकाशित पुस्तकों का अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद किया जाएगा, जिससे एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान को बढ़ावा मिल सकेगा।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 जून, 2021

बिरसा मुंडा

उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आदिवासी स्‍वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की पुण्‍यतिथि पर उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि निडर आदिवासी नेता बिरसा मुंडा ने दमनकारी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आदिवासी आंदोलन का नेतृत्त्व करके स्‍वतंत्रता संग्राम में अमूल्‍य योगदान दिया। बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को हुआ था। वे छोटानागपुर पठार क्षेत्र की मुंडा जनजाति के थे। उन्हें अक्सर 'धरती आबा' या ‘जगत पिता’ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सलगा में अपने शिक्षक जयपाल नागो के मार्गदर्शन में प्राप्त की। वर्ष 1899-1900 में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुआ मुंडा विद्रोह छोटा नागपुर (झारखंड) के क्षेत्र में सर्वाधिक चर्चित विद्रोह था। इसे ‘मुंडा उलगुलान’ (विद्रोह) भी कहा जाता है। इस विरोध में महिलाओं की उल्लेखनीय भूमिका रही और इसकी शुरुआत मुंडा जनजाति की पारंपरिक व्यवस्था खूंटकटी की ज़मींदारी व्यवस्था में परिवर्तन के कारण हुई थी। उन्होंने धर्म को राजनीति से जोड़ दिया और एक राजनीतिक-सैन्य संगठन बनाने के उद्देश्य से प्रचार करते हुए गाँवों की यात्रा की। 3 मार्च, 1900 को बिरसा मुंडा को ब्रिटिश पुलिस ने चक्रधरपुर के जामकोपई जंगल में उनकी आदिवासी छापामार सेना के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। 9 जून, 1900 को 25 साल की छोटी उम्र में राँची जेल में उनका निधन हो गया। अपने छोटे से जीवनकाल में बिरसा मुंडा ने आदिवासी समुदाय को लामबंद किया और औपनिवेशिक अधिकारियों को आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा हेतु कानून बनाने के लिये मज़बूर किया। उन्हीं के प्रयासों के परिणामस्वरूप ‘छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम’ पारित किया गया, जिसने आदिवासी से गैर-आदिवासियों में भूमि के हस्तांतरण को प्रतिबंधित कर दिया।

अनूप चंद्र पांडे 

सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अनूप चंद्र पांडे ने हाल ही में देश के नए चुनाव आयुक्त के रूप में पदभार संभाल लिया है। वे मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के साथ तीन सदस्यीय निकाय में शामिल हो गए हैं। ज्ञात हो कि अनूप चंद्र पांडे, उत्तर प्रदेश कैडर के वर्ष 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं और वह वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके अलावा अनूप पांडे रक्षा और श्रम एवं रोज़गार मंत्रालयों में भी अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। भारत निर्वाचन आयोग, जिसे चुनाव आयोग के नाम से भी जाना जाता है, एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग में मूलतः केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था, लेकिन राष्ट्रपति की एक अधिसूचना के ज़रिये 16 अक्तूबर, 1989 को इसे तीन सदस्यीय बना दिया गया। इसके बाद कुछ समय के लिये इसे एक सदस्यीय आयोग बना दिया गया और 1 अक्तूबर, 1993 को इसका तीन सदस्यीय आयोग वाला स्वरूप फिर से बहाल कर दिया गया। तब से निर्वाचन आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं।

हिमालयी मोनाल और स्क्लेटर मोनाल

हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के सियांग ज़िले में मोनाल की दो नई प्रजातियाँ देखी गई हैं। इसमें पहली प्रजाति हिमालयी मोनाल (लोफोफोरस इम्पेजेनस) की है, जो कि मुख्य तौर पर अफगानिस्तान से पूर्वोत्तर भारत तक अधिक व्यापक स्तर पर पाई जाती है, जबकि दूसरी प्रजाति दुर्लभ स्क्लेटर मोनाल (लोफोफोरस स्क्लेटेरी) है, जो कि मुख्य तौर पर दक्षिणी चीन और उत्तरी म्याँमार में पाई जाती है। यह एक उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाने वाला पक्षी है, जो शायद ही कभी 1,500 मीटर की ऊँचाई से नीचे आता है। पर्यावास नुकसान और शिकार के कारण इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा इसे 'सुभेद्य’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। खोजकर्त्ताओं की टीम ने समुद्र तल से 4,173 मीटर की ऊँचाई पर माउंट एको डंबिंग पर इन पक्षियों को देखा। इन दो प्रजातियों का यहाँ देखा जाना इस क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र के लिये एक बेहतर संकेतक है। 

विश्व ब्रेन टयूमर दिवस

प्रतिवर्ष 08 जून को विश्व भर में ‘विश्व ब्रेन टयूमर दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम जनमानस को ब्रेन टयूमर के बारे में जागरूक और उन्हें इस संबंध में यथासंभव शिक्षित करना है। विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस का आयोजन पहली बार वर्ष 2000 में लीपज़िग (जर्मनी) स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन ‘जर्मन ब्रेन ट्यूमर एसोसिएशन’ द्वारा किया गया था। इस दिवस को दुनिया भर में ब्रेन ट्यूमर के रोगियों और उनके प्रियजनों के प्रति सम्मान प्रकट करने हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में घोषित किया गया था। ब्रेन ट्यूमर का आशय मस्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि से है। ब्रेन ट्यूमर के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं: कैंसरयुक्त ट्यूमर और गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर। इसमें कैंसरयुक्त ट्यूमर अधिक घातक होता है। ब्रेन ट्यूमर एक जानलेवा बीमारी हो सकती है, लेकिन पूरी तरह से इलाज योग्य है। ब्रेन ट्यूमर के कुछ सामान्य उपचारों में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, एंटी-सीज़र दवा, स्टेरॉयड उपचार आदि शामिल हैं।


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow