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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 08 Jun, 2022
  • 19 min read
प्रारंभिक परीक्षा

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक

हाल ही में जारी पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक-2022 में भारत 180 देशों में सबसे अंतिम स्थान पर है।

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक:

  • परिचय:
    • पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक एक अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग प्रणाली है जो पर्यावरणीय स्थिति और देशों की स्थिरता को मापता है।
    • पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक को एक द्विवार्षिक सूचकांक के रूप में वर्ष 2002 में ‘येल सेंटर फॉर एन्वायरमेंटल लॉ एंड पॉलिसी’ और ‘कोलंबिया यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इंफॉर्मेशन नेटवर्क’ के सहयोग से वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा पर्यावरण स्थिरता सूचकांक के रूप में शुरू किया गया था।
  • ढाँचा:
    • वर्ष 2022 का EPI 40 प्रदर्शन संकेतकों को 11 निर्गम श्रेणियों में बांँटा गया है।
    • इसके प्रकाशन की श्रेणियों के वितरण में 3 नीतिगत उद्देश्यों के अंतर्गत एकत्रित किया गया है:
      • पर्यावरण स्वास्थ्य
      • पारिस्थितिकी तंत्र जीवन शक्ति
      • जलवायु परिवर्तन
    • ये संकेतक राष्ट्रीय स्तर पर एक अनुमान प्रदान करते हैं कि कितने अभिन्न देश पर्यावरण नीति लक्ष्य स्थापित कर रहे हैं।
    • EPI टीम पर्यावरणीय डेटा को ऐसे संकेतकों में बदल देती है जो देशों का मूल्यांकन 0-100 (सबसे निम्न से सर्वश्रेष्ठ) के पैमाने पर करते हैं।

प्रमुख निष्कर्ष:

  • वर्ष 2022 की रैंकिंग में डेनमार्क शीर्ष पर है, यह एक ऐसी उपलब्धि है जो स्वच्छ ऊर्जा भविष्य और संवहनीय कृषि को बढ़ावा देने के प्रयासों में उल्लेखनीय नेतृत्व के साथ-साथ उन सभी मुद्दों पर मज़बूत प्रदर्शन को दर्शाती है जिन्हें EPI द्वारा ट्रैक किया जाता है।
  • यूनाइटेड किंगडम और फिनलैंड क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं, दोनों ने हाल के वर्षों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिये उच्च स्कोर अर्जित किया है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका वैश्विक पश्चिम में 22 समृद्ध/संपन्न लोकतंत्रों में 20वें और समग्र रूप से 43वें स्थान पर है।
  • 18.9 के स्कोर के साथ भारत की 180वीं रैंकिंग पाकिस्तान, बांग्लादेश, वियतनाम और म्याँमार के बाद आती है।
    • EPI के अनुसार, भारत ने विधि के शासन, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और सरकारी प्रभावशीलता के मानक पर भी कम स्कोर किया है।
    • EPI-2020 में भारत 27.6 के स्कोर के साथ 168वें स्थान पर था।
  • EPI-2020 में, डेनमार्क को पहले पर्यावरणीय स्वास्थ्य और स्थिरता का स्थान दिया गया है।
  • EPI का महत्व:
    • EPI निर्णय लेने वालों को शीर्ष स्तरीय प्रदर्शन के चालकों को पहचानने में सक्षम बनाता है
    • EPI डेटा का विश्लेषण दर्शाता है कि किसी देश की स्थिरता को बढ़ाने के लिये वित्तीय संसाधन, सुशासन, मानव विकास और नियामक गुणवत्ता मायने रखती है।
    • इन संबंधों पर प्रकाश डालते हुए EPI पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित और न्यायसंगत भविष्य के समर्थन में सतत् विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

राष्ट्रीय वायु खेल नीति 2022

हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने राष्ट्रीय वायु खेल नीति 2022 (NASP 2022) लॉन्च की है।

  • यह नीति निर्माताओं, एयर स्पोर्ट्स प्रैक्टिशनर्स और बड़े पैमाने पर जनता से प्राप्त इनपुट के आधार पर तैयार की गई है तथा बुनियादी ढांँचे, उपकरण, प्रशिक्षकों एवं सेवाओं की अच्छी गुणवत्ता की स्थापना सुनिश्चित करेगी।

