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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 08 Apr, 2022
  • 20 min read
प्रारंभिक परीक्षा

बृहस्पति के समान प्रोटोप्लैनेट

हाल ही में हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा बृहस्पति जैसे प्रोटोप्लैनेट की तस्वीर खींची गई है जिसे शोधकर्त्ताओं  ने एक प्रक्रिया के माध्यम से बनने वाला ‘तीव्र और हिंसक’ प्रोटोप्लैनेट बताया गया है।

प्रमुख बिंदु 

नवगठित ग्रह (प्रोटोप्लैनेट):

  • हबल द्वारा देखे गए नवगठित ग्रह को एबी ऑरिगे बी कहा (AB Aurigae b) कहा गया है जो एक प्रोटोप्लैनेटरी डिस्क से घिरा हुआ है तथा इसमें अलग-अलग प्रकार की सर्पिल संरचनाएंँ विद्यमान हैं जो लगभग 2 मिलियन वर्ष पुराने एक युवा तारे के चारों ओर चक्कर लगा रही हैं। 
    • वह भी लगभग उतना ही पुराना है जब हमारे सौरमंडल में ग्रह निर्माण की प्रक्रिया चल रही थी।
    • यह हमारे सूर्य से 531 प्रकाश वर्ष दूर है।
  • संभवतः देखा गया प्रोटोप्लैनेट बृहस्पति के आकार का लगभग नौ गुना है और 8.6 बिलियन मील की दूरी पर अपने मेज़बान तारे की परिक्रमा कर रहा है, जो सूर्य और प्लूटो के बीच की दूरी से दो गुना अधिक है।

प्रोटोप्लैनेट:

  • प्रोटोप्लैनेट छोटे खगोलीय पिंड हैं जो चंद्रमा के आकार या उससे थोड़े बड़े होते हैं। ये छोटे ग्रह हैं जो बौने ग्रह के छोटे संस्करण की तरह हैं।
    • खगोलविदों का मानना है कि ये पिंड सौरमंडल के निर्माण के दौरान बनते हैं।
  • सौरमंडल कैसे बनता है, इसके सबसे लोकप्रिय सिद्धांत के अनुसार, ये आणविक धूल के एक अविभाज्य क्लाउड के संक्रमण से बनते हैं, जिससे एक या एक से अधिक तारों का निर्माण होता है
  • इसके बाद नए तारे के चारों ओर गैस का एक बादल बनता है। गुरुत्वाकर्षण और अन्य बलों के परिणामस्वरूप इस बादल में धूल व अन्य कण आपस में टकराते हैं तथा एक बड़े द्रव्यमान का निर्माण करते हैं।
  • जबकि  इसके प्रभाव से इनमें से कुछ वस्तुएँ टूट जाती हैं तथा कई में लगातार वृद्धि होती रहती है।
  • एक बार जब वे एक किलोमीटर के आसपास एक निश्चित आकार तक पहुँच जाते हैं तो ये वस्तुएँ अपने गुरुत्वाकर्षण के साथ कणों और अन्य छोटी वस्तुओं को आकर्षित करने के लिये पर्याप्त होती हैं। जब तक वे प्रोटोप्लैनेट नहीं बनाते तब तक उनके आकार में वृद्धि होती रहती है।

नासा का ‘डिस्क अस्थिरता सिद्धांत’:

  • नासा के अनुसार, यह खोज ‘डिस्क अस्थिरता’ नामक एक सिद्धांत का समर्थन करती है, जो यह समझाने की कोशिश करता है कि बृहस्पति के समान ग्रह किस प्रकार बनते हैं।
    • यह मॉडल एक विशाल ग्रह निर्माण से संबंधित है, जहाँ एक प्रोटोप्लैनेटरी डिस्क घनी एवं ठंडी हो जाती है और गुरुत्वाकर्षण के कारण पतन हेतु अस्थिर हो जाती है, इसके परिणामस्वरूप गैसीय प्रोटोप्लैनेट का निर्माण होता है।
  • ‘डिस्क अस्थिरता सिद्धांत’ के अनुसार, इस डिस्क में पदार्थ धीरे-धीरे अंदर की ओर बढ़ता है, क्योंकि धूल के कण सेंटीमीटर के आकार तक बढ़ते हैं।
  • इसे किलोमीटर लंबे आकार के ग्रहों के निर्माण की दिशा में पहला कदम माना जाता है, जो अंततः ग्रहों का निर्माण करने के लिये एक साथ एकत्र होते हैं।
    • प्लैनेटिमल्स ठोस वस्तुएँ हैं, जो प्रोटोप्लैनेटरी डिस्क और मलबे डिस्क में मौजूद होती हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

