- फ़िल्टर करें :
- भूगोल
- इतिहास
- संस्कृति
- भारतीय समाज
-
प्रश्न :
रवीन्द्रनाथ टैगोर तथा महात्मा गांधी दोनों महान सुधारक थे एवं टैगोर, गांधीजी की नेतृत्व क्षमता के बड़े प्रशंसक थे, तथापि कई मुद्दों पर टैगोर की गांधीजी से गंभीर मतभिन्नता थी। विश्लेषित करें।
06 Mar, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
• टैगोर और गांधी के संबंधों की सामान्य चर्चा से उत्तर प्रारंभ करें।
• दोनों के मतों में भिन्नता का उल्लेख करें।
• निष्कर्ष।
टैगोर और गांधी दोनों आधुनिक भारत के प्रमुख निर्माताओं में शुमार हैं। दोनों महान सुधारक थे तथा एक-दूसरे से बहुत प्रभावित भी थे। गांधीजी टैगोर को महान चिंतक व शिक्षक मानते थे, उन्होंने टैगोर को गुरुदेव की उपाधि दी।
टैगोर गांधीजी की नेतृत्व क्षमता से बेहद प्रभावित थे तथा उन्होंने गांधीजी को महात्मा (महान आत्मा) कहा। इसके बावजूद गांधीजी तथा टैगोर में कई मुद्दों पर गंभीर मतभिन्नता थी, जिसे हम निम्नलिखित रूपों में देख सकते हैं-
टैगोर तर्क तथा औचित्य पर डटे रहने की ज़रूरत पर बल देते थे। गांधीजी ने 1934 के बिहार के भूकंप, जिसमें अनेक लोग मारे गए थे, का उपयोग अपने अस्पृश्यता के विरुद्ध संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिये किया। उन्होंने भूकंप को ‘‘हमारे दोषों के लिये सज़ा देने हेतु भगवान द्वारा भेजा गया माना’’ विशेष रूप से अस्पृश्यता के पाप के लिये। टैगोर ने इसका विरोध किया और इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि यह एक अवैज्ञानिक तर्क है और इसे देश के एक बड़े वर्ग द्वारा हाथों-हाथ लिया जाता है।
इसी प्रकार टैगोर गांधीजी की आर्थिक नीतियों से भी सहमत नहीं थे। टैगोर का विचार था कि आधुनिक प्रौद्योगिकी ने सामान्यत: कड़ी मानवीय मेहनत व निर्धनता को कम कर दिया है। टैगोर ने चरखा चलाने के आध्यात्मिक तर्क की निंदा की है।
टैगोर और गांधी में आधुनिक औषधियों को लेकर भी मतभेद था गांधीजी का इन औषधियों पर विश्वास नहीं था।
इसी प्रकार आधुनिकता के संदर्भ में कुछ अन्य मुद्दे भी थे जिन पर टैगोर और गांधी में मतभिन्नता थी तथापि ऐसे मतभेदों को भिन्न वैश्विक विचारों से उत्पन्न माना जाना चाहिये।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print