रैपिड फायर
कोलोसल A23a आइसबर्ग
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
विश्व का सबसे बड़ा आइसबर्ग, कोलोसल A23a (3,672 वर्ग किमी), दक्षिण जॉर्जिया द्वीप से लगभग 70 किमी दूर अटका हुआ है, जो संभवतः अपने वन्यजीव आवासों को पारिस्थितिक क्षति से बचा रहा है।
- A23a वर्ष 1986 में फिल्चनर आइस शेल्फ (अंटार्कटिका) से टूट गया और 30 से अधिक वर्षों तक वेडेल सागर में अटका रहा और वर्ष 2020 में उत्तर की ओर दक्षिण जॉर्जिया द्वीप की ओर बहना शुरू कर दिया।
- आइसबर्ग के भूमि पर अवतलन और विगलन से निकलने वाले पोषक तत्त्व समुद्री भोजन की उपलब्धता को बढ़ा सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र को सहायता मिल सकती है।
- दक्षिण जॉर्जिया द्वीप: ब्रिटेन दक्षिण जॉर्जिया (जिस पर अर्जेंटीना भी दावा करता है) को ब्रिटिश विदेशी क्षेत्र के रूप में प्रशासित करता है।
- आइसबर्ग: आइसबर्ग वृहदाकार तैरते हिम पिंड होते हैं जो ग्लेशियरों से टूटकर महासागरों या समुद्रों में तैरते रहते हैं।
- चूँकि हिम का घनत्व जल से कम होता है, इसलिये आइसबर्ग का 90% भाग जल की सतह से नीचे रहता है, केवल ऊपरी भाग ही दिखाई देता है।
और पढ़ें: आइसबर्ग A68a
रैपिड फायर
कार्बन तीव्रता
स्रोत: द हिंदू
कार्बन तीव्रता किसी विशिष्ट क्षेत्र या अर्थव्यवस्था में प्रति इकाई उत्पादन में उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) की मात्रा को मापती है। यह आर्थिक विकास या उत्पादन स्तरों को ध्यान में रखते हुए उत्सर्जन को कम करने में प्रगति को ट्रैक करने में मदद करता है।
- उदाहरण के लिये, इस्पात क्षेत्र की कार्बन तीव्रता को प्रति टन उत्सर्जित CO₂ से उत्पादित टन की संख्या के रूप में मापा जा सकता है।
- राष्ट्रीय कार्बन तीव्रता: किसी देश की कार्बन तीव्रता को प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि को CO₂ उत्सर्जन से विभाजित करके मापा जाता है।
- भारत और जलवायु लक्ष्यों के लिये महत्त्व: कार्बन तीव्रता पेरिस समझौते (2015) के तहत जलवायु प्रतिबद्धताओं का आकलन करने और वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- कार्बन तीव्रता पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है।
और पढ़ें: भारत का कार्बन बाज़ार: एक हरित प्रगति
रैपिड फायर
धौलावीरा
स्रोत: पी.आई.बी.
भारत के राष्ट्रपति ने हड़प्पा सभ्यता की तकनीकी प्रगति की सराहना करते हुए धौलावीरा का दौरा किया।
हड़प्पा (सिंधु घाटी) सभ्यता:
- यह एक शहरी सभ्यता थी जो 3300-1300 ईसा पूर्व के आसपास सिंधु नदी के किनारे विकसित हुई थी। इसकी खोज 1920 के दशक में जॉन मार्शल ने की थी।
- हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थलों में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, बनावली, धौलावीरा, लोथल और रोपड़ शामिल हैं।
धौलावीरा:
- यह गुजरात के कच्छ (खदिर का शुष्क द्वीप) में स्थित है, यह एक महत्त्वपूर्ण पुरातात्त्विक स्थल है जहाँ 3000 ईसा पूर्व से 1800 ईसा पूर्व तक लोग निवास करते थे।
- इसकी खोज वर्ष 1968 में जगतपति जोशी ने की थी।
- यह सिंधु घाटी सभ्यता का पाँचवाँ सबसे बड़ा स्थल है और दो मौसमी नदियों, मानसर और मनहर के बीच स्थित है।
- पुरातात्त्विक खोजों में टेराकोटा मृदभांड, मुहरें, आभूषण और धातु विज्ञान के साक्ष्य शामिल हैं। यह ताँबे, आभूषण और लकड़ी का व्यापार केंद्र था, जहाँ सिंधु घाटी लिपि में अभिलेख अंकित थे।
- घटनास्थल पर कोई मानव अवशेष नहीं मिला है।
- धौलावीरा में एक किलेबंद महल, मध्य और निचले शहर और एक कब्रिस्तान सहित एक चारदीवारी वाला शहर है।
- इसकी उन्नत जल व्यवस्था में 16 जलाशय और बावड़ियाँ शामिल हैं।
- इसे वर्ष 2021 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
और पढ़ें: भारत का 40वाँ विश्व धरोहर स्थल: धौलावीरा
रैपिड फायर
स्टारलिंक और यूटेलसैट
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
यूक्रेन में सेना और नागरिकों के संचार के लिये स्टारलिंक पर निर्भरता के बीच, स्पेसएक्स द्वारा हमलावर ड्रोन के लिये इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगाने से चिंताएँ बढ़ गई हैं, जिससे यूरोपीय उपग्रह कंपनी यूटेलसैट को एक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
- स्टारलिंक: स्पेसएक्स द्वारा विकसित, यह एक उपग्रह-आधारित इंटरनेट सेवा है, जिसे विशेष रूप से दूरदराज़ के क्षेत्रों में उच्च गति, निम्न विलंबता कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- लगभग 7,000 निम्न-भू कक्षा (LEO) उपग्रहों के विशाल समूह के साथ, स्टारलिंक विश्वव्यापी कवरेज प्रदान करता है।
- भारत ने सुरक्षा, गोपनीयता और मूल्य निर्धारण संबंधी चिंताओं के साथ-साथ स्थानीय दूरसंचार और उपग्रह उद्योग के विरोध के कारण स्टारलिंक को मंजूरी नहीं दी है।
- यूटेलसैट: स्टारलिंक का निकटतम प्रतिद्वंद्वी यूटेलसैट 630 LEO उपग्रहों और 35 भू-स्थिर उपग्रहों का संचालन करता है, जो 150 Mbps तक की गति प्रदान करता है।
- भारत में व्यापक वाणिज्यिक उपग्रह इंटरनेट का अभाव है, लेकिन दूरसंचार अधिनियम, 2023 उपग्रह-आधारित सेवाओं के लिये प्रशासनिक प्रक्रिया के माध्यम से स्पेक्ट्रम के आवंटन का प्रावधान करता है, जबकि स्थलीय स्पेक्ट्रम नीलामी के माध्यम से आवंटित किया जाता है।
और पढ़ें: स्टारलिंक परियोजना