नानार रिफाइनरी: महाराष्ट्र

हाल ही में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने जानकारी दी है कि कोंकण क्षेत्र में नानार तेल रिफाइनरी परियोजना को पुनर्जीवित किया जा सकता है क्योंकि महाराष्ट्र सरकार परियोजना को रोकने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर रही है।

Maharashtra

नानार तेल रिफाइनरी परियोजना:

  • इस परियोजना को वर्ष 2014 में केंद्र और महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया था तथा इसका उद्देश्य पिछड़े हुए कोंकण क्षेत्र में विकास करना था।
    • वर्ष 2019 के विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले इस परियोजना को बंद कर दिया गया था।
  • इसे इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और सऊदी अरब के स्वामित्व वाली अरामको तथा संयुक्त अरब अमीरात की नेशनल ऑयल कंपनी के बीच एक संयुक्त उद्यम माना जाता था।
  • यह अनुमान लगाया गया था कि इस परियोजना में 3 लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा और कम-से-कम एक लाख स्थानीय निवासियों के लिये रोज़गार के अवसर उत्पन्न होगे।
  • यह सहायक इकाइयों की स्थापना करके रोज़गार के नए अवसर भी सृजित करेगी।

परियोजना को रोकने का कारण: 

  • परियोजना शुरू करने के लिये सरकार को इस क्षेत्र के 17 गांँवों में फैले 14,000 हेक्टेयर भूक्षेत्र की आवश्यकता थी।
  • स्थानीय नेताओं ने इस परियोजना का पुरज़ोर विरोध करते हुए कहा कि तेल रिफाइनरी कोंकण क्षेत्र के पर्यावरण के लिये हानिकारक होगी।
  • वर्ष 2019 में 14 ग्राम पंचायतों ने परियोजना को खत्म करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव अपनाया और स्थानीय निवासियों ने विरोध करने के लिये सड़कों पर उतरकर कहा कि यह परियोजना मछली पकड़ने और धान तथा कटहल की खेती के लिये खतरनाक होगी, जो कि पारंपरिक रूप से स्थानीय निवासियों द्वारा उगाए जाते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

टूर ऑफ ड्यूटी योजना

सैन्य मामलों का विभाग ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ (Tour of Duty- ToD) योजना को अंतिम रूप देने की ओर अग्रसर है।

  • इस योजना के तहत युवाओं को केवल तीन साल के लिये सैनिकों के रूप में भर्ती किया जाएगा।
  • यह सैन्य आधुनिकीकरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले बढ़ते वेतन और पेंशन बिलों को रोकने की तत्काल आवश्यकता की पृष्ठभूमि में किया जा रहा है।

‘टूर ऑफ ड्यूटी’ (ToD) योजना

  • पृष्ठभूमि: इस योजना को दिवंगत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा था।
  • परिचय: इसमें तीन साल की निश्चित अवधि के लिये सैनिकों की भर्ती करना शामिल है, जिन्हें अग्निवीर कहा जाएगा।
    • यह एक स्वैच्छिक जुड़ाव होगा।
    • इसे अग्निपथ प्रवेश योजना (Agnipath Entry Scheme) के नाम से भी जाना जाता है।
    • यह योजना उन युवाओं के लिये है जो ‘रक्षा सेवाओं को अपना स्थायी व्यवसाय नहीं बनाना चाहते हैं, लेकिन फिर भी सैन्य व्यावसायिकता के रोमांच का अनुभव करना चाहते हैं।’
  • सैनिकों को लाभ: सैनिकों को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों सहित कुछ सरकारी नौकरियों की भर्ती में प्राथमिकता देने के साथ मौद्रिक भुगतान किया जाएगा।
    • इसके अलावा इस योजना के तहत संलग्न लोगों को निजी क्षेत्र के तहत भी प्राथमिकता देने पर विचार किया जा रहा है।
  • सरकार को लाभ: ‘टूर ऑफ ड्यूटी' योजना न केवल सैन्यकर्मियों की कमी के मुद्दे को हल करने में मदद करेगी, बल्कि यह वेतन वृद्धि एवं पेंशन के बोझ को भी कम करेगी।
    • मूल ToD प्रस्ताव के अनुसार, पेंशन और अन्य लाभों के साथ 17 साल की सेवा की समाप्ति के बाद एक जवान के कार्य की लागत में "संभावित जीवन-अवधि की बचत", एक ToD जवान की तुलना में 11.5 करोड़ रुपए होगी।
    • वेतन और ग्रेच्युटी भुगतान में बचाए गए संचयी धन का उपयोग ज़रूरी सैन्य आधुनिकीकरण हेतु किया जा सकता है।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 


