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शासन व्यवस्था

मोटर बीमा संबंधी नए दिशा-निर्देश

  • 28 Nov 2019
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

IRDA, IIB, टेलीमैटिक्स बीमा

मेन्स के लिये:

भारत में मोटर बीमा संबंधी प्रस्ताव और इनके लाभ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and development Athaurity of India- IRDAI) द्वारा गठित एक पैनल ने टेलीमैटिक्स बीमा (Telematics Insurance)- ‘नामित बीमा नीति’ (Named Driver Policy) के कार्यान्वयन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • पैनल ने निजी कारों और दो पहिया वाहनों के लिये नामित चालक नीति का विकल्प प्रस्तुत किया है।
  • नामित चालक नीति के रूप में मोटर बीमा कवरेज उन चालकों को दिया जाएगा जो विशेष रूप से पॉलिसी में नामित होंगे, वाहन चलाने वाले अन्य व्यक्तियों के लिये बीमा कवरेज की सुविधा नहीं होगी।

मोटर की क्षति से संबंधित उत्पाद संरचना के लिये पैनल के सुझाव:

मोटर की क्षति के लिये उत्पाद संरचना की समीक्षा करते हुए पैनल ने निम्नलिखित सुझाव दिये हैं-

  • मोटर वाहनों में यात्रा करने वाले सभी लोगों के पास, मूल पॉलिसी के तहत, बीमित वाहन को दुर्घटना से प्राप्त 25,000 रुपए तक का चिकित्सा व्यय कवरेज होना चाहिये तथा इसके लिये बीमाकर्त्ताओं द्वारा उचित प्रीमियम लिया जाना चाहिये।
  • इसके अलावा पैनल ने सुझाव दिया है कि कीड़ों या कृन्तकों द्वारा पहुँचाई गई क्षति या पानी के कारण इंजन में होने वाली क्षति आकस्मिक और बाहरी साधनों के तहत मूल बीमा नीति का हिस्सा होनी चाहिये।
  • निजी कारों और दो पहिया वाहनों (बिलकुल नए के अलावा) के लिये, वर्तमान वाहनों की कीमतों में निर्माता द्वारा लगाए गए सभी पुर्जो का मूल्य शामिल करते हुए बीमा राशि को शामिल किया जाना चाहिये।
  • तीन साल तक की नई निजी कारों के लिये वर्तमान ऑन रोड कीमत (On Road Price) में वाहन के इनवॉइस वैल्यू, रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क तथा निर्माता द्वारा लगाए गए सभी सामानों के मूल्य को शामिल करते हुए बीमा राशि को शामिल किया जाना चाहिये।
    • बीमाधारक द्वारा लगाए गए सामान के मूल्य का उल्लेख अलग से किया जाना चाहिये।
  • तीन वर्ष से अधिक के वाहनों के लिये, बीमित राशि, नई मूल्यह्रास तालिका के अनुसार होनी चाहिये।

नई मूल्यह्रास तालिका:

  • बीमा राशि 7वें वर्ष के बाद बीमाधारक और बीमाकर्त्ता के बीच पारस्परिक रूप से सहमत मूल्य पर होनी चाहिये।
  • वाणिज्यिक वाहनों के लिये बीमा राशि में वर्तमान दिन के चालान का मूल्य (Invoice Value) तथा कार की संरचना निर्माण की लागत (यदि हो तो) शामिल होनी चाहिये।
  • निर्माता द्वारा लगाए गए सभी पुर्जो पर मूल्यह्रास का समायोजन 10% वार्षिक दर से होना चाहिये।
  • चोरी, नुकसान आदि के दावों के लिये देय राशि, बीमा राशि होनी चाहिये।
  • पैनल के अनुसार, अवमूल्यन की दर वाहनों के प्रकार पर निर्भर करेगी।
  • इसके तहत अब वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने पर पहले की तुलना में अधिक मुआवजा मिलेगा।
  • दोपहिया वाहनों के संदर्भ में 6 महीने पुराने वाहन पर 95%, एक साल पुराने वाहन पर 90%, 7 साल पुराने वाहन पर 40% तक की राशि मिलेगी।
  • वहीं कारों पर पहले 3 साल तक कोई अवमूल्यन नहीं लगाया जाएगा। तीन साल बाद अवमूल्यन दर 40% और 7वें साल में 60% हो जाएगी।

टेलीमैटिक्स बीमा (Telematics Insurance):

  • टेलीमैटिक्स या ब्लैक बॉक्स बीमा (Black Box Insurance), एक प्रकार का कार बीमा है जिसके अंतर्गत एक छोटा बॉक्स कार में लगाया जाता है।
  • यह बॉक्स कार की गतिविधियों जैसे- कार कब, कहाँ और कितने किलोमीटर चलाई गई है, से संबंधित सभी आँकड़े संगृहीत करता है।
  • इन आँकड़ों का प्रयोग व्यक्तिगत नवीकरण उद्धरण (Personalised Renewal Quotes) या प्रीमियम की गणना और दुर्घटना चेतावनी तथा चोरी की वसूली जैसी सेवाओं में किया जा सकता है।
  • इस बॉक्स के चार घटक होंगे-
    • जीपीएस प्रणाली (GPS system)
    • गति संवेदक या त्वरणमापी (Motion Sensor or Accelerometer)
    • सिम कार्ड (Sim Card)
    • कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (Computer Software)
  • भारतीय बीमा सूचना ब्यूरो (Insurance Information Bureau of India- IIBI) इन आँकड़ों के संरक्षण और प्रबंधन का कार्य करेगा।

भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण

(Insurance Regulatory and Development Authority of India-IRDAI)

  • भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) वैधानिक निकाय है।
  • इसका गठन बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 के अंतर्गत किया गया था।
  • यह एक स्वायत्त संस्था है।
  • इस10 सदस्यीय निकाय में एक अध्यक्ष, पाँच पूर्णकालिक और चार अंशकालिक सदस्य होते हैं।
  • इसका कार्य भारत में बीमा और बीमा उद्योगों को विनियमित करना तथा उन्हें बढ़ावा देना है।
  • इसका मुख्यालय हैदराबाद में है।

भारतीय बीमा सूचना ब्यूरो

(Insurance Information bureau of India- IIB)

  • वर्ष 2009 में भारतीय बीमा सूचना ब्यूरो का गठन बीमा उद्योग की कार्यप्रणाली सरल करने हेतु IRDA द्वारा किया गया था।
  • IIB, IRDA अधिनयम 1999 की धारा (2) (1) (e) के तहत बीमा कंपनियों से डेटा लेने, संगृहीत करने के लिये अधिकृत है।

लाभ:

  • मोटर बीमा के नए नियमों और शर्तों का मानकीकृत और सरल शब्दांकन ग्राहक को कवरेज और बहिष्करण को बेहतर शब्दों में समझने में सहायता करेगा।
  • इसके अलावा इससे वाहनों की गलत बिक्री की संभावना भी कम होगी।
  • बीमाधारक के लिये कम जोखिम उत्पन्न होगा तथा नुकसान अनुपात के सुधार में मददगार साबित होगा।

स्रोत- द हिंदू

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