NASP 2022:

  • परिचय:
    • NASP 2022 भारत में एक सुरक्षित, किफायती, सुलभ, आनंददायक और टिकाऊ वायु खेल पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करके वर्ष 2030 तक भारत को शीर्ष खेल राष्ट्रों में से एक बनाने की दृष्टि रखती है।
  • उद्देश्य:
    • देश में वायु खेल संस्कृति को बढ़ावा देना।
    • वायु खेल के बुनियादी ढांँचे, उपकरण, संचालन, रखरखाव और प्रशिक्षण सहित सुरक्षा में अंतर्राष्ट्रीय अच्छी प्रथाओं को अपनाने में सक्षम बनाना ।
    • एक सरल, हितधारक-अनुकूल और प्रभावी शासन संरचना विकसित करना।
    • वैश्विक वायु खेल आयोजनों में भारतीय खिलाड़ियों की भागीदारी और सफलता को बढ़ानाा।
    • आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप भारत में वायु खेल उपकरणों के डिज़ाइन, विकास और निर्माण को बढ़ावा देना।
  • शासी निकाय: भारत में वायु खेलों के लिये चार स्तरीय शासन संरचना होगी, अर्थात्:
    • एयर स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (ASFI) सर्वोच्च शासी निकाय के रूप में।
    • व्यक्तिगत वायु खेलों के लिये राष्ट्रीय संघ या उपयुक्त के रूप में वायु खेलों का एक संघ।
    • क्षेत्रीय (जैसे पश्चिम / दक्षिण / उत्तर-पूर्व आदि) या राष्ट्रीय वायु खेल संघों की राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्तर की इकाइयाँ।
    • ज़िला स्तरीय वायु खेल संघ, जैसा उपयुक्त हो।
  • शामिल खेल:
    • एयरोबेटिक्स, एयरो मॉडलिंग और मॉडल रॉकेट, प्रायोगिक विमान, बैलूनिंग, ड्रोन, ग्लाइडिंग तथा पावर्ड ग्लाइडिंग, हैंग ग्लाइडिंग एवं पावर्ड हैंग ग्लाइडिंग, पैराशूटिंग (स्काई डाइविंग, बेस जंपिंग और विंग सूट आदि सहित), पैराग्लाइडिंग व पैरा मोटरिंग ( पावर्ड पैराशूट ट्राइक आदि सहित), पावर्ड एयरक्राफ्ट (अल्ट्रा लाइट, माइक्रो लाइट तथा लाइट स्पोर्ट्स एयरक्राफ्ट आदि सहित), रोटरक्राफ्ट (ऑटोगाइरो सहित)।
  • महत्त्व:
    • भारत में वायु खेलों की दुनिया में अग्रणी देशों में शामिल होने की क्षमता है। इसका बड़ा कारण भौगोलिक विस्तार, विविध स्थलाकृति और उचित मौसम की स्थिति है।
      • इसकी एक बड़ी आबादी है, जिसमें खासकर युवा हैं। इसमें साहसिक खेलों और विमानन के लिये एक बढ़ती हुई संस्कृति है।
    • हवाई खेल गतिविधियों से प्रत्यक्ष राजस्व के अलावा विशेष रूप से देश के पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा, पर्यटन, बुनियादी ढांँचे और स्थानीय रोज़गार के विकास के मामले में कई गुना अधिक लाभ हैं।
    • देश भर में हवाई खेल हब बनाने से दुनिया भर से एयर स्पोर्ट्स प्रोफेशनल्स और पर्यटक भी आएंगे।

खेल विकास हेतु सरकार की पहल:

आगे की राह

  • 35 वर्ष से कम आयु के भारतीय युवाओं की ऊर्जा का लाभ उठाने की आवश्यकता है, जो भारत की जनसंख्या का 70% हैं एवं यूरोप की कुल जनसंख्या और संयुक्त राज्य अमेरिका की कुल जनसंख्या से तीन गुना अधिक हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

खाद्य सुरक्षा सूचकांक: FSSAI

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने खाद्य सुरक्षा के पाँच मापदंडों पर राज्यों के प्रदर्शन को मापने के लिये भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) का चौथा राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (SFSI) जारी किया।

राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक:

  • परिचय:
    • राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक की शुरुआत वर्ष 2018-19 से देश में खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में प्रतिस्पर्द्धी सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से की गई थी।
    • खाद्य सुरक्षा के पाँच महत्त्वपूर्ण मापदंडों पर राज्यों के प्रदर्शन को मापने के लिये FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) द्वारा यह सूचकांक विकसित किया गया है।
      • मापदंडों में मानव संसाधन और संस्थागत डेटा, अनुपालन, खाद्य परीक्षण- बुनियादी ढांँचा और निगरानी, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण तथा उपभोक्ता अधिकारिता शामिल हैं।
    • सूचकांक एक गतिशील मात्रात्मक और गुणात्मक बेंचमार्किंग मॉडल है जो सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में खाद्य सुरक्षा के मूल्यांकन के उद्देश्य हेतु ढांँचा प्रदान करता है।
    • वर्ष 2018-19 के लिये पहला राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक 7 जून, 2019 को पहली बार विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर घोषित किया गया था।
  • महत्त्व:
    • सूचकांक हमारे नागरिकों को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने में मदद करेगा।

राज्यों का प्रदर्शन:

  • संपूर्ण:
    • राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक में तमिलनाडु शीर्ष पर है, उसके बाद गुजरात और महाराष्ट्र हैं।
  • छोटे राज्यों में:
    • गोवा पहले स्थान पर रहा उसके बाद मणिपुर और सिक्किम का स्थान रहा।
  • केंद्रशासित प्रदेशों के मध्य:
    • जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और चंडीगढ़ ने क्रमशः पहला, दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया।

खाद्य सुरक्षा दिवस:

  • परिचय:
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) संयुक्त रूप से विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस को सदस्य देशों तथा अन्य प्रासंगिक संगठनों के सहयोग से मनाने की सुविधा प्रदान करते हैं।
    • यह पहली बार वर्ष 2019 में अदीस अबाबा सम्मेलन और जिनेवा फोरम द्वारा "खाद्य सुरक्षा के भविष्य" के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को मज़बूती प्रदान करने के लिये मनाया गया था।
    • विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस, 2022 की थीम ‘सुरक्षित भोजन, बेहतर स्वास्थ्य' है।
  • इस अवसर पर शुरू की गई अन्य पहलें:
    • FSSAI द्वारा शुरू की गई विभिन्न नवीन पहलों में ईट राइट रिसर्च अवार्ड्स और अनुदान - चरण II, ईट राइट क्रिएटिविटी चैलेंज- चरण III, स्कूल स्तर की प्रतियोगिता और आयुर्वेद आहार का लोगो शामिल है।
      • इस लोगो में आयुर्वेद आहार और पाँच पत्ते हैं, जो प्रकृति के पाँच तत्त्वों के प्रतीक हैं, यह खाद्य उत्पादों के लिये एक विशिष्ट पहचान तथा उनकी पहचान को आसान बनाने में सहायक होगा।
    • खाद्य जनित रोग प्रकोप जाँच और सूक्ष्मजैविक प्रक्रिया नियंत्रण, मत्स्य एवं मत्स्य उत्पादों के नमूने तथा परीक्षण पर एक मार्गदर्शन दस्तावेज़ जारी किया गया है।