प्रारंभिक परीक्षा

‘पृथ्वी अवलोकन उपग्रह: EOS-02

हाल ही में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा जानकारी साझा की गई है कि पृथ्वी अवलोकन उपग्रह- 02 को वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में लॉन्च किया जाएगा।

  • महामारी और उसके परिणामस्वरूप लगने वाले लॉकडाउन के कारण लॉन्च में देरी हुई।
  • इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह (EOS)-04 और दो छोटे उपग्रहों (INSPIREsat-1 और INS-2TD) को पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल- C52 रॉकेट द्वारा सफलतापूर्वक इच्छित कक्षा में स्थापित किया गया था।

EOS-02 उपग्रह:

  • EOS-02 विभिन्न नई तकनीकों हेतु प्रौद्योगिकी प्रदर्शन उपग्रह (Technology Demonstration Satellite) है जिसमें कृषि, वानिकी, भूविज्ञान, जल विज्ञान, लघु विद्युत इलेक्ट्रॉनिक्स, रिएक्शन व्हील आदि शामिल हैं तथा जो SSLV (लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान)-1 के लिये पेलोड का निर्माण करते हैं।
    • एसएसएलवी सबसे छोटा वाहन है जिसका वज़न मात्र 110 टन है। इसे एकीकृत होने में केवल 72 घंटे लगेंगे, जबकि एक प्रक्षेपणयान को अभी भी 70 दिन का समय लगता है।
    • इसका उद्देश्य छोटे उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षाओं में लॉन्च करने के लिये बाज़ार उपलब्ध कराना है जो हाल के वर्षों में विकासशील देशों, छोटे उपग्रहों के लिये विश्वविद्यालयों और निजी निगमों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये उभरा है।

EOS शृंखला में अन्य उपग्रह: 

  • EOS-01: 
    • कृषि, वानिकी और आपदा प्रबंधन सहायता हेतु एक ‘पृथ्वी अवलोकन उपग्रह’ (EOS)।
  • EOS-03: 
    • भूस्थैतिक कक्षा में पहला पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, जिसमें निकट वास्तविक समय इमेजिंग, प्राकृतिक आपदाओं की त्वरित निगरानी, कृषि, वानिकी आदि से संबंधित उपकरण शामिल हैं।
  • EOS-04: 
    • रडार इमेजिंग उपग्रह, जिसका उद्देश्य कृषि, वानिकी एवं वृक्षारोपण, मिट्टी की नमी तथा जल विज्ञान और बाढ़ मानचित्रण जैसे अनुप्रयोगों के लिये मौसम की सभी स्थितियों में उच्च गुणवत्ता वाली छवियाँ प्रदान करना है।
  • EOS-05: 
    • भूस्थिर कक्षा में भू-प्रेक्षण उपग्रह।
  • EOS-06: 
    • समुद्र से संबंधित सेवाओं, संभावित मत्स्यपालन क्षेत्र और समुद्र की स्थिति के पूर्वानुमान से संबंधित अनुप्रयोगों के लिये ‘पृथ्वी अवलोकन उपग्रह’।

‘पृथ्वी अवलोकन उपग्रह’ क्या हैं?

  • ‘पृथ्वी अवलोकन उपग्रह’ रिमोट सेंसिंग तकनीक से लैस उपग्रह होते हैं। पृथ्वी अवलोकन का अभिप्राय पृथ्वी की भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रणालियों के बारे में जानकारी का संग्रह करने से है।
  • कई पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों को सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा में नियोजित किया गया है।
  • इसरो द्वारा लॉन्च किये गए अन्य पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों में रिसोर्ससैट-2, 2A, कार्टोसैट-1, 2, 2A, 2B, रिसैट-1 और 2, ओशनसैट-2, मेघा-ट्रॉपिक्स, सरल और स्कैटसैट-1, इन्सैट-3DR, 3D, शामिल हैं।

First-Launch-of-2022

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. भारतीय क्षेत्रीय संचार उपग्रह प्रणाली (IRNSS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. IRNSS के तुल्यकाली (जियोस्टेशनरी) कक्षाओं में तीन उपग्रह और भू-तुल्यकाली कक्षाओं में चार उपग्रह हैं।
  2. IRNSS की व्याप्ति संपूर्ण भारत पर और इसकी सीमाओं से बाहर लगभग 5500 वर्ग किमी. तक है।
  3. वर्ष 2019 के मध्य तक भारत के पास पूर्ण व्याप्ति के साथ अपनी स्वयं की उपग्रह संचार प्रणाली होगी।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) इनमे से कोई नहीं

उत्तर: (a)

स्रोत: पी.आई.बी.


