प्रीलिम्स फैक्ट्स: 9 मई, 2020
आयुष संजीवनी एप
AYUSH Sanjivani App
07 मई, 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (Union Health & Family Welfare Minister) ने ‘आयुष संजीवनी एप’ और ‘दो आयुष आधारित वैज्ञानिक अध्ययन’ शुरू किये।
आयुष संजीवनी एप:
- ‘आयुष संजीवनी एप’ को आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MEITY) द्वारा विकसित किया गया है।
- इस एप से लोगों के बीच आयुष से संबंधित सिफारिशों एवं विभिन्न कदमों की स्वीकार्यता तथा उपयोग के साथ COVID-19 के उन्मूलन में इनके प्रभाव से जुड़ी जानकारियाँ जुटाने में मदद मिलेगी।
- इस एप को देश के 50 लाख लोगों तक पहुँचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
दो आयुष आधारित वैज्ञानिक अध्ययन:
1. रोग निरोधक के रूप में और COVID-19 के मानक उपचार में आयुर्वेद के उपयोग पर सहयोगात्मक नैदानिकी अनुसंधान अध्ययन: यह ‘भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद’ (Indian Council of Medical Research's- ICMR) के तकनीक सहयोग से ‘वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद’ (Council of Scientific & Industrial Research- CSIR) के माध्यम से आयुष मंत्रालय, ‘केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय’ और ‘केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ की संयुक्त पहल होगी।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grant Commission- UGC) के वाइस चेयरमैन डा. भूषण पटवर्धन की अध्यक्षता वाली ‘इंटरडिसिप्लिनरी आयुषआरएंडडी टास्क फोर्स’ (Interdisciplinary AYUSH R&D Task Force) ने अश्वगंधा, यशतीमधु, गुदुची-पीपली और एक पॉलि हर्बल फॉर्मूलेशन (आयुष-64) जैसी चार विभिन्न औषधियों के अध्ययन के लिये देश के विभिन्न संगठनों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की समीक्षा एवं परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से COVID-19 पॉज़िटिव मामलों में रोग निरोधक अध्ययन एवं मानक उपचार के लिये नैदानिकी प्रोटोकॉल तैयार किये गए हैं। इसमें निम्नलिखित दो शामिल हैं:
- COVID-19 महामारी के दौरान ज्यादा जोखिम वाले मामलों में SARS-COV-2 के उपचार के लिये अश्वगंधा।
- ‘निम्न से मध्यम’ COVID-19 के उपचार के लिये सहायक ‘उपचार के मानक’ के रूप में आयुर्वेद के प्रभावों का अनुसंधानमूलक परीक्षण करना।
2. उच्च जोखिम वाली आबादी में COVID-19 संक्रमण की रोकथाम के लिये आयुष आधारित रोगप्रतिरोधी प्रभावों पर पारंपरिक अध्ययन: इस अध्ययन के मुख्य उद्देश्यों में COVID-19 के लिये आयुष हस्तक्षेपों की निवारक क्षमता का आकलन एवं भारी जोखिम वाली आबादी में जीवन की गुणवत्ता में सुधार का आकलन करना शामिल है।
सुंदरबन
Sunderban
हाल ही में पश्चिम बंगाल वन विभाग (West Bengal Forest Department) ने बताया कि सुंदरबन क्षेत्र में बाघों की संख्या वर्ष 2018-19 में 88 से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 96 तक पहुँच गई है।
प्रमुख बिंदु:
सुंदरबन मैंग्रोव वन 2,585 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है और इसमें ‘सुंदरवन टाइगर रिज़र्व’ (Sundarban Tiger Reserve) और दक्षिण 24 परगना डिविज़न शामिल हैं।
24 परगना (दक्षिण) डिविज़न में 23 बाघ जबकि ‘सुंदरबन टाइगर रिज़र्व’ के चार डिविज़नों में 73 बाघों की उपस्थिति को दर्ज किया गया।
सुंदरबन:
- सुंदरबन, पश्चिम बंगाल के उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना ज़िले के 19 विकासखंडों में फैला हुआ है।
- यह भारत एवं बांग्लादेश दोनों देशों में फैला हुआ दलदलीय वन क्षेत्र है। यह यहाँ पाए जाने वाले सुंदरी नामक वृक्षों के कारण प्रसिद्ध है।
- भारतीय क्षेत्र में स्थित सुंदरबन को वर्ष 1987 में यूनेस्को (UNESCO) का विश्व धरोहर स्थल (World Heritage site) घोषित किया गया।
- यह 9,630 वर्ग किलोमीटर में फैला गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा का हिस्सा है। इस क्षेत्र में 104 द्वीप हैं।
- यहाँ जीव-जंतुओं की लगभग 2,487 प्रजातियाँ हैं। इस क्षेत्र में पाया जाने वाला प्रसिद्ध ‘रॉयल बंगाल टाइगर’ यहाँ की जलीय परिस्थितियों के अनुकूल है। यह ‘रॉयल बंगाल टाइगर’ तैर भी सकता है।
- अन्य वन्यजीव प्रजातियाँ: छोटे पंख वाले एशियाई ऊदबिलाव, गंगा डॉल्फिन, नेवला और रीसस बंदर।
हेलिकाॅप्टर मनी
Helicopter Money
हाल ही में COVID-19 के कारण प्रभावित हो रही भारतीय अर्थव्यवस्था को फिर से सुचारु रूप से गति देने के लिये ‘हेलिकाॅप्टर मनी’ (Helicopter Money) जैसी अवधारणा चर्चा के केंद्र बिंदु में है।
प्रमुख बिंदु:
- यह (हेलिकाॅप्टर मनी) एक अपरंपरागत मौद्रिक नीति उपकरण है जिसका उद्देश्य किसी संघर्षरत अर्थव्यवस्था को फिर से गति देना होता है।
- इसमें बड़ी धनराशि का मुद्रण किया जाता है और फिर इसे जनता में वितरित किया जाता है। जिससे अर्थव्यवस्था में माँग-आपूर्ति के मध्य एक संतुलन कायम होता है परिणामतः अर्थव्यवस्था पुनः पटरी पर आ जाती है।
- ‘हेलिकाॅप्टर मनी’ की अवधारणा अमेरिकी अर्थशास्त्री मिल्टन फ्रीडमैन (Milton Friedman) द्वारा दी गई है।
- यह मूल रूप से ‘एक हेलीकॉप्टर द्वारा आसमान से पैसा गिराने’ को दर्शाता है। मिल्टन फ्रीडमैन ने इस शब्द (हेलिकाप्टर मनी) का इस्तेमाल ‘एक संघर्षरत अर्थव्यवस्था को पुनः ट्रैक पर लाने के लिये अप्रत्याशित रूप से धन की डंपिंग’ करने के लिये किया था।
- इस तरह की नीति के तहत केंद्रीय बैंक ‘सरकार के माध्यम से धन की आपूर्ति को प्रत्यक्ष रूप से बढ़ाता है और माँग एवं मुद्रास्फीति को बढ़ाने के उद्देश्य से जनसंख्या में नई नकदी वितरित करता है।’
रवींद्रनाथ टैगोर की 159वीं जयंती
159th Jayanti of Rabindranath Tagore
07 मई, 2020 को देशभर में रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) की 159वीं जयंती मनाई गई।
प्रमुख बिंदु:
- रवींद्रनाथ टैगोर (रोबिंद्रोनाथ ठाकुर) का जन्म ब्रिटिश भारत में बंगाल प्रेसिडेंसी के कलकत्ता (अब कोलकाता) में 07 मई, 1861 को हुआ था।
- रवींद्रनाथ टैगोर, ब्रह्म समाज के एक प्रमुख नेता देवेंद्रनाथ टैगोर के पुत्र थे।
- ब्रह्म समाज 19वीं शताब्दी के बंगाल में एक नया धार्मिक संप्रदाय था जिसने हिंदू धर्म के अंतिम अद्वैतवादी दर्शन को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया था। यह हिंदू धर्म का पहला सुधार आंदोलन था।
- ब्रह्म समाज की स्थापना राजा राम मोहन राय (भारतीय पुनर्जागरण के जनक) ने की थी।
- राजा राम मोहन राय की मृत्यु के पश्चात ब्रह्म समाज की बागडोर महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर ने संभाली जो वर्ष 1842 में इसमें सम्मिलित हुए थे।