स्रोत : द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 08 जून, 2022

बॉयोटेक स्‍टार्टअप प्रदर्शनी-2022 

प्रधानमंत्री 9 जून को नई दिल्‍ली के प्रगति मैदान में बॉयोटेक स्‍टार्टअप प्रदर्शनी-2022 का उद्घाटन करेंगे। इस दो दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन जैव प्रौद्योगिकी विभाग और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान सहायता परिषद कर रहे हैं। परिषद के दस वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्‍य में आयोजित प्रदर्शनी की थीम है- 'बॉयोटेक स्‍टार्टअप नवाचारः आत्‍मनिर्भर भारत के लिये’। यह प्रदर्शनी उद्यमियों, निवेशकों, उद्योगपतियों, वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्त्ताओं, बॉयोइन्‍क्‍यूबेटर, विनिर्माताओं, नियामकों और सरकारी कर्मियों को एक मंच पर लाएगी। इस प्रदर्शनी में लगभग 300 स्‍टॉल लगाए गए हैं, जिनमें स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल, जेनोमिक्‍स, जैव-फार्मा, कृषि, औद्योगिक जैव-प्रौद्योगिकी, कचरे से संपदा, स्‍वच्‍छ ऊर्जा जैसे विभिन्‍न क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग को प्रदर्शित किया जाएगा। जैव प्रौद्योगिकी वह तकनीक है जो विभिन्न उत्पादों को विकसित करने या बनाने के लिये जैविक प्रणालियों, जीवित जीवों या इसके कुछ हिस्सों का उपयोग करती है। जैव प्रौद्योगिकी के तहत बायोफार्मास्यूटिकल्स का औद्योगिक पैमाने पर उत्पादन करने हेतु आनुवंशिक रूप से संशोधित रोगाणुओं, कवक, पौधों और जानवरों का उपयोग किया जाता है। जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों में रोग की चिकित्सा, निदान, आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें, प्रसंस्कृत खाद्य, बायोरेमेडिएशन, अपशिष्ट उपचार और ऊर्जा उत्पादन आदि शामिल हैं। 

बोलाट तुर्लिखानोव कप कुश्‍ती प्रतियोगिता  

कज़ाखस्तान में बोलाट तुर्लिखानोव कप कुश्‍ती प्रतियोगिता में भारत 12 पदक जीतकर दूसरे स्‍थान पर रहा। इसमें कुल छह स्वर्ण, एक रजत और पाँच कांस्य पदक शामिल हैं। भारत के छह स्‍वर्ण पदकों में से पाँच पदक महिला प्रतिभागियों ने अपने नाम किये। 14 पदकों के साथ ईरान पदक तालिका में शीर्ष पर रहा। सरिता मोर ने 59 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता, जबकि मनीषा ने 65 किलोग्राम भार वर्ग में सीनियर्स में अपना पहला स्वर्ण पदक हासिल किया। मानसी अहलावत ने 57 और साक्षी मलिक ने 62 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किये। दिव्या काकरान ने भी 68 किग्रा भार वर्ग में स्‍वर्ण पदक जीता। पुरुष वर्ग में अमन सहरावत ने 57 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। वहीं 65 किलोग्राम भार वर्ग में बजरंग पुनिया ने, 125 किलोग्राम भार वर्ग में मोहित ग्रेवाल ने और 63 किलोग्राम भार वर्ग में नीरज ने कांस्य पदक अपने नाम किये। बोलाट तुर्लिखानोव कप कुश्‍ती प्रतियोगिता का आयोजन कज़ाखस्तान के अलमाटी में 2 से 5 जून तक किया गया

रोड कंस्ट्रक्शन वर्ल्ड रिकॉर्ड

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण-NHAI ने रिकॉर्ड 105 घंटे 33 मिनट (लगभग 5 दिन) में 75 किलोमीटर लंबी बिटुमिनस कंक्रीट रोड का निर्माण कर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया। 03 जून, 2022 से शुरू हुए इस कार्य के संपन्न होने पर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने प्राधिकरण, इंज़ीनियरों, ठेकेदारों और मज़दूरों के दल को  बधाई दी। महाराष्ट्र के पश्चिम विदर्भ में अमरावती और अकोला के बीच NH-53 सेक्शन पर सिंगल लेन की यह परियोजना आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत पूरी की गई। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1988 के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, अनुरक्षण और प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए किया गया था। गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड का आरंभ वर्ष 1958 में हुआ था. यह विश्व रिकॉर्ड वर्ष 1998 तक ‘द गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड’ के नाम से जाना जाता था और इसके बाद इसका नाम ‘द गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ हो गया। यह एक तरह की रिकॉर्ड बुक है, जिसे प्रतिवर्ष पुनः संपादित किया जाता है और नए-नए वर्ल्ड रिकॉर्ड इसमें शामिल किये जाते हैं। इसके अंतर्गत मनुष्य द्वारा बनाया गया रिकॉर्ड और विभिन्न प्राकृतिक रिकॉर्ड को शामिल किया जाता है। यह बुक ख़ुद भी एक विश्व रिकॉर्ड बन चुकी है। 


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