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 08 अप्रैल, 2022

सर्बिया के राष्ट्रपति ‘अलेक्जेंडर वुसिच’ 

सर्बिया के क्रेमलिन यानी रूस समर्थक राष्ट्रपति ‘अलेक्जेंडर वुसिच’ ने हालिया आम चुनावों में शानदार जीत हासिल की है। अलेक्जेंडर वुसिच, सर्बियाई प्रगतिशील पार्टी (SNS) से संबद्ध हैं। उनकी पार्टी वर्ष 2012 में सर्बिया में सत्ता पर आई थी और इसके बाद से वे देश की सरकार में कई महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं, जिसमें सूचना मंत्री, रक्षा मंत्री एवं प्रधानमंत्री आदि शामिल हैं। गौरतलब है कि राष्ट्रपति ‘अलेक्जेंडर वुसिच’ पर निरंकुश प्रवृत्तियों व भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जाता रहा है। ध्यातव्य है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत के बाद से ही फ्राँस, जर्मनी, ब्रिटेन तथा अमेरिका सहित कई पश्चिमी शक्तियों ने रूस के खिलाफ सख्त प्रतिबंध लागू किये हैं और सर्बिया पर किसी एक पक्ष का चयन करने का दबाव बढ़ता जा रहा है, हालाँकि सर्बिया ने अब तक अपनी संतुलन की नीति को बनाए रखा है तथा वह संबंधों को लेकर पश्चिमी शक्तियों व रूस के बीच संतुलन स्थापित करने पर ज़ोर दे रहा है। ज्ञात हो कि सर्बिया अपनी ऊर्जा के लिये लगभग पूरी तरह से रूसी गैस पर निर्भर है। सर्बिया गणराज्य दक्षिण पूर्व यूरोप में पैनोनियन मैदान एवं बाल्कन के चौराहे पर स्थित एक लैंडलॉक देश है।

मानवाधिकार परिषद से निलंबित हुआ रूस

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में रूस को संयुक्‍त राष्‍ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से नि‍लंबित किये जाने के पक्ष में मतदान किया गया है। 193 सदस्यों में से 93 देशों ने रूस को परिषद से बाहर करने के पक्ष में जबकि 24 ने इस प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया। वहीं भारत सहित कई अन्य देशों ने इस मतदान प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया और वे तटस्‍थ रहे। गौरतलब है कि यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई तथा रूसी सैनिकों द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओँ के बाद महासभा की आपात बैठक आयोजित की गई थी। यूक्रेन की राजधानी कीव से रूस के हटने के बाद उसके बाहरी इलाके ‘बूचा’ में सैकड़ों शव एवं सामूहिक कब्रें मिली थीं। ज्ञात हो कि मानवाधिकार परिषद संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर एक अंतर-सरकारी निकाय है, जो विश्व भर में मानवाधिकारों के संवर्द्धन एवं संरक्षण को मज़बूती प्रदान करने हेतु उत्तरदायी है। इस परिषद का गठन वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा किया गया था। इसने पूर्ववर्ती संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग का स्थान लिया। इसका गठन 47 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों से मिलकर हुआ है जो संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा चुने जाते हैं। 

गुलजार अहमद 

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में पाकिस्तान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ‘गुलजार अहमद’ को देश का कार्यवाहक प्रधानमंत्री नामित किया है। गौरतलब है कि पाकिस्तान के संविधान के तहत आपात स्थिति में राष्ट्रपति को निवर्तमान नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के परामर्श से एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त करने का अधिकार दिया गया है। गौरतलब है कि बीते दिनों राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री इमरान खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था। जस्टिस गुलजार अहमद का जन्म 02 फरवरी, 1957 को कराची में एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ और उनके पिता भी स्वयं एक प्रसिद्ध वकील थे। गुलजार अहमद 21 दिसंबर, 2019 से 01 फरवरी, 2022 तक पाकिस्तान के 27वें मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।


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