प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 8 अप्रैल, 2020
साइटोकिन स्टॉर्म
Cytokine Storm
हाल ही में नोवेल कोरोनवायरस के कारण होने वाले रोग COVID-19 से संक्रमित व्यक्तियों की जाँच में पता चला है कि इस संक्रमण से ग्रसित व्यक्तियों में साइटोकिन स्टॉर्म (Cytokine Storm) की संभावना सबसे अधिक है।
साइटोकिन स्टॉर्म (Cytokine Storm):
- एक साइटोकिन स्टॉर्म प्रतिरक्षी कोशिकाओं एवं उनके सक्रिय यौगिकों (साइटोकिन्स) का अति उत्पादन है जो फ्लू संक्रमण में अक्सर फेफड़ों में सक्रिय प्रतिरक्षी कोशिकाओं के बढ़ने से संबंधित होता है।
- परिणामस्वरूप रोगी के फेफड़ों की सूजन एवं उसके फेफड़ों में द्रव बनने से श्वसन संकट उत्पन्न हो सकता है और वह एक सेकेंड्री बैक्टीरियल निमोनिया से ग्रसित हो सकता है। जिससे अक्सर रोगी की मृत्यु हो जाती है।
साइटोकिन स्टॉर्म के लक्षण:
- साइटोकिन स्टॉर्म किसी संक्रमण, ऑटो-इम्यून स्थिति या अन्य बीमारियों के कारण हो सकता है। इसके प्रारंभिक संकेतों एवं लक्षणों में तेज़ बुखार, शरीर में सूजन एवं लालिमा, गंभीर थकान एवं मितली (Nausea) आदि शामिल हैं।
- साइटोकिन स्टॉर्म कोरोनोवायरस संक्रमित रोगियों में कोई विशेष लक्षण नहीं हैं। यह एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है जो अन्य संक्रामक एवं गैर-संक्रामक रोगों के दौरान भी हो सकती है।
प्रतिरक्षा प्रणाली में साइटोकिन्स की भूमिका:
- साइटोकिन्स प्रोटीन को संकेत देते हैं जो स्थानीय उच्च सांद्रता (Local High Concentrations) में कोशिकाओं द्वारा जारी किये जाते हैं। साइटोकिन स्टॉर्म या साइटोकिन स्टॉर्म सिंड्रोम में प्रतिरक्षा कोशिकाओं के अति उत्पादन संबंधी विशेषता होती है और इस प्रक्रिया में शिथिलता का कारण स्वयं साइटोकिन्स होते हैं।
- एक तीव्र प्रतिरक्षा अभिक्रिया (Severe Immune Reaction) जो रक्तप्रवाह में बहुत अधिक साइटोकिन्स के स्राव के लिये अग्रणी होती है, हानिकारक हो सकती है क्योंकि प्रतिरक्षी कोशिकाओं की अधिकता स्वस्थ ऊतक पर भी हमला कर सकती है।
साइटोकिन स्टॉर्म सिंड्रोम एक COVID-19 रोगी को कैसे प्रभावित करता है?
- किसी भी फ्लू संक्रमण के मामले में एक साइटोकिन स्टॉर्म फेफड़ों में सक्रिय प्रतिरक्षी कोशिकाओं की वृद्धि के साथ संबंधित होता है जो एंटीजन से लड़ने के बजाय, फेफड़ों की सूजन एवं द्रव निर्माण तथा श्वसन संकट की स्थिति उत्पन्न करता है।
साइटोकिन स्टॉर्म के पूर्व उदाहरण:
- इसे वर्ष 1918-20 में ‘स्पैनिश फ्लू’ महामारी के दौरान रोगी की मृत्यु होने के संभावित प्रमुख कारणों में एक माना जाता है। इस महामारी से विश्व भर में 50 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी। और हाल के वर्षों में H1N1 ‘स्वाइन फ्लू’ व H5N1 ‘बर्ड फ्लू’ के मामलों में भी इसके लक्षण देखने को मिले थे।
‘स्ट्रैंडेड इन इंडिया’ पोर्टल
‘Stranded in India’ Portal
COVID-19 वैश्विक महामारी के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की स्थिति में भारत के विभिन्न हिस्सों में फंसे विदेशी पर्यटकों की पहचान, सहायता एवं सुविधा के लिये भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय (Ministry of Tourism) ने 31 मार्च, 2020 को ‘स्ट्रैंडेड इन इंडिया’ पोर्टल (‘Stranded in India’ Portal) की शुरूआत की।
मुख्य बिंदु:
- इस पोर्टल के माध्यम से पर्यटकों को अपनी बुनियादी संपर्क जानकारी प्रदान करनी होगी तथा उनके द्वारा सामना किये जा रहे मुद्दों (यदि कोई हो तो) की प्रकृति को बताना होगा।
- इस पोर्टल के शुरू होने के शुरूआती 5 दिनों में देश भर में 769 विदेशी पर्यटकों ने इस पर पंजीकरण किया। प्रत्येक राज्य सरकार एवं केंद्रशासित प्रदेश ने ऐसे विदेशी पर्यटकों की सहायता के लिये एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की है।
- केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के 5 क्षेत्रीय कार्यालय पोर्टल पर भेजे जाने वाले अनुरोधों के अनुरूप विदेशी पर्यटकों को आवश्यक सहायता पहुँचाने के लिये इन नोडल अधिकारियों के साथ लगातार समन्वय कर रहे हैं।
ई-वे बिल
E-way Bill
COVID-19 के मद्देनज़र राज्यों द्वारा अपने राज्यों की सीमाओं को बंद करने का निर्णय लेने के बाद देश भर में फंसे ट्रकों की स्थिति को देखते हुए ट्रांसपोर्टरों ने एक्स्पायर्ड ई-वे बिल (E-way Bill) पर संभावित दंड को लेकर चिंता जताई है।
मुख्य बिंदु:
- लाकडाउन के कारण ट्रक ड्राइवरों के पास ट्रांजिट या गोदामों में माल के लिये ई-वे बिल की अवधि समाप्त हो रही है और उन्हें नियत तारीख पर नवीनीकृत भी नहीं किया जा सकता है।
- अधिसूचित ई-वे बिल नियमों के अनुसार, प्रत्येक पंजीकृत आपूर्तिकर्त्ता को इन सामानों की आवाजाही के लिये ई-वे बिल पोर्टल पर पूर्व ऑनलाइन पंजीकरण की आवश्यकता होती है।
- ई-वे बिल से संबंधित नियम यह भी निर्दिष्ट करते हैं कि पारंपरिक खेप हेतु परमिट एक दिन के लिये (100 किमी. के लिये माल की आवाजाही हेतु) मान्य है और बाद के दिनों में उसी अनुपात में परमिट जारी किये जाते हैं।
- कर अधिकारियों के पास कर चोरी की जाँच करने के लिये पारगमन के दौरान किसी भी समय ई-वे बिल की जाँच करने का अधिकार होता है।
- सामान्य तौर पर ई-वे बिल की वैधता को बढ़ाया नहीं जा सकता है किंतु एक आयुक्त केवल कुछ श्रेणियों के लिये अधिसूचना जारी करके वैधता अवधि को बढ़ा सकता है।
- यदि वैध ई-वे बिल निर्गमित किये बिना माल ले जाया जाता है तो कर अधिकारी उस पर 10,000 रुपए का जुर्माना या कर की राशि जो भी अधिक हो, लगा सकते है। ऐसी स्थिति में माल साथ उस वाहन को भी हिरासत में लिया जा सकता है।
ई-वे बिल:
- ई-वे बिल, जी.एस.टी. के तहत एक बिल प्रणाली है जो वस्तुओं के हस्तांतरण की स्थिति में जारी की जाती है। इसमें हस्तांतरित की जाने वाली वस्तुओं का विवरण तथा उस पर लगने वाले जी.एस.टी. की पूरी जानकारी होती है।
- नियमानुसार 50000 रुपए से अधिक मूल्य की वस्तु, जिसका हस्तांतरण 10 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक किया जाना है, उस पर इसे आरोपित करना आवश्यक होता है। नागरिकों की सुविधा के लिये लिक्विड पेट्रोलियम गैस, खाद्य वस्तुओं, गहने इत्यादि 150 उत्पादों को इससे मुक्त रखा गया है।
समाधान
Samadhan
07 अप्रैल, 2020 को भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resources Development) ने COVID-19 एवं भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिये समाधान (Samadhan) चैलेंज की शुरुआत की।
उद्देश्य:
- इस ऑनलाइन चैलेंज का उद्देश्य छात्र छात्राओं में नए प्रयोगों एवं नई खोज करने की क्षमता को परखना तथा उस प्रयोग या खोज का परीक्षण करने के लिये एक मज़बूत मंच उपलब्ध कराना है।
शामिल संस्थान:
- इस ऑनलाइन चैलेंज में मानव संसाधन विकास मंत्रालय का इनोवेशन सेल एवं अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council for Technical Education-AICTE) तथा फोर्ज (Forge) इनक्यूबेटर एवं इनोवेशियोक्युरिस (InnovatioCuris) जैसे स्टार्ट अप शामिल हैं।
मुख्य बिंदु:
- इस चैलेंज में भाग लेने वाले छात्र-छात्राएँ ऐसे उपायों की खोज करेंगे जिससे सरकारी एजेंसियों, स्वास्थ्य सेवाओं, अस्पतालों एवं अन्य सेवाओं को असमय आई चुनौतियों का त्वरित समाधान उपलब्ध करवाया जा सके।
- इसके अलावा इस ऑनलाइन चैलेंज के द्वारा नागरिकों को जागरूक करने, उन्हें प्रेरित करने, किसी भी संकट को रोकने एवं लोगों को आजीविका प्राप्त करने हेतु मदद करने का काम भी किया जाएगा।
- इस कार्यक्रम की सफलता इसमें भाग लेने वाले प्रतियोगियों के विचारों पर निर्भर करती है जो तकनीकी एवं व्यावसायिक रूप से ऐसे समाधान निकालें जो कोरोनावायरस जैसी महामारी से निपटने में सक्षम हो।