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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली

  • 25 Nov 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये

भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन, नाविक

मेन्स के लिये

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन से मान्यता प्राप्त करने का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) की समुद्री सुरक्षा समिति (MSC) ने अपने 102वें सत्र के दौरान ‘भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली’ (IRNSS) को ‘विश्वव्यापी रेडियो नेविगेशन प्रणाली’ (WWRNS) के एक घटक के रूप में मान्यता दे दी है।

  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष संस्था है, जो कि मुख्यतः अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग की सुरक्षा में सुधार करने एवं जहाज़ों द्वारा होने वाले प्रदूषण को रोकने हेतु उत्तरदायी है।

प्रमुख बिंदु

  • इसके साथ ही भारत विश्व का चौथा ऐसा देश बन गया है, जिसके पास ‘विश्वव्यापी रेडियो नेविगेशन प्रणाली’ (WWRNS) के घटक के रूप में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) से मान्यता प्राप्त एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है।
  • IMO द्वारा मान्यता प्राप्त नेविगेशन प्रणाली वाले अन्य तीन देश संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस एवं चीन हैं। 

महत्त्व 

  • IMO ने ‘भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली’ (IRNSS) को भारतीय जलक्षेत्र में वैकल्पिक नेविगेशन मॉड्यूल के रूप में स्वीकार कर लिया है। इससे पूर्व इस प्रणाली का उपयोग केवल प्रायोगिक आधार पर किया जा रहा था, किंतु अब भारतीय जलक्षेत्र में सभी व्यापारिक जहाज़ और मछली पकड़ने वाले छोटे जहाज़ इस प्रणाली का उपयोग कर सकेंगे।
  • भारतीय का यह क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम अब हिंद महासागर में भारतीय तट सीमा से 1500 किलोमीटर तक ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (GPS) का स्थान ले सकता है। ज्ञात हो कि ‘भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली’ (IRNSS) एक क्षेत्रीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली है न कि वैश्विक नेविगेशन प्रणाली।
  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) द्वारा मान्यता प्राप्त करने के बाद भारत का यह नेविगेशन सिस्टम भी अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) और रूस के ‘रूसी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम’ (GLONASS) जैसी अत्याधुनिक नेविगेशन प्रणालियों की सूची में शामिल हो गया है। ध्यातव्य है कि अमेरिका का GPS विश्व में सबसे अधिक उपयोग होने वाला नेविगेशन सिस्टम है।
  • इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।
  • भारतीय जलक्षेत्र में एक स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली के रूप में उपयोग होने के अलावा भारत की यह क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली रणनीतिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इससे अन्य वैश्विक नेविगेशन प्रणालियों पर भारत की निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी।

अन्य महत्त्वपूर्ण नेविगेशन प्रणालियाँ

  • अमेरिका का GPS: अमेरिका का ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) एक उपग्रह-आधारित नेविगेशन प्रणाली है, जिसमें 24 कक्षीय उपग्रह शामिल हैं। इसका संचालन अमेरिका की वायु सेना द्वारा किया जाता है।
  • रूस का ग्लोनास (GLONASS): ग्लोनास (GLONASS) रूस का नेविगेशन सिस्टम है, जिसे अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) के समक्ष माना जाता है।
  • चीन का बाइडू (BeiDou): बाइडू चीन का नेविगेशन सिस्टम है, जिसमें तीन अलग-अलग कक्षाओं (Orbits) में कुल 30 उपग्रह शामिल हैं।
  • गैलीलियो (Galileo) यूरोपीय संघ (EU) का ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है।

‘भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली’ (IRNSS)

  • IRNSS, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है।
  • इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य भारत और उसके आस-पास के क्षेत्रों में विश्वसनीय पोज़ीशन, नेविगेशन और समय संबंधी सेवाएँ प्रदान करना है।
  • IRNSS के कांस्टेलेशन को नाविक (NavIC) के नाम से जाना जाता है, यानी नाविक (NavIC) IRNSS के आठ उपग्रहों से मिलकर बना है।
  • नाविक (NavIC) मुख्यतः दो प्रकार की सेवाएँ प्रदान करता है: 
    • मानक स्थिति निर्धारण सेवा (Standard Positioning Service-SPS) सभी आम उपयेागकर्त्ताओं को उपलब्ध होगी।
    • प्रतिबंधित सेवा (RS) एक एन्क्रिप्टेड/कूटबद्ध सेवा है, जो केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं और संस्थाओं के लिये उपलब्ध है।
  • अमेरिका के GPS, जिसमें 24 उपग्रह शामिल हैं, के विपरीत नाविक (NavIC) में 8 उपग्रह शामिल हैं और इसका क्षेत्राधिकार भारत तथा उसके आस-पास के क्षेत्रों में देश की सीमा से 1,500 किमी तक फैला हुआ है।
    • ध्यातव्य है कि अधिक उपग्रहों वाली नेविगेशन प्रणाली अधिक सटीक जानकारी प्रदान करती है। हालाँकि GPS की तुलना में, जो कि 20-30 मीटर की स्थिति सटीकता प्रदान करता है, नाविक (NavIC) 20 मीटर तक स्थिति सटीकता प्रदान कर सकता है, क्योंकि अमेरिका का GPS एक वैश्विक नेविगेशन सिस्टम है और भारत का नाविक (NavIC) एक क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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