- रवींद्रनाथ टैगोर के सबसे बड़े भाई द्विजेंद्रनाथ (Dwijendranath) एक दार्शनिक एवं कवि थे जबकि एक अन्य भाई सत्येंद्रनाथ पहले ऐसे भारतीय थे जिन्हें आल यूरोपियन-इंडियन सिविल सर्विस के लिये नियुक्त किया गया था।
- रवींद्रनाथ टैगोर को अन्य नामों भानु सिंह ठाकुर (भोनिता), गुरुदेव, कबीगुरू और बिस्वाकाबी के नाम से भी जाना जाता था। रवींद्रनाथ टैगोर एक नीतिज्ञ, कवि, संगीतकार, कलाकार एवं आयुर्वेद-शोधकर्त्ता भी थे।
- उन्होंने बंगाली साहित्य एवं संगीत के साथ-साथ 19वीं सदी के अंत एवं 20वीं शताब्दी की शुरुआत में प्रासंगिक आधुनिकतावाद के साथ भारतीय कला का पुनरुत्थान किया।
- रवींद्रनाथ टैगोर के गीत हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की ‘ठुमरी शैली’ से प्रभावित थे।
नोबेल पुरस्कार:
- रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी काव्यरचना गीतांजलि के लिये वर्ष 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया यह पुरस्कार जीतने वाले वह पहले गैर-यूरोपीय थे। उनकी संवेदनशील एवं बेहतरीन कविता के लिये यह पुरस्कार दिया गया था।
- गीतांजलि की लोकप्रियता के कारण इसका अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, जापानी, रूसी आदि भाषाओँ में अनुवाद किया गया।
- रवींद्रनाथ टैगोर की अन्य कृतियों में काबुलीवाला, मास्टर साहब और पोस्ट मास्टर आज भी लोकप्रिय कहानियाँ हैं।
दो देशों के राष्ट्रगान के रचयिता:
- रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत (जन गण मन) और बांग्लादेश (आमार सोनार बांग्ला) का राष्ट्रगान लिखा है। वह ऐसा करने वाले एकमात्र कवि हैं।
भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में भूमिका:
- रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने गैर-भावुक और दूरदर्शी तरीके से समय-समय पर भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में हिस्सा लिया और वे आधुनिक भारत के राजनीतिक पिता महात्मा गांधी के मित्र थे।
- किंतु रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी के बीच राष्ट्रवाद तथा मानवता को लेकर वैचारिक मतभेद था। जहाँ महात्मा गांधी पहले पायदान पर राष्ट्रवाद को रखते थे वहीं टैगोर मानवता को राष्ट्रवाद से अधिक महत्त्व देते थे।
- रवींद्रनाथ टैगोर ने महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी।
- 16 अक्तूबर,1905 को कोलकाता में रवींद्रनाथ टैगोर के नेतृत्त्व में रक्षा बंधन उत्सव मनाया गया जिसने ‘बंग-भंग आंदोलन’ का मार्ग प्रशस्त किया। इसी आंदोलन ने भारत में स्वदेशी आंदोलन का सूत्रपात किया।
- वर्ष 1915 में ब्रिटिश सरकार ने रवींद्रनाथ टैगोर को 'नाइट हुड' की उपाधि दी थी किंतु 13 अप्रैल, 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के कारण उन्होंने ब्रिटिश सरकार का विरोध करते हुए अपनी ‘नाइट हुड’ की उपाधि लौटा दी।
- गौरतलब है कि ‘नाइट हुड’ की उपाधि मिलने के बाद नाम के साथ ‘सर’ लगाया जाता है।
- 7 अगस्त 1947 को कलकत्ता में रवींद्रनाथ टैगोर का देहांत हो गया।
- एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार के रूप में तथा भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ रूप से पश्चिमी देशों का परिचय और पश्चिमी देशों की संस्कृति से भारत का परिचय कराने में रवींद्रनाथ टैगोर की अहम भूमिका रही है।